बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर -
(Embroidery of Sindh, Kutch,
Kaathiawad and Uttar Pradesh)
सिंघ के कढ़े हुए वस्त्रों पर पंजाब और कच्छ का स्पष्ट प्रभावपरिलक्षित होता है। पंजाब की फुलकारी के रफ-टांकों तथा कच्छ - कढ़ाई के चेन - टांकों केसम्मिश्रण से तैयार सिंध - कढ़ाई का अपना एक विशिष्ट सौंदर्य होता था। प्रायः घर के बुने कत्थई रंग के कपड़े पर नारंगी काले तथा बैंगनी रंग के धागों से कढ़ाई की जाती थी।
कच्छ की कढ़ाई को 'कान्वी' कहा जाता था। इसमें प्रायः 'चेन टांकों का प्रयोग होता था। इनसे गरारे, लंहगे तथा चोली आदि वस्त्र काढ़े जाते थे। नमूनों की रचना कढ़ाई में स्पष्ट रूप से दिखाई देती थी। कढ़ाई कच्चे सिल्क धागों तथा सूती धागों से होती थी।
काठियावाड़ की कढ़ाई में कच्छ एवं सिंध की कढ़ाई का सुन्दर सम्मिश्रण रहता था। इनमें शीशे के नन्हें टुकड़ों को भी लगाया जाता था। चेन तथा साटिन टांके अधिक लोकप्रिय थे। मद्धिम रंग तथा 'स्पष्ट नमूने' इनकी विशेषता होती थी। इस प्रकार की कढ़ाई से गरारा, चोली, लहंगे आदि सुसज्जित किये जाते थे। काठियावाड़ की कढ़ाई लुभावनी तथा दृष्टि को चकाचौंध करने वाली होती थी।
(Chikankari of Uttar Pradesh)
उत्तर प्रदेश में " लखनऊ" (Lucknow) "चिकनकारी" (Chikankari) कढ़ाई के लिए सदा से ही प्रसिद्ध रहा है। यहाँ के चिकनकारी वस्त्र विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। चिकनकारी कढ़ाई में शैडो काम" (Shadow Work) किया जाता है।
चिकनकारी एक प्राचीन कढ़ाई कला है। इसके उद्गम एवं विकास से सम्बन्धित कई कथाएँ एवं किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार मुर्शिदाबाद की राजकुमारी सिलाई, बुनाई एवं कढ़ाई कला में अत्यन्त निपुण थीं। जब इस राजकुमारी की शादी ओथ (Oath) के नवाब से हुई तो उसने अपने पति (नवाब) के लिए चिकनकारी कढ़ाई कला से एक टोपी बनाकर भेंट की। यह टोपी श्वेत मलमल के वस्त्र पर श्वेत रेशमी धागों से बनी हुई थी जो अत्यन्त सौन्दर्यमय एवं अलौकिक लगती थी। नवाब इस टोपी से अत्यन्त प्रसन्न हुआ और तभी से कहते हैं, चिकनकारी कला का विकास हुआ।
श्वेत मलमल के वस्त्र पर श्वेत रंग के धागों से की गई चिकनकारी इतनी आकर्षक एवं सुन्दर लगती थी मानों गंगा-यमुना की पवित्र जलधारा ही वस्त्र पर साकार हो गई हो। रंगों के अभाव होते हुए भी इसके सौन्दर्य की बराबरी और कोई वस्त्र नहीं कर सकता था।
दूसरी किवदंती के अनुसार फैयज खान (Faiz Khan) नामक एक बुनकर (Weaver) अपनी लम्बी यात्रा के दौरान लखनऊ के पास एक गाँव में ठहरना चाहा। उसे जोरों की प्यास लगी थी। अतः उसने मोहम्मद शैर खान (Mohammad Shar Khan) से पानी पिलाने का आग्रह किया साथ ही ठहरने के लिए व्यवस्था करने को कहा। मोहम्मद शैर खान ने उसे सम्मानपूर्वक ठहराया एवं पानी पिलाया। इससे फैयज खान अत्यन्त प्रसन्न हुआ और उसने मोहम्मद शैर खान को "चिकनकारी" की कला सिखायी। अतः मोहम्मद शैर खान को चिकनकारी का जन्मदाता मानते हैं। लखनऊ में आज भी उस्ताद मोहम्मद शैर खांन की मजार पर चिकनकारी करने वाले कलाकार बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति से दर्शन करने जाते हैं तथा नमन करते हैं।
कुछ लोगों का मानना है कि चिकनकारी कढ़ाई कला राजा हर्ष के समय से ही चली आ रही है। उन्हें भी श्वेत मलमल के वस्त्र पर श्वेत रेशमी धागे से की गयी चिकनकारी के वस्त्र अत्यन्त प्रिय थे। मुगलकाल में, जहाँगीर की पत्नी नूरजहाँ ने चिकनकारी कढ़ाई कला का काफी प्रचार-प्रसार किया। इस काल में इस कला का काफी विकास हुआ।
