बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
अथवा
शिवाजी के समय की मराठा सेनाओं की युद्ध कला तथा संगठन का वर्णन कीजिए।
अथवा
शिवाजी की युद्ध पद्धति का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मराठों की पैदल सेना का वर्णन कीजिए।
2. शिवाजी की नौ सेना के विकास पर प्रकाश डालिए।
3. मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
अथवा
मराठे किस प्रकार के युद्ध कर्म का प्रयोग करते थे?
अथवा
शिवाजी की युद्धकला के बारे में लिखिए।
अथवा
शिवाजी की सामरिकी पर टिप्पणी कीजिये।
अथवा
मराठा गुरिल्ला युद्धकर्म पर टिप्पणी लिखिये।
अथवा
शिवाजी के छापामार युद्धकला की सामरिकी सैन्य संगठन एवं नेतृत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
मराठों का सैन्य संगठन
(Maratha Military Organisation)
मराठों की सेना में ब्राह्मण से लेकर निम्नतम जाति के लोग भर्ती किये जाते थे। इनकी सेना में हिन्दू तथा मुसमलान दोनों ही शामिल थे। मराठा सैनिक युद्ध विद्या में बहुत निपुण थे। मराठा सेना का सैन्य प्रबन्ध बहुत उच्चकोटि का था। मराठा सैन्य संगठन निम्नलिखित सैन्य विभागों तथा दलों को मिलाकर बना था -
1. पैदल सेना (Infantry)- पैदल सेना की सबसे छोटी यूनिट दस सैनिकों की थी। इस यूनिट के कमाण्डर को नायक कहते थे। पांच नायकों के ऊपर हवलदार पद होता था। एक जुमलेदार के अधीन दो या तीन हवलदार होते थे तथा फिर उसके ऊपर एक 'हजारी' पद होता था इसके अधीन दस जुमलेदार होते थे। पैदल सेना का सर्वोच्च अधिकारी 'सरनोबत' कहलाता था। पैदल सेना के हथियार धनुष-बाण मेचलॉक तथा बन्दूकें होती थीं। पैदल सेना प्राचीनकालीन हथियारों का भी प्रयोग करती थी। पैदल सेना के पास आक्रमण से सुरक्षा के लिए ढाल होती थी तथा सैन्य अधिकारी लोहे का टोप तथा लोहे की जन्जीर का बना कवच या बहुत मोटी रुई का बना कोट पहनते थे।
2. अश्व सेना (Cavalry) - अश्वसेना में दो प्रकार के सैनिक होते थे. बारगीर और सिल्हेदार। बारगीर सैनिकों को राज्य की ओर से वेतन, घोड़े तथा अस्त्र-शस्त्र आदि मिलते थे, लेकिन सिल्हेदार सैनिकों को अपने घोड़ों और अस्त्र-शस्त्रों की व्यवस्था स्वयं करनी पड़ती थी। शिवाजी ने धीरे-धीरे सिल्हेदार सैनिकों की संख्या कम करके बारगीर सैनिकों की संख्या में वृद्धि शुरू कर दी थी। कहा जाता है कि शिवाजी ने 10-12 हजार कच्छ व अरबी घोड़े मंगवाये थे। जिससे उसकी सेना में अधिकांश रूप से 'बारगीर' ही थे।
अश्वारोही सैनिकों का संगठन इस प्रकार था सबसे छोटी यूनिट में 25 बारगीर घुड़सवार थे, जिसका कमाण्डर हवलदार कहलाता था। एक जुमलेदार के अधीन पांच हवलदार होते थे तथा दस जुमलेदारों पर एक 'हजारी' पद का अधिकारी होता था। इसके ऊपर 'पंच हजारी' पद का अधिकारी होता था इसके अधीन पांच 'हजारी' होते थे। अश्वारोही सैनिकों का सर्वोच्च अधिकारी 'सरनोबत कहलाता था।
अश्वारोही सेना के सरनोबत का पद एवं सम्मान पैदल सेना के 'सरनोबत' से अधिक होता था।
शिवाजी की घुड़सवार सेना में पांच से अधिक सरनोबत थे। अश्वारोही सैनिकों का वेतन भी पैदल सैनिकों से अधिक होता था।
3.' तोपखाना (Artilltery) - शिवाजी की सेना में तोपखाने का एक स्थायी विभाग था। इस तोपखाने में उच्च कोटि की तोपे नहीं थीं। मराठा शासक शिवाजी इन तोपों को यूरोप से मंगाते थे। 1673 ई. में शिवाजी ने यूरोप में निर्मित 88 तोपें खरीदीं। इन विदेशी तोपों के अतिरिक्त शिवाजी के पास भारत में निर्मित 'जेजल' तथा जम्बसक नामक हल्की तोपें थीं जो बहुत ही निम्न कोटि की थीं। शिवाजी के तोपखाने में तोपें पर्याप्त संख्या में न थी तथा कुशल तोपचियों का भी अभाव था। इन तोपों का प्रयोग मुख्यतः किलों की सुरक्षा के लिए किया जाता था।
4. नौ सेना (Navy) - शिवाजी ने मराठा नौ सेना की स्थापना की। शिवाजी के नौ सेना के मुख्य अधिकारी अधिकतर मुसमलान थे परन्तु बाद में मराठा नवयुवक नौ सेना में भर्ती होने लगे। शिवाजी के जलयानों की संख्या के विषय में मतभेद हैं। अधिकांश इतिहासकार शिवाजी की नौ सेना में 200 के लगभग जलयान बताते हैं। यह जलयान अनेकों प्रकार के थे, जिनमें से 'गल्लीवट' तथा 'धुरब' जलयान प्रमुख थे। यह छोटे जलयान थे इन पर दो प्रकार के सैनिक होते थे- (i) साधारण सैनिक (ii) तोपची। यह नौ-सेना शत्रु की नौ सेना से युद्ध करने का कार्य करती थी।
मराठों की जहाजी बेड़े पर मालवी (होका यंत्र), बालुका यंत्र और दूरबीन आदि भी रहती थी। जलयानों पर संकेत देने के लिए विभिन्न रंगों के ध्वजों का प्रयोग होता था।
शिवाजी की मृत्यु के बाद नौ सेना में कोई सुधार नहीं किया गया जिस कारण अन्त में इसको यूरोप के आधुनिक अस्त्रों से सुसज्जित नौ सेना के समक्ष पराजित होना पड़ा।
शिवाजी की मृत्यु के समय उनकी स्थायी सेना में एक लाख पैदल सैनिक, एक लाख घुड़सवार (60,000 सिल्हेदार + 40,000 वारगीर) 140 हाथी तथा 80 तोपें थी।
