बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
उत्तर -
मधुबनी चित्रकारी बिहार की अत्यन्त ही प्रसिद्ध चित्रकारी है। यह मुख्य रूप से बिहार मिथलांचल क्षेत्र जैसे मधुबनी, दरभंगा, सीतामणी तथा नेपाल के कुछ हिस्सों में की जाती है। यह चित्रकारी यहाँ प्राचीन काल से ही होती आ रही है। इस चित्रकारी का प्रथम साक्ष्य विद्यापति के द्वारा लिखी हुयी पुस्तक 'कीर्तीपताका' में मिला है सर्वप्रथम यह चित्रकारी रंगोली में की जाती थी। फिर धीरे-धीरे यह वस्त्रों, दीवारों, बैग, कागजों पर की जाने लगी। प्राचीनकाल में यह चित्रकारी महिलाओं के द्वारा की जाती थी परन्तु जैसे-जैसे इस चित्रकारी की प्रसिद्धि बढ़ती गयी वैसे-वैसे इस चित्रकारी को पुरुषों ने भी इसे अपना लिया। इस कला ने बहुत ही कम समय में सबको अपनी ओर आकर्षित कर लिया। यह चित्रकारी अत्यन्त ही घनी बनायी जाती है तथा इस चित्रकारी में जो रंग इस्तेमाल किए जाते हैं वे इन्द्रधनुष के समान दिखाई देते हैं !
मधुबनी चित्रकारी के प्रकार - मधुबनी चित्रकारी को दो भागों में बाँटा गया है.
1. भित्ति चित्र
2. अरिपन या अल्पना
1. भित्ति चित्र - यह चित्रकारी प्राचीन काल से चली आ रही है। इसमें चित्रकारी मिट्टी से बनी दीवारों पर की जाती है। इस चित्रकारी को घर के तीन मुख्य हिस्सों पर बनाया जाता है -
1. भगवान का कमरा
2. नवविवाहितों का कमरा
3. शादी या विशेष उत्सव के स्थान।
इस चित्रकारी में देवी, देवताओं को चित्रों के माध्यम से दिखाया जाता है। इस चित्रकारी में पशु- पक्षियों के चित्र को प्रतीक के रूप में दिखाया जाता है जैसे सुग्गे को काम वाहक के प्रतीक के रूप में, मछली को कामोत्तेजक प्रतीक के रूप में, सिंह को शक्ति का प्रतीक, हाथी घोड़े को एश्वर्य धन के प्रतीक के रूप में दर्शाया जाता है। इसमें पौधों की आकृतियों को भी देखा जा सकता है जैसे केला तथा बाँस का। ये चित्रकारी अधिकांश विवाह के अवसर पर दीवार पर लगाई जाती है जिसे 'कोहबर' कहा जाता है। नवविवाहितों जोड़ों को सर्वप्रथम कोहबर घर में बने हुए सूर्य एवं चन्द्र की आकृतियों के दर्शन कराए जाते हैं जो दीर्घ जीवन के प्रतीक के रूप में बनाए जाते हैं। विशेष अवसरों तथा उत्सवों में इस चित्रकारी से प्राकृतिक तथा रमणीय स्थानों की पेटिंग बनायी जाती है।
2. अरिपन - यह चित्रकारी प्राचीन काल से होती आ रही है। प्राचीन काल में उत्सवों में घर की दीवारों तथा आँगन में यह चित्रकारी करने की परम्परा थी। आँगन में जो चित्रकारी की जाती है उसे अरिपन, कहा जाता है। इस चित्रकारी को बंगाल में अल्पना तथा बिहार में अरिपन के नाम जाना जाता है। किसी भी शुभ कार्य के अवसर में इसे घर की महिलाओं के द्वारा घर के आँगन में बनाया जाता है। इस चित्रकारी को करने के लिए सर्वप्रथम माचिस की तीली व बाँस की कूची को पानी में भिगोया जाता है, भिगोने के कुछ देर बाद इसको अच्छी तरह पीस लिया जाता है इसके पश्चात् थोड़ा पानी मिला कर इसका गाढ़ा घोल तैयार कर लिया जाता है, जिसे 'पिठार' कहा जाता है। इसी पिठार के द्वारा महिलाएँ गाय के गोबर या चिकनी मिट्टी से भूमि पर चित्रकारी करती हैं। यह अरिपन अलग-अलग उत्सवों पर अलग-अलग तरीके से बनाया जाता है। पूजा के अवसर पर इस पर ज्यामितिय, त्रिकोणात्मक नमूने बनाए जाते हैं। विवाह के अवसर पर पत्तियों के नमूने बनाए जाते हैं। इस प्रकार की चित्रकारी में अत्यन्त ही चटक रंगों का प्रयोग किया जाता है तथा इसके लिए जो रंग इस्तेमाल किए जाते हैं उसे प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त किया जाता है।
मधुबनी चित्रकारी का इतिहास - मधुबनी चित्रकारी का इतिहास अत्यन्त ही प्राचीन माना जाता है, कहा जाता है कि राजा जनक ने राम जी सीता जी के विवाह के अवसर पर महिला कलाकारों से वस्त्र बनवाए थे। मिथिला की महिलाएँ इस चित्रकारी में निपुण मानी जाती थीं। वहा के गाँवों में यह चित्रकारी हर घर में देखने को मिल जाती है। यह चित्रकारी बिहार की सांस्कृतिक परम्परा को भी दर्शाती है। मधुबनी जिले के जितवारपुर गाँव की जगदम्बा देवी, सीता देवी और रसीदपुर गाँव की गंगा देवी के साथ मिथिला चित्रकारी को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलवाने में अहम भूमिका निभायी है। महासुंदरी देवी को इस कला में विशिष्ट योगदान के लिए पद्यश्री से भी सम्मानित किया गया है। इस चित्रकारी को विश्व भर में पसन्द किया जाता है। यह कला अपने आप इतना कुछ समेटे हुए है कि आज भी यह कला के कद्रदानों की चुनिन्दा पसंद में से एक है।
मधुबनी चित्रकारी की विधि - इस चित्रकारी के लिए अत्यन्त ही चटक रंगों का प्रयोग किया जाता है। जैसे हरा रंग जो कि पत्तियों से बनाया जाता है, पीला रंग सरसों तथा हल्दी से बनाया जाता, सिंदूरी रंग सिदूंर से, पीपल की छाल से तथा सफेद रंग जो कि दूध एवं चावल से बनाया जाता है। इस चित्रकारी के लिए प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल किया जाता है। इस चित्रकारी को बनाने के लिए माचिस की तीली व बाँस की कलम को प्रयोग में लाया जाता है। इस चित्रकारी में रंग की पकड़ बनाने के लिए बबूल के वृक्ष को गोंद को मिलाया जाता है। इस चित्रकारी में रंगों के समायोजन को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता हैं। आज वर्तमान समय में इस चित्रकारी को करने में रासायनिक रंगों का भी प्रयोग किया जाने लगा है।
वर्तमान समय में मधुबनी चित्रकारी से वस्त्रों के साथ-साथ अनेक उत्पादों पर भी चित्रकारी का प्रयोग किया जाने लगा है। जिसे राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक पसन्द किया जाता है। मधुबनी चित्रकारी सिर्फ चित्रकारी ही नहीं है वरन् यह अपने में एक संस्कृति को भी समेटे हुए रहती हैं यह चित्रकारी बिहार की ऐतिहासिक कला तथा सांस्कृतिक परम्परा को दर्शाती है।
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- प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
- प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
- प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
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- प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
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- प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
- प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
- प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
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- प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
- प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
- प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
- प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
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- प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
- प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
- प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।