बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
उत्तर -
'कसूती' कर्नाटक की कढ़ाई है। यह कर्नाटक की कढ़ाई के नाम से जानी जाती है। इस कढ़ाई की लोकप्रियता पूरे देश भर में है। कसूती शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। का + सूती, जिसमें 'का' का अर्थ है 'हाथ' तथा 'सूती' का अर्थ है 'धागा' इस प्रकार से कसूती का अर्थ है "हाथ से की जाने वाली धागे की कढ़ाई"।
शैलजा डी. नायक के अनुसार -
"Kasuti embroidery speaks about the people of Karnataka their tradition, customs and professions. This is an outcome of the honest, Jeolous and innate desire of mankind to practice the beautiful stitches on the articles of every day use."
यह कढ़ाई अत्यन्त प्राचीन काल से वस्त्रों पर की जाती थी। चाणक्य वंश के समय से ही इस कढ़ाई का प्रचलन चला आ रहा है। कसूती कढ़ाई दक्षिण भारत की कढ़ाई है, दक्षिण भारत में चालुक्य, राष्ट्रकूट, पांड्या, चोल एवं पाल्लव (Satvanan) सत्वाहन के द्वारा इस कढ़ाई को अत्यधिक प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। उस काल में कसूती कढ़ाई से अत्यन्त ही सुन्दर पोशाक तैयार किए जाते थे। उस काल से ही कसूती कढ़ाई का प्रचलन बढ गया। कसूती कढ़ाई के मुख्य केन्द्र थे धारवाड़, बीजापुर, कर्नाटक, जामांखडी। भारत में जब मुहम्मद गजनवी का साम्राज्य स्थापित हुआ तब उस समय कसूती कढ़ाई का प्रचलन कम हो गया। 17वीं शताब्दी के बाद से फिर से कसूती कढ़ाई का प्रचलन बढ़ गया राजा महाराजाओं ने इस कढ़ाई को प्रोत्साहन देकर इसको आगे बढाया।
प्राचीन काल में कसूती कढ़ाई काले रंग के वस्त्रों पर की जाती थी महिलाएँ साड़ी व ब्लाउज में इस कढ़ाई को करती थी। इस कढ़ाई के वस्त्रों को महिलाए विवाह के अवसर पर पहनती थी। इस कढ़ाई के वस्त्रों को सुहाग का प्रतीक मानती थी। यह कला वंशानुगत पीढ़ी दर पीढ़ी माँ, चाची, नानी से स्वयं ही हस्तान्तरिक होती रहती थी। कसूती कढ़ाई से सलवार-सूट, साड़ी ब्लाउज, बेड कवर, सोफा कवर, पर्दे आदि पर कढ़ाई की जाती है।
कसूती कढ़ाई के नमूने - कसूती कढ़ाई को करने के लिए वस्त्रों पर नमूनों को छापा नहीं जाता है वरन् इसको ताने व बाने के धागों को गिनकर कढ़ाई की जाती है इसमें धागे की संख्या निश्चित रहती है तथा ताने एवं बाने को गिनकर एक इकाई बनायी जाती है। तथा इस इकाई में परिवर्तन नहीं किया जाता है। इस इकाई के ही द्वारा नमूने की बारीकी तथा नमूने के खुदरापन का पता चलता है। इस कढ़ाई के लिए चटक रंगों का प्रयोग किया जाता है जैसे- लाल, हरा, पीला, नीला, नारंगी। यदि पृष्ठभूमि गहरे रंग की रखी जाती है तो हल्के रंगों से वस्त्रों पर कढ़ाई की जाती है।
इस कढ़ाई में पौराणिक कथाओं पर नमूने आधरित होते हैं। कलात्मक नमूने भी इस कढ़ाई में किए जाते हैं। कसूती कढ़ाई में मुख्य रूप से कमल, रथ शिवलिंग, गोपुरय, हाथी, घोड़ा पशु-पक्षि के चित्र के नमूने की कढ़ाई की जाती है। कसूती कढ़ाई में इन नमूनों को बहुत ही सुन्दरता पूर्वक अंकित किए जाते हैं।
कसूती कढ़ाई के टाँके - कसूती कढ़ाई में निम्नलिखित टांके प्रयोग में लाए जाते हैं।
1. गवन्थी - 'गवन्थी' एक कन्नड़ भाषा का शब्द है यह कन्नड़ भाषा के 'गन्टु' शब्द से बना है। 'गवन्थी' का शाब्दिक अर्थ है "गाँठ"। गवन्थी कसूती कढ़ाई में सबसे ज्यादा लोकप्रिय तथा सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला टाँका है। यह टाँका साधारण दोहरा कच्चा टाँका है। इसमें पहले एक ही पंक्ति में कच्चा टाँका बनाया जाता है तथा दूसरी पंक्ति में कच्चे टाँकें से भरा जाता हैं इस प्रकार के टाँके सीधा, तिरछा, आड़ा, टेढ़ा बनाए जाते हैं। इस टाँके के द्वारा हाथी, कमल, पत्तियाँ आदि नमूने बनाए जाते हैं।
2. नेगी - कसूती कढ़ाई में इस टाँके का भी सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। यह टाँका कुछ-कुछ गवन्थी टाँके की तरह ही है। नेगी शब्द का अर्थ होता है 'बुनाई' | नेगी टाँका भी साधारण कच्चे टाँके की तरह होता है। सर्वप्रथम कढ़ाई में इसका छोटा टाँका लिया जाता है। फिर बड़ा टाँका लिया जाता तथा फिर से छोटा टाँका लिया जाता है। इस टाँके से तिरछा, आड़ा तथा सीधा नमूना बनाया जाता है। नेगी टाँके से बने नमूने वस्त्र पर तैरते हुए से प्रतीत होते हैं। ये टाँके वस्त्र पर छोटे बनाए जाते हैं, बड़े टाँकों में वस्त्र के धुलने में फँसने की सम्भावना ज्यदा होती है। इस टाँके से मोमबत्ती, कमल, मोर, शेर आदि नमूने बनाए जाते हैं।
3. मुर्गी - इस टाँके में एक के बाद एक क्रमशः कच्चे टाँके से नमूना बनाया जाता है। यह टाँका कुछ-कुछ गवन्थी टाँके की तरह ही है। इस टाँके की आकृति सीढ़ीनुमा होती है (Zigzag)। यह टाँके एक समान लम्बाई के होते हैं तथा समान दूरी पर नियमित होते हैं। इस टाँके से चौकोर, सप्तकोण, अष्टमुख, त्रिकोण, सीढ़ीनुमा, फूल आदि के नमूने बनाए जाते हैं। ये टाँके भी वस्त्र में दोनों तरफ एक समानं ही दिखाई देते हैं।
4. मेंथी - ये टाँके क्रास टाँके के समान होते हैं। मेंथी का कन्नड़ भाषा में अर्थ होता है मेंथी का बीज। ये टाँके मेंथी के समान दिखाई देते हैं इसलिए इस टाँके को मेंथी टाँका कहा जाता है। इसके टाँके हेंरिमबोन टाँको से भी मिलते है। मेंथी टाँको से भराई का कार्य किया जाता है। चिकनकारी, फुलकारी तथा कश्मीरी कढ़ाई में थी इस टाँके का प्रयोग अत्यधिक किया जाता है। ये टाँके कढ़ाई में भराई का कार्य करते हैं। इसलिए इस टाँके में धागा ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसके द्वारा जो नमूने बनाए जाते हैं वो है गोपुरम, लैम्प, सूर्यमुखी, हाथी, रामझूला, गणेश, नागदेवता आदि नमूने बनाए जाते हैं।
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- प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
- प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
- प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
- प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
- प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
- प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
- प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
- प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
- प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
- प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
- प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
- प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
- प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
- प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
- प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
- प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
- प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
- प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
- प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
- प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
- प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
- प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
- प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
- प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
- प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
- प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
- प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
- प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
- प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
- प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
- प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
- प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।