बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 12
जी.आई.एस. में निर्देशांक प्रणाली
(Coordinate System in GIS)
प्रश्न- विश्वस्तरीय सन्दर्भ प्रणाली से आपका क्या आशय है? निर्देशांक प्रणाली के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
दीर्घवृत्त निर्देशांक प्रणाली या विश्वस्तरीय सन्दर्भ प्रणाली ग्लोब के धरातल पर किसी भी बिन्दु की सटीक स्थिति के निर्धारण के लिए अक्षांश तथा देशान्तर डिग्रियों का प्रयोग करते हैं। केवल भूमध्य रेखा के आस-पास ही एक डिग्री देशान्तर की दूरी लगभग एक डिग्री अक्षांश के बराबर होती है। यह इसलिये होता है कि केवल भूमध्य रेखा ही एक ऐसी अक्षांश रेखा है जो देशान्तर के वृतों के बराबर बड़ी है। गोलाकार पृथ्वी के समान अर्द्धव्यास के वृत्त को वृहत वृत्त कहते हैं।
जब अक्षांश तथा देशान्तर डिग्रियाँ प्रधान दूरियों के साथ सम्बन्धित नहीं होती हैं, तब दूरस्थ दूरियों का मापन इनसे नहीं किया जा सकता है। यह मापन प्रणाली पृथ्वी के केन्द्र से कोणों को नापते हैं न कि पृथ्वी के धरातल की दूरियाँ को। यह एक समतल निर्देशांक प्रणाली नहीं है। पृथ्वी के घुमावदार धरातल को नापने के लिये ग्लोब की निर्देशांक प्रणाली प्रयोग की जाती है। अक्षांश तथा देशांतर रेखायें सभी उपलब्ध मानचित्र प्रक्षेपों के लिये पृथ्वी के धरातल पर सन्दर्भ स्थिति का निर्धारण करती है। सन्दर्भ बसाव स्थिति की उपयुक्तता के कारण ही दीर्घवृत्तज निर्देशांक प्रणाली को विश्वस्तरीय सन्दर्भ प्रणाली (Global Referance System) कहते हैं।
भारत तथा इसके सीमावर्ती देशों में प्रयोग किया जाने वाला दीर्घवृत्तज एवरेस्ट है। उपग्रहों की सहायता से ग्लोब के सम्पूर्ण भाग का अवलोकन किया जा सकता है इसलिये सारे ग्लोब के लिये सबसे फिट धरातल WGS-84 माना जाता है।
आमतौर पर गोलाकार आकृति की ज्यामिति को समझना कठिन होता है। मानचित्र प्रक्षेप को समझने के लिये गोलाकृति को समझना अति आवश्यक है। गोलाकार प्रणाली में सभी क्षैतिज रेखाओं को अक्षांश रेखा या समान्तर कहा जाता है। ऊर्ध्वाधर रेखाओं को देशान्तर रेखायें या याम्योत्तर (Maridians) कहते हैं। इन रेखाओं को आपस में मिलाने पर ग्रिडजाल आकृति को रेखाजाल (Graticul) कहते हैं। उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव को ग्लोब के क्रमशः उत्तरी और दक्षिणी भाग में क्रमश: बिन्दु के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। जहाँ पर सभी मेरीडियन या याम्योत्तर मिलते हैं उसे ध्रुव कहते हैं। ध्रुव की ओर याम्योत्तर के मध्य की दूरी कम होती जाती है तथा ध्रुवों पर इनका अन्तर शून्य हो जाता है।
भूमध्य रेखा पर दो देशान्तर के बीच की दूरी का अन्तर 111.321 किमी होता है जबकि 60° अक्षांश रेखा पर यही अन्तर 55.802 किमी है।
भूमध्य रेखा तथा प्रधान रेखा के प्रतिच्छेदन बिन्दु पृथ्वी का केन्द्र होता है।
निर्देशांक प्रणाली के प्रकार (Types of Coordinate System) - निर्देशांक प्रणालियों को निम्न प्रकारों में विभाजित किया जाता है-
(1) कार्टेसियन निर्देशांक (Cartesian System) - कार्टेसियन निर्देशांक प्रणाली के अनुसार प्रतिच्छेदन बिन्दु के निर्देशांक 0,0 हैं। इस प्रकार सम्पूर्ण ग्लोब चार गोलाद्धों में बँट जाता है जिसका आधार कम्पास किमान होता है। इसी आधार पर दिशायें भी निर्धारित की जाती हैं।
(2) भौगोलिक निर्देशांक प्रणाली (p, A, Z) - किसी दीर्घवृत्त (Ellipse) को लगभग अक्ष पर घुमाने पर दीर्घवृत्तजों का प्रयोग अक्षांश (p) तथा देशान्तर (A) की गणना करने के लिये किया जाता है।
ऊँचाई (Z) की गणना के लिये ज्योड का प्रयोग किया जाता है जो कि एक स्थिर सम्भावित गुरुत्व सतह होती है।
प्रत्येक वृत्त को 360 अंश में विभाजित किया जा सकता है जिन्हें डिग्री कहते हैं। प्रत्येक डिग्री 60 मिनट में विभाजित होती है जबकि प्रत्येक मिनट 60 सेकेण्ड में विभाजित होता
परम्परागत रूप से अक्षांश तथा देशान्तर रेखाओं को डिग्री, मिनट तथा सेकेन्ड में (DMS) मापा जाता है। 0° अक्षांश पर भूमध्य रेखा व 90° अक्षांश पर उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव होते हैं। देशान्तर रेखाओं के लिये 0° प्रधान याम्योत्तर रेखा होती है जो उ० ध्रुव से प्रारम्भ होकर ग्रीनविच नगर से गुजरती हुई दक्षिणी ध्रुव पर समाप्त होती है। जब हम ग्रीनविच से पूर्व की ओर यात्रा करते हैं तो 180° तक के देशान्तर को धनात्मक मापा जाता है जबकि ग्रीनविच से पश्चिम की ओर - 180° देशान्तर मापा जाता है। कहने का अर्थ यह है कि प्रधान केन्द्रीय रेखा से पूर्व की ओर + तथा पश्चिम की ओर - देशान्तर मापा जाता है। उदाहरण के लिये, आस्ट्रेलिया को लिया जा सकता है जो भूमध्य रेखा के दक्षिण तथा ग्रीनविच के पूर्व में है। इसलिये धनात्मक देशान्तर तथा ऋणात्मक अक्षांश है। दीर्घवृत्तज पर अक्षांश रेखायें धरातल के ठीक लम्ब पर मापी जाती हैं।
1. दीर्घवृत्तज पर कोई S बिन्दु लिया गया है तथा इस पर mn लम्बवत् खींचा गया है।
2. Pg रेखा को S की सहायता से लिया गया तथा mn लम्ब तल समान किया गया।
3.इस प्रकार कोण pqr जो भूमध्य रेखीय तल के साथ खींचा गया है, S बिन्दु का अक्षांश 0 है।
समतल मापन
गोलाकार आकृति के निर्देशांक का मापन करना सबसे कठिन होता है। भौगोलिक आंकड़ों को समतल निर्देशांक प्रणाली पर प्रक्षेपित किया जाता है। जब कभी भी किसी गोल आकृति या इसके किसी भाग को समतल सतह पर प्रक्षेपित किया जाता है तो इसके गोलाद्धय मान परिवर्तित हो जाते हैं। प्रायः समतल सतह पर बसाव स्थितियों को ग्रिड X.Y में निर्देशांकों के द्वारा पहचाना जाता है। प्रत्येक बसाव बिन्दु के दो मान होते हैं। एक इसकी क्षैतिज दशा को तथा दूसरा उर्द्धाधर दशा को स्पष्ट करता है। इन मानों को x निर्देशांक एवं Y निर्देशांक कहा जाता है। इस अंक पद्धति को प्रयोग करने पर प्रारंभ के निर्देशांक X = 0 तथा Y = 0 होते हैं।
चित्र- निर्देशांक प्रणाली
किसी ग्रिडजाल के केन्द्र में क्षैतिज रेखा को X अक्ष तथा केन्द्रीय उर्द्धाधर रेखा को - Y अक्ष कहते हैं। स्रोत केन्द्र से ऊपर क्षैतिज रेखाओं का तथा स्रोत केन्द्र से दायीं ओर उर्द्धाधर रेखाओं का धनात्मक मान होता है। इसके विपरीत नीचे की ओर तथा बायीं ओर यह मान ऋणात्मक होता है। चित्र में चार चतुर्थांश प्रदर्शित किये गये हैं जिन पर धनात्मक तथा ऋणात्मक निर्देशांकों को सम्मिलित कर दिखाया गया है।
समतल मापन प्रणाली का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें दूरी, कोण तथा क्षेत्रफल स्थिर रहता है।
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