बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सुदूर संवेदन के वायुमण्डल आधारित प्लेटफॉर्म की विस्तृत विवेचना कीजिए।
उत्तर -
(Air Based Platform)
वायुमण्डल आधारित प्लेटफॉर्म के नाम से ही स्पष्ट है कि इसका प्रयोग मुख्यतः वायु फोटोचित्रों को खींचने के लिये किया जाता है। इसका उद्देश्य, फोटो-विश्लेषण तथा फोटोग्रामेट्रिक अध्ययन करना होता है। इसको प्राप्त करने के लिये वायुयानों पर क्रमवीक्षक का प्रयोग किया जाता है। क्रमवीक्षक की उपयोगिता एवं कार्य के परख की जाँच, वायुयान एवं उपग्रह मिशन से पूर्व भलीभाँति की जाती है। उद्देश्य एवं उपयोगिता के आधार पर क्रमवीक्षक में भिन्नतायें होती हैं। वायुमण्डल आधारित प्लेटफॉर्म निम्न दो प्रकार के होते हैं-
(1) गुब्बारा आधारित प्लेटफॉर्म
गुब्बारों का प्रयोग काफी पहले से हो रहा था, लेकिन सुदूर संवेदन उद्देश्य की पूर्ति के लिये गुब्बारों का प्रयोग 1900 ई. के बाद किया गया। सर्वप्रथम पृथ्वी के धरातल के अध्ययन के लिये गुब्बारे विकसित किये गये थे। प्रारम्भ में गुब्बारों का उपयोग विभिन्न ऊँचाइयों पर संवेदक की उपयोगिता प्रमाणित करने और हवा की गति को नापने के लिये किया गया था। आजकल मौसम सम्बन्धी वायुमण्डलीय दशाओं की जानकारी प्राप्त करने के लिये इन प्लेटफॉर्मों का काफी प्रयोग होता है।
आकार व आकृति के आधार पर गुब्बारा आधारित प्लेटफॉर्म को तीन प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है-
(1) स्वतंत्र गुब्बारेॉ
(2) बन्धन सूत्र गुब्बारे
(3) शक्तियुक्त गुब्बारे।
(2) वायुयान आधारित प्लेटफॉर्म
धरातलीय दृश्य को स्पष्ट देखने के लिये लगभग 20 मीटर की ऊँचाई से वायुयानों का उपयोग किया जाता है। हवाई सर्वेक्षण, यंत्रों के भार तथा सर्वेक्षण लागत के आधार पर अलग-अलग प्रकार के वायु आधारित साधन प्रयोग किये जाते हैं जैसे कि हैलीकॉप्टर, लघु वायुयान, इत्यादि। ऐसे वायुयान के तल पर एक छिद्र पर बड़े कैमरे लगे होते हैं। अधिकतर वायुयान 8 किमी से नीचे लेकिन धरातल से 500 मीटर की ऊँचाई से उड़ते हैं। प्रायः ये 150 किमी प्रति घण्टे की गति से उड़ते हैं। ये हवाई कैमरे अत्यधिक नाजुक तथा खर्चीले होते हैं। अब धीरे-धीरे इनके भार एवं खर्चे को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। हैलीकॉप्टर कम रफ्तार से कम ऊँचाई पर आसानी से उड़ सकता है जो अति उच्च विभेदन (Resolution) के विवरणों को प्राप्त करता है। सामान्यतः वायुयानों का प्रयोग सुदूर संवेदन के रूप में वायु फोटो चित्रों तथा क्रमवीक्षक (Scanner) बिम्बों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। वायुयान में कुछ सावधानी रखनी अति आवश्यक है। वायुयान अत्यधिक स्थिर, कम्पन रहित तथा समान गति क्षमता रखने वाला होना चाहिए। ऊँचाई के आधार पर वायुयानों को वर्गीकृत किया जा सकता है। भारत में सुदूर संवेदन के उपयोग में डकोटा, केनबरा, सेसना एवरी जैसे वायुयानों का प्रयोग किया जाता है।
वायुयानों के प्रकार
उपरोक्त के अलावा हैलीकॉप्टर, ड्रोनें (Drones), डाईरीजीबल (Dirigible) तथा सेलप्लेन (Sailplane) आदि का उपयोग भी सुदूर संवेदन, टेलीविजन तथा फोटोग्राफी (कम ऊँचाई से) में किया जाता है।
वायु-आधारित सुदूर संवेदन प्रणाली के यंत्र
