बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
महत्त्वपूर्ण तथ्य
राज्यपाल को उसके पद पर रहने के दौरान उसके विरुद्ध किसी भी न्यायालय में किसी भी प्रकार की आपराधिक कार्यवाही प्रारम्भ नहीं की जा सकती है।
राज्यपाल के अपने पद पर रहने के दौरान उसकी गिरफ्तारी या निरोध के लिए किसी भी न्यायालय से कोई आदेशिका जारी नही की जायेगी।
राज्यपाल का पद ग्रहण करने से पूर्व या के पश्चात् उसके द्वारा व्यक्तिगत क्षमता के लिए कार्य के संबंध में कोई सिविल कार्यवाही करने से पहले उसे दो मास पूर्ण सूचना देनी पड़ती है।
जिस प्रकार केन्द्र की कार्यपालिका की शक्ति राष्ट्रपति में निहित है उसी प्रकार राज्य की कार्यपालिका की शक्ति राज्यपाल में निहित है।
संविधान के अनुच्छेद 174 में राज्यपाल को विधायी अधिकार प्रदान किया गया है।
राज्यपाल राज्य विधानमण्डल के सत्र से आहूत कर सकता है, स्थगित कर सकता है तथा राज्य विधानमण्डल को भंग कर सकता है।
राज्य विधायिका के बारे में भारतीय संविधान के भाग - 6 अनुच्छेद 168 - 212 में वर्णन किया गया है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 168 में कहा गया है कि प्रत्येकं राज्य के लिए एक विधानमण्डल होगा।
राज्यपाल, विधान सभा एवं विधान परिषद् राज्य विधान मण्डल के अंग हैं।
वर्तमान में भारत में 6 राज्यों में द्विसदनीय विधानमण्डल हैं।
विधान परिषद् के सृजन (स्थापना) का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 169 में है।
राज्यों में विधान परिषद् की स्थापना या उन्मूलन का अधिकार अनुच्छेद 169 के अन्तर्गत संसद को है।
केन्द्र शासित प्रदेशों में 2 राज्यों में विधान सभा है।
निम्न सदन, लोकप्रिय सदन, तथा प्रथम सदन राज्य विधानसभा को कहा जाता है।
विधान सभा के गठन तथा संरचना से संबंधित प्रावधान अनुच्छेद 170 में है।
विधान सभा की अधिकतम संख्या 500 तथा कम से कम 60 सीटें हो सकती हैं। भारत में 5 ऐसे राज्य हैं जहाँ 60 से कम सीटें हैं।
विधान सभा का निर्वाचन प्रत्यक्ष मतदान द्वारा होता है।
राज्य की विधान सभाओं में आंग्ल भारतीय समुदाय के एक सदस्य का मनोनयन राज्यपाल
करता है। इसका वर्णन अनुच्छेद 333 में किया गया है।
भारत में न्यायपालिका का प्रावधान अमेरिका से लिया गया है।
उच्चतम न्यायालय का प्रशासनिक व्यय भारत के संचित निधि से होता है।
संविधान की व्याख्या के लिए कम से कम 5 न्यायाधीशों की पीठ होनी आवश्यक है।
सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति अनुच्छेद 13 के अनुसार प्राप्त है तथा इसकी संकल्पना का प्रावधान संयुक्त राजा अमेरिका से लिया गया है।
न्यायिक पुनर्विलोकन का अर्थ है, कानूनों की संवैधानिकता का परीक्षण |
मूल अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय 5 प्रकार का रिट निकालता है। भारत में संघीय न्यायालय की स्थापना 1935 के अधिनियम के अनुसार हुई।
भारतीय संविधान में उच्चतम न्यायालय का परामर्शी क्षेत्राधिकार कनाडा के संविधान से लिया गया है।
नगरपालिकाओं के गठन सम्बन्धी प्रावधान संविधान के अनुसूची 12 के अनुच्छेद 243 Qमें उल्लिखित है। इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
भारत में 8 प्रकार के शहरी स्थानीय शासन हैं।
नगरपालिकाओं की अवधि की गणना प्रथम अधिवेशन से की जाती है।
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- अध्याय -1 राजनीति विज्ञान : परिभाषा, प्रकृति एवं क्षेत्र
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 2 राजनीतिक विज्ञान की अध्ययन की विधियाँ
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 3 राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 4 राजनीतिक विज्ञान के अध्ययन के उपागम
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 5 आधुनिक दृष्टिकोण : व्यवहारवाद एवं उत्तर-व्यवहारवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 6 आधुनिकतावाद एवं उत्तर-आधुनिकतावाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 7 राज्य : प्रकृति, तत्व एवं उत्पत्ति के सिद्धांत
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 8 राज्य के सिद्धान्त
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 9 सम्प्रभुता : अद्वैतवाद व बहुलवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 10 कानून : परिभाषा, स्रोत एवं वर्गीकरण
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 11 दण्ड
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
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- अध्याय - 12 स्वतंत्रता
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- अध्याय - 13 समानता
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- अध्याय - 14 न्याय
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- अध्याय - 15 शक्ति, प्रभाव, सत्ता तथा वैधता या औचित्यपूर्णता
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- अध्याय - 16 अधिकार एवं कर्त्तव्य
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- अध्याय - 17 राजनीतिक संस्कृति, राजनीतिक सहभागिता, राजनीतिक विकास एवं राजनीतिक आधुनिकीकरण
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- अध्याय - 18 उपनिवेशवाद एवं नव-उपनिवेशवाद
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- अध्याय - 19 राष्ट्रवाद व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
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- अध्याय - 20 वैश्वीकरण
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- अध्याय - 21 मानवाधिकार
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- अध्याय - 22 नारीवाद
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- अध्याय - 23 संसदीय प्रणाली
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- अध्याय - 24 राष्ट्रपति प्रणाली
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- अध्याय - 25 संघीय एवं एकात्मक प्रणाली
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- अध्याय - 26 राजनीतिक दल
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- अध्याय - 27 दबाव समूह
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- अध्याय - 28 सरकार के अंग : कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका
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- अध्याय - 29 संविधान, संविधानवाद, लोकतन्त्र एवं अधिनायकवाद .
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- अध्याय - 30 लोकमत एवं सामाजिक न्याय
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- अध्याय - 31 धर्मनिरपेक्षता एवं विकेन्द्रीकरण
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- अध्याय - 32 प्रतिनिधित्व के सिद्धान्त
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