बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 12
स्वतंत्रता
(Liberty)
आधुनिक युग में स्वतंत्रता की जो अवधारणा प्राप्त होती है, वह पुनर्जागरण काल के बाद, खास कर 17वीं शती के बाद उभर कर सामने आयी। स्वतंत्रता की यह अवधारणा बहुआयामी है। इसके विविध पक्ष है व्यक्तिगत स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, आर्थिक स्वतंत्रता, सामाजिक स्वतंत्रता, राजनीतिक स्वतंत्रता आदि। स्वतंत्रता का मुद्दा समय-समय पर विभिन्न देशवासियों को एकजुट करता रहा है। वास्तव में यह कोई अमूर्त बौद्धिक सूत्र नहीं है बल्कि लोगों को उद्वेलित करने वाला भावनात्मक मुद्दा है। निरंकुश एवं तानाशाही राज्य स्वतंत्रता एवं उसके अधिकतम उपभोग की परिस्थितियाँ पैदा करने का वायदा करके अपने कुत्सित कारनामो को औचित्यपूर्ण सिद्ध करने की कोशिश करते हैं। सामाजिक राजनीतिक दर्शन में स्वतंत्रता एवं समानता को आदर्श के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार अधिकार, स्वतंत्रता एवं समानता अन्तः सम्बंधित अवधारणाएँ हैं। आधुनिक युग में उदारवाद जिन मूल्यों या आदर्शों को लेकर अस्तित्व में आया उनमें स्वतंत्रता एवं समानता मुख्य प्रत्येक लोकतांत्रिक सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था अपने नागरिकों को सामाजिक एवं राजनैतिक मूल्यों को उपलब्ध कराना चाहती है। इन मूल्यों में स्वतंत्रता, समानता, भ्रातृत्व एवं न्याय विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इसमें स्वतंत्रता एक आधारभूत मूल्य है। स्वतंत्रता एक मूल्य भी है और अन्य मूल्यों का साधन भी है। अमेरिकी स्वतंत्रता के घोषणा पत्र, 1776 में घोषित किया गया कि जीबन, स्वतंत्रता एवं खुशी की खोज, मनुष्य को ईश्वर प्रदत्त अधिकार है और उन्हें उससे छीना नहीं जा सकता। फ्रांसीसी क्रान्ति की घोषणा में, 1789 में कहा गया कि 'मनुष्य जन्म से स्वतंत्र एवं अधिकारों में समान हैं और रहेंगे। स्वतंत्रता की अवधारणा एक आधुनिक संकल्पना है, यद्यपि यह ऐतहासिक परिस्थितियों की उपज है। भारतीय विचारधारा में स्वतंत्रता 'मोक्ष' के अर्थ में आयी है जो 'दुःखों से मुक्ति' की ओर संकेत करती है।
व्युत्पत्ति की दृष्टि से स्वतंत्रता आंग्ल भाषा के 'Liberty' शब्द का हिन्दी रूपांतरण है, जो लैटिन भाषा के Liber शब्द से व्युत्पन्न है। Liber का शाब्दिक अर्थ है, "बंधनों का न होना।' इस प्रकार व्युत्पत्ति की दृष्टि से स्वतंत्रता वह मूल्य है जो सभी प्रकार के बंधनों के अभाव की ओर संकेत करता है। तात्पर्य यह है कि वह मनुष्य स्वतंत्र हैं जो सभी प्रकार के बंधनों से मुक्त है। इस प्रकार स्वतंत्रता वह लोकतांत्रिक एवं समाज-राज दार्शनिक मूल्य है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास की आवश्यक गारण्टी है। लाक ने स्वतंत्रता को प्राकृतिक अधिकार के रूप में माना है। लाक के अनुसार, जीवन, स्वतंत्रता एवं सम्पत्ति का अधिकार व्यक्ति को प्रकृति से मिला है और ये अधिकार किसी भी संस्था द्वारा प्रतिबंधित नहीं किये जा सकते हैं। मिल ने स्वतंत्रता का अर्थ स्वतंत्र गतिविधि के रूप में माना।
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- अध्याय -1 राजनीति विज्ञान : परिभाषा, प्रकृति एवं क्षेत्र
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 2 राजनीतिक विज्ञान की अध्ययन की विधियाँ
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 3 राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 4 राजनीतिक विज्ञान के अध्ययन के उपागम
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 5 आधुनिक दृष्टिकोण : व्यवहारवाद एवं उत्तर-व्यवहारवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 6 आधुनिकतावाद एवं उत्तर-आधुनिकतावाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 7 राज्य : प्रकृति, तत्व एवं उत्पत्ति के सिद्धांत
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- अध्याय - 8 राज्य के सिद्धान्त
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 9 सम्प्रभुता : अद्वैतवाद व बहुलवाद
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 10 कानून : परिभाषा, स्रोत एवं वर्गीकरण
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 11 दण्ड
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- अध्याय - 12 स्वतंत्रता
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
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- अध्याय - 13 समानता
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- अध्याय - 14 न्याय
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- अध्याय - 15 शक्ति, प्रभाव, सत्ता तथा वैधता या औचित्यपूर्णता
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- अध्याय - 16 अधिकार एवं कर्त्तव्य
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- अध्याय - 17 राजनीतिक संस्कृति, राजनीतिक सहभागिता, राजनीतिक विकास एवं राजनीतिक आधुनिकीकरण
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- अध्याय - 18 उपनिवेशवाद एवं नव-उपनिवेशवाद
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