बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 16
अधिकार एवं कर्त्तव्य
(Rights and Duties)
आधुनिक युग अधिकारों, मानव अधिकारों का युग है। अधिकार की बात समाज एवं राज्य में उठती है। वस्तुतः अधिकार विषयक जितने सिद्धान्त है उतनी ही अधिकार विषयक अवधारणायें एवं परिभाषायें भी हैं। हाब्स, लाक, रूसो आदि विचारक अधिकार को प्राक सामाजिक राजनीतिक व्यवस्था मानते हैं। ये विचारक अधिकार की प्राकृतिक धारणा का प्रतिपादन करते हैं। इन विचारकों के अनुसार जीवन, स्वतंत्रता एवं सम्पत्ति के अधिकार व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकार है, जो उसके पास उस समय भी थे जब राज्य एवं समाज का अस्तित्व भी नहीं था। राज्य एवं समाज उनकी रक्षा के लिए अस्तित्व में आये। किसी व्यक्ति, संस्था, समाज या राज्य को उनका उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि वे व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास की आवश्यक दशाएं हैं। इस प्रकार इस दृष्टिकोण के अन्तर्गत अधिकार व्यक्ति के सर्वांगीण विकास हेतु वे आवश्यक दशाएं है जो किसी के द्वारा भी अनुलंघनीय है। अधिकार सम्बंधी अन्य विचारधाराओं में अधिकार का सम्बंध समाज से जोड़ा जाता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसका विकास समाज में ही संभव है। व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ एवं दशाएं समाज में ही उपलब्ध हो सकती है। समाज में रहने के कारण व्यक्तियों के पारस्परिक सम्बंध होते हैं। सम्बंध कई प्रकार की मांगों की अपेक्षा करते हैं, जिन्हें सामाजिक एवं सामंजस्यपूर्ण जीवन के अनुरूप व्यवस्थित किया जाता है। इसके लिए प्रत्येक मांग को सामाजिक स्वीकृति मिलना आवश्यक है। इन्हीं मांगों को जो व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक है और जिन्हें समाज स्वीकार करता है, अधिकार कहते हैं। तात्पर्य चयह है कि व्यक्ति की प्रत्येक मांग अधिकार नहीं है। उसकी वही मांग अधिकार कहलाती है जिसे समाज स्वीकार करता है। राज्य द्वारा इनके संरक्षण की भी आवश्यकता होती है।
इस प्रकार अधिकार वे सामाजिक परिस्थितियाँ तथा अवसर हैं, जो मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक हैं जिन्हें समाज स्वीकार करता है और राज्य जिनकी रक्षा करता है। अधिकार राज्य के अन्तर्गत व्यक्ति को प्राप्त होने वाली ऐसी अनुकूल परिस्थितियां और अवसर हैं जिनसे उसे आत्म विकास में सहायता मिलती है। राज्य में व्यक्ति की जिन गतिविधियों पर राज्य की ओर से कोई प्रतिबंध नहीं होता, उन्हें नकारात्मक अधिकार की कोटि में रखा जा सकता है। सकारात्मक अधिकार यह संकेत देते हैं कि व्यक्ति को आत्म विकास में सहायता देने के लिए राज्य की ओर से क्या-क्या सहायता दी गई है, जैसे— चिकित्सा का अधिकार, रोजगार का अधिकार, कानूनी सहायता का अधिकार, इत्यादि व्यक्ति के सकारात्मक अधिकार होंगे। पूँजीवादी राज्य में नकारात्मक अधिकारों पर विशेष बल दिया जाता है, समाजवादी राज्य में सकारात्मक अधिकारो पर। कल्याणकारी राज्य के अन्तर्गत नकारात्मक अधिकारों के साथ-साथ यथासंभव सकारात्मक अधिकारों की व्यवस्था भी की जाती है। कुछ अधिकार राज्य की उत्पत्ति से पहले, अर्थात् प्राकृतिक दशा में भी विद्यमान थे। इन्हें प्राकृतिक अधिकार भी कहा जा सकता है। इन अधिकारों का सृजन राज्य ने नहीं किया बल्कि राज्य का जन्म इन अधिकारों की रक्षा के लिए हुआ है। जीवन, स्वतंत्रता तथा संपत्ति के अधिकार को प्राकृतिक अधिकारों की कोटि में रखा गया है। प्राकृतिक अधिकार व्यक्ति के व्यक्तित्व में ही निहित है, राज्य के अस्तित्व पर आश्रित नहीं है। अधिकार के दो प्रकार हैं- नैतिक अधिकार तथा कानूनी अधिकार। नैतिक अधिकार का सम्बंध नैतिक आचरण से होता है। नैतिक आचरण को राज्य का संरक्षण प्राप्त नहीं होता। कानूनी अधिकार वे अधिकार हैं जिनकी व्यवस्था राज्य के कानून द्वारा की जाती है और इनका उल्लंघन राज्य द्वारा दण्डनीय होता है। कानूनी अधिकारों को भी दो भागों में बांटा जाता है-
1. राजनीतिक अधिकार
2. सामाजिक अधिकार।
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- अध्याय -1 राजनीति विज्ञान : परिभाषा, प्रकृति एवं क्षेत्र
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 2 राजनीतिक विज्ञान की अध्ययन की विधियाँ
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 3 राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 4 राजनीतिक विज्ञान के अध्ययन के उपागम
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 5 आधुनिक दृष्टिकोण : व्यवहारवाद एवं उत्तर-व्यवहारवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 6 आधुनिकतावाद एवं उत्तर-आधुनिकतावाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 7 राज्य : प्रकृति, तत्व एवं उत्पत्ति के सिद्धांत
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 8 राज्य के सिद्धान्त
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 9 सम्प्रभुता : अद्वैतवाद व बहुलवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 10 कानून : परिभाषा, स्रोत एवं वर्गीकरण
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 11 दण्ड
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- अध्याय - 12 स्वतंत्रता
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- अध्याय - 13 समानता
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 14 न्याय
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 15 शक्ति, प्रभाव, सत्ता तथा वैधता या औचित्यपूर्णता
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 16 अधिकार एवं कर्त्तव्य
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 17 राजनीतिक संस्कृति, राजनीतिक सहभागिता, राजनीतिक विकास एवं राजनीतिक आधुनिकीकरण
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- अध्याय - 19 राष्ट्रवाद व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
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- अध्याय - 20 वैश्वीकरण
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- अध्याय - 28 सरकार के अंग : कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका
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- अध्याय - 29 संविधान, संविधानवाद, लोकतन्त्र एवं अधिनायकवाद .
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- अध्याय - 31 धर्मनिरपेक्षता एवं विकेन्द्रीकरण
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- अध्याय - 32 प्रतिनिधित्व के सिद्धान्त
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला