बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सामुदायिक संगठन की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
सामुदायिक संगठन की विभिन्न परिभाषाओं की एक जाँच करने से कुछ निश्चित महत्वपूर्ण तत्व उजागर होते हैं। ये तत्व हैं-
(1) सामुदायिक संगठन को प्रक्रिया तथा तरीका दोनों माना गया है। प्रक्रिया शब्द का इस्तेमाल किसी उद्देश्य अथवा उद्देश्यों के समुच्चय की पहचान से लेकर उनकी प्राप्ति तक की गतिविधि को फोकस में लाता है। यह समुदाय को एक एकीकृत इकाई के रूप में काम करने की क्षमता को भी व्यक्त करता है। इसके अतिरिक्त यह प्रक्रिया चेतन या अचेतन, स्वैच्छिक अथवा अस्वैच्छिक, अल्पावधिक अथवा दीर्घावधिक हो सकती है। सामुदायिक संगठन की व्याख्या के लिए प्रक्रिया शब्द का इस्तेमाल सामुदायिक विकास के लिए समुदाय के सदस्यों को तैयार करने पर लक्षित कार्यवाही भी अनुमोदित होती है। इस कार्यवाही में अनेक अन्तर-सम्बन्धित कदम शामिल हैं-
(i) आवश्यकताओं, समस्याओं तथा उद्देश्यों की पहचान।
(ii) आवश्यकताओं, समस्याओं तथा उद्देश्यों को उनकी संगत महत्ता अथवा तात्कालिकता के अनुसार वरीयता अथवा क्रम प्रदान करना।
(iii) समुदाय के सदस्यों में उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने तथा अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए विश्वास तथा निश्चय विकसित करना।
(iv) समुदाय में विद्यमान मनुष्यों, धन तथा सामग्रियों के रूप में, तथा बाहर अपने निर्णयों तथा योजनाओं के सम्बन्ध में संसाधनों को संचालित करना।
(v) उन्हें इन सारे संदर्भों में उपयुक्त निर्णय लेने में सहायता देना।
(vi) समुदाय से तथा बाहर से, उनके निर्णयों तथा योजनाओं से निपटने के लिए आवश्यक व्यक्तियों, धन तथा सामग्रियों के रूप में संसाधनों का संचालन।
(vii) गतिविधियों की उपयुक्त निगरानी और यदि आवश्यक हो, सुधारात्मक उपाय करने, सहित उनकी कार्यवाही योजना को क्रियान्वित करना।
(viii) दूसरों को सामूहिक कार्यवाही की शक्ति, सहयोगात्मक अभिवृत्तियों और स्व-सहायता की प्रक्रियाओं के बारे में शिक्षित करना।
जब सामुदायिक संगठन की व्याख्या एक तरीके के रूप में दी जाती है, तो इसका तात्पर्य कतिपय पूर्व-निर्धारित लक्ष्यों / उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए परिवर्तन एजेंट अथवा सामुदायिक संगठनकर्ता द्वारा प्रयुक्त कार्यवाही के व्यवस्थित, संरचित, सुनियोजित तथा चेतन उपयोग से है। संगठनकर्ता के स्तर पर विर्निर्दिष्ट कौशलों के प्रयोग से सुनिश्चित होता है कि सामुदायिक संगठन का यह तरीका छिटपुट सामुदायिक घटनाओं के घटित होने से भिन्न है जो अन्यथा सामान्य सामुदायिक जीवन में घट जाती हैं।
(2) सामुदायिक संगठन दीर्घावधिक तथा अल्पावधिक दोनों तरह के उद्देश्यों को प्राप्त करने की और निर्दिष्ट होता है। जहाँ अल्पाधिक उद्देश्यों में समुदायों की आवश्यकताओं तथा समस्याओं की पहचान तथा स्तरीकरण और आवश्यकताओं की पूर्ति अथवा समस्याओं पर काबू पाने के उद्देश्य से परिवर्तन एजेंट द्वारा समुदाय को सुविधा प्रदान करके सजग मध्यस्थता शामिल होती है, वहीं दीर्घावधिक उद्देश्य एक एकीकृत इकाई के रूप में काम करने की समुदाय की क्षमता का निर्माण करने की ओर उन्मुख होता है। दीर्घावधिक उद्देश्यों में समुदाय की अपनी समस्याओं का समाधान करने और स्वयं सहायता सम्बन्धी गुणों का विकास करने में सहायता देना शामिल होता है, ताकि वह पूर्ण आत्मविश्वास तथा स्वायत्ता के साथ अपनी भावी आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में काम कर सके अथवा समस्या की पुनरावृत्ति या निरंतर समस्याओं के उत्पन्न होने की स्थिति का सामना कर सके। इस दृष्टिकोण से देखते हुए सामुदायिक संगठन एक अधिकारिता क्षमता प्रदान करने वाला उपक्रम होता है।
(3) सामुदायिक संगठन में व्यवस्था के साथ काम करना और इस प्रकार व्यक्तियों, समूहों, संगठनों, समुदाय तथा गठबंधनों के स्तर पर कार्य करना शामिल होता है।
(4) सामुदायिक संगठन को एक परिवर्तन-प्रक्रिया के रूप में भी देखा जाता है, जो एक साथ दो स्तरों पर काम करती है, जिसमें से पहला कतिपय कार्यक्रम/सेवा-उन्मुख लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रयत्न और दूसरा एक संगठनात्मक आधार का निर्माण करने, अनुरक्षण करने तथा निरंतर नवीकरण करने का मार्ग है। इस प्रकार, एक संकल्पना के रूप में सामुदायिक संगठन का केन्द्र बिन्दु विकास-उन्मुख लक्ष्यों के साथ-साथ संगठित होने के अंतिम लक्ष्य पर भी होता है। संगठन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोग समय के साथ एक जुट होने के लिए किसी प्रकार की संरचना का विकास करते हैं। इसकी सबसे मूलभूत अभिव्यक्ति तब होती है जब व्यक्ति एक संगठित एक्य बनाते हैं और व्यवस्थित नियोजन तथा सीमित प्रयास के लिए एक तंत्र स्थापित करते हैं। यह संघटन सामुदायिक परिवर्तन की प्रक्रिया का प्रमुख गुण है। वास्तव में समुदाय नियोजन, प्राप्ति, प्रचालन तथा समीक्षा के अभ्यास से गुजरता है, यह एक अनूठे संगठन का उत्पादन करता है, जिससे इसके स्थानीय सामुदायिक, राजनीतिक तथा आर्थिक स्थितियों द्वारा आकार मिलता है। इस संगठनात्मक आधार के निर्माण, अनुरक्षण तथा नवीनीकरण की सामुदायिक परिवर्तन के लिए उल्लेखनीय प्रासंगिकता होता है।
(5) सामुदायिक संगठन की प्रक्रिया सदैव प्राकृतिक, स्वतःस्फूर्त प्रक्रिया नहीं हो सकती है। यह एक संकल्पित और निर्मित प्रक्रिया भी हो सकती है, जहाँ कभी-कभी यह व्यावसायिक परिवर्तन एजेंट की सहायता के बिना भी विकसित हो सकती है, वहीं अक्सर इसकी शुरुआत, पोषण तथा विकास एक पेशेवर कार्यकर्ता द्वारा किया जाना होता है, जिसके पास लोगों को अपने सहमत लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में योजना बनाने तथा निरन्तर आगे बढ़ने में सहायता देने के लिए अपेक्षित कौशल तथा अनुभव होता है।
(6) सामुदायिक संगठन मूल्यहीन नहीं होता, चूँकि इसमें लोकतांत्रिक मूल्य अपनाए जाते हैं, समुदाय के सांस्कृतिक ताने-बाने को स्वीकार किया जाता है और इसका लक्ष्य समानतापूर्ण, सहनशील तथा सामुदायिक व आर्थिक दृष्टि से न्यायोचित समुदाय का सृजन करना होता है। यह सर्वसम्मति तथा स्वयं सहायता के निर्माण के आधार पर काम करता है और इसके साथ-साथ समुदाय को इस मूल्य-व्यवस्था के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन की ओर निर्दिष्ट करता है।
(7) सामुदायिक अभ्यास तथा सामुदायिक कार्य अधिक बड़े आधार वाले शब्द हैं. जिनका समसामयिक संदर्भ में वृहत्तर प्रयोग मिलता है। इनका इस्तेमाल अभ्यासकर्ताओं (प्रैक्टिशनर) तथा सामुदायिक व्यवस्था के बीच सहयोगात्मक प्रयास की व्याख्या करने के लिए किया जाता है। इनमें समुदाय के सामुदायिक व आर्थिक विकास, सामुदायिक संगठन, सामुदायिक नियोजन तथा निरन्तर सामुदायिक परिवर्तन के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कार्य करना शामिल होता है। इस प्रकार, सामुदायिक संगठन, जिसमें प्रतिवेश संगठन, स्थानीय नेतृत्व का विकास तथा गठबंधन का विकास शामिल होता है, सामुदायिक प्रैक्टिस का एक प्रमुख घटक है।
(8) सामुदायिक पूँजी को सामुदायिक संघठन में प्रमुख अवयव के रूप में माना जाता है। इसका आशय व्यक्तियों तथा पारस्परिकता व विश्वसनीयता के मानदण्डों के बीच सम्बन्धों से है, जिनसे नागरिक संलिप्तता, सामुदायिक एकजुटता तथा पारस्परिक लाभार्थ सहयोग सुगम होते हैं। इस प्रकार यह समुदाय की शक्ति का मूलभूत स्रोत है। सामुदायिक पूँजी वाले समुदाय में सामुदायिक संगठन प्रक्रिया को प्रायोजित किया जाता है। दूसरी ओर कमजोर सामुदायिक पूँजी वाले समुदायों में लोगों को सामूहिक कार्रवाई के लिए सहयोग, समनवय तथा एकजुट होना कठिन लगता है।
(9) एक अवधारणा के रूप में सामुदायिक संगठन को समुदाय अथवा सामुदायिक विकास तथा सामुदायिक कार्रवाई दोनों को शामिल करने के लिए दर्शाया गया है। दूसरे शब्दों में सर्वसम्मति को प्रोत्साहित करने वाले समुदाय निर्माण के मॉडल तथा विवादों को बढ़ावा देने वाले सामुदायिक कार्रवाई के मॉडलों का अक्सर सह-अस्तित्व होता है और इन्हें साथ-साथ अथवा अनुवर्ती रूप से प्रयोग किया जा सकता है। जहाँ समुदाय निर्माण मॉडल अनेक अंतर्राष्ट्रीय पृष्ठभूमियों में प्रयुक्त व्याप्त मॉडल भी है, बड़े पैमाने पर व्यवस्थित परिवर्तन लाने के प्रयास अधिकाधिक किए जा रहे हैं और ये सामुदायिक कार्रवाई के दृष्टिकोण कों प्रस्तुत करते हैं।
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- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक संगठन को परिभाषित करते हुए इसकी विभिन्न परिभाषाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
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