भारत में वायुयान आधारित सुदूर संवेदन प्रणाली में समुद्रीय रंगीन रेडियोमीटर, मॉडुलर बहु- स्पेक्ट्रल क्रमवीक्षक, इसरो-एम०एस०एस०, कैमरा आदि का सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। इनमें कम आकार की फोटोग्राफी के लिये विभिन्न प्रकार के वायु कैमरे प्रयोग में लाये जाते हैं। विभिन्न ऊँचाइयों से प्राप्त वायवीय चित्रों की स्टीरियो मॉडल पर देखा जा सकता है। दृश्य प्रभाव तथा अवरक्त स्पेक्ट्रम बैण्ड के अन्तर्गत विभिन्न फिल्टर तथा फिल्मों का उपयोग वायु फोटोग्राफी के लिये किया जाता है। अवरक्त (Infrared) बैण्ड श्याम और श्वेत रंग की फिल्में, रंगीन एवं श्याम श्वेत फोटोग्राफी के लिये प्रयोग होता है। फोटोचित्रों को देखकर विभिन्न प्रकार का विश्लेषण किया जा सकता है। वायु फोटोग्राफी के लिये निम्न प्रकार के कैमरों का उपयोग किया जाता है-
(i) हैसलब्लेड - 70 मिलीमीटर फिल्म ( श्याम व श्वेत एवं रंगीन)
(ii) निकोन, कैमरा इत्यादि- 35 मिलीमीटर फिल्म
(iii) मैट्रिक कैमरा - 9 इंच फिल्म ( श्याम व श्वेत, रंगीन, अवरक्त इत्यादि)
हवाई सर्वेक्षण मिशन - इस विधि में आधुनिक वायुजन्मित संवेदक प्रणाली में उच्च भेदन के जी०पी०एस० रिसीवर और आई०एम०यू० का प्रयोग किया जाता है। यहाँ जी०पी०एस० का उपयोग नौकायन एवं संवेदक की स्थिति निर्धारण के लिये किया जाता है। सर्वेक्षण कार्य कैमरे के उदभासन स्टेशन के लिये तथा किसी आकृति के बिम्ब को धरातल पर जानने के लिये निर्देशांकों की आवश्यकता होती है। इस कार्य के लिये वायुयान के 30 किमी के दायरे में जी०पी०एस० स्टेशन की आवश्यकता होती है।
इस विधि से दो प्रमुख लाभ हैं -
इस विधि से प्राप्त गणना का उपयोग, जी०पी०एस० द्वारा लिये गये निर्देशांकों में सुधार के लिये किया जा सकता है। इसके साथ ही IMU संवेदक का कोण नापने में भी यह विधि सहायक होती है।
IMU पर घूर्णादर्शी तथा गति या वेग बढ़ाने वाला मीटर जुड़ा होता है। यह एक नाजुक, भारी तथा महंगा यंत्र है। इसे प्रत्यक्ष संवेदक दिगविन्यास कहते हैं। जीपीएस तथा आईएमयू निर्धारण स्थिति तथा दिगविन्यास प्रणाली के लिये अति आवश्यक है। इनके द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से भू-सन्दर्भित किया जा सकता है।
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- प्रश्न- सुदूर संवेदन से आप क्या समझते हैं? विभिन्न विद्वानों के सुदूर संवेदन के बारे में क्या विचार हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भूगोल में सुदूर संवेदन की सार्थकता एवं उपयोगिता पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के अंतर्राष्ट्रीय विकास पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के भारतीय इतिहास एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के लाभ लिखिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के विषय क्षेत्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में सुदूर संवेदन के उपयोग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदी के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन की प्रक्रियाएँ एवं तत्व क्या हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उपग्रहों की कक्षा (Orbit) एवं उपयोगों के आधार पर वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- भारत के कृत्रिम उपग्रहों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कार्य के आधार पर उपग्रहों का विभाजन कीजिए।
- प्रश्न- कार्यप्रणाली के आधार पर सुदूर संवेदी उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- अंतर वैश्विक स्थान निर्धारण प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारत में उपग्रहों के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भू-स्थाई उपग्रह किसे कहते हैं?
