लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2782
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।

उत्तर -

मधुबनी चित्रकारी बिहार की अत्यन्त ही प्रसिद्ध चित्रकारी है। यह मुख्य रूप से बिहार मिथलांचल क्षेत्र जैसे मधुबनी, दरभंगा, सीतामणी तथा नेपाल के कुछ हिस्सों में की जाती है। यह चित्रकारी यहाँ प्राचीन काल से ही होती आ रही है। इस चित्रकारी का प्रथम साक्ष्य विद्यापति के द्वारा लिखी हुयी पुस्तक 'कीर्तीपताका' में मिला है सर्वप्रथम यह चित्रकारी रंगोली में की जाती थी। फिर धीरे-धीरे यह वस्त्रों, दीवारों, बैग, कागजों पर की जाने लगी। प्राचीनकाल में यह चित्रकारी महिलाओं के द्वारा की जाती थी परन्तु जैसे-जैसे इस चित्रकारी की प्रसिद्धि बढ़ती गयी वैसे-वैसे इस चित्रकारी को पुरुषों ने भी इसे अपना लिया। इस कला ने बहुत ही कम समय में सबको अपनी ओर आकर्षित कर लिया। यह चित्रकारी अत्यन्त ही घनी बनायी जाती है तथा इस चित्रकारी में जो रंग इस्तेमाल किए जाते हैं वे इन्द्रधनुष के समान दिखाई देते हैं !

मधुबनी चित्रकारी के प्रकार - मधुबनी चित्रकारी को दो भागों में बाँटा गया है.

1. भित्ति चित्र
2. अरिपन या अल्पना

1. भित्ति चित्र - यह चित्रकारी प्राचीन काल से चली आ रही है। इसमें चित्रकारी मिट्टी से बनी दीवारों पर की जाती है। इस चित्रकारी को घर के तीन मुख्य हिस्सों पर बनाया जाता है -

1. भगवान का कमरा
2. नवविवाहितों का कमरा
3. शादी या विशेष उत्सव के स्थान।

इस चित्रकारी में देवी, देवताओं को चित्रों के माध्यम से दिखाया जाता है। इस चित्रकारी में पशु- पक्षियों के चित्र को प्रतीक के रूप में दिखाया जाता है जैसे सुग्गे को काम वाहक के प्रतीक के रूप में, मछली को कामोत्तेजक प्रतीक के रूप में, सिंह को शक्ति का प्रतीक, हाथी घोड़े को एश्वर्य धन के प्रतीक के रूप में दर्शाया जाता है। इसमें पौधों की आकृतियों को भी देखा जा सकता है जैसे केला तथा बाँस का। ये चित्रकारी अधिकांश विवाह के अवसर पर दीवार पर लगाई जाती है जिसे 'कोहबर' कहा जाता है। नवविवाहितों जोड़ों को सर्वप्रथम कोहबर घर में बने हुए सूर्य एवं चन्द्र की आकृतियों के दर्शन कराए जाते हैं जो दीर्घ जीवन के प्रतीक के रूप में बनाए जाते हैं। विशेष अवसरों तथा उत्सवों में इस चित्रकारी से प्राकृतिक तथा रमणीय स्थानों की पेटिंग बनायी जाती है।

2. अरिपन - यह चित्रकारी प्राचीन काल से होती आ रही है। प्राचीन काल में उत्सवों में घर की दीवारों तथा आँगन में यह चित्रकारी करने की परम्परा थी। आँगन में जो चित्रकारी की जाती है उसे अरिपन, कहा जाता है। इस चित्रकारी को बंगाल में अल्पना तथा बिहार में अरिपन के नाम जाना जाता है। किसी भी शुभ कार्य के अवसर में इसे घर की महिलाओं के द्वारा घर के आँगन में बनाया जाता है। इस चित्रकारी को करने के लिए सर्वप्रथम माचिस की तीली व बाँस की कूची को पानी में भिगोया जाता है, भिगोने के कुछ देर बाद इसको अच्छी तरह पीस लिया जाता है इसके पश्चात् थोड़ा पानी मिला कर इसका गाढ़ा घोल तैयार कर लिया जाता है, जिसे 'पिठार' कहा जाता है। इसी पिठार के द्वारा महिलाएँ गाय के गोबर या चिकनी मिट्टी से भूमि पर चित्रकारी करती हैं। यह अरिपन अलग-अलग उत्सवों पर अलग-अलग तरीके से बनाया जाता है। पूजा के अवसर पर इस पर ज्यामितिय, त्रिकोणात्मक नमूने बनाए जाते हैं। विवाह के अवसर पर पत्तियों के नमूने बनाए जाते हैं। इस प्रकार की चित्रकारी में अत्यन्त ही चटक रंगों का प्रयोग किया जाता है तथा इसके लिए जो रंग इस्तेमाल किए जाते हैं उसे प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त किया जाता है।

मधुबनी चित्रकारी का इतिहास - मधुबनी चित्रकारी का इतिहास अत्यन्त ही प्राचीन माना जाता है, कहा जाता है कि राजा जनक ने राम जी सीता जी के विवाह के अवसर पर महिला कलाकारों से वस्त्र बनवाए थे। मिथिला की महिलाएँ इस चित्रकारी में निपुण मानी जाती थीं। वहा के गाँवों में यह चित्रकारी हर घर में देखने को मिल जाती है। यह चित्रकारी बिहार की सांस्कृतिक परम्परा को भी दर्शाती है। मधुबनी जिले के जितवारपुर गाँव की जगदम्बा देवी, सीता देवी और रसीदपुर गाँव की गंगा देवी के साथ मिथिला चित्रकारी को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलवाने में अहम भूमिका निभायी है। महासुंदरी देवी को इस कला में विशिष्ट योगदान के लिए पद्यश्री से भी सम्मानित किया गया है। इस चित्रकारी को विश्व भर में पसन्द किया जाता है। यह कला अपने आप इतना कुछ समेटे हुए है कि आज भी यह कला के कद्रदानों की चुनिन्दा पसंद में से एक है।

मधुबनी चित्रकारी की विधि - इस चित्रकारी के लिए अत्यन्त ही चटक रंगों का प्रयोग किया जाता है। जैसे हरा रंग जो कि पत्तियों से बनाया जाता है, पीला रंग सरसों तथा हल्दी से बनाया जाता, सिंदूरी रंग सिदूंर से, पीपल की छाल से तथा सफेद रंग जो कि दूध एवं चावल से बनाया जाता है। इस चित्रकारी के लिए प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल किया जाता है। इस चित्रकारी को बनाने के लिए माचिस की तीली व बाँस की कलम को प्रयोग में लाया जाता है। इस चित्रकारी में रंग की पकड़ बनाने के लिए बबूल के वृक्ष को गोंद को मिलाया जाता है। इस चित्रकारी में रंगों के समायोजन को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता हैं। आज वर्तमान समय में इस चित्रकारी को करने में रासायनिक रंगों का भी प्रयोग किया जाने लगा है।

वर्तमान समय में मधुबनी चित्रकारी से वस्त्रों के साथ-साथ अनेक उत्पादों पर भी चित्रकारी का प्रयोग किया जाने लगा है। जिसे राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक पसन्द किया जाता है। मधुबनी चित्रकारी सिर्फ चित्रकारी ही नहीं है वरन् यह अपने में एक संस्कृति को भी समेटे हुए रहती हैं यह चित्रकारी बिहार की ऐतिहासिक कला तथा सांस्कृतिक परम्परा को दर्शाती है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
  2. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
  3. प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
  4. प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
  5. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
  6. प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
  7. प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
  8. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
  9. प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
  10. प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
  12. प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
  14. प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
  16. प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  17. प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  18. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
  19. प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
  20. प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  21. प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
  25. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
  27. प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
  28. प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  29. प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
  30. प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
  33. प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
  34. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
  35. प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
  37. प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
  38. प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
  39. प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
  42. प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  43. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
  44. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  49. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  50. प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
  51. प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
  52. प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
  53. प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
  54. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  56. प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
  57. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  59. प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
  60. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  63. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  65. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
  66. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
  68. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
  71. प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
  73. प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
  74. प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  75. प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  76. प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  77. प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
  78. प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
  80. प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
  81. प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
  82. प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
  84. प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
  85. प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
  86. प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
  88. प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
  90. प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
  91. प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
  92. प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
  93. प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
  94. प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
  96. प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
  97. प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
  98. प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
  99. प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
  100. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
  101. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book