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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।

उत्तर -

न्यूनतम (मूलभूत) आवश्यकता उपागम से तात्पर्य
(Meaning of Minimum Needs Approach)

1976 में अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International labour Organisation) से जुड़े विद्वान् फ्रैंकलिन लिस्क डीन वर्नके (Franklyn Lisk Deane Werncke) के अनुसार, मूलभूत या न्यूनतम आवश्यकता उपागम का तात्पर्य केवल सभी व्यक्तियों के सुरक्षा के न्यूनतम स्तर की ही व्यवस्था करना नहीं है बल्कि उन दशाओं का निर्माण करना है जिससे विकास प्रक्रिया के क्रम में आत्म निर्भरता व स्वयं-प्रेरित विकास (Self- Sustained Growth) के लिये निरन्तर समान अवसर मिलता रहे।

इस रणनीति में विकास के परिणामों को समाज के कमजोर वर्गों तक पहुँचाना है। स्पष्टतः न्यूनतम आवश्यकता उपागम निम्न तथ्यों की ओर इंगित करता है-

(1) नगर - उपान्तीय क्षेत्रों के साथ-साथ मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या के सीमान्त वर्गों हेतु आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं में वृद्धि करना।

(2) आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पर्याप्त वृद्धि उत्पन्न करना तथा उस वृद्धि कूटनीति को आगे बनाये रखना।

(3) आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं को सुलभ कराने व उनकी प्राप्ति हेतु साधनों को उपलब्ध करने के लिये गरीबों की आय और उत्पादकता में वृद्धि करना।

(4) उन पक्षपातों को कम करना जो वर्तमान में ग्रामीण व नगरीय गरीब वर्गों के लोगों की उपेक्षा करके आधुनिक सम्पन्न नगरीय वर्ग का पक्ष लेते हैं।

न्यूनतम आवश्यकताओं की अवधारणा
(Concept of Minimum Needs)

मानव अनेक आवश्यकताओं से घिरा प्राणी है। वह इनकी पूर्ति के लिये सदैव प्रयत्नशील रहता है। आवश्यकताओं की प्रकृति असीमित (Unlimited) होती है। उसकी मूलभूत आवश्यकतायें, जैसे- भोजन, वस्त्र व मकान, जब पूरी हो जाती हैं तब उच्च आवश्यकतायें जन्म लेती हैं। मनुष्य न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति करके भी जीवित रह सकता है। न्यूनतम आवश्यकताओं की परिभाषा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति, एक स्थान से दूसरे स्थान, एक काल से दूसरे काल, एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति तथा एक देश से दूसरे देश में भिन्न-भिन्न होती है।

कुछ विद्वानों का तर्क है कि स्वतन्त्रता (Freedom), मानवाधिकार (Human Rights) इत्यादि न्यूनतम आवश्यकता के क्षेत्र के बाहर की चीजें हैं। ये विद्वान् भोजन, वस्त्र, मकान जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को स्वतन्त्रता, मानवाधिकार व भागीदारी से अलग रखते हैं।

फ्रैंकलिन लिस्क का विचार है कि भिन्न-भिन्न देशों की न्यूनतम आवश्यकतायें आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक लक्षणों में भिन्नता के कारण अलग-अलग होती हैं। अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (I.L.O.) ने न्यूनतम आवश्यकता की परिभाषा में मानव के मूल मानवाधिकारों को शामिल किया है परन्तु वे स्वयं में उनका एकमात्र अन्त नहीं हैं बल्कि वे अन्य लक्ष्यों की पूर्ति में भी योगदान करते हैं।

मूलभूत आवश्यकता की अवधारणा देश-विशिष्ट और गत्यात्मक है। इसे सम्पूर्ण देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के संदर्भ में देखना चाहिये। इसे किसी भी दशा में न्यूनतम निर्वाहन व्यवस्था तक सीमित नहीं रखना चाहिये बल्कि इसे देश की स्वतन्त्रता, अखण्डता, लोगों की प्रतिष्ठा व उनकी स्वतन्त्रता के संदर्भ में स्थान देना चाहिये।

न्यूनतम आवश्यकताओं की सूची (List of Minimum Needs) - मानवीय आवश्यकतायें असीमित होती हैं, परन्तु प्रत्येक स्थान पर मानव को जीवन निर्वाह के लिये  उनकी न्यूनतम आपूर्ति जरूरी है। न्यूनतम आवश्यकतायें समय के अनुसार बदलती रहती हैं। सामान्य तौर पर न्यूनतम आवश्यकताओं को निम्न वर्गों में रखा जा सकता है-

