बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर
भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1965
(India-Pakistan War - 1965)
प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
अथवा
1965 के भारत-पाक युद्ध का वर्णन करते हुए युद्ध के परिणाम पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
(Indo-Pak War - 1965)
पृष्ठभूमि कश्मीर को लेकर सन् 1947-48 में भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष हो चुका था। कश्मीर का प्रश्न आज भी सुलझा नहीं है और पाकिस्तान प्रायः इसी विषय को लेकर भारत की आलोचना करने के साथ-साथ विदेशी शक्तियों से अधिकाधिक सैनिक सहायता प्राप्त करने का प्रयास करता रहता है। सन् 1962 में भारत-चीन संघर्ष के समय पाकिस्तान में प्रतिनिधि सरकार के स्थान जनरल अय्यूब के नेतृत्व में तानाशाही शासन था। भारत-चीन संघर्ष में जनरल अय्यूब खाँ ने भारत की सैनिक दुर्बलता को देखा और कालान्तर में उसका लाभ उठाना चाहा। पाकिस्तान में साम्यवादी चीन से मित्रता बढ़ाने के लिए मई 1962 में कराकोरम के उत्तर में कश्मीर का एक भाग चीन सरकार को सौंप दिया था। पाक-चीन मित्रता तीव्र गति से बढ़ी और पाकिस्तान ने भारत के साथ कूट योजना तथा मिथ्याचार का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने के पश्चात् भारत के साथ संघर्ष छेड़ने की नई योजना सन् 1965 में बनाई।
1. पाकिस्तानी घुसपैठ - 5 अगस्त 1965 से युद्ध विराम रेखा का उल्लंघन कर पाकिस्तान के छापामार घुसपैठिये विभिन्न स्थानों से होकर नागरिक वेषभूषा में भारतीय क्षेत्र में छोटे-छोटे समूहों में चुपचाप घुसने लगे। इस प्रकार लगभग 8000 घुसपैठिये काश्मीर में प्रवेश कर गये। पाकिस्तान घुसपैठियों ने छम्ब, हाजीपुर आदि क्षेत्रों में घुसकर आतंक फैलाना शुरू किया। पाकिस्तानी योजना के अंतर्गत छः सैन्य कंपनियों का सलाहुद्दीन दल 8 अगस्त को श्रीनगर पहुंचना था। श्रीनगर में 9 अगस्त को कश्मीरी नागरिकों के साथ मिलकर पीर दस्तगीर के उर्स के जलसे में मिलकर इस दल को काश्मीर के रेडियो स्टेशन, हवाई अड्डे तथा सरकारी स्थानों पर अधिकार करके यहाँ पर क्रान्तिकारी सरकार की स्थापना करनी थी। इसी दिन एक वर्ष पूर्व बन्दी बनाये गये शेख अब्दुल्ला की गिरफ्तारी की सालगिरह जनमत संग्रह मोर्चे द्वारा मनाई जा रही थी और इसी कारण काश्मीर में पहले से दंगे तथा तोड़-फोड़ की कार्यवाही हो रही थी।
2. भारतीय प्रतिक्रिया - 8 अगस्त 1965 को रात्रि दस बजे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की एक आपातकालीन बैठक की गई और भारतीय सेना को पाकिस्तानी आक्रमण के विरुद्ध तैयार रहने के लिए सचेत किया गया तथा थल सेना को घुसपैठियों से निपटने का आदेश दिया गया।
भारत की ओर से सीमा सुरक्षा दल की टुकड़ियों के सैनिकों ने घुसपैठियों को खोज खोज कर मारना प्रारम्भ किया। काश्मीर की जनता से इन जेहादी घुसपैठियों को लेशमात्र भी सहानुभूति अथवा सहायता नहीं मिली। अतः पाकिस्तानी घुसपैठिये अब काश्मीर के विभिन्न गांवों में आग लगाने और लूटपाट तथा तोड़-फोड़ करने लगे। भारतीय स्थल सेनाध्यक्ष जनरल जे. एन. चौधरी ने निर्णय लिया कि इन घुसपैठियों की कार्यवाही को समूल नष्ट करने के लिए युद्ध विराम रेखा को पार कर पाकिस्तान की सीमा से आने वाले मार्गों को अवरुद्ध करना पड़ेगा। अतः 15 अगस्त 1965 को भारतीय सेना ने कारगिल में युद्ध विराम रेखा को पार कर तीन पाकिस्तानी चौकियों पर अधिकार करके श्रीनगर लेह मार्ग को सुरक्षित कर लिया, क्योंकि इस ओर से पाकिस्तान की सहानुभूति में चीन के आक्रमण की संभावना की अनदेखी नहीं की जा सकती थी। 24 अगस्त को टिथवल तथा 25 अगस्त को उसी क्षेत्र में भी भारतीय सुरक्षा दलों ने युद्ध विराम रेखा को पारकर पीर साहिबा' तथा 'हाजी पीर दरों पर अधिकार कर लिया। किशन गंगा नदी के किनारे 7500 फीट की ऊंचाई पर स्थित संजोई नामक स्थान पर अधिकार करके पाकिस्तानी युद्धबन्दियों के पास से पाकिस्तानी मेजर जनरल अख्तर हुसैन के सैनिकों के आदेश प्राप्त हुए जिससे पाकिस्तानी आक्रमण तथा क्रान्ति की योजना का भंडाफोड हो गया। अगस्त के अन्त तक भारतीय सुरक्षा दलों ने घुसपैठियों का काश्मीर से सफाया कर दिया और इस प्रकार पाकिस्तान की घृणित 'जेहाद संक्रिया सफल न हो सकी।
3. सशस्त्र पाकिस्तानी आक्रमण - पाकिस्तान की घुसपैठिया कार्यवाही असफल होते ही 1 सितम्बर 1965 को पाकिस्तान ने अपनी सशस्त्र सैन्य संक्रिया भारत के विरुद्ध प्रारम्भ कर दी। भारत की इस गुप्त संक्रिया का नाम 'आपरेशन ग्राण्ड सलाम' था। पाकिस्तान को सशस्त्र सेनाओं ने तोपखाने तथा पैदल सेना का एक प्रारम्भिक प्रबल आक्रमण छम्ब जोरिया क्षेत्र में किया। पाकिस्तान के तीन प्रारम्भिक आक्रमणों को भारतीय सेना ने विफल कर दिया। अन्त में पाकिस्तान सेना के पैटेन टैंकों के दो रेजीमेन्ट तथा स्थल सेना के एक ब्रिगेड ने शिम्बर क्षेत्र पर भयंकर आक्रमण किया जिससे अखनूर को खतरा उत्पन्न हो गया। पाकिस्तान का दूसरा भयंकर आक्रमण सियालकोट की ओर से जम्मू की ओर बढ़ने के लिए किया गया। इस क्षेत्र में पाकिस्तान ने एक कवचित तथा दो स्थल सेना के ब्रिगेड लगाये।
भारत सरकार ने अपने मंत्रिमंडल की सुरक्षा समिति की आपातकालीन बैठक की जिसके निर्णयानुसार स्थल तथा नभ सेनाध्यक्षों को पाकिस्तान के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने के आदेश दिये गये। छम्ब के क्षेत्र में छठी सिक्ख लाइट इन्फैक्ट्री तथा पन्द्रहवीं कुमायुं बटालियनों ने पाकिस्तानी सेना से जबरदस्त टक्करें लीं, परन्तु अन्त में उनके पैर उखड़ने लगे। अतः कश्मीर में पाकिस्तानी सशस्त्र आक्रमण का सामना करने के लिए लेफ्टिनेन्ट जनरल हरबक्श सिंह के नेतृत्व में प्रथम कोर और लेफ्टीनेन्ट जनरल जोगेन्द्र सिंह के नेतृत्व में ग्यारहवीं कोर को तैनात किया गया। प्रथम कोर को जम्मू से स्यालकोट की ओर बढ़ना था और ग्यारहवीं कोर को पंजाब से लाहौर की ओर बढ़ना था।
प्रथम तथा छठे कवचित और आठवें तथा ग्यारहवें पैदल सेना के डिवीजन लाहौर स्यालकोट क्षेत्रों की ओर बढ़ी। इस कोर के अमृतसर तथा फिरोजपुर से आने वाले भारतीय सैन्य दल इच्छूगिल नहर के निकट पहुंचने में सफल हो गये। गुरुदासपुर से बढ़ते हुए भारतीय सैन्य दल ने डेरा बाबा नानक क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। 15वाँ भारतीय डिवीजन मेजर जनरल निरंजन प्रसाद के नेतृत्व में इच्छूगिल नहर को पार करने में सफल रहा परन्तु पाकिस्तानी नभ आक्रमण के कारण उसे बड़ी क्षति उठानी पड़ी और इस डिवीजन के बचे हुए सैनिकों को बड़ी कठिनाई से पीछे हटाया जा सका। फलतः मेजर जनरल निरंजन प्रसाद को इस डिवीजन की कमाण्ड से मुक्त कर दिया गया।
पूर्वी पंजाब के खेमकरन क्षेत्र में प्रथम पाकिस्तान. कवचित डिवीजन अपनी पैदल सेना के ग्यारहवें डिवीजन की सहायता से भारतीय सेना पर भयंकर आक्रमण करता हुआ आगे बढ़ रहा था। फलतः भारत का प्रसिद्ध चौथा पर्वतीय डिवीजन 7 सितंबर को पैटन टैंकों की चपेट में बुरी तरह फंस गया था।
असल उत्तर गांव के निकट भारतीय पैदल सेना मेजर जनरल गुरुबख्श सिंह के नेतृत्व में तथा कवचित सेना ब्रिगेडियर झंडा सिंह के नेतृत्व में बड़े साहस के साथ शत्रु का मुकाबला कर रही थीं। 9 सितंबर को द्वितीय कवचित ब्रिगेड को ब्रिगेडियर यंगराज के नेतृत्व में चौथे पर्वतीय डिवीजन की सहायता के लिए भेजा गया। यहाँ पर ग्रेनेडियर्स के हवलदार अब्दुल हमीद ने अपने साहस का प्रदर्शन कर अकेले ही अनेक पाकिस्तानी टैंकों को ध्वस्त कर दिया, फलतः उसे मरणोपरान्त इस साहसिक कार्य के लिए परमवीर चक्र प्रदान किया गया। द्वितीय कवचित ब्रिगेड की छुपी हुई तोपों की मार के आगे पाकिस्तानी कवचित सेना भाग खड़ी हुई और खेमकरन का मोर्चा भारतीय सैनिकों ने जीत लिया।
4. चीन की धमकी - 17 सितम्बर 1965 को चीन की साम्यवादी सरकार ने काश्मीर के मुसलमानों तथा पाकिस्तानी सरकार के साथ सहानुभूति प्रकट की और भारतीय सरकार को धमकी दी कि वह सिक्किम की सेना से होकर तिब्बत के ऊपर भारतीय सैनिकों की आक्रमणात्मक कार्यवाही को रोके। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री इस धमकी से तनिक भी विचलित नहीं हुए और भारतीय सेना को अवसर आने पर चीन के आक्रमण का उत्तर देने के लिए भी सचेत कर दिया। सिक्किम और लद्दाख के निकट चीनी सैनिकों ने छुट-पुट फायर भी किया जिसका भारतीय सैनिकों ने कारगर जवाब दिया।
