बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
उत्तर -
मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले में चन्देरी कस्बा है। पहाड़ी की तलहटी में स्थित यह कस्बा एक प्राकृतिक खूबसूरती की कहानी कहता है। चन्देरी को आर्थिक एवं सामाजिक स्तर पर बुनकरों के कस्बे के नाम से जाना जाता है। ये बुनकर 'बधवा' कहलाते हैं। चन्देरी साड़ी का नाम इस स्थान के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यहाँ की बुनी नाजुक साड़ियाँ उत्तर भारत में काफी लोकप्रिय हैं। इसे मुस्लिम व कोली समुदाय के बनुकर बनाते हैं। इन्हें आसावली साड़ियाँ भी कहते हैं।
इतिहास - चन्देरी एक पुराना कस्बा है जो कि चारों ओर से दर्शनीय स्थलों से घिरा है। मुगलकाल में चन्देरी साड़ी की तुलना महीन ढाका की मलमल से की जाती थी। स्थानीय बुनकरों के द्वारा जो किस्में बनायी जाती थीं। इसको बारीक 300° काउन्ट के कते हुए धागे से तैयार करने में बुनकर निपुण थे। इन बुनकरों के समूह को 'कतिया' कहते थे।
परवत्ती काल में चन्देरी साड़ी में मेनचेस्टर से आयात होने वाला मिल का धागा (1205 – 200 काउन्ट का) प्रयोग होने लगा। जिसका चन्देरी वस्त्र उद्योग पर काफी प्रभाव पड़ा।
1930 के लगभग चन्देरी में जापानी सिल्क का प्रवेश हुआ जिसे ताने के रूप में काम लेने लगे व बाने में सूती धागा ही रहा। इन दोनों के मिश्रण से विभिन्न प्रकार की साड़ियाँ बनने लगीं।
इन साड़ियों में नाजुक सुनहरे धागों से चौखाने के रूप में पल्लू व बॉर्डर बुना जाता था। डिजाइन सीधी रेखाओं वाले और मुगलकालीन कला में मार्बल की पच्चीकारी होती थी। यह देखने में साधारण रत्नों की जड़ावट सी लगती है। यह साड़ी बहुत मुलायम, हल्की और अर्द्धपारदर्शी होती है।
चन्देरी तकनीक
चन्देरी साड़ी में पहले ताने व बाने में सूती धागों का प्रयोग होता था। बारीक सूती धागे की साइजिंग करने के लिए विशेष प्रकार की जड़ 'कोलीकान्दा' का प्रयोग करते थे। दो-तीन बार धागों पर यह क्रिया करने में धागों में गोलाई व मजबूती के साथ-साथ पॉलिश जैसी चमक आ जाती थी। ये बुनकर लगभग बारह साड़ी का ताना एक साथ तैयार करते थे एवं बाना दो या तीन साड़ी का तैयार करते थे।
इसके बाद सूती धागों को करघे पर चढ़ाकर कंघी से निकालते हैं। डिजाइन के लिए अतिरिक्त बाना और ताना का प्रयोग करते हैं। जटिल बुनाई के लिए दो बुनकरों की जरूरत होती है। पिट लूम की जगह आजकल फ्लाई शटल करघे का प्रयोग होने लगा है।
सन् 1940 तक चन्देरी साड़ी की सतह में प्राकृतिक पीला रंग का धागा होता था। फिर मिश्रा परिवार ने चन्देरी के बाने के धागों को रंगना शुरू किया। रंगे धागे दक्षिण से भी मँगवाये जाते थे। इसमें केसर से रंगी एवं सोने की जरी युक्त बॉर्डर का प्रयोग कर साड़ी बनाते थे जिसका उपयोग अधिकांशतः उच्च वर्ग की महिलाओं द्वारा किया जाता था। ग्राहक की माँग के अनुसार भी रंगाई कर साड़ी बनायी जाती थी। इन साड़ियों में सूती की जगह सिल्क आ जाने के कारण रासायनिक रंगों का प्रयोग होने लगा।
साड़ियों में प्रयुक्त जरी आगरा से मँगवायी जाती थी। चाँदी के तार पर सोने की पॉलिश की हुई जरी को सूती धागों पर लपेटा जाता था, जिसे 'कलावत्तु' के नाम से जाना जाता था। बॉर्डर व पल्लू में इस जरी का प्रयोग करते थे। बाद में सूरत की जरी का प्रयोग होने लगा।
रंग- चन्देरी में जो रंग प्रयोग किये जाते थे उनके स्थानीय नाम प्रकृति से लिये गये। जैसे - केसरी, बादाम, अंगूरी, मोरगर्दनी, तोतई, मेंहदी, रानी, फालसा आदि। बॉर्डर में जरी के साथ लाल, बैंगनी, महरून, गुलाबी, हरे आदि रंगों का प्रयोग कर अलंकृत किया जाता है। साड़ी की मुख्य सतह का रंग हल्का पीला व अब धीरे-धीरे विभिन्न रंगों का प्रयोग होने लगा।
डिजाइन - चन्देरी में पारम्परिक डिजाइन में किनारी को बुना जाता था। पल्लू व किनारे पर विशेष रूप से चन्देरी में पंक्तिबद्ध डिजाइन चलता था जिसमें रुई, फूल, फूलदार, बतासा, चकरी, जई, कैरी, जूही फूल आदि डिजाइन मुख्य थे। चन्देरी साड़ी की पहचान बारीक जरी पट्टी की बुनाई से होती थी। चन्देरी साड़ी में रुई, फूल व चकरी बूटा बीस साल से डिजाइन में प्रयुक्त हो रहा है।
चित्र - 106
इन साड़ियों में बॉर्डर का विशेष महत्व होता था। इनके डिजाइन मुख्य रूप से हासिया किनारी, तीन किनारी, लहरिया, गोल किनारी, पान किनारी आदि से अलंकृत किया जाता है।
'दो चश्मी' साड़ी में दो तरफ किनारे अलग-अलग रंग के होते हैं। सतह में सूती व बॉर्डर में सिल्क धागों से साटिन बुनाई होती थी जिसे 'गंगा-जमुना' साड़ी के नाम
से जाना गया। इसी तरह ताने में सिल्क व बाने में सूती धागों का प्रयोग कर बुनने वाली साड़ी को 'नीमरेशमी' नाम दिया। विशेष रूप से दुल्हन के दुपट्टा को पटला के नाम से जाना जाता था। जिसका उपयोग ओढनी के लिए किया जाता था। इसमें बूटी को सतह पर बुना जाता था। हैण्डलूम के आने से बूँटों को नये-नये रूप में बनाया जाने लगा। इन बूँटों में जरी का प्रयोग होने लगा जिससे साड़ी में आभूषणों जैसा प्रभाव दर्शित होने लगा इसमें कट वर्क का प्रयोग नहीं किया जाता है।
व्यापारिक केन्द्र - चन्देरी साड़ी से जुड़े व्यापारी, इनमें अधिकांश हिन्दू होते थे। जैन लोग यह व्यापार करते थे। विशेष रूप से कलकत्ता, बड़ौदा, पूना, सूरत, कोल्हापुर आदि में इसका व्यापार होता था। दक्षिण में इसके व्यापार को फेरीवालों के द्वारा फैलाया गया। चन्देरी साड़ी की लम्बाई 8 या 9 मीटर भी होती थी। इनका उपयोग महाराष्ट्रीयन महिलाओं द्वारा किया जाता है। आजकल चन्देरी में साड़ी के अलावा सलवार सूट, स्कॉर्फ आदि वस्त्र भी बनाये जा रहे हैं।
बनारस, कलकत्ता, सेलम आदि स्थानों पर आजकल इसकी नकल पर ही साड़ियाँ बनायी जा रही हैं।
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- प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
- प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
- प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
- प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
- प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
- प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
- प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
- प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
- प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
- प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
- प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
- प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
- प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
- प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
- प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
- प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
- प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
- प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
- प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
- प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
- प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
- प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
- प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
- प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
- प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
- प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
- प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
- प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
- प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
- प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
- प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
- प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।