बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 12
संयुक्त परिवार
(Joint Family)
"संयुक्त परिवार उन व्यक्तियों का समूह है जो साधारणतया एक मकान में रहते हैं। एक रसोई में बना भोजन करते हैं; जो सामान्य सम्पत्ति के स्वामी होते हैं, जो सामान्य उपासना में भाग लेते हैं तथा जो किसी प्रकार एक-दूसरे के रक्त सम्बन्धी हैं।" - इरावती कर्वे
"राज्य के प्रकार के रूप में जनतन्त्र शासन की एक विधि ही नहीं है, वरम् वह सरकार की नियुक्ति करने, उस पर नियन्त्रण करने तथा उसे उपदस्थ करने की एक विधि है।' - हर्नशा
किंग्सले ने लिखा है - "विज्ञान के वर्तमान युग में मनुष्य ने आश्चर्यजनक वस्तुओं का आविष्कार किया है लेकिन इस सत्य का शायद ही कोई अपवाद हो कि परिवार और विवाह जैसी सुन्दर संस्थाओं की खोज आज भी मानव की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।' मानव समाज के सम्पूर्ण इतिहास में परिवार सबसे महत्वपूर्ण संस्था रही। यहद परिवार में बच्चों का पालन-पोषण न किया जाये तथा पारिवारिक सीख के द्वारा संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लिये हस्तान्तरित न किया जाये तो समाज का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा। वास्तव में, भारत में संयुक्त परिवार वैदिक काल से ही विद्यमान रहे हैं। आज इनके स्थान पर मूल परिवारों की संख्या में वृद्धि हो जाने के बाद भी ऐसे परिवार पश्चिमी देशों के मूल परिवारों की तरह न होकर संयुक्त परिवार के आदर्श से मिलते-जुलते हैं। व्यक्ति को परिवार के अधीन माना गया है। संयुक्त परिवार एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें अनेक पीढ़ियों के व्यक्ति एक ही घर में रहते हुए संयुक्त रूप से एक-दूसरे के प्रति अपने-अपने दायित्वों को पूरा करते हैं ।
जनतन्त्र सिद्धान्त आधारित एक व्यवस्था है। जनतंत्रीकरण जनतन्त्र के सिद्धान्तों पर आधारित एक ऐसी प्रक्रिया है जो सामाजिक संरचना में परिवर्तन करती है। यही कारण है कि आज प्रत्येक समाज जनतन्त्रीकरण की ही बात करता है। जनतन्त्र शब्द का प्रयोग 2500 वर्ष पूर्व हैरोडोट्स ने अपनी रचना 'इक्सोनोमिया में किया था। जनतन्त्र की लोकप्रियता का यह प्रमाण है कि जो देश इसे शुद्ध रूप में स्वीकार नहीं कर सकते थे, वे नियन्त्रित जनतन्त्र तथा निर्देशित जनतन्त्र की बात करते हैं। भारतवर्ष विश्व का सबसे बड़ा जनतन्त्र है। अमेरिका का क्षेत्रफल भारतवर्ष से दोगुना है, किन्तु भारतवर्ष में मतदाताओं की संख्या, अमेरिका की कुल जनसंख्या से अधिक है। लगभग दो शताब्दी की दासता तथा निर्बल अर्थव्यवस्था के होते हुए भी भारत ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के साथ जनतन्त्र को स्वीकार किया । यह वह व्यवस्था है जिसमें जनता स्वयं अपने प्रतिनिधियों का चयन करती है, जोकि सामाजिक व्यवस्था की प्रगति के लिये नीति तथा कार्यक्रम निर्धारित करते हैं।
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- अध्याय - 1 भारतीय समाज की संरचना एवं संयोजन : गाँव एवं कस्बे
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- अध्याय - 2 नगर और ग्रामीण-नगरीय सम्पर्क
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 3 भारतीय समाज में एकता एवं विविधता
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 4 भारतीय समाज का अध्ययन करने हेतु भारतीय विधा, ऐतिहासिक, संरचनात्मक एवं कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 5 सांस्कृतिक एवं संजातीय विविधताएँ: भाषा एवं जाति
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 6 क्षेत्रीय, धार्मिक विश्वास एवं व्यवहार
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 7 भारत में जनजातीय समुदाय
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 8 जाति
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 9 विवाह
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 10 धर्म
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 11 वर्ग
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 12 संयुक्त परिवार
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 13 भारत में सामाजिक वर्ग
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय- 14 जनसंख्या
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- अध्याय - 15 भारतीय समाज में परिवर्तन एवं रूपान्तरण
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 16 राष्ट्रीय एकीकरण को प्रभावित करने वाले कारक : जातिवाद, साम्प्रदायवाद व नक्सलवाद की राजनीति
- महत्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला