बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर -
सतत् विकास का क्षेत्र
सतत् विकास महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राष्ट्रीय बजट को बचाता है, लोगों की आवश्यकता को पूरा करता है, प्राकृतिक संसाधनों और लोगों के बीच समन्वय में सहायता करता है, और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करता है। सतत् विकास का लक्ष्य कल की आवश्यकताओं से समझौता किए बिना आज की आवश्यकताओं को पूरा करना है। इसका अर्थ है कि हम संसाधनों के वर्तमान स्तर का उपयोग जारी नहीं रख सकते, क्योंकि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्याप्त नहीं होगा।
भूगोल - 1 पेपर / 65 कार्बन उत्सर्जन को स्थिर करना और कम करना पर्यावरणीय सीमाओं के भीतर रहने की कुंजी है। सतत् विकास की श्रेणियों का विश्वास है कि सही आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय सीमाओं के भीतर काम करने से वास्तव में सतत् स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण होगा, जो भविष्य के लिए उपयुक्त है। सतत् विकास का क्षेत्र बहुत विस्तृत है, क्योंकि यह सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और संस्थागत आयामों जैसे क्षेत्रों से सम्बन्धित है।
सामाजिक आयाम (Social Dimension)
सतत् विकास के सामाजिक आयामों में “शून्य भूख”, “अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण", "उत्तम शिक्षा", "जनसंख्या नियंत्रण" और "जेन्डर समानता" (Zero Hunger, Good Health and Well-being, Quality Education, Population Control, and Gender Equality) पर जोर देने के साथ एक मजबूत, स्वस्थ और न्यायपूर्ण समाज सुनिश्चित करना सम्मिलित है।
आर्थिक आयाम (Economic Dimension)
सतत् विकास के आर्थिक आयामों में "गरीबी नहीं", "स्थायी अर्थव्यवस्था", "रोजगार के अवसर”, “विशेष रूप से महिलाओं के लिए, सभ्य काम और आर्थिक विकास", "प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन", "जिम्मेदार खपत और उत्पादन" (No Povery, Sustainable Economy, Employment Opportunities, Decent Work and Economic Growth, Managing Natural Resources, and Responsible Consumption and Production) पर जोर देने के साथ जनता की आर्थिक भलाई सम्मिलित है।
पर्यावरणीय आयाम (Environmental Dimension)
सतत् विकास के पर्यावरणीय आयामों में अनुकूल पर्यावरण को बढ़ावा देने के साथ " स्वच्छ जल और स्वच्छता", "सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा”, “उद्योग, परिवहन और ऊर्जा से उत्सर्जन को कम करना" (Clean Water and Sanitation, Affordable and Clean Energy, Reducing Emissions from Industry, Transport and Energy) (ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने, जो ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण में योगदान देते हैं) पर जोर दिया गया है। “नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करना" (जैसे सौर या सूर्य, पवन और जल ऊर्जा), “जलवायु कार्रवाई" और "प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण" (Climate Action and Preservation of Natural Resources), जबकि प्राकृतिक आवासों के जीवन रूपों का (जल के नीचे जीवन और पृथ्वी पर जीवन) का सम्मान करना और उनकी रक्षा करना सम्मिलित है।
संस्थागत आयाम ( Institutional Dimension)
सतत् विकास के संस्थागत आयामों में "उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा", "मजबूत वित्तीय संसाधन”, “शांति, न्याय और मजबूत संस्थान", "सतत् शहर और समुदाय”, “सतत् विकास लक्ष्यों के लिए भागीदारी/साझेदारी (एस०डी०जी०)” और “अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग" ( Industry, Innovation and Infrastructure, Sound Financial Resources, Peace, Justice and Strong Institutions, Sustainable Cities and Communities, Partnerships for the Sustainable Development Goals and International Cooperation) सम्मिलित हैं।
संयुक्त राष्ट्र के एस०डी०जी० (SDGs) (सतत् विकास लक्ष्य)
संयुक्त राष्ट्र ने 2015 और 2030 के बीच वैश्विक विकास का मार्गदर्शन करने के लिए 17 अलग-अलग लेकिन परस्पर सम्बन्धित लक्ष्यों का एक समूह बनाया। प्रत्येक उद्देश्य में कार्यों का लक्ष्य होता है- कुल मिलाकर 169 लक्ष्य हैं, जिनमें कुल 232 उपसंकेतक हैं। एस० डी०जी० को वैश्विक लक्ष्यों के रूप में भी जाना जाता है, जो 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा गरीबी को समाप्त करने, ग्रह की रक्षा करने हेतु कार्रवाई की मांग करता है, ताकि लोग 2030 तक शांति और समृद्धि का आनंद ले सकें।
17 सतत् विकास लक्ष्य (एस०डी०जी०) हैं-
(1) कोई गरीबी नहीं,
(2) शून्य भूख,
(3) अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण,
(4) उत्तम शिक्षा,
(5) जेन्डर समानता,
(6) स्वच्छ जल और स्वच्छता,
(7) सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा,
( 8 ) उचित कार्य और आर्थिक विकास,
(9) उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचे,
(10) असमानता को कम करना,
(11 ) सतत् शहर और समुदाय,
(12) जिम्मेदार उपभोग का उत्पादन,
(13) जलवायु कार्यवाही,
(14) जल के नीचे जीवन,
(15) भूमि पर जीवन,
(16) शांति, न्याय और मजबूत संस्थाएं,
(17) लक्ष्य के लिए साझेदारी।
6 जुलाई 2017 को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को महासभा द्वारा अपनाया गया था। प्रस्ताव में संकेतकों के साथ प्रत्येक लक्ष्य के लिए विशेष कार्य की पहचान की जाती है, जो प्रत्येक कार्य के प्रति विकास के मापक के लिए उपयोग किए जा रहे हैं। एस०डी०जी० को प्राप्त करने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और नागरिकों की साझेदारी की आवश्यकता है, ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि हम भावी पीढ़ी के लिए बेहतर ग्रह छोड़ सकेंगे। .
एस०डी०जी० कई निकट मुद्दों पर ध्यान देते हैं, जैसे जेन्डर समानता, शिक्षा और संस्कृति सभी एस०डी०जी० को तय करती है। सतत् विकास प्राप्त करने के लिए, 3 क्षेत्रों को एक साथ आने की आवश्यकता है। आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय क्षेत्र सभी गंभीर रूप से महत्वपूर्ण हैं और एक-दूसरे पर परस्पर निर्भर करते हैं। प्रगति के लिए सभी तीन क्षेत्रों में बहु-विषयक और बहुज्ञानी विषयक ( Multidisciplinary and Transdisciplinary) अनुसंधान की आवश्यकता होगी। यह कठिनता से सिद्ध होता है, जब प्रमुख सरकारें इसका समर्थन करने में विफल रहती हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार समुदाय के बहुत दूर पीछे तक पहुंचने के लक्ष्य हैं। हालांकि डाटा या जानकारी को कमजोर समूहों जैसे कि बच्चों, बुजुर्गों, विकलांग व्यक्तियों, स्वदेशी लोगों, प्रवासियों और आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति के लिए समायोजित करना चाहिए।
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- प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
- प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
- प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
- प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
- प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
- प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
- प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
- प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
- प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
- प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
- प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
- प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
- प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
- प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
- प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
- प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
- प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
- प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
- प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
- प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
- प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
- प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
- प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
- प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?