5. युद्ध विराम - भारत पाक संघर्ष को प्रारम्भ से ही समाप्त कराने का प्रयास संयुक्त राष्ट्र संघ कर रहा था। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भली प्रकार समस्या को समझकर शीघ्रता से युद्ध विराम कराने के लिए महासचिव उथांट को भारत तथा पाकिस्तान जाकर स्थिति का अध्ययन करने का सुझाव दिया। 9 सितंबर 1965 को उथांट कराची तथा 11 सितंबर को दिल्ली आये। 15 सितंबर 1965 को उथांट दिल्ली से वापस चले गये। पाकिस्तान ने उनके सुझाव पर युद्ध विराम करना स्वीकार नहीं किया। सुरक्षा परिषद ने 20 सितंबर को पुनः एक प्रस्ताव द्वारा भारत तथा पाकिस्तान से युद्ध विराम का अनुरोध किया। पाकिस्तान अब बुरी तरह युद्ध के प्रत्येक मोर्चे पर हार रहा था। साम्यवादी चीन भारत के विरुद्ध दूसरा मोर्चा खोलना उचित नहीं समझता था। अतः राष्ट्रपति अय्यूब ने 23 सितंबर 1965 से युद्ध विराम लागू करना स्वीकार कर लिया।
6. परिणाम - 23 सितम्बर 1965 को युद्ध विराम के पश्चात् भारतीय स्थल सेनाध्यक्ष जनरल जे.एन. चौधरी ने युद्ध के विषय में बताया कि इस समय भारत के अधिकार में पाकिस्तान की लगभग 700 वर्ग मील भूमि है जबकि पाकिस्तान भारत की 190 वर्ग मील भूमि पर ही अधिकार कर सका है। उसके अतिरिक्त भारत ने राजस्थान क्षेत्र में पाकिस्तान की 630 चौकियों पर अधिकार कर लिया है। जबकि पाकिस्तान के अधिकार में भारत की 230 चौकियाँ हैं। सन् 1962 के युद्ध के बाद सुरक्षा बजट में कुछ कटौती की गई लेकिन 1965 के युद्ध के उपरान्त बजट में लगातार वृद्धि होती रही। सन् 1964-65 में सुरक्षा बजट 805 करोड़ रुपये का था जो सन् 1965-66 में 886 करोड़ रुपये तथा सन् 1966-67 में 942 करोड़ का हो गया। सन् 1967-68 में इसको और बढ़ाकर 970 करोड़ रुपये का कर दिया गया
इस युद्ध में दोनों देशों की क्षति निम्नवत् है-
- तुलनात्मक क्षति
भारत | पाकिस्तान | ||
टैंक | 123 | 471 | |
वायुयान | 35 | 73 | |
सैनिक | मृत | 2226 (161 अफसर ) | 4802 (12 अफसर) |
घायल | 7870 (412 अफसर). | पाकिस्तान ने कोई विवरण नहींदिया | |
बन्दी | 1000 (पाक ने वापस किये | 450 (20 अफसर) | |
लापता | 500 | कोई विवरण नहीं। |
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- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
- प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
- प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
- प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
- प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
- प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
- प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
- प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
- प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
- प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
- प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
- प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
- प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
- प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
- प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
- प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
- प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
- प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
- प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
- प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
- प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
- प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
- प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
- प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
- प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
- प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
- प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
- प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
- प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
- उत्तरमाला
- 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला