बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- निगरानी के साधन और तकनीकों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
उत्तर -
निगरानी करने के साधन
निगरानी के प्रयोजनार्थ निम्नलिखित साधनों का व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है-
(i) नियमित प्रगति रिपोर्ट - क्षेत्र स्टाफ द्वारा प्रस्तुत की गई प्रगति रिपोर्ट और जिला व खंड स्तरीय रिकार्डों में भौतिक और वित्तीय प्रगति की जानकारी होनी चाहिए अर्थात् लक्ष्यों, खंडों द्वारा कवरेज, समूहों (अनु०ज० / अनु०जन जाति / अन्य) की संरचना, गतिविधियाँ इत्यादि की सूचना होनी चाहिए।
वित्तीय और भौतिक प्रगति से यह त्वरित निर्धारण कर पाना संभव हो जाता है कि क्या योजना की मूल गतिविधियाँ पूरी हो पाई हैं या नहीं और इन्हें किस हद तक पूरा किया गया है; निर्धारित (आबंटित) बजट में क्या यह गतिविधियाँ सफलतापूर्वक कार्य कर रही हैं या नहीं। योजना के लिए निर्धारित धनराशि के संवितरण का अन्य आँकड़ों / योजना के साथ मिलान किया जा सकता है।
(ii) स्टाफ के निष्पादन की निगरानी (समीक्षा) - स्टाफ के निष्पादन की निगरानी से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि दिए गए कार्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संख्या में व्यक्ति नियुक्त किए (लगाए) गए हैं। आदर्श रूप में, परियोजना में नियुक्त सभी व्यक्तियों को नियमित रूप से मिलना चाहिए और अपनी-अपनी प्रगति पर चर्चा करनी चाहिए। देखना चाहिए कि यह प्रगति लक्ष्यों और उद्देश्यों के अनुरूप है या नहीं तथा संभावनाओं और संभावित परिवर्तनों पर चर्चा करनी चाहिए।
(iii) क्षेत्र स्टाफ द्वारा किए गए दौरे की रिपोर्ट - कार्यक्रम के गुणवत्ता पहलुओं से संबंधित अधिकांश उपयोगी सूचना व जानकारी प्रायः क्षेत्र में काम करने वाले स्टाफ द्वारा प्रस्तुत दौरे की रिपोर्टों से प्राप्त होती है; परियोजना अत्यंत छोटी होने के मामले में यह बात विशेष रूप से सही है और हो सकता है सहभागियों के शिक्षा और साक्षरता स्तर निम्न हों।
(iv) सहभागी अवलोकन - संभवत: क्षेत्र - स्टाफ गाँवों के रहने वाले हों और ऐसे वे समूहों का अवलोकन नजदीक से कर सकते हैं इस तरह सुग्राही और प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त कर पाते हैं।
(v) आगंतुकों से प्राप्त होने वाली रिपोर्टें - परियोजना स्टाफ यह सुनिश्चित करता है कि परियोजना क्षेत्र में आने वाले सभी आगंतुक (परियोजना निदेशक, राज्य स्तर के अधिकारी, शोधकर्त्ता इत्यादि) योजनाओं के संबंध में अपने-अपने मतों (धारणाओं के संबंध में संक्षिप्त रिपोर्ट दें। इनसे नए विकासों, अनुभवों के आदान-प्रदान संबंधी अंतर्दृष्टि / जानकारी मिल सकेगी) जो आगे नया कार्यक्रम विकसित करने में सहायक होगी।
(vi) साक्षात्कार - समूह सदस्यों और समुदाय नेताओं के योजना संबंधी अभिवृत्ति जानने के लिए उनका साक्षात्कार (इंटरव्यू) लिया जाना चाहिए।
(vii) सहभागी निगरानी - इस नवीनतम तकनीक में, लाभार्थियों को निगरानी और मूल्यांकन करने में सहभागी बनाया जाता है। परियोजना स्टाफ और लाभार्थी एक साथ निष्पादन पर चर्चा व उसका आंकलन करते हैं ताकि यह जाना जा सके कि उनका निष्पादन कैसा रहा, उनके समक्ष क्या समस्याएँ आईं और भविष्य में उन्हें क्या करना है। परियोजना स्टाफ प्रमुख रूप से समुचित प्रश्न तैयार करने और उत्तरों से निष्कर्ष निकालने में मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, समूह को बैंक रिकार्ड बहियों, बचत बहीखातों इत्यादि से निष्कर्ष निकालने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
(viii) प्रमुख सूचनादाता - नियमित संपर्कों के अलावा, हमें अन्य ऐसे लोगों के साथ बातचीत करने के प्रयास करना चाहिए जो सूचना के उपयोगी स्रोत हो सकते हैं जैसे अध्यापक, पोस्टमास्टर, किराना की दुकान, स्व-सहायता समूह इत्यादि।
(ix) शिकायतें - कई बार सामान्यतः लोगों और विशेष रूप से लक्ष्य समूह की शिकायतें और शिकायत याचिकाएँ योजना के वास्तविक निष्पादन पर प्रकाश डाल सकती हैं (से अवगत करा सकती हैं)। प्रत्येक परियोजना में निगरानी क्रियाविधि के हिस्से के रूप में सूचना के स्रोत के प्रावधान होने चाहिए।
निगरानी की तकनीकें
निगरानी के अन्तर्गत व्यापक रूप से दो तकनीकों का प्रयोग किया जाता है-
(i) अर्जित मान विश्लेषण (EVA)
(ii) क्रांतिक अनुपात तकनीक (CRT)
(i) अर्जित मान विश्लेषण - यह कुल निष्पादन माप का प्रयोग करके समग्र निष्पादन मापने का तरीका है। यह चल रहे कार्यों की योजनाबद्ध लागत द्वारा प्रत्येक के भौतिक समापन के अनुमानित प्रतिशत को गुणा करके चल रहे कार्यों के कार्य-निष्पादन का अर्जित मान है। परिणाम अभी तक कार्य पर किए जो खर्च जितनी राशि खर्च की जानी वाली है इसकी खर्च की गई वास्तविक राशि के साथ तुलना की जा सकती है।
आमतौर पर प्रयुक्त की जाने वाली आंकलन विधियाँ निम्न हैं-
क) 50-50 आंकलन – जब कार्य प्रारंभ होता है तब 50% कल्पित होता है और शेष 50% कार्य पूरा हो जाने पर होता है।
(ख) 0-100% नियम - इस नियम के अन्तर्गत जब तक काम पूरा नहीं होता तब कार्य के लिए कोई (credit) नहीं होता। यह अत्यंत रूढ़िवादी नियम है और यह परियोजना कार्य में विलंब का कारण बनता है।
(ग) आनुपातिक नियम - इस नियम में पूरे किए कार्य की प्रतिशत की गणना करने के लिए कुल अनुसूचित समय में योजनाबद्ध समय को तारीख से विभक्त (भाग) किया जाता है सामान्यत: इसी नियम का प्रयोग किया जाता है।
(ii) क्रांतिक अनुपात तकनीक – यह उन बड़ी परियोजनाओं पर लागू की जाती है जिनमें क्रांतिक अनुपात सभी परियोजना गतिविधियों के लिए परिकलित किया जाता है।
वास्तविक प्रगति / अनुसूचित प्रगति X बजट - लागत / वास्तविक लागत
यदि अनुपात है, तो संभावना यह होती है कि प्रत्येक चीज लक्ष्यानुसार है और अनुपात एक से अधिक होने पर ज्यादा निरीक्षण की आवश्यकता होती है।
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