बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
उत्तर -
(Importance of Home Science Extension Education)
गृह विज्ञान प्रसार निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति कर अपने महत्व को स्पष्ट करती हैं-
(1) कार्यकुशलता का विकास - गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के अन्तर्गत गृह सम्बन्धी विभिन्न क्रिया-कलापों की वैज्ञानिक जानकारी प्रदान की जाती है जिससे परम्परागत कार्य- पद्धतियों में परिवर्तन आता है। फलस्वरूप ग्रामीण महिलाओं की कार्यकुशलता का विकास होता है।
(2) संतोष की भावना का विकास - गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के द्वारा जब ग्रामीण महिलाएँ स्वयं करके सीखती हैं और सीखने के बाद सकारात्मक लाभ प्राप्त करती हैं तो उनके अन्दर सन्तोष की भावना का विकास होता है। यह भावना उन्हें और अधिक आगे सीखने के लिए प्रेरित करती है।
(3) परिवार का सर्वांगीण विकास - गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का मूल उद्देश्य परिवार कल्याण है। इसके द्वारा पारिवारिक जीवन की समस्याओं व पहलुओं का अध्ययन कर समाधान प्रस्तुत किया जाता है। मातृ एवं बाल कल्याण, आहार एवं पोषण विज्ञान, कृषि तथा उद्योग, प्रसार, स्वास्थ्य वं स्वच्छता, गृह-व्यवस्था तथा गृह-प्रबन्ध, वस्त्र विज्ञान आदि सभी विषयों को इसमें सम्मिलित किया जाता है और परिवार के सर्वांगीण विकास हेतु वैज्ञानिक व तकनीकी ज्ञान प्रस्तुत किया जाता है।
(4) आत्मनिर्भरता तथा आत्मविश्वास की भावना का विकास - गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा 'करके सीखने' की शिक्षा है। अतः जब गृहिणी स्वयं करके सीखती है तो उसमें आत्मविश्वास की भावना आती है। धीरे-धीरे वह स्वयं कार्यकुशल हो जाती है। अपनी इस कार्यकुशलता को वह अपनी आय का साधन बनाकर आत्मनिर्भर बन सकती है; जैसे - वस्त्र विज्ञान के अन्तर्गत उन्हें वस्त्रों की सिलाई के बारे में बताया जाता है जब गृहिणी स्वयं अपने परिवारजनों के लिए वस्त्र की सिलाई करती है तो सिलाई पर होने वाले व्यय को बचा सकती है तथा सिलाई कार्य में दक्ष होने पर इसे अपनी आय का साधन भी बना सकती है।
(5) कलात्मक अभिव्यक्ति का विकास - गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा ग्रामीण महिलाओं में कलात्मक अभिरुचियों का निर्माण व विकास करती है। गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के द्वारा महिलाओं को गृह स्वच्छता, सजावट, सुव्यवस्था तथा उत्तम संचालन के विषय में जानकारी प्रदान की जाती है जिनका अनुपालन करने पर महिलाओं की कलात्मक अभिव्यक्ति का विकास होता है।
(6) उत्तरदायित्व की भावना का विकास - गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा ग्रामीण महिलाओं को पारिवारिक उत्तरदायित्वों के प्रति जागरूक बनाती है। परिवार के प्रति कर्तव्य और उत्तरदायित्व की भावना का विकास होने पर ही वे अपने कर्तव्यों को पूर्ण करने की ओर अग्रसर होती हैं। जैसे उनमें एक आम धारणा होती है कि बच्चे ईश्वर की देन हैं। अतः वे परिवार नियोजन के कृत्रिम साधनों को नहीं अपनाना चाहतीं लेकिन जब उन्हें सीमित परिवार और सन्तानों के प्रति उत्तरदायित्वों का बोध कराया जाता हैं तो वे इस ओर स्वयं प्रेरित होती हैं।
(7) स्वास्थ्य सम्बन्धी अच्छी आदतों का विकास - प्रसार शिक्षा परिवर्तन पर आधारित शिक्षा है। परिवर्तन के दौरान कमियों को समाप्त कर सकारात्मक परिवर्तन का प्रयास किया जाता है जिससे गृहिणी तथा परिवार के सदस्यों में अच्छी आदतों का विकास होता है। जैसे— पर्यावरणीय स्वच्छता, शारीरिक स्वच्छता आदि के महत्व के द्वारा उनमें अच्छी आदतों का विकास किया जाता है।
(8) स्वस्थ सामाजिक रीति-रिवाजों और मूल्यों का विकास - गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा ग्रामीण जीवन की शिक्षा है। ग्रामीण व्यक्ति अपने रीति-रिवाजों, मूल्यों और परम्पराओं से इतनी गहराई तक जुड़े होते हैं कि इन रीति-रिवाजों को पूरा करने के लिए वे अपने धन का अपव्यय करते हैं। प्रसार शिक्षा ग्रामीणों के सामाजिक व सांस्कृतिक मूल्यों को सम्मान देते हुए कुछ सामाजिक कुरीतियों व रीति-रिवाजों जैसे - दहेज प्रथा, मृत्युभोज आदि को समाप्त करने और स्वस्थ सामाजिक व सांस्कृतिक मूल्यों का विकास करने का प्रयास करती हैं।
(9) वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास - गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं तक वैज्ञानिक ज्ञान को पहुँचाना है ताकि वे अपनी दैनिक क्रियाओं को वैज्ञानिक ढंग से सम्पन्न कर सकें और कार्य करने के स्वस्थ्य तरीकों का विकास कर सकें। वैज्ञानिक सोच के आधार पर कार्य करने से ग्रामीण महिलाओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है जिससे वे पारिवारिक समस्याओं का निराकरण वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर करने में सफल होती हैं।
(10) संसाधनों का उपयोग और विकास - गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा उपलब्ध संसाधनों पर आधारित शिक्षा है। यह ग्रामीण महिलाओं को अपने उपलब्ध संसाधनों को पूर्ण उपभोग करना तथा विकास करना बताती है। जैसे उपलब्ध संसाधनों द्वारा ही परिवार के लिए किस प्रकार सन्तुलित व पौष्टिक आहार का आयोजन करें। फलों के छिलकों को मोटा न छीलें, दालें जो कि प्रोटीन से भरपूर हैं उनके विविध व्यंजन बनाकर परिवार के सदस्यों की वृद्धि व विकास में योगदान दें। घर में जानवर हैं तो उनके गोबर से अच्छी कम्पोस्ट खाद बनायें या गोबर गैस प्लाण्ट लगायें।
इस प्रकार प्रसार शिक्षा उपलब्ध संसाधनों की खोज तथा उनके अधिकतम विकास में सहायता प्रदान करती है।
इस प्रकार गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा द्वारा उन व्यक्तियों को ज्ञान प्रदान किया जाता है, विचार शक्ति का विकास किया जाता है, जो विद्यालयों में किन्हीं कारणों से नहीं आ पाते हैं परन्तु उन्हें उस ज्ञान की अत्यन्त आवश्यकता है।
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