- प्रश्न- ध्रुवीय उपग्रह किसे कहते हैं?
- प्रश्न- उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- सुदूर संवेदन की आधारभूत संकल्पना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के सम्बन्ध में विस्तार से अपने विचार रखिए।
- प्रश्न- वायुमण्डलीय प्रकीर्णन को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रमी प्रदेश के लक्षण लिखिए।
- प्रश्न- ऊर्जा विकिरण सम्बन्धी संकल्पनाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। ऊर्जा
- प्रश्न- स्पेक्ट्रल बैण्ड से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- स्पेक्ट्रल विभेदन के बारे में अपने विचार लिखिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन की कार्य प्रणाली को चित्र सहित समझाइये |
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के प्रकार और अनुप्रयोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के प्लेटफॉर्म से आपका क्या आशय है? प्लेटफॉर्म कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के वायुमण्डल आधारित प्लेटफॉर्म की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भू-संसाधन उपग्रहों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- 'सुदूर संवेदन में प्लेटफार्म' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- वायुयान आधारित प्लेटफॉर्म उपग्रह के लाभ और कमियों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- विभेदन से आपका क्या आशय है? इसके प्रकारों का भी विस्तृत वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- सुदूर संवेदन में उपयोग होने वाले प्रमुख संवेदकों (कैमरों ) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हवाई फोटोग्राफी की विधियों की व्याख्या कीजिए एवं वायु फोटोचित्रों के प्रकार बताइये।
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- प्रश्न- सुदूर संवेदन के संवेदक से आपका क्या आशय है?
- प्रश्न- लघुतरंग संवेदक (Microwave sensors) को समझाइये |
- प्रश्न- प्रतिबिंब निर्वचन के तत्वों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन में आँकड़ों से क्या तात्पर्य है?
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- प्रश्न- अंकिय बिम्ब प्रणाली का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डिजिटल इमेज प्रक्रमण से आप क्या समझते हैं? डिजिटल प्रक्रमण प्रणाली को भी समझाइए।
- प्रश्न- डिजिटल इमेज प्रक्रमण के तहत इमेज उच्चीकरण तकनीक की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बिम्ब वर्गीकरण प्रक्रिया को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- इमेज कितने प्रकार की होती है? समझाइए।
- प्रश्न- निरीक्षणात्मक बिम्ब वर्गीकरण और अनिरीक्षणात्मक बिम्ब वर्गीकरण के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भू-विज्ञान के क्षेत्र में सुदूर संवेदन ने किस प्रकार क्रांतिकारी सहयोग प्रदान किया है? विस्तार से समझाइए।
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- प्रश्न- भूगोल में सूदूर संवेदन के अनुप्रयोगों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मृदा मानचित्रण के क्षेत्र में सुदूर संवेदन के अनुप्रयोगों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लघु मापक मानचित्रण और सुदूर संवेदन के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र का अर्थ, परिभाषा एवं कार्यक्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के भौगोलिक उपागम से आपका क्या आशय है? इसके प्रमुख चरणों का भी वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली का व्याख्यात्मक वर्णन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के उपयोग क्या हैं? विस्तृत विवरण दीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र (GI.S.)से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र का कार्य क्या है?
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के प्रकार समझाइये |
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र की अभिकल्पना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में उपयोग होने वाले विभिन्न उपकरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में कम्प्यूटर के उपयोग का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
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- प्रश्न- विक्टर मॉडल की कमियों और लाभ के सम्बन्ध में अपने विचार लिखिए।
- प्रश्न- रॉस्टर और विक्टर मॉडल के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डेटाम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।