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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2782
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 1

वस्त्रों पर विविधता निर्माण की विधियाँ

(Techniques of Creating Variety on Fabrics)

प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।

अथवा
सभी प्रकार की बुनाइयों तथा उनकी विशेषताओं के बारे में लिखिए।
अथवा
बेसिक निटिंग की बुनाई कौन-सी हैं? विभिन्न प्रकार की बुनाइयों का वर्गीकरण कीजिये।
अथवा
बेसिक वीव बताइये। सादी बुनाई तथा इसके प्रकार के बारे में लिखिए। उचित चित्र द्वारा उत्तर का वर्णन कीजिए। 

उत्तर -

विभिन्न प्रकार की बुनाइयाँ

जिस विधि द्वारा ताने के सूत्रों के समूहों को हारनेस द्वारा उठाया जाता है ताकि भराव सूत्र उसमें से प्रवेश कर सके, यही विधि बुनाई के नमूने का निर्धारण करती है और साथ ही तैयार किये जाने वाले वस्त्र के प्रकार को मापने का एक तरीका होती है। बुनाई के नमूने विभिन्न अंशों में वस्त्रों में मजबूती की उत्पत्ति करते हैं, उसकी उपयोगिता बढ़ाते हैं और साथ ही रूप में भी वृद्धि करते हैं। सादी बुनाई की तकनीक में भराव सूत्र एक बार ताने के धागे के नीचे और फिर दूसरी बार ताने के धागे के ऊपर से गुजरता है। इस हेतु दो हारनेस की आवश्यकता होती है। एक हारनेस द्वारा विषम संख्या के ताने के सूत्रों को उठाया जाता है जबकि दूसरे के द्वारा सम संख्या के ताने के सूत्रों को उठाया जाता है। कई आधुनिक बुनाइयों में दो से अधिक हारनेसों का उपयोग किया जाता है जबकि अधिक से अधिक आकृति की बुनाई में 40 तक हारनेस लगते हैं।

अधिकांश वस्त्रों में तीन आधार बुनाइयों को बनाया जाता है। कई एडवान्स बुनाई की विधियों में 40 तक हारनेस निकाले गये।

तीन आधार बुनाइयाँ अधिकांश वस्त्रों पर सामान्य रूप से उपयोग में लाई जाती हैं। यह बुनाइयाँ-सादी (Plain), ट्वील (Twill) और सेटिन (Satin)।

निम्न कुछ बुनाइयों द्वारा महत्वपूर्ण संरचना की जा सकती हैं-

पाईल (pile),
डबल क्लॉथ (double cloth),
गॉज (gauze),
लपेटे (lappet),
डॉबी (dobby)
जैकार्ड (jacquard)।

आधार बुनाइयाँ
(Basic Weaves)

तीन आधार बुनाइयाँ होती हैं - सादी बुनाई (Plain weave), ट्वील बुनाई (Twill weave) और सेटीन (Satin)। यह वे बुनाइयाँ होती हैं जो सामान्य करघे पर बिना किसी अटेचमेन्ट के बनाई जा सकती हैं।

सादी बुनाई (Plain Weave) - तीनों आधार बुनाइयों में सादी बुनाई सबसे सरल बुनाई हाती है जो सामान्य करघे पर बनाई जा सकती है। सादी बुनाई को कभी-कभी टेबी (Tabby), होम स्पन (Home spun) या टफेटा (Taffeta) बुनाई भी कहा जाता है। यह बुनाई सबसे सस्ती हाती है। सादी बुनाई में करघे के केवल दो हारनेस की आवश्यकता होती है। इस बुनाई में प्रत्येक भराव का सूत्र वस्त्र की चौड़ाई में ताने के सूत्र के नीचे और ऊपर से एक के बाद एक गुजरता है। लौटते समय, यही गूंथने की क्रिया ऊपर और नीचे से एक के बाद एक होती है। यदि सूत्र को पास-पास रखा जाये तो सादी बुनाई की धागे की उच्च गणना (high threat count) होती है, और इसीलिए वस्त्र दृढ़ होता है और अच्छी तरह पहना जाता है। इस बुनाई की 1/1 बुनाई के रूप में व्याख्या की जाती है, अर्थात् जब बुनाई की क्रिया होती है तो एक हारनेस ऊपर और एक हारनेस नीचे जाता है।

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चित्र - सादी बुनाई में सूत्र गुँथाई के नमूने के तीन तरीके (ऊपर) क्रॉस सेक्शन (मध्य) चेक बोर्ड (नीचे)

सादी बुनाई के वस्त्रों की सीधी और उल्टी साइड नहीं होती। केवल छपाई करने पर या सतह की परिसज्जा करने पर ही सीधी और उल्टी साइड अलग होती है। इसका सादा और अरुचिप्रद सतह छपाई की डिजाइन हेतु उत्तम पृष्ठभूमि प्रदान करता है साथ ही इस पर उभरे हुए नमूने (Embossing) भी बनाये जा सकते हैं और चमकदार परिसज्जा भी दी जा सकती है। चूँकि इसमें प्रति वर्ग इच में अधिक गुँथाई की जाती है, अतः सादी बुनाई के वस्त्रों में सलवटें शीघ्र पड़ती है और अन्य बुनाइयों की अपेक्षा यह कम अभिशोषक होते हैं। विभिन्न प्रकार के तन्तुओं का उपयोग करके, नॉवेल्टी या टेक्स्चर्ड सूत्र का उपयोग करके, विभिन्न आकार के सूत्रों का उपयोग करके उच्च और निम्न ऐंठन वाले सूत्रों का उपयोग करके, फिलामेन्ट या स्टेपल सूत्रों का और विभिन्न परिसज्जाओं का उपयोग करके इनमें रुचिप्रद प्रभाव उत्पन्न किया जा सकता है।

चूँकि सादी बुनाई का निर्माण तुलनात्मक रूप से सस्ता होता है, अतः यह बड़ी मात्रा में सूती वस्त्रों पर उपयोग में लाई जाती है। सादी बुनाई के रूप को बुनाई के घनेपन में भिन्नता लाकर, विभिन्न मोटाई के सूत्रों का उपयोग करके, या विपरीत रंगों के ताने और भराव के सूत्रों का उपयोग करके, भिन्नता प्रदान की जा सकती है।

सादी बुनाई का सबसे सरल रूप वह है जिसमें ताने और भराव के सूत्र समान आकार के होते हैं और समान दूरी पर गूँथे जाते हैं और सतह पर एक समान बराबर दिखाई देते हैं-इसे सन्तुलित सादी बुनाई (balanced plain weave) कहते हैं। इसके अन्य रूप में ताने के सूत्र अत्यधिक संख्या में होते हैं जो भराव के सूत्रों को ढक लेते हैं और जो स्पष्ट रूप में धारियाँ या पट्टी या रस्सी के रूप में दिखाई देते हैं। इन्हें रिब (rib) कहा जाता है और यह असन्तुलित सादी बुनाई (unbalanced plain weave) होती है। इसके अतिरिक्त जब भिन्नता लाने हेतु दो या अधिक सूत्रों को मिलाकर एक के समान गूँथा जाता है तो वह बास्केट बुनाई (Basket weave) होती है।

इस प्रकार सादी बुनाई तीन प्रकार की होती है-

1. सन्तुलित सादी बुनाई (Balanced plain weave)
2. असन्तुलित सादी बुनाई-रिब बुनाई (Unbalanced plain weave-Rib weave)
3. भिन्नता वाली सादी बुनाई-बास्केट बुनाई (Variations : Basket weave)

(1) सन्तुलित सादी बुनाई (Balanced Plain Weave) - सादी बुनाई के सन्तुलित वस्त्रों की किसी भी अन्य बुनाई की अपेक्षा अत्यधिक विस्तृत श्रेणी है अतः यह बुने हुए वस्त्रों का सबसे बड़ा समूह है। यह किसी भी वजन के बनाए जा सकते हैं-बहुत पतले से लेकर बहुत भारी तक।

पतले वस्त्र (Sheer Fabrics) – यह अत्यधिक पतले, हल्के वजन के, पारदर्शी या अर्द्धपारदर्शी होते हैं। उच्च गणना वाले पतले वस्त्र उनकी पारदर्शिता के कारण पहचाने जाते हैं और यह अत्यधिक महीन सूत्रों से बनाए जाते हैं। लोन (Lawn), ऑरगेन्डी (Organdy), और बटिस्टे (Batiste) इसी के समान ग्रे गुड्स (Gray goods) से परिसज्जित किये जाते हैं। पतले वस्त्रों का उपयोग ग्लास पर्दे (जोकि एकान्तता देते हैं किन्तु साथ ही प्रकाश को प्रवेश करने देते हैं), गर्मी के शर्ट्स, ब्लाउज और ड्रेसेस एवं बच्चों के परिधानों हेतु किया गया है।

मध्यम वजन वाले वस्त्र (Medium Weight Fabrics) - यह बुने हुए वस्त्रों का सबसे बड़ा समूह है क्योंकि इसका उपयोग हल्के वजन और भारी वजन वाले वस्त्रों से कहीं अधिक किया जा सकता है। यह वस्त्र मध्यम आकार के सूत्रों, मध्यम धागों की गणना और धुने या कंघी किये हुए सूत्रों से बनाए जाते हैं। मध्यम वजन वाले वस्त्रों में अधिकांशतः छपाई की जाती है। मध्यम वजन वाले वस्त्रों में परकेल (Percale), मूसलिन (Muslin), जिंघम (Ginghams), चेम्ब्रे (Chambray) आदि आते हैं।

सूटिंग वस्त्र (Suiting Fabrics) - यह अपेक्षाकृत भारी होते हैं। इसमें भराव सूत्र सामान्यतः ताने के सूत्रों से बड़े होते हैं क्योंकि इनमें थोड़ी-सी कम ऐंठन दी जाती है। चूँकि इसमें वजन होता है, अतः यह पतले वस्त्र की अपेक्षा अधिक मजबूत और अधिक सलवट प्रतिरोधक होते हैं। क्रिटोने (Cretonne), क्रेश (Crash), बूचर रेयॉन (Butcher rayon), ट्वीड (Tweed) आदि भारी वस्त्रों के उदाहरण हैं।

(2) रिब बुनाई - असन्तुलित सादी बुनाई (Rib WeaveUnbalanced Plain Weave) -सादे बुनाई वाले वस्त्र में ताने के सूत्रों की संख्या में जब तक वृद्धि की जाती है जब तक कि भराव के सूत्र करीब दुगने हो जाते हैं, इस प्रकार जो आड़ी धारी बनती है वह भराव वाली धारी (filling rib) कहलाती है, उसी प्रकार ताने वाली धारीदार सतह तैयार होती है जिसमें ताने के सूत्र पूर्णतः भराव के सूत्रों को ढक लेते हैं। जब ताने और भराव के सूत्र समान आकार के होते हैं, तब छोटी धारियाँ तैयार होती हैं और जब भराव का सूत्र ताने के सूत्र से बड़ा होता है तब बड़ी धारियाँ तैयार होती हैं।

 

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चित्र - धारीदार बुनाई

यदि सूत्र भिन्न रंगों का होता है; तब सतह पर केवल ताने के सूत्रों का रंग दिखाई देता है। निम्न चित्र में सादी सन्तुलित और असन्तुलित बुनाई की तुलना दर्शाई गई है।

वस्त्रों में धारीदार प्रभाव प्रचलित हैं किन्तु उपभोक्ता को यह ध्यान में रखना चाहिए कि कभी-कभी निम्न गुणवत्ता वाले सूत्रों का उपयोग करके धारियों द्वारा छिपाया जाता है। चूँकि यह सूत्र वस्त्रों में दिखाई नहीं देता है, अतः कभी-कभी अत्यधिक छोटा स्टेपल सूत्र या अपर्याप्त ऐंठन वाले सूत्रों को उपयोग में लाया जाता है। यदि बहुत मोटे व महीने धागों से धारियाँ बनाई जाती हैं तब वह बहुत टिकाऊ नहीं होती हैं क्योंकि धारियाँ उत्पन्न करने वाला मोटा सूत्र उसको जोड़ने वाले महीने सूत्र के ऊपर से खींचा जाता है। धागा निकलना व धागा सरकने (slippage) की समस्या उस स्थान पर आती है जहाँ तनाव पड़ता है; जैसे-सिलाई वाले स्थानों से। साथ ही धारीदार प्रभाव से सम्पूर्ण सूत्र रगड़ने से निकल जाता है, जिससे वस्त्र कम टिकाऊ रहता है।

 

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चित्र - सादी सन्तुलित और असन्तुलित बुनाई की तुलना

रिब प्रभाव वाले वस्त्र (Fabrics in Ribbed Effects)-हल्के वजन वाले पतले वस्त्र कभी-कभी रिब प्रभाव के बनाए जाते हैं। डिमिटी (Dimity) नामक वस्त्र का उपयोग पर्दे, ब्लाउज और ड्रेस में किया जाता है।

अधिकांश रिब प्रभाव मध्यम वजन वाले वस्त्रों को दिया जाता है। रिब वाले वस्त्र जो घनी संरचना वाले होते हैं, कई बार सादी बुनाई की अपेक्षा अधिक लटकनशीलता प्रदान करते हैं।सूत्र और उपयोग की गई परिसज्जा पर यह निर्भर करता है कि वस्त्र चिकना और नर्म होगा। भराव वाली रिब के वस्त्रों के उदाहरण हैं-ब्रॉडक्लॉथ, पॉपलिन और टफेटा (taffeta) जोकि कई किस्मों के वस्त्र हेतु उपयोग में लाये जाते हैं। भारी वजन वाले रिब के वस्त्रों के उदाहरण हैं-बेन्गेलाइन (bengaline), ओटोमन (ottoman) और रेप (rep)।

(3) बास्केट बुनाई-सादी बुनाई का भिन्न रूप (Basket Weave - Plain Weave Variation) - बास्केट बुनाई में दो या अधिक तानों को एक मानकर, और इसी प्रकार दो या अधिक भराव के सूत्रों को एक मानकर, समान शेड (Shed) में बुना जाता है। सबसे अधिक प्रचलित बास्केट बुनाई 2x 2 और 4x4 है किन्तु साथ ही 2x 1, 2 x 3 संयोग भी उपयोग में लाए जाते हैं।

 

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चित्र - बास्केट बुनाई                चित्र - बास्केट बुनाई का वस्त्र

बास्केट बुनाई से बने वस्त्रों में लोचमयता होती है और यह सिलवट प्रतिरोधक होते हैं क्योंकि इनमें प्रतिवर्ग इंच में कुछ ही गुँथाई होती है। इससे बने वस्त्रों का रूप सादी बुनाई की अपेक्षा चपटा होता है। इसके लम्बे तैरते हुए सूत्र आसानी से खिंच जाते हैं। माँग क्लॉथ (Monk's Cloth), मिशन क्लॉथ (Mission Cloth) आदि काफी पुराने बास्केट बुनाई से बने वस्त्र हैं। ऑक्सफोर्ड वस्त्र में 2x 1 या 3 x 2 बास्केट बुनाई होती है। इसमसें ताने का सूत्र रंगा हुआ और बाने का सूत्र सफेद रंग का होता है।

बास्केट बुनाई के वस्त्र ढीले बुने हुए होते हैं और अच्छी तरह लटकते हैं। चूँकि यह बनावट में ढीले होते हैं और इनमें नर्म व कम ऐंठन वाले सूत्रों का उपयोग किया जाता है। अतः इसके सूत्र सिलाई पर खिंच जाते हैं और वस्त्र के स्वयं के सूत्र भी खिंच जाते हैं। अतः ऐसे परिधानों में इनका उपयोग नहीं किया जाता है जहाँ मजबूती की विशेष आवश्यकता होती है

बास्केट बुनाई में सभी प्रकार के तन्तुओं के सूत्रों का उपयोग किया जाता है। बास्केट बुनाई के वस्त्र सूटिंग, गृह परिसज्जा में ड्रेपरी आदि हेतु उपयोग में लाये जाते हैं।

ट्वील बुनाई (Twill Weave) - तिरछे रूप में बनी विशिष्ट डिजाइन ट्वील बुनाई की विशेषता है। ट्वील बुनाई वह होती है जिसमें प्रत्येक ताने या भराव का सूत्र दो या अधिक भराव या ताने के सूत्र के ऊपर वृद्धि करते हुए गूंथने की क्रिया द्वारा तैरता है। यह वृद्धि करने की क्रिया दाएँ या बाएँ दिशा में होती है जोकि एक विशिष्ट तिरछी रेखा बनाती है जोकि ट्वील बुनाई की पहचान है। ट्वील बुनाई उपयोग किये गये हारनेसों की संख्या के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है। सबसे सादी ट्वील में तीन हारनेसों की आवश्यकता होती है। सबसे अधिक जटिल द्वील में दोहराव से पूर्व 18 पिक डाले जाते हैं और इसे डॉबी अटेचमेन्ट वाले करघे पर बुना जाता है। ट्वील बुनाई दूसरी आधार बुनाई है जिसे सादे करघे पर बुना जा सकता है।

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चित्र - ट्वील बुनाई

ट्वील बुनाई को विभाज्य संख्या (Fraction) में भी व्यक्त किया जाता है। उदाहरण 2/1 इसका अर्थ है ऊपर की संख्या (Numerator) हारनेस की उस संख्या को दर्शाती है जो उठे हुए हैं और नीचे की संख्या (Denominator) हारनेस की उस संख्या को बताती है जोकि नीचे की ओर होते हैं, जब इनमें भराव का सूत्र डाला जाता है। अतः संख्या 2/1 का अर्थ है "दो ऊपर, एक नीचे" ("Two up, on down") पिछले पृष्ठ के चित्र में 2/1 ट्वील दर्शाई गई है। इसमें दो ताने के सूत्र व एक भराव का सूत्र होता है अतः इसमें ताने के सूत्रों की तैरती हुई सतह बनती है, अतः यह ताने की सतह वाली बुनाई है और इसे ताना-मुखी ट्वील (warp faced twill) कहा जाता है

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चित्र - तीन शाफ्ट ट्वील

इसी के विपरीत जब दो ताने के धागे एक भराव के सूत्र द्वारा गूँथे जाते हैं, तो यह भराव वाली ट्वील या बाना मुखी ट्वील (filling faced twill या weft faced twill) कहलाती है क्योंकि इसमें वस्त्र की ऊपरी सतह पर ताने की अपेक्षा भराव के सूत्र अधिक तैरते हुए दिखाई देते हैं। इसे "एक ऊपर और दो नीचे वाली ट्वील" (One-up and two down twill) या 1/2 की संख्या में अभिव्यक्त किया जाता है क्योंकि ताने का सूत्र भराव के सूत्र के ऊपर एक और नीचे दो में जाता है। चित्र में यह ट्वील बुनाई दिखाई गई है।

यह बुनाई तीन- शाफ्ट वाली ट्वील (Three-shaft twill) भी कहलाती है। साथ ही यह दाएँ हाथ की ट्वील (right hand twill) भी कहलाती है क्योंकि इसकी तिरछी रेखा ऊपर के दाएँ भाग से नीचे के बाएँ भाग की ओर आती हैं।

ट्वील बुनाई की विशेषताएँ (Characteristics) - ट्वील वस्त्रों की सीधी साइड और उल्टी साइड होती है। यदि उसकी सीधी ओर ताने के सूत्र तैरते हैं तो उल्टी ओर- भराव के सूत्र तैरते हैं। यदि वस्त्र की एक ओर ट्वील दाएँ दिशा में जाती है, तो वस्त्रों के दूसरी ओर वह बाईं दिशा की ओर जाती है।

पतले वस्त्रों को बहुत कम ट्वील बुनाई में बुना जाता है। छपी हुई डिजाइन भी इसमें बहुत कम उपयोग में लाई जाती है, केवल सिल्क और हल्के वजन वाले ट्वील के, क्योंकि ट्वील सतह में स्वयं की गुँथी हुई डिजाइन एवं पोत होता है। ट्वील की असमान सतह पर गन्दगी भी कम दिखाई देती है अपेक्षाकृत चिकनी सतह वाले वस्त्रों के।

ट्वील की तिरछी रेखाओं में परिवर्तन करके भिन्नता लाई जा सकती है; जैसे-हेरींगबोन (Herringbone), कॉर्कस्क्रू (Cork Screw) और अन्य फैन्सी ट्वील। तिरछी रेखा के झुकाव में भिन्नता लाकर और सूत्रों के रंगों में भिन्नता लाकर वस्त्रों को अलंकृत किया जा सकता है। ट्वील बुनाई वाले वस्त्र मजबूत और अच्छी लटकनशीलता वाले होते हैं। ताने और भराव के सूत्रों को तिरछी दिशा में गूंथने की क्रिया से सादी बुनाई की अपेक्षा अधिक तन्यता प्राप्त होती है ट्वील बुनाई में सूत्रों को सामान्यतः पास-पास गूँथा जाता है। अतः इसकी बुनाई वाले वस्त्र विशेष रूप से मजबूत होते हैं। अतः ट्वील बुनाई का सामान्यतः उपयोग पुरुषों के सूट और कोट के वस्त्र बनाने व कार्य हेतु पहनने वाले वस्त्रों (work cloths) को बनाने में किया जाता है जहाँ मजबूत बनावट आवश्यक होती है।

ट्वील बुनाई में, भराव का सूत्र एक से अधिक ताने के सूत्रों के साथ गूँथा जाता है किन्तु कभी भी चार से अधिक ताने के सूत्र नही लिये जाते क्योंकि इससे मजबूती में कमी आ जाती है।

यदि सादी बुनाई वाले वस्त्र और ट्वील-बुनाई वाले वस्त्र में समान संख्या और प्रकार में सूत्र लिये जाते हैं, तो सादी बुनाई के वस्त्र अधिक मजबूत होते हैं क्योंकि इनमें अधिक गुँथाई होती है। यद्यपि ट्वील बुनाई को भी पास-पास घना बुना जा सकता है ताकि वस्त्र में मजबूती आ सके।

ट्वील बुनाई की विशिष्टता में वृद्धि करने के लिये लम्बी तैरती सतह, कंघी किये हुये सूत्र, प्लाय सूत्र, कड़ी ऐंठन वाले सूत्र या ट्वील रेखा की विपरीत दिशा में सूत्र की ऐंठन और उच्च धागे की गणना का उपयोग किया जा सकता है। विशिष्ट तिरछी धारियों वाले वस्त्र, जैसे-गेबर्डीन, चमकदार होता है क्योंकि दबाव और पहनने से उसमें चपटापन आ जाता है। यदि दबाव से धारियाँ चपटी हो जाती हैं, तो उन्हें वाष्प द्वारा उठाकर चमक को हटाया जा सकता है।

ट्वील बुनाई के प्रकार (Types of Twill Weave) - चूँकि ट्वील बुनाई की तिरछी रेखा ही उसे विशिष्टता प्रदान करती है अतः इस तिरछी रेखा के घुमाव के आधार पर, दिशा के आधार पर, ताने व भराव के सूत्र के आधार पर और शाफ्ट के आधार पर इसके भिन्न-भिन्न प्रकार किये गये हैं। जो निम्न प्रकार हैं-

1. तिरछी रेखा के कोण के आधार पर (According to the degree of angle of the wale) - तिरछी रेखा के कोण का अंश वस्त्र के संतुलन पर निर्भर करता है। ट्वील की रेखा गहरी (steep), नियमित (regular) या उथली (reclining) हो सकती है। ताने और भराव के सूत्रों की संख्या में जितनी अधिक भिन्नता होगी उतनी ही ट्वील रेखा गहरी (steeper) होगी। गहरे ट्वील के वस्त्रों में ताने की उच्च गणना होती है अतः यह ताने की दिशा में मजबूत होता है। इस कोण का महत्व इसलिये अधिक है क्योंकि यह वस्त्र की मजबूती के निर्धारण में सहायक होता है। निम्न चित्र में यह दर्शाया गया है कि किस प्रकार वील रेखा अपनी गहराई को परिवर्तित करती है। ताने के सूत्रों की संख्या में परिवर्तन लाने पर ट्वील रेखा अपनी गहराई को परिवर्तित करती है जबकि भराई के सूत्रों की संख्या समान होती है।

 

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चित्र - ताने से बाने के अनुपात पर आधारित ट्वील कोण

2. समान एवं असमान ट्वील (Evert and Uneven Twill) - समान ट्वील में ताने और भराव के सूत्रों की संख्या समान होती है और इनसे बने वस्त्र दोनों साइड से समान दिखाई देते हैं। इन्हें कभी-कभी दोनों ओर से उपयोग में लाई जाने वाली ट्वील (reversible twills) कहा जाता है क्योंकि यह वस्त्र के दोनों ओर से समान दिखाई देती है यद्यपि ट्वील रेखा की दिशा में भिन्नता होती है। इस प्रकार के वस्त्रों में उत्तम गुणवत्ता वाले भराव के सूत्रों का उपयोग किया जाता है क्योंकि वस्त्र के दोनों ओर के सूत्रों के सेट पहनने पर दिखाई देते हैं। यह 2/2 ट्वील होती है और तभी ट्वील बुनाई में सबसे अधिक सन्तुलित होती है। सर्ज (Serge) और सुराह (Surah) वस्त्र 2/2 ट्वील बुनाई के उत्तम उदाहरण हैं।-

तीन और भराव के सूत्रों की संख्या जो हमें वस्त्र की सतह पर दिखाई देती है उसके आधार पर ही समान और असमान ट्वील का वर्गीकरण होता है। अधिकांश ट्वील बुनाई असमान होती है। इसमें ताने और बाने की संख्या समान होती है जैसे- 2/1 या 3/1 या 3/2 आदि।

3. ताना मुखी और बना मुखी द्वील (Warp Face and Filling Face Twill) - यदि उत्तरोत्तर वृद्धि की डिजाइन (recurring design) में भराव के सूत्रों की अपेक्षा ताने के सूत्र अधिक दिखाई दें तो वह ताना-मुखी ट्वील (Warp Face Twill) है। जब वस्त्र के ऊपर ताने के सूत्रों की अपेक्षा भराव के सूत्र अधिक दिखें तो वह बाना मुखी ट्वील (Filling Face Twill) कहलाती है। ताना मुखी ट्वील सामान्यतः बानामुखी ट्वील की अपेक्षा मजबूत होती है क्योंकि वस्त्रों के सामने की ओर मजबूत ताने के सूत्र वस्त्र को अधिक रगड़ एवं घिसावट के प्रति प्रतिरोधक बनाते हैं। ताना मुखी वस्त्र अपना आकार अच्छी तरह बनाए रखते हैं क्योंकि ताने के सूत्रों में अधिक ऐंठन और तन्यता होती है।

4. तिरछी रेखा की दिशा के आधार पर (According to the Direction of the Diagonal) - जब ट्वील बुनाई की तिरछी रेखा वस्त्र के ऊपर बाएँ हाथ की ओर से नीचे की ओर आकर दाएँ हाथ की ओर गति करती है, तो यह बाएँ हाथ की ट्वील (left hand twill) कहलाती है। जब तिरछी रेखा की दिशा वस्त्र के ऊपर सीधे हाथ की ओर से नीचे आकर बाएँ हाथ की ओर गति करता है, तो वह दाएँ हाथ की ट्वील (right hand twill) कहलाती है। यद्यपि इन दोनों के इस अन्तर का कोई लाभ नहीं है, तिरछी रेखा की दिशा वस्त्र के मुँह (face) या ऊपरी भाग को निर्धारित करने में सहायक होता है।

5. हारनेसों की संख्या के आधार पर (Accordding to the Number of Harnesses Required) - ट्वील बुनाई हेतु कितने हारनेसों की आवश्यकता होगी इसके आधार पर भी इसे वर्गीकृत किया जता है। शब्द "शाफ्ट" (Shaft) "हारनेस" (Harness) शब्द का प्रतिस्थाकप है अतः इन्हें तीन शाफ्ट वाली या चार शाफ्ट वाली ट्वील (Three Shaft or Four Shaft Twill) बुनाई कहा जाता है।

 

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चित्र - बाएँ हाथ की ट्वील (Left hand twill)

6. ताने एवं भराव के सूत्रों के गूंथने की क्रिया के आधार पर (In Terms of the Interlacing of the Warp and Filling Yarn) - ताने के धागों के ऊपर और नीचे से ट्वील बुनाई किस प्रकार गूँथी जाती है इसके आधार पर भी इसे अभिव्यक्त किया जाता है। उदाहरण-एक असमान चार शाफ्ट वाली ट्वील को जिसमें एक ताने का धागा तीन भराव के सूत्रों के ऊपर से जाता है उसे तीन ऊपर और एक नीचे (Three up and one down) या 3/1 कहा जाता है। इसी प्रकार तीन शाफ्ट वाली ट्वील में एक ताने का धागा दो भराव के सूत्रों के नीचे से ऊपर की ओर आता है उसे एक ऊपर और दो नीचे या 12 कहा जाता है।

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चित्र - दाएँ हाथ की ट्वील (Right hand twill)

ट्वील बुनाई की संरचना में कई संयोग एवं भिन्नताएँ सम्भव हैं। इससे रुचिप्रद नमूने के प्रभाव उत्पन्न होते हैं जिन्हें कि विभिन्न रंगों एवं पोत के सूत्रों द्वरा और अधिक बढ़ाया जा सकता है।

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चित्र - वील बुनाई की विभिन्न डिजाइनें-
(a) और (b) टूटी हुई ट्वील (हेरिंग बोन) (broken twills, herring bone)
(c) गैबरडीन (gabardine) और (d) कॉर्क स्कू ट्वील (Corkscrew twill)

ट्वील बुनाई के वस्त्र (Fabrics in Twill weave) - यद्यपि हल्के वजन के वस्त्रों में भी ट्वील बुनाई पाई जाती है किन्तु अधिकांश ट्वील बुनाई के वस्त्र मध्यम वजन के होते हैं। तन्तु, सूत्र, संरचना और परिसज्जा के आधार पर यह विस्तृत श्रेणी में पहनने के वस्त्रों जैसे-ड्रेसेस, सूट और कोट हेतु एवं गृह परिसज्जा जैसे-ड्रेपरी और अपहोलस्ट्री में उपयोग में लाई जाती है।

 

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चित्र - ताना मुखी सेटिन बुनाई (Warp Face Satin Weave)

बिन्दु वाली डिजाइन में सफेद चौकोर दर्शा रहे हैं कि कहाँ से ताने के सूत्र बाने के सूत्रों के नीचे जा रहे हैं। सूत्र का रेखाचित्र- (अ) पाँच शाफ्ट संरचना, ताने का सूत्र प्रत्येक पाँचवे बाने के साथ गूँथता है। (ब) आठ शाफ्ट संरचना, (स) बारह शाफ्ट संरचना।

बिन्दुवाली डिजाइन सूत्र का रेखाचित्र-

 

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चित्र - बाना मुखी सेटिन बुनाई (Filling Face: Satin Weave)

बिन्दु वाली डिजाइन में काले चौकोर दर्शा रहे हैं कि कहाँ से बाने के सूत्र ताने के सूत्रों के नीचे से जा रहे हैं। (अ) पाँच शाफ्ट संरचना, (ब) आठ शाफ्ट संरचना, (स) बारह शाफ्ट संरचना।

स्टेपल सूत्रों से बने वस्त्रों में सामान्यतः बाएँ हाथ की ट्वील का उपयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत केन्टन फ्लेनल (Canton Flannel), कोवर्ट क्लॉथ (Covert Cloth), डेनिम (Denim), गेबर्डीन (Gabardine), जीन (Jean), खाकी (khaki) आदि वस्त्र आते हैं।

ट्वील बुनाई लिनन के उत्पादन हेतु उपयोग में नहीं लाई जाती है क्योंकि लिनन के सूत्र में प्राकृतिक रूप से मजबूती होती है। ऊनी वस्त्रों में सामान्यतः दाएँ हाथ की ट्वील बुनाई उपयोग में लाई जाती है जैसे- ब्रॉड क्लॉथ (Broad Cloth), कश्मीरे (Cashmere), कोवर्ट (Covert), फ्लेनल (Flannel), गेबर्डीन (Gabardine), मेल्टॉन (Melton), सर्ज (Serge), ट्वीड (Tweed) आदि आते हैं।

फिलामेन्ट सूत्र से बने वस्त्रों को भी दाएँ हाथ की ट्वील बुनाई से बनाया जता है। इसके अन्तर्गत सिल्क सर्ज (Silk Serge) और सुराह (Surah) आते हैं।

सेटिन बुनाई और साटिन बुनाई (Sastin & Sateen Weave) - सेटिन बुनाई वह बुनाई है जिसमें ताने का सूत्र चार भराव के सूत्रों के ऊपर से तैरता हुआ (4/1) पाँचवें भराव के सूत्र के साथ गूँथा जाता है। साथ ही बढ़ते क्रम में यह दाएँ या बाएँ ओर के दो ताने के सूत्र को छोड़कर गूंथा जाता है। सेटिन बुनाई तीसरी आधार बुनाई है जोकि सामान्य करघे पर बनाई जाती है और इस बुनाई से बने वस्त्र सेटिन (Satin) और साटिन (Sateen) कहलाते हैं।

आधार संरचना में, सेटिन बुनाई ट्वील बुनाई के समान होती है किन्तु ट्वील में चार शाफ्ट बुनाई होती है जबकि सेटिन बुनाई में पाँच से लेकर बारह शाफ्ट तक संरचना होती है। यह रूप में भी ट्वील बुनाई से भिन्न होता है क्योंकि सेटिन बुनाई में तिरछी रेखा दृष्टिगत नहीं होती है, उसमें जानबूझकर रुकावट डाली जाती है ताकि वस्त्र की चपटी, चिकनी व चमकदार सतह प्राप्त हो सके। वस्त्र के सामने की ओर कोई भी डिजाइन दृष्टिगत नहीं होती है क्योंकि सतह पर फेंके जाने वाले सूत्र संख्या में अधिक व गणना में महीन होते हैं अपेक्षाकृत वस्त्र के उल्टे भाग के।

सेटिन बुनाई में गुँथाई कम होती है किन्तु सूत्र बहुत पास-पास पेक रहते हैं जिससे उच्च गणना वाला वस्त्र तैयार होता हैं अतः यह वस्त्र असन्तुलित होते हैं किन्तु उच्च गणना वाले होने से सन्तुलन की कमी को पूरा कर देते हैं।

सेटिन और साटिन वस्त्रों की सीधी और उल्टी साइड होती है। उच्च सूत्र गणना होने के कारण उसे मजबूती, टिकाऊपन, बॉडी दृढ़ता और वायु अवरोधकता प्राप्त होती है। कम गूँथने से उसमें तन्यता और सलवट प्रतिरोधकता आती है यद्यपि इसमें सूत्र के खिसकने व खिंचने की सम्भवना होती है।

जब ताने का सूत्र सतह को ढकता है, तब वस्त्र ताना मुखी वस्त्र या सेटिन (Satin) कहलाता है और इसमें ताने की गणना उच्च होती है। जब बाने का या भराव सूत्र सतह पर तैरते हैं तब वस्त्र बाना मुखी वस्त्र या साटिन (Sateen) कहलाता है जिसमें बाने या भराव के सूत्र अधिक होते हैं। इस प्रकार यह बुनाई दो प्रकार की होती है-

(1) तानामुखी या सैटिन बुनाई (Warp face satin weave)
(2) बानामुखी या साटिन बुनाई (Filling face और weft face sateen weave)

तानामुखी सेटिन बुनाई (Warp face satin weave) - तानामुखी सेटिन बुनाई स तरह बुनी जाती है ताकि ताने के धागे सतह पर दिखाई दें। उदाहरणार्थ- पाँच शाफ्ट वाली बुनाई में, ताने का धागा चार बाने के धागे के ऊपर से गुजरकर एक बाने के धागे के नीचे से पुनः ऊपर आता है, इसी प्रकार बारह शाफ्ट बुनाई में ताने का धागा ग्यारह भराई या बाने के धागे के ऊपर से गुजरकर फिर एक बाने के नीचे से निकलता है। चूँकि ताने का धागा सतह पर रहता है और एक बार में केवल एक बाने के धागे के साथ गूँथा जाता है, भराई के मध्य ताने की लम्बाई को तैरना (floats) कहा जाता है। यह तैरते हुए धागे सतह पर बहुत घने बुने हुए होते हैं। इसमें से होने वाले प्रकाश के परावर्तन के कारण सैटिन के वस्त्रों में प्राथमिक गुण चमक का होता है, जोकि ताने की दिशा की ओर होता है।

सेटीन बुनाई के लम्बे तैरते हुए धागे हानिकारक होते हैं क्योंकि यह दर्शाते हैं कि न्यूनतम गूंथने की क्रिया की गई है, जिसके कारण वस्त्र कमजोर हो जाता है। साथ ही वस्त्र के चिकनेपन और चमक को बढ़ाने के लिए धागे में न्यूनतम ऐंठन दी जाती है और इस कारण भी वस्त्र तुलनात्मक रूप से कमजोर हो जाता है। फिर भी इनमें पाई जाने वाली चमक के कारण वस्त्र विशिष्ट ड्रेस बनाने के लिए उपयुक्त होता है ओर इसके चिकनेपन के कारण इन्हें अस्तर के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।

सेटिन बुनाई वाले वस्त्र अच्छी तरह लटकते हैं, क्योंकि इसकी बुनाई ट्वील बुनाई की अपेक्षा भारी होती है जबकि ट्वील बुनाई सादी बुनाई से भारी होती है। सेटिन बुनाई हेतु अधिक हारनेसों का उपयोग किया जाता है, अतः वस्त्र के दिये हुए स्थान में अधिक मात्रा में महीन धागे बुनते हैं। यह घनापन वस्त्रों को अधिक आकार व साथ ही कम छिद्रमयता प्रदान करता है, जिससे वस्त्र गर्म होता है। लटकनशीलता के गुण के कारण सेटिन वस्त्रों को सान्ध्यकालीन परिधान हेतु उपयोग में लाया जा सकता है और इसके गर्मपन के कारण यह अस्तर के वस्त्रों हेतु उत्तम होता है।

सेटिन बुनाई की डिजाइन बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि हर अगली रेखा में गूंथने की क्रिया को उपयुक्त अन्तर द्वारा भिन्न कर देना चाहिए ताकि एकदम तिरछापन आने से बचाया जा सके। जब किसी भी शाफ्ट बुनाई को उपयुक्त अन्तर का चुनाव किया जाये, तो स्वयं डिजाइन को कभी भी तब तक नहीं दोहराना चाहिए जब तक कि इच्छित शाफ्ट को बनाने वाले अगले तानों का गूँथ नहीं लिया जाये। उदाहरणार्थ- पाँच शाफ्ट वाली बुनाई में, डिजाइन को हर छठी लाइन में दोहराया जाता है, आठ शाफ्ट वाली बुनाई में नवी लाइन में और बारह शाफ्ट वाली डिज़ाइन में, तेरहवीं लाइन में डिजाइन को दोहराया जाता है।

तानामुखी सेटीन बुनाई के वस्त्र (Fabric in warp-face Satin Weave) - मध्यम वजन वाले कई वस्त्रों को सेटिन बुनाई द्वारा बनाया जाता है। उसमें लघु आकारीय तन्तु और फिलामेन्ट धागों व दोनों का उपयोग किया जाता है।

लघु आकारीय तन्तुओं को अधिकतर कपास और रेयॉन तन्तु हेतु उपयोग में लाया जाता है जिससे डमस्क, सेटीन, टीकिंग और बेनेशियल वस्त्र बनाये जाते हैं जिनका उपयोग पहनने और गृह परिसज्जा हेतु उपयोग में लाये जाते हैं। लिनन पर इस बुनाई का उपयोग करके डमस्क वस्त्र गृह परिसज्जा हेतु बनाये जाते हैं, विशेषकर टेबल क्लॉथ हेतु।

रेशम, रेयॉन, एसीटेट और नायलॉन फिलामेन्ट धागों पर इस बुनाई का उपयोग कर ब्रोकेड, डमस्क, सेटिन आदि वस्त्र बनाये जाते हैं।

बानामुखी या साटिन बुनाई (Filling or Weft Face or Sateen Weave) - साटिन चमकदार वस्त्र होता है जो स्पन सूत्रों से बनाया जाता है। स्टेपल तन्तु से चमक प्राप्त करने हेतु इनके सूत्रों में कम ऐंठन दी जाती है और इनसे तैरती हुई सतह बनाई जाती है। यह सूत्र बाने के या भराव सूत्र होते हैं क्योंकि यदि ताने के सूत्रों को निम्न ऐंठन वाला बनाया जाये तो यह चमक तो उत्पन्न करता है, किन्तु सूत्र बुनाई के ताने को सहने हेतु पर्याप्त मजबूत नहीं होता है। इस बुनाई में रेजिन परिसज्जा (Resin Finish) - का भी उपयोग किया जाता है जोकि वस्त्र की चमक में वृद्धि करती है और उसे मजबूत बनाती है।

चिकने चमकदार सूती वस्त्रों को बानामुखी साटिन के वस्त्रों का उपयोग ड्रेपरी और ड्रेस हेतु किया जाता है। यह धुने हुए सूत्रों से भी बनाये जाते हैं जिनमें भराव के धागों की उच्च गणना होती है। इनमें सूत्रों का आकार छपाई वाले वस्त्रों के समान ही होता है, किन्तु भराव के सूत्रों में कम ऐंठन होती है और यह बाने के सूत्रों से आकार में बड़े होते हैं।

 

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
  2. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
  3. प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
  4. प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
  5. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
  6. प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
  7. प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
  8. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
  9. प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
  10. प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
  12. प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
  14. प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
  16. प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  17. प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  18. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
  19. प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
  20. प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  21. प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
  25. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
  27. प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
  28. प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  29. प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
  30. प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
  33. प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
  34. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
  35. प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
  37. प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
  38. प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
  39. प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
  42. प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  43. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
  44. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  49. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  50. प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
  51. प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
  52. प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
  53. प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
  54. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  56. प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
  57. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  59. प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
  60. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  63. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  65. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
  66. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
  68. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
  71. प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
  73. प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
  74. प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  75. प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  76. प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  77. प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
  78. प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
  80. प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
  81. प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
  82. प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
  84. प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
  85. प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
  86. प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
  88. प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
  90. प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
  91. प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
  92. प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
  93. प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
  94. प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
  96. प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
  97. प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
  98. प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
  99. प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
  100. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
  101. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।

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