चिकनकारी कढ़ाई अत्यन्त सूक्ष्म, बारीक एवं कोमल होती है। पहले यह केवल श्वेत मलमल के वस्त्र पर श्वेत रेशमी धागों से ही बनायी जाती थी। परन्तु आजकल यह कढ़ाई अन्य वस्त्रों पर भी जैसे 2x2 कैम्ब्रे, और गैन्डी, सिफॉन, जौरजेट, नेट, वायल आदि पर भी बनायी जाती हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के रंगों के सूती एवं रेशमी धागों का भी इस्तेमाल किया जाता है।
चिकनकारी करने से पूर्व वस्त्र पर नमूने ट्रेस (छाप) कर लिये जाते हैं। नमूने प्राकृतिक स्रोत एवं घरेलू उपयोग के दैनिक वस्तुओं पर आधारित होते हैं, जैसे-चावल का दाना, गेहूँ की बाली, फूल, फल (आम), पशु, पक्षी, (मोर, तोता) इत्यादि।
चिकनकारी में मुख्यतः साटिन (Satin) स्टेम (Stem), मूरी (Murri) तथा हेरिंग बोन (Herring bone) टाँके का उपयोग किया जाता है। बखिया एवं विभिन्न टाँकों की मदद से नमूने के अलग-अलग भाग को दर्शाया जाता है। जाली टाँकों से चिकनकारी का काम अधिकतर साड़ियों पर किया जाता है। इसके अतिरिक्त पुरुषों के कुरते, टोपी, कफ, कॉलर, मेजपोश, दुपट्टे, रूमाल, सलवार कुर्ता, ब्लाउज आदि भी काढ़े जाते हैं। चिकनकारी की माँग विदेशों में अधिक है। इसलिए अब इसका व्यवसायीकरण (Commercial) हो गया है तथा वृहत स्तर पर इसे वहाँ के स्त्री-पुरुष दोनों ही बनाते हैं। श्वेत वस्त्र पर श्वेत रेशमी धागों से बने चिकनकारी का सौन्दर्य गंगा-यमुना के पवित्र जल के समान प्रतीत होता है। अतः इस वस्त्र की सौन्दर्य की बराबरी अन्य वस्त्र नहीं कर सकता है। हालांकि आजकल रंगीन वस्त्रों पर रंग-बिरंगे सूती एवं रेशमी धागों से चिकनकारी का काम किया जाता है।
(Types of Chikankari)
लखनऊ की प्रसिद्ध चिकनकारी में निम्नांकित प्रकार के टाँके लिये जाते हैं-
1. बखिया (Bukhia) - यह चिकनकारी का सबसे प्रचलित एवं लोकप्रिय टाँका है। शैडो कार्य (Shadow Work) में वस्त्र की उल्टी तरफ से हेरिंग बोन टाँके (Herring bone Stitch) द्वारा सिलाई की जाती है। यह चपटा टाँका (Flat Stitch) है। कोमल एवं महीन वस्त्रों में, सीधी तरफ से नीचे का टाँका स्पष्ट दिखाई देता है। नमूने की रूपरेखा (One line) पर सीधी तरफ से उल्टी बखिया (Back Stitch) के महीन टाँके द्वारा की जाती है। नमूने में मुख्यतः फूल, पत्तियाँ, पक्षियों आदि के चित्र बनाये जाते हैं।
2. मूरी (Murri) - यह चिकनकारी का गाँठों वाला टाँका (Knot Stitch) है। यह भी एक प्रचलित एवं लोकप्रिय टाँका है। इसमें गाँठें (Knot) अत्यन्त महीन एवं सूक्ष्म बनाये जाते हैं। इन टाँकों के उपयोग से फूल के नमूने में बीच का भाग भरा जाता है जिससे फूल में उभरा - उभरा नमूना दिखता है। मूरी टाँकों से चावल के दाने, गेहूँ की बाली जैसे नमूने भी बनाये जाते हैं। इन टाँकों के साथ खटाऊ टाँकों (Khatau Stitch) के उपयोग करके नमूने में विविधताएँ लायी जाती हैं।
3. फंदा (Phanda) - यह भी मूरी टाँकों के समान ही है। परन्तु इसमें काजवाले टाँकों (Button Hole Stitch) से नमूनों में छोटे-छोटे छिद्र बना दिये जाते हैं। इस टाँके के उपयोग से चावल के दाने, गेहूँ की बाली एवं अन्य अनाजों के नमूने बनाये जाते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि यह फ्रेंच नॉट (French Knot) टाँके का ही दूसरा परिवर्तित रूप है। इसमें उभरे- उभरे नमूने बनते हैं।
4. टेपची (Taipichi) - यह साधारण कच्चा टाँका (Simple Running Stitch) अथवा डार्निंग टाँका (Darrning) है। यह चपटा टाँका (Flat Stitch) है। इसमें सीधी रेखाओं का उपयोग करके फूल-पत्तियों के नमूने बनाये जाते हैं। इसके द्वारा फूल-पत्तियों के नमूने में तिरछी रेखाओं को भरा जाता है। इस टाँके से नमूने बनाने में अत्यधिक समय लगता है। एक धागे से नमूने की बाहरी रूपरेखा पर टाँके डाले जाते हैं। इस टाँके से फूल-पत्तियाँ, कलियाँ आदि के नमूने बनाये जाते हैं।
5. जाली (Net) - चिकनकारी को जाली टाँकों के द्वारा अत्यन्त सुन्दर एवं आकर्षक बनाया जाता है। नमूने में जाली का प्रभाव विकसित करने के लिए धागे का खींचकर तथा कभी- कभी छोटे छिद्रों को चारों ओर से सिलाई करके कस दिया जाता है। इस प्रकार बड़े नमूनों के बीच में जाली बनाकर वस्त्र की सुन्दरता में अतिशय वृद्धि की जाती है।
6. खटाऊ (Khatau) - यह चपटा टाँका (Flat Stitch) है। इस कढ़ाई में शैडो कार्य (Shadow Work) किया जाता है। इसमें वस्त्र की उल्टी तरफ हेरिंग बोन टाँके द्वारा कढ़ाई की जाती है। इस कढ़ाई में सूक्ष्मता, बारीकी एवं महीनता होती है जिसके कारण यह देखने में अत्यन्त सुन्दर एवं आकर्षक लगता है। केलिको वस्त्र पर केलिकों का एप्लीक कार्य (Applique Work) किया जाता है। इसमें मुख्यतः फूल-पत्तियों के नमूने बनाये जाते हैं।
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- प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
- प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
- प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
- प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
- प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
- प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
- प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
- प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
- प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
- प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
- प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
- प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
- प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
- प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
- प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
- प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
- प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
- प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
- प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
- प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
- प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
- प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
- प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
- प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
- प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
- प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
- प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
- प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
- प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
- प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
- प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
- प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।