बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 5
महिलाओं एवं बच्चों हेतु हालिया विकास कार्यक्रम
(Recent Development Programme for Women and Children)
प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
उत्तर -
(Integrated Child Development
Service or ICDS)
भारत में प्रसूता तथा 1-5 वर्ष के बच्चों की बढ़ती मृत्युदर को कम करने के लिये योजना तैयार की गई जिसे समेकित बाल विकास योजना नाम दिया गया। इस योजना के अन्तर्गत पाठशाला जाने के पहले की उम्र के बच्चों तथा उनकी माताओं की मृत्युदर कम करने के लिये उन्हें पौष्टिक आहार तथा स्वास्थ्य का ज्ञान दिया जाता है। क्योंकि ग्रामीण इलाकों में इन दोनों के अभाव में इन शिशुओं तथा प्रसूताओं की मृत्युदर अधिक है अतः ग्रामीण आर्थिक सामाजिक विकास हेतु इस मृत्युदर को कम करना आवश्यक है। यह योजना भारत सरकार द्वारा गाँधी जयन्ती 2 अक्टूबर 1975 को प्रारम्भ की गई।
भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बालनीति के उद्देश्यों को पूरा करने लिये एक प्रयोग के आधार पर 33 परियोजनाएँ प्रारम्भ की गईं। इनमें से 18 ग्रामीण खण्डों में, 11 आदिवासी खण्डों के तथा शेष 4 परियोजनाएँ झुग्गी झोपड़ी वाले इलाकों में प्रारम्भ की गई।
उद्देश्य - समेकित बाल विकास सेवा के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
(1) एक से छः वर्ष तक के बच्चों और गर्भवती स्त्रियों के आहार एवं स्वास्थ्य में सुधार लाना।
(2) बच्चों के उचित मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और सामाजिक विकास की नींव रखना।
(3) मृत्यु रोग, कुपोषण और स्कूल छोड़ देने की प्रवृत्ति को कम करना।
(4) बाल- बिर्कास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विभागों की नीति और कार्यों में प्रभावी समंजस्य स्थापित करना।
(5) पोषण एवं स्वास्थ्य-शिक्षा द्वारा माताओं और बच्चों की स्वास्थ्य और पोषण सम्बन्धी सामान्य स्थापित आवश्यकता की पूर्ति की क्षमता में वृद्धि करना।
I.C.D.S. के कार्यक्रम - समेकित बाल विकास विभाग द्वारा माताओं तथा 1-6 वर्ष के शिशुओं तथा गर्भवती महिलाओं के लिये 6 प्रकार के कार्यक्रम चलाये जाते हैं-
(1) सहायक पोषण आहार
(2) पोषण आहार तथा स्वास्थ्य शिक्षा
(3) जानलेवा बीमारियों से बचाव हेतु टीकाकरण
(4) स्वास्थ्य परीक्षण
(5) विशेषज्ञ सुविधाएँ
(6) शाला पूर्व शिक्षा
(1) सहायक पोषण आहार - इस योजना के अन्तर्गत लाभार्थियों को अतिरिक्तं आहार दिलाया जाता है। इस योजना के लाभार्थी, गर्भवती महिलाएँ, धात्री माताएँ तथा 6 वर्ष की आयु तक के बच्चों को अतिरिक्त पौष्टिक आहार उपलब्ध करवाया जाये। हर राज्य में
तरिक्त पौष्टिक आहार इस सहायक पोषण आहार का प्रकार भिन्न होता है यह खाद्य सामग्री क्या होगी यहाँ उन स्थानों की स्थानीय उपलब्धता, योजना का स्थान, लाभार्थियों की गिनती तथा प्रशासनिक सम्भावनाओं पर निर्भर करता है। इस योजना में केन्द्र में ही भोजन तैयार कर दिया जाता है। इस भोजन के अनाजों के मिश्रण से तैयार भोज्य पदार्थ, दालें, सब्जियाँ, तेल, चीनी होते हैं। कहीं-कहीं केन्द्रों पर भोजन तैयार कर उसकी आपूर्ति की जाती है।
इस योजना के अन्तर्गत यही प्रयत्न होता है कि -
(a) एक साल से छोटे बच्चों को सामान्य से 200 कैलोरी तथा तथा 8-10 ग्राम प्रोटीन वाला अतिरिक्त आहार मिले।
(b) 1-6 साल के बच्चों को 300 कैलोरी तथा 10-12 ग्राम अतिरिक्त प्रोटीन वाला आहार सुलभ हो।
(c) गर्भवती महिला, धात्री माँ को 500 कैलोरी तथा 25 ग्राम अतिरिक्त प्रोटीन मिले।