प्रथम वर्ग - जीवन के लिये नितान्त जरूरी आवश्यकताओं- भोजन, वस्त्र, मकान, पेय जल, ईंधन, अस्त्र-शस्त्र इत्यादि को इसी वर्ग में रखा जाता है।

द्वितीय वर्ग - इस वर्ग में उन आवश्यकताओं को रखा जाता है जो सामान्य कल्याण (General Welfare) तथा स्वार्थ के लिये अधिक उत्पादन करने की व्यक्ति की क्षमता को बढ़ाती हैं। इन आवश्यकताओं की पूर्ति केवल समूह के लिये की जाती है, एक व्यक्ति के लिये नहीं। स्वास्थ्य सुविधायें, शिक्षा, परिवहन, संचार शक्ति, विपणन, राजनीतिक तथा सामाजिक संस्थायें इसी वर्ग में आती हैं।

तृतीय वर्ग - इस वर्ग में वे आवश्यकतायें आती हैं जो आर्थिक अवसरों (Economic Opportunities) और उत्पादन के साधनों (Means of Production) को सुदृढ़ करती हैं। भूमि, जल, प्राकृतिक वनस्पति, पूँजी, तकनीकी, रोजगार के अवसर, आय आदि को इसी वर्ग में रखा जाता है। इन आवश्यकताओं की पूर्ति सामाजिक न्याय (Social Justice) के लिये आर्थिक वृद्धि (Economic Growth) के साथ समाज में रचनात्मक सुधारों द्वारा सम्भव होती है।

चतुर्थ वर्ग - इस वर्ग में वे आवश्यकतायें आती हैं जो स्वतन्त्र निर्णय लेने और सुरक्षा की भावनाओं को जगाती हैं। मानवाधिकार, राजनीतिक भागीदारी, सामाजिक सुरक्षा, वैधानिक नियम आदि इस वर्ग में आते हैं। इन आवश्यकताओं की पूर्ति राष्ट्रीय नीतियों के द्वारा होती है। यह सभी नागरिकों पर लागू करने योग्य होती हैं परन्तु व्यवहार में ये समाज के कमजोर वर्गों पर अधिक लागू होती हैं। संयुक्त राष्ट्र समिति के विशेषज्ञों ने आवश्यक आवश्यकताओं के निम्नांकित 12 संघटक बताये हैं-

(i) स्वास्थ्य,
(ii) भोजन एवं पोषण,
(iii) शिक्षा (साधारण सहित),
(iv) कार्य की दशा,
(v) वस्त्र,
(vi) रोजगार की दशायें,
(vii) मानवीय स्वतन्त्रता,
(viii) परिवहन,
(ix) मकान,
(x) सामाजिक सुरक्षा,
(xi) मनोरंजन,
(xii) संतुलित उपभोग एवं बचत

अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने आवश्यक आवश्यकताओं को निम्न दो वर्गों में रखा है-

(1) समुदाय के उपभोग के लिये आवश्यक आवश्यकतायें - इनमें स्वच्छता, पेय जल, सार्वजनिक परिवहन, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं को रखा गया है। अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के प्रतिवेदन में यह उल्लेख किया गया है कि वे निर्णय जो लोगों को प्रभावित करते हैं, उनके बनाने में उन लोगों की भागीदारी होनी चाहिये। उनमें न्यूनतम मानवाधिकार और रोजगार को भी जोड़ा गया है। प्रतिवेदन में यह भी कहा गया है कि तीव्र आर्थिक विकास दर मौलिक आवश्यकता रणनीति का एक आवश्यक अंग है।

(2) निजी उपभोग से सम्बन्धित आवश्यक आवश्यकतायें - इनमें भोजन, वस्त्र, मकान, घरेलू उपकरण, फर्नीचर आदि को शामिल किया गया है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के एक अंग 'कृषि एवं खाद्य संगठन' ( F. A. O.) द्वारा न्यूनतम आवश्यकता का मापक प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 2380 कैलोरी भोजन निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार गृह-निर्माण के लिये एशिया में प्रत्येक व्यक्ति के लिये 5.25 वर्ग मीटर स्थान निर्धारित किया गया है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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