बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- बाह्यताओं एवं बाजार विफलताओं को दूर करने के उपाय बताइये।
उत्तर -
(Measures to remove Externalities and Market Failures)
बाह्यताएँ एवं बाजार विफलताएँ संसाधनों के सही आवण्टन में बाधक होती हैं। अतः कुशल आवण्टन हेतु सरकारी हस्तक्षेप वाँछनीय हो जाता है। बाह्यताओं के कारण सामाजिक एवं लाभों में उत्पन्न होने वाले अन्तर को मिटाने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाते हैं
1. विलयन (Merger) - बाह्यता से उत्पन्न होने वाली समस्या के हल के लिए एक उपाय के रूप में यह कदम उठाया जा सकता है बाह्यताओं को सृजित करने वाले पक्षकारों का विलयन करके बाह्यता को आन्तरिक बना दिया जाय। बाह्यता को सृजित करने वाले पक्षकार इसे अपने लेखा में लाये।
2. कर लगाया जाना (Taxation) - बाह्यताओं के प्रभावों को लेखा में सम्मिलित करके यदि उपभोग या उत्पादन सम्बन्धी निजी निर्णयों को संशोधित कर दें तो सार्वजनिक लाभ को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए कल्याण में कमी या लागत में वृद्धि करने वाली क्रियाओं पर कर लगाना चाहिए। बाह्यताओं की लागत या लाभ बाजार कीमतों में शामिल नहीं होती है। उपभोक्ता या फर्म इनके प्रभावों का लेखा-जोखा नहीं रखते। इन बाह्यताओं के कारण जो अन्तर इन लागतों तथा लाभों में उत्पन्न होता है, उसे पीगू ने वस्तुओं तथा सेवाओं पर कर लगाकर साथ करने की बात की है।
3. आर्थिक मदद (Subsidy) - सकारात्मक बाह्यताएँ होने पर वस्तु का उत्पादन सार्वजनिक आवश्यकताओं की तुलना में कम रहता है। इससे सार्वजनिक अनुकूलता प्राप्त नहीं हो पाती। पीगू के विचारानुसार उन आर्थिक गतिविधियों को आर्थिक मदद दी जाय जिनसे सामाजिक लाभ बढ़ता हो अथवा लागत घटती हो।
यद्यपि सार्वजनिक तथा निजी लागतों तथा लाभों में समानता लाने हेतु आर्थिक सहायता करारोपण अति प्रभावी उपाय है, किन्तु इन्हें अपनाना जटिल होता है।
सीमान्त हानि अथवा कल्याण को मापना कठिन होता है। इसी तरह कर एवं आर्थिक सहायता की उचित दर को जानना भी कठिन होता है।
4. सम्पत्ति अधिकार (Property Rights) - बाह्यताओं के बारे में प्रो. रोनाल्ड कोज का मानना है कि इनके उत्पन्न होने का मुख्य कारण सम्पत्तियों अधिकारों का असंगत आबंटन होना है। यदि सम्पत्ति अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाय तो प्रभावित होने वाला व्यक्ति बाह्यताओं को आन्तरिक करने के लिए नीतियों को प्रभावशील कर सकता है। इसलिए सम्पत्ति का अधिकार विक्रय योग्य होना चाहिए ताकि व्यक्तिगत सौदेबाजी की जा सके। इससे बाजार तन्त्र को अनुकूलतम दशा में पहुँचाया जा सकता है।
5. सामाजिक नियंत्रण उपाय (Social Control Measures) - अनुकूलतम कल्याण की प्राप्ति अर्थात् निजी एवं सामाजिक लागतों व लाभों में समानता लाने के लिए पीगू ने सामाजिक नियंत्रण का उपाय बताया है। पीगू का मानना है कि राष्ट्रीय लाभांश तब अधिकतम होता है, जब सामाजिक शुद्ध उत्पादन की कीमतें समस्त संभव उपयोगों में सामान्य हो। साधनों के सामाजिक शुद्ध उत्पादन की कीमत यदि एक उपयोग से दूसरे उपयोग की अपेक्षा न्यून हो, तो साधनों को उत्पादन के अधिक लाभप्रद तरीकों में अन्तरित करके राष्ट्रीय लाभांश को बढ़ाया जा सकता है। परन्तु यह कार्य सामाजिक नियन्त्रण के माध्यम से ही पूर्ण किया जा सकता है। उदाहरण के रूप में, वायु प्रदूषण फैलाने वाले कारखाने को सरकार उचित सुविधाएँ देकर कारखाने के मालिक को आवासीय क्षेत्र से दूर उत्पादन करने के लिए कह सकती है। इससे वायु प्रदूषण से उत्पन्न होने वाली सामाजिक व निजी लागतें तथा लाभों में अन्तर समाप्त हो जायेगा। इसी प्रकार उपभोग सम्बन्धी अमितव्ययिताओं को कम करने हेतु सामाजिक रीति-रिवाजों में बदलाव लाने के लिए एक वातावरण बनाया जा सकता है। ऐसा वातावरण शिक्षा एवं प्रचार-प्रसार के माध्यम से बनाया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, स्कूल में साफ-सफाई की शिक्षा दी जा सकती हैं, बेकार समान को कूड़ेदान में डालने के लिए कहा जा सकता है, ध्वनि उत्पन्न करने वाले यन्त्रों को सीमित करने की शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जा सकता है।
बाह्यता की स्थिति में कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए हस्तक्षेप करना आवश्यक होता है, किन्तु इसमें कई कठिनाइयाँ आती हैं। जिन क्षेत्रों में बाजार प्रणाली असफल रही होती है, वहाँ सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक हो जाता है, परन्तु बाजार की प्रत्येक असफलता के लिए सरकारी गतिविधि की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि बाजार प्रणाली की कमी को दूर करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त साधन होने चाहिए, जो कि सदैव संभव नहीं होते।
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