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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2782
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?

उत्तर -

लिनन फ्लाक्स (Flax) के पौधे से प्राप्त किया जाता है। इसे उखाड़कर पानी में डाल दिया जाता हैं जिससे यह फूल जाता है और इनके बाहर की छाल गलकर हट जाती है और इसके अन्दर के रेशें अलग-अलग हो जाते हैं। इसके बाद इसकी सफाई की जाती है और उसके बाद यह वस्त्र बनाने के लिए उपयोगी हो जाता है। लिनन कोमल और मंहगा होता है क्योंकि इसको बनाने में अत्यधिक श्रम लगता है। लिनन के वस्त्र का निर्माण करना एक प्राचीन कला है, यह प्राचीन काल से प्रयोग में लाया जा रहा है। गृहउपयोगी लिनन की खरीदारी करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

लिनन के वस्त्रों से घर की शोभा बढ़ती है तथा यह ऐश्वर्य और वैभव के सूचक भी होते हैं। लिनन को गृहिणी बड़े ही शौक के साथ खरीदती है तथा इसे अपने घर में रखकर गर्व महसूस करती है। लिनन का उपयोग घर में उपयोग करने वाले वस्त्रों में किया जाता है, जैसे 'मेजपोश, तौलिए, तकिए के कवर, बेड की चादर, नेपकिन, सजावट के कपड़े आदि। जिन लिनन के कपड़ों में मिलावट होती है वो उतने सुन्दर नहीं लगते हैं. जितने बिना मिलावट वाले लिनन के कपड़े लगते हैं। लिनन के वस्त्र सुन्दर, मजबूत तथा लम्बे समय तक चलने वाले होते हैं। लिनन के वस्त्र घर के फर्नीचर को और भी सुन्दर बना देते हैं, जब इनसे बने हुए वस्त्रों का आवरण उन पर बिछाया जाता है। लिनन की निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए -

संघटन (Composition) - लिनन के रेशों का बहुत अधिक भाग सेल्युलोज (Cellulose) से बना होता है। इसमें सेल्युलोज की मात्रा 63 से 70% (प्रतिशत) तक होती है। बचे हुए भाग में 25% (प्रतिशत) तक पेक्टीन होता है। उसके बाद बचे हुए शेष भाग में प्राकृतिक अशुद्धियाँ होती हैं, जैसे- लकड़ी के ऊतक आदि।

लम्बाई - लिनन के रेशे लम्बे होते हैं, ये लगभग बारह इंच से लेकर बीस इंच तक : लम्बे होते हैं। इनके पौधों का तना जितना ज्यादा लम्बा होता है, इनके भी उतने ही ज्यादा लम्बे होते हैं। सिल्क को छोड़कर यह अन्य सभी प्राकृतिक रेशों से लम्बा होता है। इनके रेशों का व्यास लगभग 15-18 माइक्रोन तक होता है। लिनन खरीदते समय कई तरह के परीक्षण किये जाते हैं। लिनन के धागे पर कुन्तल परीक्षण करके ये देखा जाता है कि यह सीधा और कड़ा है या नहीं।

कुन्तल परीक्षण (Curl Test) - इस परीक्षण द्वारा लिनन तथा कपास के बीच अंतर किया जाता है। इस परीक्षण को करने के लिए अंगुलियों (सूखी हुई होनी चाहिए) के बीच में धागे के सिरे को दबाकर तथा उसके बाद उसे धीरे-धीरे खींचते हुए बाहर निकालते हैं। लिनन का धागा इस प्रक्रिया में सीधा और कड़ा देखा जाता है। इस प्रकार लिनन के वस्त्र को खरीदते समय उस पर कुन्तल परीक्षण कर लेना चाहिए, जिससे शुद्ध लिनन की पहचान की जा सकती है। गृह प्रयोगी लिनन के वस्त्र खरीदते समय गृहिणी इस परीक्षण को कर सकती है तथा शुद्ध और अशुद्ध लिनन के वस्त्रों की आसनी से पहचान भी कर सकती है।

मजबूती (Strength) - लिनन के धागे सिल्क के बाद सबसे ज्यादा मजबूत होते हैं। यह एक लम्बे समय तक उपयोग में लाने वाले होते हैं। भीगी हुई अवस्था में यह 20 प्रतिशत तक और अधिक मजबूत हो जाते हैं। यह एक प्राकृतिक रेशा होता है। इसकी मजबूती की जाँच करने के लिए नमी परीक्षण (Moisture test) करके देखा जा सकता है।

इस परीक्षण के लिए वस्त्र की सतह को नमी के सम्पर्क में लाया जाता है और उसके बाद देखा जाता है कि यह कितनी शीघ्रता से नमी को सोखता है। इसके द्वारा लिनन तथा सूती वस्त्रों के बीच में अन्तर किया जा सकता है। लिनन शीघ्रता से नमी को ग्रहण कर लेता है। इस परीक्षण द्वारा लिनन की पहचान का सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है क्योंकि इस परीक्षण में कई त्रुटियाँ देखने को मिलती हैं। इस परीक्षण का उपयोग रूमाल आदि में किया जाता है। इस प्रकार नमी परीक्षण का प्रयोग करके यह देखा जाता है कि वस्त्र कितनी शीघ्रता से नमी को सोखता है। गृहिणी वस्त्रों को खरीदते समय इस परीक्षण को करके लिनन की पहचान करने का एक अनुमान लगा सकती है।

तन्यता (Tensile Ttrength) - लिनन के रेशें तनाव को अधिक सहन नहीं कर सकते हैं। अर्थात् लिनन के रेशों में तनाव की सामर्थ्य कम होती है। इसे अगर खींचा जाता है तो यह अधिक फैलता नहीं है और अधिक खींचने के बाद जल्दी ही टूट जाता है। इसलिए गृहिणी लिनन के वस्त्रों को खरीदते समय इसके धागे को खींचकर यह देख सकती है कि यह शीघ्रता से टूटता है या नहीं, अगर शीघ्रता से टूट जाता है तो यह लिनन का वस्त्र हो सकता है।

रंग एवम् चमक (Colour and Lustre) - लिनन का रेशा अपूर्व चमक लिये होता है, इस वजह से यह अलग से ही पहचान में आ जाता है। इसकी चमक सब रंगों में अलग ही होती है और यह आसानी से पहचाना जा सकता है। अविरंजित (Onbleached) फ्लास्क हल्की क्रीम से लेकर गहरे रक्तपीत (Light Cream to Darktan) रंग तक की होती है। इसमें रेटिंग की विधि की वजह से कभी-कभी कुछ अन्तर आ जाता है। वैसे लिनन को देखकर उसकी चमक के द्वारा इसकी पहचान की जा सकती है।

प्रत्यास्थता (Elasticity) - लिनन के रेशों में प्रत्यास्थता का गुण बहुत कम या नहीं ही पाया जाता है। लिनन के वस्त्र बहुत जल्दी ही सिकुड़ जाते हैं या सिलवट पकड़ लेते हैं तथा ये जल्दी ही क्रश हो जाते हैं। प्रत्यास्थता के गुण का अभाव होने के कारण लिनन के कपड़ों की कताई तथा बुनाई करना बहुत ही कठिन हो जाता है। इसकी वजह से इसकी कताई तथा बुनाई करने में हुत अधिक सावधानी रखनी पड़ती है। गृहिणी लिनन के वस्त्रों को खरीदते समय प्रत्यास्थता के गुण को भी देख सकती है।।

प्रतिस्कंदता (Resilency) - लिनन के वस्त्रों में प्रतिस्कंदता (Resilency) का गुण नहीं पाया जाता है। इसी वजह से अगर जब कभी क्रश हो जाता है तो लिनन अपने पूर्णरूप में वापस नहीं आ पाता हैं। बिना इस्तरी किये इसे पहना नहीं जा सकता है। इस्तरी करने पर यह अपने पूर्णरूप में वापस आ जाता है। गृहिणी लिनन के वस्त्रों को खरीदते समय इसे अपने हाथों से एक कोने पर क्रश करके देख सकती है कि ये लिनन है या नहीं।

ताप एवम् वैद्युत संवहन (Heat and Electrical Conductivity) - लिनन ताप का सबसे अधिक संवाहक होता है, जिसकी वजह से यह गर्मी के मौसम के लिए अनुकूल वस्त्र होता है। लिनन के वस्त्रों से शरीर की गर्मी आसानी से बाहर निकल जाती है, इसे पहनने से शरीरं को ठंडक महसूस होती है। इसी वजह से लिनन को एक आरामदायक वस्त्र माना जाता है। गृहिणी लिनन खरीदते समय इस गुण को भी ध्यान में रख सकती है।

सलवट प्रतिरोधक (Crease-Resistant) - लिनन के वस्त्र प्रत्यास्थता विहीन होते हैं जिसकी वजह से यह जल्दी ही सिकुड़ जाते है। इसके लिए शिकन (Creasing Test) के द्वारा लिनन की पहचान की जा सकती है। यह परीक्षण वैसे तो पूर्णरूप से विश्वसनीय नहीं होता है लेकिन फिर भी लिनन की पहचान करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए वस्त्र को अंगुलियों के बीच दबाकर देखा जाता है कि इसकी मोड़ की रेखा कितनी तीखी है और यह रेखा कितनी देर तक रहती है। इस प्रकार गृहिणी लिनन खरीदते समय इसे अपनी अंगुलियों के बीच में दबाकर उससे बनने वाली रेखा को देखकर लिनन की पहचान कर सकती है।

अवशोषकता (Absorbability) - लिनन में नमी को सोखने का गुण होता है, नमी पूरे कपड़े में शीघ्रता से फैल जाती है। इसके बाद यह जल्दी ही सूख भी जाता है। यह पसीने को भी आसानी से सोख लेता है। लिनन के वस्त्रों को खरीदते समय नमी परीक्षण करके इसकी पहचान की जा सकती है।

घर्षण का प्रभाव (Effect of Friction) - लिनन को पानी में भीगो ने पर यह और अधिक मजबूत हो जाता है। इसलिए गृहिणी लिनन के वस्त्रों को खरीदते समय उसके एक कोने को पानी से भिगो के उसकी मजबूती का पता सकती है।

संकुचन (Shrinkage) - इसमें प्रत्यास्थता के गुण की कमी होती है जिसकी वजह से इसमें संकुचन नहीं पाया जाता है।

स्पर्श द्वारा पहचान (Feeling Test) - लिनन के वस्त्रों की पहचान इसे छूकर भी की जा सकती है क्योंकि लिनन का वस्त्र स्पर्श करने पर चिकना महसूस होता है। इसमें चिकनाहट बहुत अधिक होती है। गृहिणी इसे स्पर्श करके लिनन की पहचान कर सकती है। लिनन को स्पर्श करने पर ठंडक महसूस होती है।

इस प्रकार कुछ बातों का ध्यान रखकर गृहिणी लिनन के वस्त्रों का चुनाव कर सकती है। लिनन के रेशे लम्बे तथा मजबूत होते हैं, ये नमी तथा पसीने को आसानी से सोख लेते हैं। ये एक अलग सी चमक लिये रहते हैं इसकी चमक को देखकर लिनन की पहचान आसानी से की जा सकती है। गृहिणी लिनन के वस्त्रों का चुनाव करते समय थोड़ी-सी सावधानी रखकर शुद्ध लिनन का आसानी से चुनाव कर सकती हैं।

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
  2. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
  3. प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
  4. प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
  5. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
  6. प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
  7. प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
  8. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
  9. प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
  10. प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
  12. प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
  14. प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
  16. प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  17. प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  18. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
  19. प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
  20. प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  21. प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
  25. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
  27. प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
  28. प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  29. प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
  30. प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
  33. प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
  34. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
  35. प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
  37. प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
  38. प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
  39. प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
  42. प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  43. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
  44. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  49. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  50. प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
  51. प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
  52. प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
  53. प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
  54. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  56. प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
  57. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  59. प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
  60. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  63. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  65. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
  66. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
  68. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
  71. प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
  73. प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
  74. प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  75. प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  76. प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  77. प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
  78. प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
  80. प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
  81. प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
  82. प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
  84. प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
  85. प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
  86. प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
  88. प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
  90. प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
  91. प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
  92. प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
  93. प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
  94. प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
  96. प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
  97. प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
  98. प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
  99. प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
  100. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
  101. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।

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