बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
उत्तर -
वस्त्र एक ऐसी चीज है जिसका हर एक से नाता होता है इसलिए वस्त्रों की देखरेख करने में टाल-मटोल नहीं करनी चाहिए। इनको भली प्रकार से साफ करके ही संचयित करना चाहिए। वस्त्रों को संचयित करने के लिए इन्हें धोकर, सूखाकर तथा उसके बाद इस्तरी करके किसी साफ-सुथरे बाक्स में या अलमारी में रखना चाहिए। कपड़ों की मरम्मत करना, उन्हें विधिपूर्वक धोना, साफ करना, समय-समय पर धूप एवं हवा दिखाना, उनको इस्तिरी करना, इसके बाद ही वस्त्रों को संचयित करना चाहिए। स्टैला सौन्दराज के अनुसार "The greater the care we take of it, the longer it will last and the better it will serve. " जितनी हम कपड़ों की देखभाल करते हैं वो हमारे उतना अधिक काम आते हैं। वस्त्रों को संचयित करते समय हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
ब्रश करना तथा कपड़ों को धूप और हवा लगाना (Brushing and Airing) - कपड़ों का संपर्क हमारी त्वचा तथा वातावरण दोनों से होता है। वातावरण में उड़ते हुए धूल कण तथा गंदगी कपड़ों पर बैठ जाते हैं तथा उन्हें गंदा कर देते हैं। अधिक गंदगी जम जाने से कपड़े खराब हो जाते हैं इससे बचाव के लिए वस्त्रों को समय-समय पर साफ करते रहना चाहिए। जिन वस्त्रों को रोज धोया नहीं जा सकता है, उन्हें ब्रश से झाड़कर साफ कर लेना चाहिए। ब्रश हमेशा कपड़ों के हिसाब से ही लेना चाहिए। सदैव अच्छे, मुलायम एवम् दृढ़ रोएं वाले ब्रश का ही उपयोग कपड़ों को झाड़ने के लिए करना चाहिए। कपड़ों पर ब्रश हमेशा हल्के हाथ से ही चलाना चाहिए जिससे कपड़े का वयन (Texture) ना बिगड़े। वस्त्र को धूल एवम् अशुद्धियों से मुक्त करते रहने से इनका जीवन काल बढ़ जाता है। सभी प्रकार के वस्त्रों को धूप और हवा दिखाना जरूरी है, विशेष रूप से तब जब इनको लम्बे समय के लिए संचयित करना है | लम्बे समय से बंद वस्त्रों को भी समय-समय पर बाहर निकालकर धूप तथा हवा दिखा देनी चाहिए। अधिक समय तक कपड़ों को बंद करके रखने से वो खराब हो सकते हैं।
तत्क्षण मरम्मत (Immediate Repairing) - वस्त्र प्रयोग करने से कभी-कभी फट जाते हैं। प्रायः इनकी सिलाई खुल जाती है, इन्हें तुरन्त ही ठीक कर लेना बेहतर होता है। समय-समय पर मरम्मत किया हुआ वस्त्र फिर से नई कार्यक्षमता प्राप्त कर लेता है तथा इसका जीवन काल भी बढ़ जाता है। कपड़ों की मरम्मत में बटन लगाना आदि भी सम्मिलित होता है। टूटे हुए बटन के स्थान पर ठीक वैसा ही नया बटन लगा लेना चाहिए।
दाग छुड़ाना (Stain - Removal) - अक्सर खाने-पीने के दाग वस्त्रों पर लग जाते हैं, इन दाग-धब्बों को जल्द से जल्द छुड़ा लेना चाहिए। ताजे दाग को छुड़ाना आसान होता है, जब यही दाग पुराने हो जाते हैं तो इन्हें छुड़ाना मुश्किल हो जाता है। अलग-अलग दागों को छुड़ाने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। दाग छुड़ाने के लिए सम्पूर्ण वस्त्र को डुबाने, बाष्प दिखाने, बूँद-बूँद डालने या स्पंज करने की विधि का उपयोग किया जाता है। दाग छुड़ाने के लिए पदार्थों में अम्ल, क्षार तथा पानी का प्रयोग किया जाता है। अम्ल या क्षार में से किसी का यदि प्रयोग करना पड़े तो उनके तनु घोल का ही उपयोग किया जाना चाहिए। अक्सर ये देखा जाता है कि एसिड से दाग तो छूट जाते हैं लेकिन कपड़ा उसी स्थान से गल जाता है, जिस स्थान पर एसिड लगाया गया हो। अतः इनका प्रयोग तभी करना चाहिए जब इनका प्रयोग करना अनिवार्य हो। एसिड का उपयोग करने के बाद उसे बार-बार पानी से धोना चाहिए।
बारंबार धोना (Frequent Laundring) - पहनने वाले अथवा किसी काम में आने वाले वस्त्रों को बार-बार धोना पड़ जाता है। पसीना, त्वचा का मैल, धूल के कण एवं वातावरण की गंदगी से कपड़े गन्दे हो जाते हैं। धूलकण कुछ घुलनशील और कुछ अघुलनशील होते हैं, जिन्हें पानी से बार-बार धोकर साफ किया जा सकता है। जिन वस्त्रों को धोना संभव हो उन्हें प्रयोग के बाद धो लेना चाहिए।
धुलाई की उचित विधि (Appropriate Laundring Procedure) - अक्सर यह निर्णय लेने में मुश्किल होती है कि वस्त्र को घर पर धोया जाए या इसे लौंड्री में दिया जाये या इसे सूखी विधि (Dry Cleaning) से धुलाया जाये। अधिकांश वस्त्रों को तो घर पर ही धोना उचित होता है, घर पर धोने से वस्त्र अच्छे रहतें हैं। एक कहावत भी बहुत प्रसिद्ध है, "Home laundering is kinder to clothes. घर पर कपड़ों को धोना कपड़ों के लिए अच्छा होता है। गंदे वस्त्रों को, भारी वस्त्रों को, रंगीन तथा प्रिंट वाले वस्त्रों को धोने की विधियाँ अलग-अलग होती हैं। अनुचित विधि के प्रयोग से कपड़े खराब हो जाते हैं। उचित विधि का उपयोग करने से वस्त्र लम्बे समय तक नये जैसे बने रहते हैं। कपड़ों को धोते समय उनके रेशों की प्रकृति के अनुरूप और अनुकूल विधि का प्रयोग करना चाहिए।
शोधक पदार्थों का विवेकपूर्ण चुनाव (Intelligent Choice of Clearing Materials) - कपड़ों को साफ करने के लिए किसी न किसी प्रकार के शोधक पदार्थों की आवश्यकता होती है। कुछ शोधक पदार्थ ऐसे होते हैं जिनमें क्षार अधिक मात्रा में होता है। ऐसे शोधक पदार्थ का प्रयोग उन कपड़ों पर ही करना चाहिए जिससे उन्हें कोई नुकसान ना हो। बहुमूल्य और कीमती कपड़ों को धोने के लिए सदैव उदासीन साबुन का प्रयोग करना चाहिए। कपड़ों की कार्य क्षमता एवम् टिकाऊपन बढ़ाने के लिए शोधक पदार्थों का चुनाव करते समय कपड़े के वर्ग, उसकी रचना, आदि के अनुकूल ही करना चाहिए।
प्रयोग के बाद कपड़ों को रखने का ढंग (The Way You Keep it After Use) - कपड़ों की कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए उनको उपयोग करने के बाद कैसे रखना है इसका ज्ञान भी होना अत्यन्त आवश्यक है। जैसे जो कपड़े पसीने के सीधे सम्पर्क में आते हैं, उन्हें रखने से पहले स्वच्छ करना जरूरी होता है, अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो यह पसीना कपड़ों में ही रह जाता है तथा ये कपड़े को भी गलाने लगता है। सूती कपड़ों को उन्हें उनकी मौलिक रेखाओं पर अच्छी तरह से तह करके रखना चाहिए। पहनी हुई रेशमी साड़ी को हैंगर पर तह करके हवा में कुछ घण्टो के लिए टांग देना चाहिए, उसके बाद ही उसे अलमारी में रखना चाहिए। कपड़ों को पहनने के बाद कुर्सी, पलंग या सोफे पर नहीं रखना चाहिए। वस्त्र किस ढंग से प्रयोग किये गए हैं, इस बात पर उसकी कार्य क्षमता निर्भर करती है। इससे स्पष्ट होता है कि प्रयोग के बाद वस्त्र को ठीक तरीके से रखने या स्वच्छ करके रखने से कपड़ों की कार्य क्षमता बढ़ जाती है तथा ये जल्दी खराब नहीं होते हैं। जैसे सूती साडी को ठीक तरीके से तह करके रखने से उनका उपयोग दो-तीन बार और किया जा सकता है। इससे उसे बार-बार धोने की भी आवश्यकता नहीं पडती है और कपड़ों की अवधि भी बढ़ जाती है। कपड़ों का रंग और मजबूती भी बनी रहती है। इस प्रकार वस्त्रों की उचित देख-भाल तथा थोड़ी मेहनत के साथ उनका उपयोग लम्बे समय तक के लिए किया जा सकता है।
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- प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
- प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
- प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
- प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
- प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
- प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
- प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
- प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
- प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
- प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
- प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
- प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
- प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
- प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
- प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
- प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
- प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
- प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
- प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
- प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
- प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
- प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
- प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
- प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
- प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
- प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
- प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
- प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
- प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
- प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
- प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
- प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।