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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2789
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है ? संक्षेप में लिखिए। 

उत्तर -

व्यक्ति का जीवन कभी भी स्थिर नहीं है बल्कि लगातार परिवर्तित होता रहता है । पूर्व में यह परिवर्तन व्यक्ति की शारीरिक संरचना तथा कार्य प्रणाली में परिपक्वता को लाता है, जबकि बाद के जीवन में यह परिवर्तन बाल्यकाल की ओर प्रतिगमन करता हुआ होता है। इस प्रकार के परिवर्तन को मनोवैज्ञानिक भाषा में जरण (Aging) कहते हैं, जिसके अंतर्गत मानसिक व शारीरिक संरचना व उनकी कार्यशैली में परिवर्तन होता है।

उत्तर प्रौढ़ावस्था को वृद्धावस्था के नाम से जाना जाता है। यह जीवन की अंतिम अवस्था है। व्यक्ति में सामान्यतः दैहिक एवं मानसिक ह्रास प्रारंभ हो जाता है। इस प्रकार के ह्रास का प्रमुख कारण प्रेरणा का अभाव है। ऐसे व्यक्ति जो इस अवस्था में भी सीखने की चाह, स्वयं को आधुनिक समय के साथ जोड़कर रखने की प्रवृत्ति रखते हैं उनमें वृद्धावस्था का आगमन धीमी गति से होता है। वृद्धावस्था की शुरूआत शारीरिक ह्रास से प्रारंभ होती है व धीरे-धीरे मानसिक ह्रास होना शुरू हो जाता है।

हरलॉक ने - इस अवस्था को "जीवन विस्तार की अंतिम अवस्था" कहा है। जब व्यक्ति पूर्व जीवन की अत्यधिक वांछित आकांक्षाओं से दूर होना प्रारंभ करता है, वह अपने जीवन के बिताये गये दिनों को याद कर उपलब्धियों के सहारे जीवनयापन करना शुरू कर देता है तथा जीवन के शेष दिनों के जीने के लिये स्वयं को तैयार करता है। आयु वृद्धि के साथ व्यक्ति का व्यवहार भी परिवर्तित होता है तथा वह बच्चों जैसा साधारण व्यवहार करना शुरू कर देता है।

भारतवर्ष में यह कथन काफी प्रचलित है, कि "बच्चे व बूढ़े में कोई अंतर नहीं होता है। व्यक्ति जितने समय तक जीता है उस पर वृद्धावस्था का छोटा या लम्बा होना निर्भर होता है। इस अवस्था में आयु वृद्धि के साथ-साथ व्यक्ति की शक्ति, स्फूर्ति, काम करने की गति आदि कम हो जाती है परंतु अपने कौशल के द्वारा वे आसानी से क्षतिपूर्ति कर लेते हैं, जैसे— स्कूटर को वह धीमी गति से चलाकर दुर्घटना से बच सकता है। वृद्धावस्था का वह समय जब ह्रास धीमा होता है और क्षतिपूर्ति हो सकती है 'जरत्व' कहलाता है। ह्रास की गति तब तीव्र होती है तथा व्यक्ति शारीरिक, मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है या टूट चुका होता है और क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती है। उस काल को 'जरावस्था' (Old Age) कहते हैं। एक व्यक्ति कब जराग्रस्त होगा कहना मुश्किल है, हो सकता है कि जराग्रस्त होने से पूर्व उसकी मृत्यु हो जाए। अतः जरावस्था अलग-अलग व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न हो सकती हैं, जिसे शारीरिक आयु से मानना उचित नहीं होगा। रहन-सहन की परिस्थितियों तथा चिकित्सा के उन्नत तरीकों के कारण स्त्री एवं पुरुष में जरावस्था का आगमन साठ-पैंसठ वर्ष की आयु के बाद होता है।

व्यक्ति में जब शारीरिक ह्रास के चिन्ह प्रकट होना शुरू होते हैं तो वे मानसिक रूप से निष्क्रिय होने लगते हैं। व्यक्ति के शरीर के भिन्न-भिन्न अवयवों का जीवन-काल भिन्न-भिन्न होता है, जैसे- स्त्रियों में अण्डाशय एक निश्चित समय तक काम करता है फिर निष्क्रिय हो जाता | दुर्घटना या बीमारी नेत्रों के लैंस की नमनीयता. शीघ्र खत्म कर देती है। बीमार स्त्रियों में रजोनिवृत्ति भी जल्दी हो सकती है।

इसी प्रकार मानसिक ह्रास में व्यक्तिगत भेद पाए जाते हैं। जैसे—अर्थग्रहण की क्षमता, शब्द भण्डार तथा ज्ञान प्राप्ति में ह्रास कम होता है। अंक परीक्षण में ह्रास अधिक होता है तथा स्मृति का ह्रास सबसे ज्यादा होता है। जरण की अवधि अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग समय पर होने के निम्नलिखित कारण हैं-

(i) आनुवांशिकता ।
(ii) लिंग।
(iii) जाति ।
(iv) वातावरण।
(v) पारिवारिक स्वरूप। 
(vi) शिक्षा ।

वृद्धावस्था की विभिन्न श्रेणियाँ
(Different Categories of Old Age)

रेसमन के अनुसार वृद्धावस्था की तीन श्रेणियां हैं-

1. स्वायत्त (Independent ) - इस प्रकार की श्रेणी में वे व्यक्ति आते हैं जिनमें आत्मिक स्फूर्ति होती है। ये सृजनात्मक होने के साथ-साथ सक्रिय होते हैं। ये व्यक्ति विशाल हृदय वाले एवं सक्रिय होते हैं। किसी भी प्रकार के परिवर्तन का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। आयु वृद्धि के साथ-साथ ये अधिक समझदार हो जाते हैं। वैसे ये स्वभाव से बहुत ज्यादा सुसमायोजित तो नहीं होते हैं परंतु इनमें उत्साह भरपूर होता है। समाज में इस श्रेणी के वृद्धों की संख्या कम होती है।

2. समायोजित (Adjusted ) - ये व्यक्ति नदी के बहाव की ओर चलने वाले हैं अर्थात् वातावरण के अनुसार स्वयं को ढाल लेते हैं। इसलिये इनमें उत्साह बना रहता है। जब तक वातावरण उनके अनुकूल होता है तब तक वे क्रियाशील रहकर काम कर सकते हैं।

3. परायत्त (Dependent ) - ऐसे व्यक्ति स्वतंत्रतापूर्वक कार्य में असमर्थ होते हैं। ये दूसरों के सहारे चलते हैं तथा अनुकूल परिस्थितियों में ही कार्य कर सकते हैं।

अतः उपरोक्त श्रेणियों को जानने के बाद यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि जरण के साथ-साथ व्यक्ति का व्यवहार, सोच, कार्यक्षमता का प्रभावं भी वृद्धावस्था को प्रभावित कर सकता है। ऐसे व्यक्ति जिन्हें वृद्ध होने का भय रहता है वे साधारणतया इस अवधि के साथ न्याय नहीं कर पाते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- विकास सम्प्रत्यय की व्याख्या कीजिए तथा इसके मुख्य नियमों को समझाइए।
  3. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में अनुदैर्ध्य उपागम का वर्णन कीजिए तथा इसकी उपयोगिता व सीमायें बताइये।
  4. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में प्रतिनिध्यात्मक उपागम का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में निरीक्षण विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- व्यक्तित्व इतिहास विधि के गुण व सीमाओं को लिखिए।
  7. प्रश्न- मानव विकास में मनोविज्ञान की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- मानव विकास क्या है?
  9. प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाएँ बताइये।
  10. प्रश्न- मानव विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन की व्यक्ति इतिहास विधि का वर्णन कीजिए
  12. प्रश्न- विकासात्मक अध्ययनों में वैयक्तिक अध्ययन विधि के महत्व पर प्रकाश डालिए?
  13. प्रश्न- चरित्र-लेखन विधि (Biographic method) पर प्रकाश डालिए ।
  14. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में सीक्वेंशियल उपागम की व्याख्या कीजिए ।
  15. प्रश्न- प्रारम्भिक बाल्यावस्था के विकासात्मक संकृत्य पर टिप्पणी लिखिये।
  16. प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी है ? समझाइए ।
  17. प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन-से है। विस्तार में समझाइए।
  18. प्रश्न- नवजात शिशु अथवा 'नियोनेट' की संवेदनशीलता का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है ? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये ।
  20. प्रश्न- क्रियात्मक विकास की विशेषताओं पर टिप्पणी कीजिए।
  21. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का अर्थ एवं बालक के जीवन में इसका महत्व बताइये ।
  22. प्रश्न- संक्षेप में बताइये क्रियात्मक विकास का जीवन में क्या महत्व है ?
  23. प्रश्न- क्रियात्मक विकास को प्रभावित करने वाले तत्व कौन-कौन से है ?
  24. प्रश्न- क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए।
  25. प्रश्न- प्रसवपूर्व देखभाल के क्या उद्देश्य हैं ?
  26. प्रश्न- प्रसवपूर्व विकास क्यों महत्वपूर्ण है ?
  27. प्रश्न- प्रसवपूर्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं ?
  28. प्रश्न- प्रसवपूर्व देखभाल की कमी का क्या कारण हो सकता है ?
  29. प्रश्न- प्रसवपूर्ण देखभाल बच्चे के पूर्ण अवधि तक पहुँचने के परिणाम को कैसे प्रभावित करती है ?
  30. प्रश्न- प्रसवपूर्ण जाँच के क्या लाभ हैं ?
  31. प्रश्न- विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन हैं ?
  32. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
  33. प्रश्न- शैशवावस्था में (0 से 2 वर्ष तक) शारीरिक विकास एवं क्रियात्मक विकास के मध्य अन्तर्सम्बन्धों की चर्चा कीजिए।
  34. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- शैशवावस्था में बालक में सामाजिक विकास किस प्रकार होता है?
  36. प्रश्न- शिशु के भाषा विकास की विभिन्न अवस्थाओं की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  37. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
  38. प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
  39. प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएँ क्या हैं?
  40. प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है?
  41. प्रश्न- शैशवावस्था में सामाजिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
  42. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते है ?
  43. प्रश्न- सामाजिक विकास की अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं ?
  44. प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये ।
  45. प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं? समझाइये |
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को समझाइए ।
  48. प्रश्न- बाल्यावस्था के कुछ प्रमुख संवेगों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- बालकों के जीवन में नैतिक विकास का महत्व क्या है? समझाइये |
  50. प्रश्न- नैतिक विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन-से हैं? विस्तार पूर्वक समझाइये?
  51. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास क्या है? बाल्यावस्था में संज्ञानात्मक विकास किस प्रकार होता है?
  53. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
  54. प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें ।
  55. प्रश्न- बाल्यकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है?
  56. प्रश्न- सामाजिक विकास की विशेषताएँ बताइये।
  57. प्रश्न- संवेगात्मक विकास क्या है?
  58. प्रश्न- संवेग की क्या विशेषताएँ होती है?
  59. प्रश्न- बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ क्या है?
  60. प्रश्न- कोहलबर्ग के नैतिक सिद्धान्त की आलोचना कीजिये।
  61. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?
  62. प्रश्न- बालक के संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
  63. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की विशेषताएँ क्या हैं?
  64. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  65. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  66. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  67. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास किस प्रकार होता है एवं किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का उल्लेख कीजिए?
  68. प्रश्न- किशोरावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- नैतिक विकास से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के दौरान नैतिक विकास की विवेचना कीजिए।
  70. प्रश्न- किशोरवस्था में पहचान विकास से आप क्या समझते हैं?
  71. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  72. प्रश्न- अनुशासन युवाओं के लिए क्यों आवश्यक होता है?
  73. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  74. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन-से हैं?
  75. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  76. प्रश्न- आत्म विकास में भूमिका अर्जन की क्या भूमिका है?
  77. प्रश्न- स्व-विकास की कोई दो विधियाँ लिखिए।
  78. प्रश्न- किशोरावस्था में पहचान विकास क्या हैं?
  79. प्रश्न- किशोरावस्था पहचान विकास के लिए एक महत्वपूर्ण समय क्यों है ?
  80. प्रश्न- पहचान विकास इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
  81. प्रश्न- एक किशोर के लिए संज्ञानात्मक विकास का क्या महत्व है?
  82. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है ? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं ?
  84. प्रश्न- एक वयस्क के कैरियर उपलब्धि की प्रक्रिया और इसमें शामिल विभिन्न समायोजन को किस प्रकार व्याख्यायित किया जा सकता है?
  85. प्रश्न- जीवन शैली क्या है? एक वयस्क की जीवन शैली की विविधताओं का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- 'अभिभावकत्व' से क्या आशय है?
  87. प्रश्न- अन्तरपीढ़ी सम्बन्ध क्या है?
  88. प्रश्न- विविधता क्या है ?
  89. प्रश्न- स्वास्थ्य मनोविज्ञान में जीवन शैली क्या है?
  90. प्रश्न- लाइफस्टाइल साइकोलॉजी क्या है ?
  91. प्रश्न- कैरियर नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  92. प्रश्न- युवावस्था का मतलब क्या है?
  93. प्रश्न- कैरियर विकास से क्या ताप्पर्य है ?
  94. प्रश्न- मध्यावस्था से आपका क्या अभिप्राय है ? इसकी विभिन्न विशेषताएँ बताइए।
  95. प्रश्न- रजोनिवृत्ति क्या है ? इसका स्वास्थ्य पर प्रभाव एवं बीमारियों के संबंध में व्याख्या कीजिए।
  96. प्रश्न- मध्य वयस्कता के दौरान होने बाले संज्ञानात्मक विकास को किस प्रकार परिभाषित करेंगे?
  97. प्रश्न- मध्यावस्था से क्या तात्पर्य है ? मध्यावस्था में व्यवसायिक समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- मिडलाइफ क्राइसिस क्या है ? इसके विभिन्न लक्षणों की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- स्वास्थ्य के सामान्य नियम बताइये ।
  101. प्रश्न- मध्य वयस्कता के कारक क्या हैं ?
  102. प्रश्न- मध्य वयस्कता के दौरान कौन-सा संज्ञानात्मक विकास होता है ?
  103. प्रश्न- मध्य वयस्कता में किस भाव का सबसे अधिक ह्रास होता है ?
  104. प्रश्न- मध्यवयस्कता में व्यक्ति की बुद्धि का क्या होता है?
  105. प्रश्न- मध्य प्रौढ़ावस्था को आप किस प्रकार से परिभाषित करेंगे?
  106. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष के आधार पर दी गई अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- मध्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- क्या मध्य वयस्कता के दौरान मानसिक क्षमता कम हो जाती है ?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60) वर्ष में मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक समायोजन पर संक्षेप में प्रकाश डालिये।
  110. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  111. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये ।
  112. प्रश्न- वृद्धावस्था में नाड़ी सम्बन्धी योग्यता, मानसिक योग्यता एवं रुचियों के विभिन्न परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- सेवा निवृत्ति के लिए योजना बनाना क्यों आवश्यक है ? इसके परिणामों की चर्चा कीजिए।
  114. प्रश्न- वृद्धावस्था की विशेषताएँ लिखिए।
  115. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है ? संक्षेप में लिखिए।
  116. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  117. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए ।
  118. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।
  119. प्रश्न- स्वास्थ्य के सामान्य नियम बताइये ।
  120. प्रश्न- रक्तचाप' पर टिप्पणी लिखिए।
  121. प्रश्न- आत्म अवधारणा की विशेषताएँ क्या हैं ?
  122. प्रश्न- उत्तर प्रौढ़ावस्था के कुशल-क्षेम पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  123. प्रश्न- संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  124. प्रश्न- जीवन प्रत्याशा से आप क्या समझते हैं ?
  125. प्रश्न- अन्तरपीढ़ी सम्बन्ध क्या है?
  126. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए।
  127. प्रश्न- अन्तर पीढी सम्बन्धों में तनाव के कारण बताओ।

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