बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
महत्त्वपूर्ण तथ्य
नारीवाद 19वीं सदी के उत्तरार्ध में एक स्त्री-केन्द्रित विचारधारा के रूप में उभरा, यद्यपि इसका मूल इसके पूर्व के चिन्तन में भी मिलता है।
नारीवाद पुरुष प्रधान समाज के प्रति विद्रोह है।
नारीवाद ने सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था को इसके प्रत्येक पक्ष को नारी विरोधी, पुरुष द्वारा * नियन्त्रित, पुरुष - केन्द्रित एवं नारियों की शोषक एवं उत्पीड़क व्यवस्था के रूप में देखा।
नारीवादी दृष्टिकोण का मूल स्त्रियों से सम्बन्धित फ्रेडरिक ऐंजिल्स कार्लमार्क्स, मेरी वॉस्टन क्रोफ्ट और जे०एस० मिल के विश्लेषण में मिलता है।
मेरी वॉस्टनक्राफ्ट ने 18वीं शती में 'विंडीकेशन आफ राइट्स आफ वूमेन में स्त्रियों की कानूनी, राजनीतिक और शैक्षिक क्षेत्रों में समानता प्रदान करने के लिए जोरदार पैरवी की।
जे०एस० मिल ने 'Subjection of Women' में यह तर्क दिया कि स्त्री-पुरुष का सम्बन्ध मैत्री पर आधारित होना चाहिए, प्रभुत्व पर नहीं।
फ्रेडरिक ऐजिल्स और कार्ल मार्क्स ने Origine of family, Private Property and the state' में परिवार संस्था की ऐतिहासिक व्याख्या करके इस मिथक को तोड़ने का प्रयास किया कि परिवार एक प्राकृतिक संस्था और ईश्वरीय देन है।
समाजवादी नारीवादियों का मानना है कि मानव समाज में निजी सम्पत्ति एवं परिवार का उद्भव ही स्त्रियों के दमन का मूल कारण है।
नारीवादियों के अनुसार वर्तमान पारिवारिक व्यवस्था पितृसत्तात्मक है, जिसकी सभी गतिविधियाँ स्त्री विरोधी हैं।
1970 के दशक में नारीवादियों ने स्त्रियों के लिए पुरुषों के साथ सम्बन्ध समाप्त करने और समलिंगियों के साथ सम्बन्ध कायम करने की पैरवी की।
नारीवादियों के अनुसार प्रत्येक समाज में श्रम का लिंग आधारित विभाजन प्राप्त होता है जो महिलाओं की पराधीनता को बढ़ावा देता है।
मेरिया माइस, जो समाजवादी है, ने Social Origin of the Sexual Division of labour में श्रम विभाजन को दिखाते हुए कहा कि वर्तमान पूँजीवादी व्यवस्था में लैंगिक श्रम विभाजन महिलाओं के लिए अत्यधिक दमनकारी और शोषणकारी सिद्ध हो रहा है।
नारीवादियों के अनुसार धार्मिक व्यवस्था भी स्त्री विरोधी है।
नारीवादियों के अनुसार संस्कृतिकरण की प्रक्रिया ने समाज में महिलाओं की स्थिति को दर किनार किया।
आर्टनर के अनुसार स्त्री को प्रकृति के साथ एवं पुरुष को संस्कृति के साथ जोड़कर देखा जाता है।
नारीवादी विचारकों की तीन धाराएँ हैं—
(1) उदारवादी धारा
(2) समाजवादी धारा
(3) आमूल परिवर्तनवादी धारा
उदारवादी - नारीवादी पुरुषों के बराबर महिलाओं को एक समान अधिकारों की माँग करते हैं।
समाजवादी - नारीवादी महिलाओं के शोषण को पूँजीवादी व्यवस्था का फल मानते हैं। एंग्लस कही करता था परिवार में पूँजीवादी है तथा स्त्री सर्वहारा है।
आमूल - नारीवादी, जैसा कि मीलैट तथा फायर स्टोन की रचनाओं में भेद स्पष्ट है, पुरुषों व महिलाओं के बीच यौन तथा उसके कारण लिंग विभेद को पूर्ण रूप से समाप्त किए जाने देते हैं।
रचनाएँ एवं रचनाकार
जे0 फ्रीडमैन - फैमिनिज्म
मैनन निवेदिता - जैण्डर एण्ड पालिटिक्स इन इण्डिया -
सी० वैसेले - व्हाट इज फैमिनिज्म
अमृता बसु - द चैलेज आफ लोकल फैमिनिज्मज
एक्यरिस - जैण्डर इन पालिटिकल थ्योरी
चन्द्रा महन्ती - फैमिनिज्म विदआउट बार्डरस मारग्रेट डेमाण्ड साउथ अफ्रीकन फैमिनिज्म शुलामिथ फायरस्टोन - द डायलेक्टि आफ सेक्स सिमोन दिबोवा- द सैकेण्ड सेक्स
केरोल पेटमैन - द सैक्शुथल कान्टेक्स
एस०एम० आकिन - जसटिस, जैण्डर एण्ड द फैमिली
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- अध्याय -1 राजनीति विज्ञान : परिभाषा, प्रकृति एवं क्षेत्र
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 2 राजनीतिक विज्ञान की अध्ययन की विधियाँ
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 3 राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 4 राजनीतिक विज्ञान के अध्ययन के उपागम
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 5 आधुनिक दृष्टिकोण : व्यवहारवाद एवं उत्तर-व्यवहारवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 6 आधुनिकतावाद एवं उत्तर-आधुनिकतावाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 7 राज्य : प्रकृति, तत्व एवं उत्पत्ति के सिद्धांत
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 8 राज्य के सिद्धान्त
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- अध्याय - 9 सम्प्रभुता : अद्वैतवाद व बहुलवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 10 कानून : परिभाषा, स्रोत एवं वर्गीकरण
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 11 दण्ड
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- अध्याय - 12 स्वतंत्रता
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- अध्याय - 13 समानता
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- अध्याय - 14 न्याय
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- अध्याय - 15 शक्ति, प्रभाव, सत्ता तथा वैधता या औचित्यपूर्णता
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- अध्याय - 16 अधिकार एवं कर्त्तव्य
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- अध्याय - 17 राजनीतिक संस्कृति, राजनीतिक सहभागिता, राजनीतिक विकास एवं राजनीतिक आधुनिकीकरण
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- अध्याय - 18 उपनिवेशवाद एवं नव-उपनिवेशवाद
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- अध्याय - 19 राष्ट्रवाद व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
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- अध्याय - 20 वैश्वीकरण
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- अध्याय - 21 मानवाधिकार
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- अध्याय - 22 नारीवाद
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- अध्याय - 23 संसदीय प्रणाली
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- अध्याय - 24 राष्ट्रपति प्रणाली
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- अध्याय - 25 संघीय एवं एकात्मक प्रणाली
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- अध्याय - 26 राजनीतिक दल
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- अध्याय - 27 दबाव समूह
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- अध्याय - 28 सरकार के अंग : कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका
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- अध्याय - 29 संविधान, संविधानवाद, लोकतन्त्र एवं अधिनायकवाद .
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- अध्याय - 30 लोकमत एवं सामाजिक न्याय
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- अध्याय - 31 धर्मनिरपेक्षता एवं विकेन्द्रीकरण
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- अध्याय - 32 प्रतिनिधित्व के सिद्धान्त
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
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