बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
उत्तर -
विकास तथा इससे संबंधित शब्द समकालीन विचारधारा के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण रहे हैं। विकासात्मक विचार के विकास की समान परिभाषा पर अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं। कुछ इसे आय तथा उत्पादकता में वृद्धि कहते हैं तो अन्य जीवन स्तर, मौलिक, जरूरतों के प्रावधान, खुशी तथा सुख पर बल देते हैं। कुछ विकासात्मक अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई विकास की कुछ परिभाषाओं की नीचे चर्चा की गई है-
गुन्नार मिर्डल (1960), विकास को संपूर्ण सामाजिक तंत्र को बेहतर जीवन परिस्थितियां जैसे पर्याप्त भोजन, बेहतर आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा तथा प्रशिक्षण की बेहतर सुविधाएं तथा सांस्कृतिक सुविधाओं में सामान्य सुधार, प्रदान करने की ऊर्ध्वमुखी गति मानते हैं।
बर्नस्टेन (1973), के अनुसार - “विकास में मूल्य संबंधी निर्णय समाहित है, क्योंकि इसमें कुपोषण, निर्धनता तथा रोगों से जूझने की वांछनीयता निहित है, जो मानव कष्टों का तात्कालिक एवं व्यापक पहलू है। सकारात्मक शब्दों में, यह उस विकास के प्रति वचनबद्धता दिखाता है, जो आर्थिक विकास के सीमित पद से आगे बढ़कर सामाजिक न्याय, समान अवसर, पूर्ण रोजगार, आय का उचित वितरण तथा मूलभूत राजनैतिक आजादी को स्वीकार करता है"।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आई०एल०ओ०, 1976) विकासशील देशों की विकास योजनाओं में मौलिक आवश्यकता कार्यनीति को शामिल करने पर बल देता है। पहला, योजना में एक परिवार के निजी उपभोग की न्यूनतम जरूरतें - पर्याप्त भोजन, आवास तथा वस्त्र के साथ-साथ आवश्यक घरेलू सामान तथा फर्नीचर आता है। दूसरा, इसमें समुदाय द्वारा तथा समुदाय के लिए प्रदान की गई आवश्यक सेवाएं शामिल हैं जैसे सुरक्षित पेयजल, सफाई व्यवस्था, जन परिवहन तथा स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाएं।
सीयर्स (1979) के अनुसार - विकास शब्द का प्रयोग करने के लिए तीन अतिरिक्त अपेक्षाएं हैं, निर्धनता तथा कुपोषण में कमी, असमानता में कमी तथा रोजगार परिस्थितियों में सुधार।
मीयर (1995) के अनुसार, विकास का अर्थ वृद्धि तथा परिवर्तन है; विकास प्रक्रिया में आवश्यक गुणता आयाम हैं जो एक सरल विस्तार प्रक्रिया द्वारा एक अर्थव्यवस्था की वृद्धि या विस्तार से आगे जाते हैं।
अमर्त्य सेन (1999) के अनुसार - एक देश तेजी से वृद्धि कर सकता है, फिर भी साक्षरता, स्वास्थ्य तथा आयु सीमा के स्तर में नीचे जा सकता है। सेन विकास को ऐसी प्रक्रिया मानते हैं, जो लोगों के अधिकारों तथा क्षमताओं के रूप में बढ़ती है। उनके मतानुसार राष्ट्रीय उत्पाद या कुल आय पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय, विकास अर्थशास्त्रियों को लोगों के अधिकारों तथा इन अधिकारों द्वारा प्राप्त क्षमताओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
सिफर तथा डाइट्ज़ (2009) के अनुसार, विकास में अपने सभी आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक आयाम में, "अच्छे जीवन" की भिन्न तथा वृहत अभिलाषाएं आती हैं। उनका मत था कि मूलभूत मानव मूल्यों को समझना ही विकास है तथा इन मूल्यों के फलों को विश्व की जनसंख्या तक पहुंचाने का साधन खोजना है।
टाडारो के अनुसार - “विकास एक भौतिक सच्चाई तथा मानसिक स्थिति है जिसमें समाज ने सामाजिक, आर्थिक तथा संस्थागत प्रक्रियाओं के मेल से बेहतर जीवन के साधन प्राप्त किए हैं"। विकास के लिए, सभी समाजों के कम से कम निम्नलिखित तीन उद्देश्य होने चाहिए-
(1) मूलभूत जीवन निर्वाह संबंधी वस्तुओं की उपलब्धता तथा वितरण को बढ़ाना जैसे भोजन, आवास, स्वास्थ्य तथा समाज के सभी सदस्यों की सुरक्षा।
(2) अधिक आय, अच्छा रोजगार प्रदान करना, बेहतर शिक्षा तथा सांस्कृतिक एवं मानवीय मूल्यों पर अधिक ध्यान देकर जीवन स्तर बढ़ाना। इन सभी की आवश्यकता न केवल भौतिक सुख के लिए है बल्कि अच्छे व्यक्ति तथा राष्ट्रीय स्वाभिमान को बढ़ाने के लिए भी है।
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- प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
- प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
- प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
- प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
- प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
- प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
- प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
- प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
- प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
- प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
- प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
- प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
- प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
- प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
- प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
- प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
- प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
- प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
- प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
- प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
- प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
- प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
- प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
- प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?