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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2782
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।

उत्तर-

वस्त्रों को रंगों द्वारा सजाकर उन्हें सुन्दर और आकर्षक बनाया जाता है। रंगाई की क्रिया करने के लिए वस्तु को रंग के घोल में डुबाया जाता है। जब वस्त्र तैयार नहीं होते हैं अर्थात् वह धागे के रूप में होते हैं, तब भी उन्हें रंगा जाता है अथवा वस्त्र कच्ची अवस्था (Raw Stage) में भी रंगे जाते हैं। इसके किसी भी अवस्था में रंगा जाये, रंगने के लिए इन्हें रंग के घोल में डुबोया जाता है।

रंगने की अवस्थाएँ (States of Dyeing)-

(i) रेशों की रंगाई (Raw - Stock Dyeing) - जब रेशों को उसकी कच्ची अवस्था में ही रंगा जाता है तो रंग रेशों के भीतर तक प्रवेश कर पाता है, इससे सारे स्थानों पर रंग एक समान रूप से चढ़ता है। ऐसी अवस्था में रंग एकदम पक्का होता है तथा जब इन रेशों से वस्त्र का निर्माण किया जाता है तो वस्त्रों का रंग एकदम पक्का और टिकाऊ होता है। ऊन के रेशों की रंगाई को कच्ची अवस्था में ही किया जाता है, जिससे उन पर चढ़ने वाला रंग एकदम पक्का हो और जब इस ऊन से वस्त्र (स्वेटर) का निर्माण किया जाए तो उस वस्त्र का रंग भी पक्का रहे और धुलाई के दौरान इसका रंग ना निकले। ऊनी रेशों की रंगाई के लिए टॉप-डाईंग (Top Dyeing) विधि का उपयोग किया जाता है।

(ii) लच्छियों की रंगाई (Skein-dyeing) - जब रेशों से बटकर धागों का निर्माण हो जाता है, तब इन धागों से लच्छियों को तैयार किया जाता है। उसके बाद धागों से तैयार इन लच्छियों को रंगा जाता है। लच्छियों को रंगने के लिए इन्हें एक गोलाकार रॉड (Rod) के ऊपर चढ़ा दिया जाता है। रॉड को, जिसके ऊपर लच्छियाँ चढ़ायी जाती हैं, उन्हें रंग के बर्तन में इस प्रकार से फिट किया जाता है कि वह लगातार घूमता रहे तथा रॉड के साथ-साथ लच्छियाँ भी रंग में हर तरफ से डूबती रहे और इन लच्छियों पर रंग भली-भांति चढ़ता रहे। इस प्रकार रॉड के निरन्तर घूमने से लच्छियों पर रंग चढ़ता रहता है। लच्छियों पर जो रंग चढ़ता है वह गहरा और सुन्दर (Deeper and Richer) चढ़ता है। इस विधि द्वारा धागों की लच्छियों पर पक्का रंग चढ़ता है और जब इन विभिन्न रंगों से रंगी लच्छियों का उपयोग वस्त्रों के निर्माण में करते है तो इससे तैयार वस्त्र सुन्दर और आकर्षक होने के साथ-साथ रंग के भी पक्के होते हैं। इसलिए लच्छियों की अवस्था में रंगाई करना ज्यादा अच्छा होता है। वस्त्र को तैयार करके इसके बाद इस पर रंगाई का कार्य करने से वस्त्रों पर चढ़ने वाले रंग पक्के और टिकाऊ नहीं होते हैं। क्योंकि तैयार वस्त्रों को रंगने से उनकी बुनाई तथा धागों की बटाई ये दो बाधाएं रंगों के प्रवेश मार्ग में आ जाती हैं और वस्त्रों पर रंगाई का कार्य उचित ढंग से नहीं हो पाता है इसके परिणाम स्वरूप जब वस्त्रों को धोया जाता है तब रंग कच्चा होने की वजह से गिरता है तथा इस प्रकार से वस्त्र की सुन्दरता तथा आकर्षण समाप्त हो जाता है।

(iii) तैयार वस्त्र की रंगाई (Piece Dyeing) - यह अंतिम अवस्था की रंगाई होती है। जब वस्त्र पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं, ऐसी अवस्था में कपड़ों की रंगाई करने में कुछ लाभ होते हैं तथा कुछ हानियाँ होती हैं। इसके बावजूद वस्त्रों को रंगने की यह सबसे अधिक प्रचलित विधि है। इसका एक कारण यह है कि इस अवस्था में कपड़ों को रंगने से वर्तमान में चल रहे फैशन का भी पता रहता है और आधुनिक फैशन का अनुसरण करते हुए कपड़ों को रंगा जा सकता है। इस अवस्था में कपड़ों को रंगने से एक रंग को बदलकर दूसरे रंग में परिवर्तित किया जा सकता है और ऐसा करने में कोई दिक्कत भी नहीं आती है। जब वस्त्रों को तैयार अवस्था में रंगा जाता है तब इसे किसी भी फैशन के अनुसार, जो भी उस समय प्रचलित हो।, उसके अनुरूप सहज ही रूपांतरित किया जा सकता है। तैयार वस्त्रों को रंगने में एक लाभ ये भी होता है कि इसे मौसमी रंगों (Current Seasonal Colours) के अनुरूप भी रंगा जा सकता है। इसे बड़ी ही सहजता के साथ मौसमी रंगों में रंगा जाता है। जिस रंग का प्रचलन है या जिन रंगों की मांग अधिक हो वस्त्रों की रंगाई करते समय आसानी से उस रंग का चुनाव कर सकते हैं। तैयार वस्त्रों को बड़ी सरलता से मांगवाले रंगों (Colours in Demand) के अनुरूप तैयार किया जा सकता है। जिस रंग की अधिक मांग हो, वस्त्रों की रंगाई उसी रंग से कर दी जाती है, ये कार्य तैयार वस्त्र की रंगाई पर ही संभव हो सकता है। जब धागों या रेशों को पहले से ही रंगा जा चुका होता है, तब यह कार्य नहीं हो सकता है।

तैयार वस्त्रों पर रंगाई करने से कुछ हानियाँ भी होती हैं जैसे-तैयार वस्त्रों की रंगाई के बाद रंग उतने पक्के नहीं चढ़ते हैं जितने की रेशों की रंगाई (प्रथम अवस्था) तथा लच्छियों की रंगाई (द्वितीय अवस्था) के बाद चढ़ते हैं। जब वस्त्रों की रंगाई का कार्य वस्त्रों के तैयार होने के बाद किया जाता है तब ऐसे वस्त्रों का रंग कुछ ही धुलाई के बाद धुंधला पड़ जाता है तथा इससे वस्त्रों की सुन्दरता तथा आकर्षण भी समाप्त हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऐसी रंगाई में रंग का प्रवेश भीतर तक नहीं हो पाता है तथा रंग केवल वस्त्र की सतह को ही पकड़ पाते हैं। वस्त्रों पर रंगों के चढ़ने में बटाई तथा बुनाई बाधा उत्पन्न करती है। रंग के प्रवेश को जाँचने के लिए वस्त्र के धागे को उधेड़कर उसकी बटाई को खोलकर देख लेना चाहिए कि रंग अंदर तक प्रवेश कर पाया है या नहीं और यह रंग कितना टिकाऊ है।

वस्त्रों को रंगने की विधि का वर्णन उनके लेबल पर अंकित किया जाता है। इनके गुण-दोषों की समझ रखने वाला व्यक्ति वस्त्रों को खरीदते समय टिकाऊ रंगों का चुनाव बड़ी ही सूझ-बूझ के साथ कर सकता है। वस्त्र विज्ञान का ज्ञान वस्त्रों तथा उनके रंगों के चुनाव में हमारा मार्गदर्शन कर सकता है तथा हमें अच्छे तथा अधिक समय तक चलने वाले वस्त्रों को प्राप्त करने के तरीके से अवगत करता है। वस्त्रों पर अंकित लेबल को पढ़कर उन्हें समझने के लिए भी वस्त्रों के विषय में ज्ञान होना आवश्यक होता है। बिना वस्त्रों की समझ के हम लेबल को पढ़कर भी सही अंदाजा नहीं लगा सकते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
  2. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
  3. प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
  4. प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
  5. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
  6. प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
  7. प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
  8. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
  9. प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
  10. प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
  12. प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
  14. प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
  16. प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  17. प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  18. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
  19. प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
  20. प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  21. प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
  25. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
  27. प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
  28. प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  29. प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
  30. प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
  33. प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
  34. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
  35. प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
  37. प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
  38. प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
  39. प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
  42. प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  43. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
  44. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  49. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  50. प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
  51. प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
  52. प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
  53. प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
  54. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  56. प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
  57. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  59. प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
  60. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  63. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  65. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
  66. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
  68. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
  71. प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
  73. प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
  74. प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  75. प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  76. प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  77. प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
  78. प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
  80. प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
  81. प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
  82. प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
  84. प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
  85. प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
  86. प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
  88. प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
  90. प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
  91. प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
  92. प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
  93. प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
  94. प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
  96. प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
  97. प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
  98. प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
  99. प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
  100. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
  101. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।

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