(d) बच्चो में जीवनसत्व ए की कमी रोकने के लिये प्रति छठे माह में जीवनसत्व की मेगाडोस दी जाती है।
(e) खून की कमी से बचने के लिये बच्चों को वर्ष में एक बार लगातार 100 दिन तक लौह लवण की गोलियाँ दी जाती हैं।
सहायक पोषण आहार कार्यक्रम वर्ष में 300 दिन चलाया जाता है। वे बच्चे जो अधिक कुपोषण का शिकार होते हैं उन्हें विशेष आहार दिया जाता है।
(2) पोषण आहार एवं स्वास्थ्य शिक्षा - सभी महिलाओं को पोषाहार एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी शिक्षा दी जाती है। शिक्षा देते समय गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माताओं को प्राथमिकता दी जाती है। जिनके बच्चे कुषोषण या अन्य रोगों से पीड़ित होते हैं उन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। पोषण एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी शिक्षा देने के लिए गाँवों में विभिन्न पाठ्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
आँगनबाड़ी - समेकित बाल विकास योजना की समस्त सेवाएँ एक ही केन्द्र में उपलब्ध कराई जाती हैं जिसे 'आँगनबाड़ी' कहते हैं। ये केन्द्र बच्चों की देखभाल के लिए गन्दी बस्तियों में ही स्थापित किये जाते हैं। इन केन्द्रों को चलाने वाली स्त्री को आँगनबाड़ी महिला कार्यकर्त्ता कहते हैं। आँगनबाड़ी महिला कार्यकर्त्ता परिवर्तन लाने वाली एक बहु-उद्देश्यीय महिला कार्यकर्त्ता होती हैं जो उसी समुदाय में से ली जाती है और इस कार्यक्रम के अन्तर्गत बच्चों और माताओं से सीधा सम्पर्क रखने की कड़ी है।
आँगनबाड़ी महिला कार्यकर्त्ता दिन के समय में गाँवों में अलग-अलग घरों में जाकर वहाँ विशेष रूप से माताओं को पोषाहार एवं स्वास्थ्य के सम्बन्ध में बताती हैं और उन्हें केन्द्र में मिलने वाली सेवाओं से लाभ उठाने के लिए प्रेरित करती हैं।
इसके अलावा आँगनबाड़ी महिला कार्यकर्त्ता नियमित रूप से माताओं की बैठकें बुलाती हैं जिनमें 15 से 45 वर्ष की स्त्रियाँ भाग लेती हैं। इनमें बच्चे व माता की देखभाल के विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाती है और सिखाया जाता है।
गाँव या शहर में 1000 की जनसंख्या पर तथा आदिवासी क्षेत्र में प्रति 700 जनसंख्या पर एक आँगनबाड़ी खोली जाती है। आँगनबाड़ी बाल-कल्याण केन्द्र होता है।
30 जून, 1990 तक दो लाख से भी अधिक 'आँगनबाड़ी' महिला कार्यकर्त्ताओं और उनकी उतनी ही सहायिकाएँ देश भर में स्कूल पूर्व बच्चों और माताओं को स्वास्थ्य, पौष्टिक आहार और शिक्षा के बारे में सेवाएँ प्रदान कर रही थीं। इस प्रणाली के अन्तर्गत छः वर्ष से कम आयु के एक करोड़ 24 लाख बच्चों और 23.5 लाख गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माताओं को पूरक पौष्टिक आहार दिया जा रहा था। आँगनबाड़ी केन्द्रों में 65.5 लाख बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा दी जा रही थी।
अपने सभी प्रयासों में आँगनबाड़ी महिला कार्यकत्ताओं की परियोजना स्तर पर कार्यकर्त्ताओं की टोली का सहयोग मिलता है। इसके अन्तर्गत पर्यवेक्षक और बाल विकास परियोजनाधिकारी होते हैं। कुछ बड़ी परियोजनाओं में बाल विकास परियोजना अधिकारियों की सहायता के लिए सहायक बाल विकास परियोजनाधिकारी भी रहती हैं।
स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य केन्द्रों के डॉक्टरों, स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं और सुपरवाइजरों की टोली इन परियोजना क्षेत्रों की समेकित बाल विकास सेवा की टोली को अपना सहयोग व समर्थन देती है।
आँगनबाड़ी महिला कार्यकर्त्ता इन दो प्रणालियों को सबसे आगे रहने वाली महिला कार्यकर्त्ता होती है और वह उसी गाँव में रहती है जो उसका कार्य क्षेत्र है। ये समान्य पढ़ी-खिली होती हैं और विशेष प्रशिक्षण संस्थाओं में उसे गाँव में माँ और बच्चों की देखभाल करने की विशेष शिक्षा दी जाती है।
सुपरवाइजर पर 17 से 25 आँगनबाड़ी केन्द्रों की जिम्मेदारी होती है। वह उनके काम-काज की देखभाल करती है और उनकी मित्र विचारक और मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है और रिकार्ड रखने, सभी घरों में जाने तथा स्त्रियों को बैठकें आदि बुलाने में उन्हें सहायता देती हैं। वह उनके काम का ओरिएन्टेशन भी करती है।
बाल विकास परियोजनाधिकारी समेकित बाल विकास सेवा की महिला कार्यकर्त्ताओं और सरकारी प्रशासन के बीच कड़ी का कार्य करती हैं।
(3) जानलेवा बीमारियों से बचाव हेतु टीकाकरण - यह कार्यक्रम भी आँगनबाड़ी में ही चलाया जाता है। यहाँ आने वाले बच्चों को छः जानलेवा बीमारियाँ - डिप्थीरिया, काली खाँसी, टिटनेस, खसरा, तपेदिक, पोलियों से बचने के लिये टीके लगाये जाते हैं। गर्भवती महिला को गर्भावस्था में टिटनेस टॉक्साइड के दो टीके लगाये जाते हैं।
प्रसव पूर्व गर्भवती को स्वयं की देखभाल की जरूरत बताकर उसकी शिक्षा दी जाती है। इन महिलाओं को लौह लवण युक्त तथा जीवन सत्व की गोलियाँ निःशुल्क दी जाती हैं तथा प्रोटीन की कमी पूरी करने के लिये प्रोटीन युक्त आहार भी दिया जाता है। गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण कर, आवश्यकता होने पर उपयुक्त चिकित्सा संस्थानों में भेजा जाता है। गर्भवती महिला को प्रतिमाह अपने स्वास्थ्य परीक्षण हेतु प्रेरित किया जाता है। उनके घर जाकर भी उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। बच्चे का जन्म घर पर करवाने के लिये क्या सावधानी रखनी होगी, प्रसूता तथा बच्चे की देखभाल के निर्देश तथा सावधानियाँ बताई जाती है।
(4) स्वास्थ्य प्रशिक्षण - उपकेन्द्र से आई नर्स और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर सभी बच्चों के स्वास्थ्य का नियमित रूप से परीक्षण आँगनबाड़ी में करते हैं। उनकी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का पता लगाकर उनका इलाज करते हैं इसके लिए केन्द्र को नियमित रूप से दवा का बक्सा या किट भेजा जाता है। आँतों के कीड़े समाप्त करने के लिए बच्चों को नियमित रूप से दवाई दी जाती है। इसके अलावा आँगनबाड़ी महिला कार्यकर्त्ता दस्त या अतिसार होने पर उसकी चिकित्सा के बारे में उचित सलाह देती है और ओ० आर० एस० (Oral Rehydraton Salt) के पैकेट केन्द्र में आते हैं और उनका घोल तैयार करके बच्चों को देना सिखाया जाता है।
(5) विशेषज्ञ सुविधाएँ - बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के बाद उनके कार्ड बनाये जाते हैं जिनका महत्त्व तथा रख-रखाव माताओं को सिखाया जाता है। कार्ड की एक प्रति केन्द्र पर तथा उस माँ को दी जाती है। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य परीक्षण पर भी इसी प्रकार के कार्डों की व्यवस्था होती है जो उनकी प्रसवपूर्व देखभाल में सहायक होते हैं। डॉक्टरों तथा नर्सों की टोलियाँ यहाँ आकर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करती हैं और यदि गम्भीर बीमारी हो तो उन्हें अस्पताल या विशेष संस्था भेजने की व्यवस्था की जाती है।
(6) शाला पूर्व शिक्षा - तीन से छः वर्ष की उम्र के बच्चों को अनौपचारिक ढंग से कई प्रकार की बातें सीखने के विशिष्ट अवसर मिलने चाहिए। आँगनबाड़ी प्रारम्भिक बचपन की शिक्षा, खेल-खेल में शिक्षा देने की विधि से देती है ताकि बच्चे का मानसिक विकास हो और बच्चे की उत्सुकता को शान्त किया जा सके। बच्चे आपस में बैठकर खेलना सीखते हैं, शिशु-कविताएँ और गीत गाते हैं और रंगों की पहचान तथा पास-पड़ौस के वातावरण के सम्बन्ध में सीखते हैं और इस तरह से आगे के वर्षों में प्राथमिक शिक्षा पाने की उनकी नींव मजबूत होती है। इसके लिए कोई विशेष कार्यक्रम नहीं बनाया गया है। आँगनबाड़ी महिला कार्यकर्त्ता को प्रोत्साहित किया जाता है कि वह शिक्षा देने का अपना ढंग और प्रकार की विधियाँ अपनायें।
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- प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
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- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक संगठन को परिभाषित करते हुए इसकी विभिन्न परिभाषाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के दर्शन पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास प्रक्रिया के अन्तर्गत सामुदायिक विकास संगठन कितनी अवस्थाओं से गुजरता है?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन और सामुदायिक विकास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन और सामुदायिक क्रिया में अंतर बताइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के प्रशासनिक ढांचे का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास में सामुदायिक विकास संगठन की सार्थकता एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइयें।
- प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के क्षेत्र, आवश्यकता एवं परिकल्पना के विषय में विस्तार से लिखिए।
- प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के बारे में बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) पर एक टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सेवा योजना (N.S.S.) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र संगठन का परिचय देते हुए इसके विभिन्न कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
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- प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
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- प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन की प्रक्रिया का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- निगरानी में बुनियादी अवधारणाएँ और तत्वों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- निगरानी के साधन और तकनीकों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्यांकन डिजाइन (मूल्यांकन कैसे करें) को समझाइये |
- प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मूल्यांकन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निगरानी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निगरानी के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निगरानी में कितने प्रकार के सूचकों का प्रयोग किया जाता है?
- प्रश्न- मूल्यांकन का अर्थ और विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- निगरानी और मूल्यांकन के बीच अंतर लिखिए।
- प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों को समझाइये।