बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सामुदायिक विकास में सामुदायिक विकास संगठन की सार्थकता एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
सामुदायिक विकास में सामुदायिक विकास संगठन की सार्थकता — व्यक्ति एवं समाज एक-दूसरे पर आश्रित हैं। जहाँ समाज ने व्यक्ति को मानवीय अस्तित्व प्रदान किया है, वहीं समाज द्वारा निर्धनता, बेकारी जैसी विविध प्रकार की समस्यायें भी उत्पन्न की गई हैं। इन समस्याओं के समाधान हेतु आदिकाल से ही प्रयास किये जाते रहे हैं। इन्हीं प्रयासों की श्रृंखला में समाज कार्य एक महत्वपूर्ण कड़ी है। समाज कार्य प्रभावपूर्ण सामाजिक क्रिया एवं सामाजिक अनुकूलन के मार्ग में आने वाली सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं का वैज्ञानिक ढंग से समाधान प्रस्तुत करता है।
समाज कार्य वैज्ञानिक ज्ञान एवं प्राविधिक निपुणताओं का प्रयोग करते हुए समस्याग्रस्त व्यक्तियों, समूहों एवं समुदायों की मनो-सामाजिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हुए उन्हें आत्म सहायता करने के योग्य बनाता है।
इस प्रकार समाज कार्य एक सहायता मूलक कार्य है जो वैज्ञानिक ज्ञान, प्राविधिक निपुणताओं तथा मार्गदर्शन का प्रयोग करते हुए व्यक्तियों की एक व्यक्ति, समूह के सदस्य अथवा समुदाय के निवासी के रूप में उनकी मनो-सामाजिक समस्याओं का अध्ययन एवं निदान करने के पश्चात् परामर्श, पर्यावरण में परिवर्तन तथा आवश्यक सेवाओं के माध्यम से सहायता प्रदान करता है ताकि वे समस्याओं से छुटकारा पा सकें। सामाजिक क्रिया में 'प्रभावपूर्ण रूप से भाग ले सकें, लोगों के साथ संतोषजनक समायोजन कर सकें, अपने जीवन सुख एवं शान्ति का अनुभव कर सकें, तथा अपनी सहायता स्वयं करने के योग्य बन सकें। सेवार्थी एक व्यक्ति, समूह अथवा समुदाय हो सकता है। जब सेवार्थी एक व्यक्ति होता है तो अधिकांश समस्यायें मनो-सामाजिक अथवा समायोजनात्मक अथवा सामाजिक क्रिया से संबंधित होती है और कार्यकर्ता वैयक्तिक समाज कार्य प्रणाली का प्रयोग करते हुए सेवायें प्रदान करता है। जब सेवार्थी एक समूह होता है तो प्रमुख समस्यायें प्रजातांत्रिक मूल्यों तथा नेतृत्व के विकास, सामूहिक तनावों एवं संघषों के समाधान तथा मैत्री एवं सौहार्द्रपूर्ण संबंधों के विकास से संबंधित होती है। सामूहिक कार्यकर्ता विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन के दौरान उत्पन्न होने वाली अन्तःक्रियाओं को निर्देशित करते हुए समूह में सामूहिक रूप से कार्य करते हुए सामान्य सामूहिक उद्देश्यों की प्राप्ति की क्षमता उत्पन्न करता है। जब सेवार्थी एक समुदाय होता है तो समुदाय की अनुभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने के साथ-साथ सामुदायिक एकीकरण का विकास करने का प्रयास किया जाता है। एक सामुदायिक संगठनकर्ता समुदाय में उपलब्ध संसाधनों एवं समुदाय की अनुभूत आवश्यकताओं के बीच ' प्राथमिकताओं के आधार पर सामंजस्य स्थापित करता है और लोगों को एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर कार्य करने के अवसर प्रदान करते हुये सहयोगपूर्ण मनोवृत्तियों, मूल्यों एवं व्यवहारों का विकास करता है।
सामुदायिक संगठन समाज कार्य की एक प्रणाली है किन्तु कुछ समाज कार्य शिक्षक यह कहते हैं कि मूलरूप से समाज कार्य की दो ही प्रणालियां हैं। क्योंकि समाज कार्य की प्रणालियाँ व्यक्ति और समूहों के साथ कार्य करती है और व्यक्ति या तो व्यक्तिगत रूप से कार्य करते हैं या समूहों के सदस्य के रूप में / दूसरे शिक्षक समुदायों के साथ कार्य करने को समाज कार्य की एक विशिष्ट प्रणाली मानते हैं। जिसमें न केवल व्यक्ति एवं समूह के ज्ञान की आवश्यकता पड़ती है बल्कि समुदाय के अध्ययन में भिन्न निपुणताओं, विस्तृत ज्ञान और विरोधी व्यक्तियों और समूहों की प्राप्ति के लिये गतिमान करने की आवश्यकता पड़ती है। इसी प्रकार समाज कार्यों में से कुछ कार्य ऐसे हैं जिनका संबंध केवल समाजसेवी के साथ है किन्तु अनेक कार्य ऐसे हैं जिन्हें किसी व्यवसाय के साथ सम्बद्ध नहीं किया जा सकता। समाज कार्य में मुख्य रूप से वैयक्तिक समाज कार्य में मुख्य रूप से वैयक्तिक समाज कार्य, सामूहिक समाज कार्य तथा सामुदायिक संगठन का उपयोग किया जाता है। परन्तु समाज कार्य में इन पद्धतियों को एक-दूसरे से पूर्णतः पृथक् करना कठिन है। सामुदायिक संगठन वैयक्तिक समाज कार्य और सामूहिक समाज कार्य के उद्देश्य लगभग एकसमान हैं। इसी प्रकार इन तीनों प्रकार की पद्धतियों में लगभग समान प्रक्रियाओं और सिद्धांतों का प्रयोग किया जाता है। समाज कार्य की विभिन्न पद्धतियों में कुछ तत्व समान रूप से पाये जाते हैं, जैसे सामाजिक अध्ययन और उपचार, साधनों का उपयोग, परिवर्तन, मूल्यांकन इत्यादि। परन्तु सामुदायिक संगठन की पद्धति में कुछ विशेष बातों का समावेश होता है।
बड़े-बड़े नगरों में सामुदायिक जीवन बिगड़ने के कारण और परम्परागत ग्रामीण समुदाय में उन्नति लाने की आवश्यकता ने समाज कार्य का ध्यान सामुदायिक विकास की ओर आकर्षित किया है। तकनीकी परिवर्तन के सामाजिक परिणामों के कारण हस्तक्षेप के माध्यम से नियोजित सामाजिक विकास पर बल दिया जाने लगा है। इस हस्तक्षेप के चेतन प्रयोग का उद्देश्य तकनीकी परिवर्तन के कारण व्यक्तियों और समूहों पर पड़ने वाले आघात को रोकना और तेजी से बदलती हुई विचारधाराओं, कार्य करने की विधियों आदि के साथ अनुकूलन स्थापित करने में सहायता देना है। सामुदायिक कार्यकर्ता यह मानते हैं कि परिवर्तन पूर्ण समुदाय को प्रभावित करता है। उसका उद्देश्य समुदाय द्वारा इस परिवर्तन को स्वीकार करने में सहायता देना हैं और अपनी इच्छा से सुधार लाने के लिए तैयार करना है। समाज कार्य यह कार्य सामुदायिक संगठन प्रणाली के प्रयोग से करता है। इससे स्पष्ट होता है कि सामुदायिक संगठन की समाज कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका है।
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- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
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- प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
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- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
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- प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
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- प्रश्न- निगरानी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- निगरानी में कितने प्रकार के सूचकों का प्रयोग किया जाता है?
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