मराठा युद्ध कला
(Maratha's Art of War)
मराठा युद्ध कला का वर्णन निम्न प्रकार है-
(i) छापामार युद्ध प्रणाली (Gurilla Art of War) - शिवाजी ने अपने प्रदेश की भौगोलिक आकृति का लाभ उठाते हुए गुरिल्ला अथवा छापामार युद्ध कला का प्रयोग किया। मराठा सैनिक विभिन्न पहाड़ियों से निकलकर शत्रु सेना पर अचानक हमला करते और शत्रु के सम्भलने से पूर्व ही फिर से पहाड़ियों में गायब हो जाते। मराठा सैनिक हल्के कवच पहनते थे। इसीलिए वे बहुत गति से चालीस- पचास मील तक जा सकते थे, जबकि उनकी विपक्षी सेना भारी कवच पहनने के कारण गतिशील नहीं हो पाती थी और मराठा सैनिकों का पीछा शीघ्रता से नहीं कर पाती थी। मराठा सैनिकों में गतिशीलता का गुण था जिस कारण शत्रु मराठा सैनिकों को नहीं पकड़ पाते थे। मराठा सैनिकों का युद्ध मुख्य रूप से मुगलों से होता था और मुगल सेना विशाल संख्या में होती थी तथा मुगल सेना को पहाड़ी क्षेत्रों में युद्ध करने का अनुभव नहीं था। इसीलिए मुगल सैनिकों में गतिशीलता का अभाव था जबकि मराठा सैनिकों को गतिशीलता तथा विस्मयकारी कार्यवाहियों के कारण युद्धों में सफलता मिलती थी।
मराठा सेना पहाड़ियों में विभिन्न दिशाओं में अचानक निकल कर झपट पड़ती। वह सोते हुए तथा आराम करते हुए सैनिकों पर आक्रमण करती तथा शत्रु को आतंकित करके बहुत तेजी से पहाड़ियों में छिप जाते थे अथवा पहाड़ियों में बने अपने दुर्गों में चले जाते थे। औरंगजेब इसी कारण से शिवाजी को 'पहाड़ी चूहा' कहता था। भारत का सबसे विख्यात गुरिल्ला युद्ध लड़ने वाला सिपाही शिवाजी को ही माना जाना चाहिए।
(ii) किलों पर अधिकार करने की विधि - मराठा सैनिक शत्रु के किलों पर अधिकार करने के लिए किलों की दीवारों पर चढ़कर तथा सुरंगें खोद कर किलों में प्रविष्ट होते थे। दीवारों पर चढ़ने के लिए मराठा सैनिक 'धोरपड़' नामक जानवर का प्रयोग करते थे। इस जानवर के चारों तरफ रस्सी बाँधकर इसे दीवार पर छोड़ दिया जाता था। यह जानवर दीवार पर चढ़ जाता था और ऊपर पहुंचकर किसी पत्थर को पंजे से पकड़ लेता था फिर लटकती हुई रस्सी के सहारे सैनिक किले के अन्दर प्रविष्ट हो जाते थे।
(iii) समुद्री युद्ध कला - मराठा नौ सैनिकों की आक्रमण करने की कला, कुछ इस प्रकार थी बड़े जलपोत बारी-बारी से शत्रु के जलयानों पर तोपों द्वारा फायर डालते थे और फिर पीछे हटते थे फिर दूसरा युद्धपोत आगे बढ़कर दूसरा फायर करते थे। शिवाजी की नौसेना में साधारण सैनिक और तोपची थे जिनका कार्य शत्रु के जलयानों पर धावा बोलकर वहां लूट-पाट करना था। शिवाजी की नौ सेना में लगभग 200 जलयान थे। कुछ इतिहासकारों ने इनकी संख्या 400 बताई है।
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- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
- प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
- प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
- प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
- प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
- प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
- प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
- प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
- प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
- प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
- प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
- प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
- प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
- प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
- प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
- प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
- प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
- प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
- प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
- प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
- प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
- प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
- प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
- प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
- प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
- प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
- प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
- प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
- प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
- उत्तरमाला
- 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला