बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. प्रथम तथा द्वितीय विश्वयुद्ध के मध्य सेना के भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
2. द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीय नभ सेना के विकास पर प्रकाश डालिए।
3. द्वितीय विश्वयुद्ध में नौसेना के विस्तार पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर -
प्रथम विश्वयुद्ध (1914-18) के समय भारतीय सेना का विकास
सन् 1914 में जर्मनी ने बेल्जियम पर आक्रमण करके प्रथम विश्वयुद्ध का प्रारम्भ किया। जब विश्वयुद्ध प्रारम्भ हुआ तो भारतीय सेनायें युद्ध के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थीं। क्योंकि भारतीय सेना की सैन्य व्यवस्था तथा अस्त्र-शस्त्र निम्न कोटि के थे तथा उनको आधुनिक अस्त्रों से लैस सेनाओं से युद्ध करना था लेकिन फिर भी भारतीय सेना ने पूर्वी अफ्रीका, रोम, फ्रांस, यूनान, टर्की, मिस्र तथा ईरान आदि देशों में जाकर सफलतापूर्वक युद्ध किया और बहुत से सामान अर्जित किये।
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों की संख्या 1,55,000 थी जो इस युद्ध के अन्त तक कई. गुना बढ़ गई। युद्ध के समय सेना को उचित उत्पाद पहुंचाने तथा बनाने के उद्देश्य से 1915 में कलकत्ता तथा रंगून में इंजीनियरिंग कारखानों का विकास किया गया तथा कलकत्ता में ही रेलवे कारखानों ने अपना उत्पाद बढ़ा लिया था। 1917 में भारतीय आस्त्रिक बोर्ड (Indian Amunitions Board) की स्थापना हुई। मशीनों, यंत्रों व मोटर परिवहन की मरम्मत के लिए रावलपिंडी में एक कारखाना खोला गया।
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय सेना में बहुत से दोष देखे गये। अतः इन दोषों के निवारण के लिए 1914 ई० में 'भारतीय सेना समिति' का गठन किया गया। सन् 1921-22 ई० में कमाण्डर इन- चीफ लार्ड रालिनसन ने ईश्वरी कमेटी तथा शिव स्वामी के आधार पर भारतीय सेना में निम्नलिखित सुधार किये -
1. भारतीय सेना को पुनः चार कमाण्डों में विभाजित किया गया -
(i) उत्तरी कमाण्ड (North Command) - मुख्यालय रावलपिंडी।
(ii) पूर्वी कमाण्ड (East Command) - मुख्यालय नैनीताल।
(iii) पश्चिमी कमाण्ड (West Command) - मुख्यालय जिला क्वेटा।
(iv) दक्षिणी कमाण्ड (South Command) - मुख्यालय - पूना।
2. पैदल सेना को रेजीमेन्टल प्रणाली के अंतर्गत रेजीमेन्टल केन्द्रों से जोड़ दिया गया।
3. भारतीय सेना का आधुनिकीकरण किया गया।
4. भारतीय सेना में यांत्रिक परिवहन की सुविधा (Mechenical Transport)
5. तोपखानों को आधुनिक कर दिया गया।
6. सेना को तीन टुकड़ियों में संगठित किया
(i) लड़ाकू सेना (Field Army)
(ii) सहायक सेना (Covering Troops)
(iii) आंतरिक सुरक्षा दल (Internal Security Troops )।
7. अल्पकालीन कमीशन ( Short Service Commission) को इंडियन टेरीटोरियल फोर्स के अंतर्गत संगठित किया गया।
8. युद्ध सामग्री के उत्पादन तथा निर्माण का एक अलग विभाग खोला गया।
9. एक नयी प्रादेशिक सेना का गठन किया गया।
1. सेना का भारतीयकरण (Indianisation) - सन् 1919 में बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु के पश्चात् महात्मा गाँधी भारत का नेतृत्व कर रहे थे। अतः 1920 ई० में उन्होंने सविनय अवज्ञा तथा असहयोग आन्दोलन चलाये। अतः कांग्रेसियों ने सेना में भी भारतीयों की नियुक्ति तथा पदोन्नति की मांग पर बल दिया। क्योंकि सेना में भारतीयों को केवल वायसराय कमीशन ही प्रदान किया जाता था और वे केवल रिसालदार, सूबेदार व जमादार ही हो सकते थे। यद्यपि भारतीयों ने देश-विदेश में होने वाले अनेक युद्धों में बड़ी वीरता एवं साहस के कार्य किये तथापि भारतीयों को ऊंचे पदों पर नियुक्ति का कोई अवसर नहीं दिया गया। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद भारतीय सेना में केवल भारतीय सैन्य अफसर थे। राष्ट्रवादी आन्दोलन की मांग भारतीय सेना में भारतीय अफसरों की संख्या बढ़ाने की थी।
राष्ट्रवादी आन्दोलन से पूर्व - जनरल किचनर के भारत आने पर बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में इम्पीरियल कैडेट कोर की स्थापना की गयी और इस कोर के प्रशिक्षित भारतीय अफसरों को कंपनी स्तर तक कमाण्ड करने के लिए विशेष किंग कमीशन दिये जाने की अनुशंसा की। फलतः 1905 में नौ भारतीय सैनिकों को किंग कमीशन प्रदान किया गया। इसके बावजूद भारतीयकरण की बात को नजरअन्दाज किया गया।
सन् 1920 ई० में जब राष्ट्रवादी आन्दोलन ने तेजी पकड़ी तो भारतीयकरण की मांग भी बढ़ती गयी। फलस्वरूप भारतीय सरकार ने सैण्ड हर्स्ट मिलिट्री अकादमी में प्रतिवर्ष दस स्थान भारतीयों के लिए सुरक्षित कर दिये। तथा भारत सरकार ने भारतीयकरण की मांग को भी मान लिया।
जनरल रालिनसन ने 'डोमीनियल फोर्स' के स्थान पर भारतीयकरण के लिए निम्नलिखित आठ यूनिटों को चुना जिसके कमाण्डिंग अफसर भारतीय नियुक्त किये गये -
(i) 7वीं लाइट कैवलरी
(ii) 16वीं लाइट कैवलरी
(iii) 2 / 1 पंजाब रेजीमेन्ट
(iv) 2/3 मद्रास रेजीमेन्ट
(v) 5/5 मराठा लाइट इनफेन्ट्री
(vi) 1/7 राजपूत रेजीमेन्ट
(vii) 1/4 पंजाब रेजीमेन्ट
(viii) 4/19 हैदराबाद रेजीमेन्ट
इस प्रकार इस योजना के अंतर्गत मोतीलाल नेहरू के अनुसार लगभग 23 वर्ष का संपूर्ण भारतीय सेना का भारतीयकरण करने में पंडित समय लगा था।
भारतीय अभ्यार्थियों को सेना में अफसर पद प्राप्त करने के लिए एक प्रारम्भिक परीक्षा को पास करना होता था। इस परीक्षा के लिए उम्मीदवारों की आयु 19 से बढ़ाकर 20 वर्ष कर दी गई थी। इस प्रारम्भिक परीक्षा की शिक्षा के लिए 1922 ई० में देहरादून में प्रिंस ऑफ वेल्स रॉयल्स मिलिट्री कॉलेज' की स्थापना की गई। इस प्रकार धीरे-धीरे भारतीय अफसरों की संख्या बढ़ने लगी। भारतीय अफसरों के प्रशिक्षण के लिए देहरादून में एक अकादमी की स्थापना की गई। 1928 ई० में 10 के स्थान पर 20 भारतीयों को किंग कमीशन में स्थान दिया जाने लगा।
2. द्वितीय महायुद्ध (1939-45) - में भारतीय सेना का विकास द्वितीय विश्वयुद्ध के प्रारम्भ में भारतीय सैनिक यूरोपीय सैनिक और इम्पीरियल ट्रप्स, सब मिलकर लगभग 3 लाख 50 हजार सैनिक थे। ब्रिटेन ने चैटफील्ड कमेटी की अनुशंसायें स्वीकार करके भारतवर्ष में सेना के आधुनिकीकरण तथा नयी भर्ती का कार्य तेजी से शुरू कर दिया। जर्मनी और जापान के गठबन्धन से भारतीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया। फलतः सेना में एक लाख सेना की अतिरिक्त आवश्यकता पड़ी जिसे पूरा करने के लिए 20-30 हजार सैनिकों को भर्ती किया जाने लगा। सन् 1941 के अन्त में भारतीय सेना में नौ लाख सैनिक हो गये। द्वितीय महायुद्ध के अन्त तक 1 सितंबर 1945 ई० को भारतीय सैनिक संख्या 26, 47, 017 तक पहुंच चुकी थी।
इन सैन्य भर्तियों के लिए देहरादून के अतिरिक्त बंगलौर तथा महु में ऑफीसर प्रशिक्षण संस्थान खोले गये। लड़ाई के लिए सामरिक संगठन कोर, डिवीजन व ब्रिगेड के रूप में संगठित किये गये। सेना का सही नेतृत्व करने के लिए सारे भारत को तीन कमानों में बाँट दिया गया उत्तरी कमान, पूर्वी कमान तथा दक्षिणी कमान। युद्ध के दौरान एक सेन्ट्रल कमान भी बनाई गई। द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीय सेना ने विश्व के कई देशों में जाकर लड़ाई लड़ी और बहुत वीरता का परिचय दिया। युद्ध के अन्त होने तक भारतीय सेना का विकास पूर्ण रूप से हो चुका था।
3. नौसेना - द्वितीय महायुद्ध के प्रारम्भ में भारत के पास केवल 1708 नौसैनिक थे, परन्तु जर्मनी और जापान के गठबन्धन के कारण भारतीय नौसेना का प्रसार बहुत तेजी से किया गया और 1939 के अन्त तक भारतीय अफसरों की संख्या 1,385 और नाविकों की संख्या लगभग 2,900 हो गई। जापान और बर्मा के युद्ध के कारण भारतीय नौसेना में बहुत सी नई शाखाएँ खोली गई। 1943 में भारतीय नौसेना में केवल अफसरों की संख्या 72,000 हो गई और उनके पास छः आधुनिक स्लूप चार कारवेट, 21 माइन स्वीपर्स और बहुत से सहायक पोत हो गये। द्वितीय महायुद्ध में ही भारतीय नौ सेना के अंतर्गत कोस्टल फोर्स, लैंडिंग क्राफ्ट विंग तथा वोमेन्स इंडियन नैवल सर्विस की शाखायें स्थापित की गईं।
4. नभ सेना - द्वितीय विश्वयुद्ध में वायुयान यातायात एवं परिवहन के साधन के रूप में प्रयोग किये जाते थे। इस युद्ध से पहले इसके विकास की ओर ध्यान नहीं दिया गया था। बर्मा के संग्राम के कारण नभ सेना का विकास तीव्र गति से हुआ। सन् 1943 ई० के अन्त तक भारतीय कमाण्ड के अंतर्गत लगभग 3699 वायुयान हो गये थे। बहुत से नये एरोड्राम बनाये गये साथ ही अनेक नई शाखाएँ तथा प्रशिक्षण संस्थायें स्थापित की गईं। इस प्रकार 1945 ई० में 6 स्क्वाड्रन हो गये थे। अतः हमें यह पता चलता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण ही भारत में नभ सेना का विकास हुआ।
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- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
- प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
- प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
- प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
- प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
- प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
- प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
- प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
- प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
- प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
- प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
- प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
- प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
- प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
- प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
- प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
- प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
- प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
- प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
- प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
- प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
- प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
- प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
- प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
- प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
- प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
- प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
- प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
- प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
- उत्तरमाला
- 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला