लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2782
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 4

छपाई

(Printing)

प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।

अथवा
कितने प्रकार की छपाई द्वारा वस्त्रों की परिसज्जा की जा सकती है?

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. ब्लॉक व स्क्रीन छपाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
2. छपाई की दो विधियाँ बताइये।
3. छपाई की किन्हीं चार विधियों का वर्णन कीजिए।
4. स्क्रीन व स्टेनसिल छपाई में अन्तर बताइए।
5. स्क्रीन छपाई पर टिप्पणी लिखिए।
6. डुप्ले छपाई पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर -

छपाई की विधियाँ
(Methods of Printing)

छपाई की मुख्य विधियाँ निम्नलिखित हैं-

1. रोलर छपाई (Roller Printing) - उभरे हुए नमूनेदार बेलनों द्वारा वस्त्रों पर नमूने छापने की पद्धति को रोलर छपाई कहा जाता है। रोलर छपाई के माध्यम से बहुत ही कम समय में हजारों मीटर विभिन्न रंगदार डिजाइन वाले वस्त्र तैयार किये जा सकते हैं। रोलर छपाई में रोलर पर छपाई का नमूना उभरा हुआ होता है तथा उसमें हम जिस रंग का प्रयोग करना चाहें कर सकते हैं। नमूने के लिए कई डिजाइनों के रोलर होते हैं तथा हम आवश्यकतानुसार रोलरों को बदल सकते हैं।

बेलनों पर नमूना उभारने का कार्य हाथों द्वारा किया जाता है। कुछ अच्छे कारीगर इस नमूने को ताँबे के बेलनों पर अंकित कर देते थे। आधुनिककाल में नमूने पेन्टाग्राफ विधि द्वारा बनाये जाते हैं। प्रत्येक बेलन पर नमूना अंकित करने के पश्चात् उसे चिकना करने के लिए पॉलिश की जाती है, ताकि रंग उभरे हुए क्षेत्र पर समान रूप से फैल सके। एक मशीन में एक साथ 16 बेलन तक लगाये जा सकते हैं। इन बेलनों में अतिरिक्त रंग को हटाने के लिए एक ब्लेड भी होता है। जब वस्त्र बेलनों के बीच से होकर गुजरता है तो नमूना छप जाता है।

2. ठप्पा छपाई (Block Printing) - वस्त्रों पर नमूने छापने की यह सबसे प्राचीन हस्तविधि है। व्यावसायिक दृष्टि से यह विधि उपयुक्त नहीं होती क्योंकि यह बहुत धीमी विधि है अतः इससे बड़े पैमाने पर उत्पादन सम्भव नहीं होता तथा इससे बने वस्त्र महँगे होते हैं। ब्लॉक छपाई या ठप्पा छपाई का प्रयोग उन स्थानों पर किया जाता है जहाँ पारिश्रमिक कम होता है। सामान्यतः कम लम्बाई वाले वस्त्रों में ब्लॉक छपाई की जाती है।

ब्लॉक छपाई करने के लिए पहले नमूने को लकड़ी या धातु के ठप्पे (block) पर उभार लिया जाता है अर्थात् लकड़ी में लगभग चौथाई इंच गहरे नमूने गोद दिये जाते हैं। ब्लॉक के ऊपरी भाग पर रंग की लेई लगायी जाती है। इस लेई लगे हुए ठप्पे को वस्त्र के तल पर निश्चित स्थान पर हाथ द्वारा जोर से दबाया जाता है जिससे उभरा हुआ नमूना वस्त्र पर छप जाता है। रंग की विविधता लाने के लिए जितने अतिरिक्त रंग होते हैं उतने ही अतिरिक्त ठप्पे अंकित करने की आवश्यकता होती हैं। जितने अधिक रंगों का प्रयोग किया जाता है, हाथ के ठप्पों की छपाई उतनी ही अधिक महंगी पड़ती है। इससे नमूने का सौन्दर्य बढ़ जाता है। इस प्रकार की छपाई में बहुत अधिक परिश्रम लगता है। हाथ से ठप्पों की छपाई में नमूनों की आवृत्ति में थोड़ा अन्तर आ जाता है। यह विषमता ही हाथ में ठप्पों या ब्लॉक छपाई की पहचान है। भारत में अभी भी अधिकांश गाँवों में ब्लॉक छपाई की जाती है। इस विधि में वस्त्र को समतल मेज पर फैला दिया जाता है जिस पर कपड़ा बिछा रहता है। रंग के पेस्ट को ट्रे में फैला दिया जाता है तथा नमूने अंकित किये ब्लाकों पर रंग का पेस्ट लगाकर वस्त्र पर नमूने अंकित कर दिये जाते हैं। हैण्डलूम द्वारा निर्मित वस्त्रों पर ब्लॉक द्वारा बहुत अच्छी छपाई होती है।

3. द्विपक्षी छपाई (Duplex Printing) - द्विपक्षी छपाई में वस्त्रों के दोनों पक्षों में एक समान छपाई होती है। द्विपक्षी छपाई में वस्त्र को बेलन छपाई मशीन में से या तो दो बार निकाला जाता है या डुपलैक्स छपाई में से एक बार गुजारा जाता है। इस विधि में वस्त्र के दोनों ओर नमूने की स्पष्ट रूपरेखा अंकित हो जाती है।

4. ब्लॉच छपाई (Bloch Printing) - इस विधि में छपाई करने में रंगदार पृष्ठभूमि के साथ रंगदार नमूने भी छापे जाते हैं। यह दोनों एक ही साथ छापे जा सकते हैं। अधिकांश इस विधि का प्रयोग सूती व लिनन के वस्त्रों में छपाई करने के लिए किया जाता है।

5. विरंजन या निष्कर्ष छपाई (Discharge Printing) - इस छपाई में वस्त्र को पहले वस्त्र के रूप में ही रंग लिया जाता है। इसके बाद किसी रासायनिक पदार्थ द्वारा वस्त्र पर नमूना बनाया जाता है, जिससे नमूने वाले क्षेत्र का रंग निकल जाता है। कभी-कभी क्षारीय रंग को हटाकर उसके स्थान पर अन्य कोई रंग छाप दिया जाता है। छपाई के बाद वस्त्र को अच्छी तरह धोया जाता है क्योंकि यदि नहीं धोया जाएगा तो विरंजन के स्थान पर वस्त्र कमजोर हो जाएगा।

6. अवरोध छपाई (Resist Printing) - इस छपाई में अवरोधक पदार्थों को बेलनों की सहायता से वस्त्र पर नमूने के रूप में लगाया जाता है, जिससे वस्त्र पर अवरोधक नमूना वस्त्र पर छप जाता है। इसके बाद यह वस्त्र रंग के घोल में डुबाया जाता है जिससे अवरोधक नमूने वाले भाग पर रंग प्रवेश नहीं करता है तथा बाकी वस्त्र में रंग चढ़ जाता है। इसके बाद अवरोधक पदार्थ को हटा दिया जाता है तथा उस स्थान पर नमूना बन जाता है। विरंजन छपाई तथा अवरोधक छपाई लगभग एक ही तरह है अन्तर केवल इतना है कि विरंजन छपाई में वस्त्र को पहले पूरा रंग लिया जाता है उसके बाद विरंजन द्वारा नमूने के स्थान का रंग निष्कर्षित कर दिया जाता है जबकि अवरोधक छपाई में पहले नमूने के स्थान पर अवरोधक लेई लगा दी जाती है उसके बाद पूरा वस्त्र रंग में डुबाया जाता है और बाद में अवरोधक लेई को हटा दिया जाता है जिससे नमूना का भाग साफ दिखाई देने लगता है।

7. स्क्रीन छपाई (Screen Printing) - यह साधारणतया पाँच सौ मीटर से पाँच हजार मीटर तक के कपड़ों पर की जाती है। स्क्रीन छपाई भी हाथ के द्वारा की जाने वाली छपाई है। पहले स्क्रीन केवल रेशम से बनाये जाते थे। आजकल स्क्रीन नायलोन, डेक्रॉन तथा धातु से बनाये जाते हैं। स्क्रीन छपाई में नमूनों को बहुत महीन स्क्रीन से उतारा जाता है। प्रत्येक रंग के लिए एक स्क्रीन बनाई जाती है। प्रत्येक स्क्रीन का नमूना हाथ से बनाया जाता है तथा स्क्रीन का जो भाग नमूने का भाग नहीं होता उस पर अभेद्य पदार्थ लगा दिया जाता है। स्क्रीन तैयार करने के बाद उसको लकड़ी या धातु के फ्रेम पर लगाया जाता है।

जिस वस्त्र पर छपाई करनी हो उसे मेज पर फैला दिया जाता है। स्क्रीन को वस्त्र के ऊपर से मेज के किनारों पर धातु के ब्रेकेटों द्वारा लगा दिया जाता है, ताकि स्क्रीन अपने स्थान से हिले नहीं। छपाई की लेई या रंग को स्क्रीन पर डाला जाता है, जिससे नमूने वाले भाग से रंग वस्त्र में प्रवेश कर सके। इसके पश्चात् स्क्रीन को वस्त्र के अगले भाग पर लगाया जाता है तथा इस क्रिया को तब तक दोहराया जाता है, जब तक कि वस्त्र की पूरी लम्बाई में उसी एक रंग की छपाई न हो जाये। प्रत्येक अलग रंग के लिए इस प्रक्रिया को दोहराया जाता है।

हाथ द्वारा स्क्रीन छपाई करने में बहुत समय लगता है। छापने के बाद वस्त्र को सुखाया जाता है। स्क्रीन छपाई में रंग बहुत चमकीले और स्पष्ट आते हैं। इस तकनीक द्वारा नये-नये डिजाइन बनाये जा सकते हैं। स्क्रीन छपाई में अधिकतर ज्यामितीय आकृति वाले नमूने ही उपलब्ध होते हैं।

8. स्टेंसिल छपाई (Stencil Printing) - इस विधि के अन्तर्गत मोम, तेल या वार्निश से चिकने कागज या बारीक धातु की पर्त को नमूने के अनुसार काट लिया जाता है। विभिन्न स्टेन्सिलों का प्रयोग इस प्रकार विनियोजित किया जाता है कि रंग योजना के अनुसार एक के बाद एक प्रयोग होने वाले रंगों से पूर्ण नमूना बन जाए।

9. बाटिक छपाई (Batic Printing) - इस विधि में सबसे पहले वस्त्र पर नमूना उतार लिया जाता है और जहाँ पर रंग नहीं चढ़ाना होता है वहाँ पर मोम लगाया जाता है इसके बाद वस्त्र को ठण्डे रंग के घोल में डुबोया जाता है। मोम लगे स्थान को छोड़कर पूरा वस्त्र रंग जाता है। इसके बाद वस्त्र को सुखा लिया जाता है फिर उष्मा या बेन्डीन द्वारा मोम को भी हटा दिया जाता है। यदि वस्त्र में एक से अधिक रंगों के नमूने बनाने हैं तो इसी विधि को दोबारा करना पड़ेगा। इस विधि की उत्पत्ति जावा में हुई थी।

10. बंधेज छपाई (Tie and Dye) - इस विधि की छपाई में नमूने वृत्ताकार होते हैं। सबसे पहले वस्त्र में गाँठें बांध दी जाती है। इसके बाद वस्त्र की रंगाई की जाती है। यदि वस्त्र में लगी गाँठें कसी हैं तो रंग गाँठों के अन्दर प्रविष्ट नहीं होगा और यदि गांठें ढीली है तो रंग गांठों के अन्दर प्रविष्ट हो जाएगा तथा रंग पूरी गांठ के अन्दर फैल जाएगा जिससे रंग में विषमताएँ आ जाएगी और वस्त्र के नमूने अधिक आकर्षक बनेंगे।

11. स्प्रे प्रिटिंग या कुहार छपाई (Spray Printing) - इस छपाई विधि में वस्त्र पर रंग को मशीनी एयर ब्रुश के साथ लगाया जाता है, जो कि कपड़े पर फुहारा छोड़ता है और वस्त्र में ये फुहारा छप जाते हैं। इसमें कई रंगों का प्रयोग किया जा सकता है।

12. फोटो छपाई (Photo Printing) - इसमें सबसे पहले ऐसे रसायन का लेप लगा .. दिया जाता है जो कि प्रकाश का सुग्राही होता है। इसके बाद इस पर कोई भी फोटो उसी तरह छापी जा सकती है जिस तरह से कागज पर चित्र छापा जाता है। इस छपाई में फोटोग्राफर को सावधान रहना चाहिए जिससे कि स्पष्ट नमूना छापा जा सके।

13. लच्छेदार छपाई -  इस छपाई में तन्तुओं के छोटे-छोटे टुकड़ों को चिपाकाया जाता है जिसे लच्छेदार छपाई कहते हैं। इस छपाई में रंगों के स्थान पर उपयुक्त चिपकाये जाने वाले पदार्थ का प्रयोग किया जाता है। वस्त्र पर नमूना रोलर छपाई द्वारा छापा जाता है। नमूने के ऊपर ऊन, सूत, रेयॉन, विस्कोस तथा नायलॉन के लच्छे वस्त्र पर इस तरह से चिपकाये जाते हैं कि वे सीधे रहें। इससे रोयेंदार मखमली बुनावट का डिजाइन बनता है। ये लच्छे रंगीन तन्तु के होते हैं, जिसके कारण ये सजावट में वृद्धि करते हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
  2. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
  3. प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
  4. प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
  5. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
  6. प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
  7. प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
  8. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
  9. प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
  10. प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
  12. प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
  14. प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
  16. प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  17. प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  18. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
  19. प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
  20. प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  21. प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
  25. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
  27. प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
  28. प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  29. प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
  30. प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
  33. प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
  34. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
  35. प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
  37. प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
  38. प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
  39. प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
  42. प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  43. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
  44. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  49. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  50. प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
  51. प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
  52. प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
  53. प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
  54. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  56. प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
  57. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  59. प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
  60. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  63. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  65. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
  66. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
  68. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
  71. प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
  73. प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
  74. प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  75. प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  76. प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  77. प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
  78. प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
  80. प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
  81. प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
  82. प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
  84. प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
  85. प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
  86. प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
  88. प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
  90. प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
  91. प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
  92. प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
  93. प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
  94. प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
  96. प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
  97. प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
  98. प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
  99. प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
  100. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
  101. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book