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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2789
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 5

किशोरावस्था

(Adolescence)

प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।

अथवा
किशोरावस्था से आप क्या समझती हैं? विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएँ लिखिये।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. किशोरावस्था को परिभाषित कीजिए।
2. किशोरावस्था की विभिन्न अवस्थाएँ।

उत्तर -

किशोरावस्था के बालक को न तो बालक कहा जा सकता है और न ही प्रौढ़। यह अवस्था बाल्यावस्था के अंत तथा युवावस्था के प्रारम्भ के मध्य की अवस्था है। इस अवस्था में यदि किशोर बालक की तरह व्यवहार करता है तो भी माता-पिता टोकते हैं, “अब बड़े हो गये हो, बालकों की भाँति व्यवहार करना छोड़ दो।" इसी प्रकार यदि वह वयस्क की तरह व्यवहार करता है तो उसे यह कहा जाता है कि "अभी तुम इतने बड़े नहीं हुए हो कि ऐसी बातें करो।” अतः इनकी स्थिति बड़ी ही विचित्र होती है। इसीलिए कुछ मनोवैज्ञानिकों ने इस अवस्था को "क्रांतिक अवस्था” (Critical phase) कहा है तो कुछ ने "संक्रमण काल की अवस्था" (Infection Period) की संज्ञा दी है। कुछ मनोवैज्ञानिक इसे 'टीन एजर' (Teen Ager) भी कहते हैं क्योंकि यह अवस्था 13 से 19 वर्ष ' तक की मानी जाती है। कुछ मनोवैज्ञानिक इस अवस्था को "वयः संधि की अवस्था” (Puberty age) भी कहते हैं। जी स्टानले हॉल (G. Stanley Hall ) ने इसे विकास का 'संकटपूर्ण समय' बताया है।

किशोरावस्था मानव जीवन की सबसे सुन्दर एवं स्वर्णिम अवस्था है। इस अवस्था में जीवन तरंग अपने सर्वोच्च शिखर पर पहुँच जाती हैं। किशोर-किशोरियाँ रंग-बिरंगे सपने देखते हैं। अपने भविष्य निर्माण हेतु ताना-बाना बुनते हैं। किशोरावस्था के अंत तक किशोर-किशोरियों का शारीरिक एवं मानसिक विकास पूर्ण हो जाता है। अब एक लड़की एक स्त्री की तरह तथा लड़का एक पुरुष की तरह दिखने लगता है। शरीर भरा-भरा एवं सुन्दर दिखता है। उनके चेहरे पर एक विशेष प्रकार की रौनक एवं जादुई आकर्षण होता है। वह मनोरंजन एवं फैशन के संसार में डूब जाता है। उसमें असीम शक्ति होती है, अक्षय ऊर्जा का भंडार होता है जो समुद्र की लहरों की तरह हिलोरे मारते रहता है। उनका आकर्षण विपरीत लिंगों के प्रति बढ़ जाता है। यह आकर्षण ही उन्हें प्रेम संबंधों की ओर ले जाता है। कामेच्छा बढ़ जाती है। अतः किशोरावस्था को यदि जीवन का बसंत कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

किशोरावस्था का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning & Definition of Adolescence)

किशोरावस्था अंग्रेजी भाषा के 'Adolescere' शब्द का हिन्दी रुपांतर है जिसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के Adolescere ( एडोलेसियर ) शब्द से हुई है। 'Adolescere' का अर्थ होता. है - " परिपक्वता की ओर बढ़ना" (To grow to maturity ) । इस दृष्टिकोण से किशोरावस्था बाल्यावस्था एवं प्रौढ़ावस्था के मध्य की अवस्था है। जब बालक का शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक, संवेगात्मक परिवर्तन तीव्र गति से होता है। इन्हीं परिवर्तनों के कारण किशोर के व्यवहार में असामान्यता उत्पन्न होने लगती है। उसमें अस्थिरता, सांवेगिकता, अनिश्चितता आदि का प्राबल्य रहता है।

विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने किशोरावस्था को अपनी-अपनी शैली में, अपने-अपने तरीके से परिभाषित किया है। कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नानुसार हैं-

(1) काइमाइकेल के अनुसार - "किशोरावस्था जीवन का वह समय है, जहाँ से एक अपरिपक्व व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक विकास एक चरम सीमा की ओर अग्रसर होता है। दैहिक दृष्टि से एक व्यक्ति तब किशोर बनता है, जब उसमें वयः संधि अवस्था प्रारंभ होती है तथा उसमें संतान उत्पन्न करने की योग्यतां प्रारंभ हो जाती है।

(2) आइजनेक के अनुसार - “किशोरावस्था वंय संधि के बाद की वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति में आत्म उत्तरदायित्व का स्थापन होता है।"

(3) जर्सिल्ड के अनुसार - " किशोरावस्था वह अवस्था है जिसमें एक विकासशील व्यक्ति बाल्यावस्था से परिपक्वावस्था की ओर बढ़ता है। "

(4) डार्थी रेजर्स के अनुसार - "किशोरावस्था एक काल (अवधि) की अपेक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें समाज में प्रभावशाली ढंग से सहभागिता निभाने के लिए अभिवृत्तियों एवं विश्वासों को अर्जित किया जाता है।'

(5) एनडर्सन (Anderson) के अनुसार - "किशोरावस्था यौवनारम्भ से लेकर पूर्ण ऊँचाई ओर वजन एवं वृद्धि की प्राप्ति तक की अवस्था है। इस काल में व्यक्ति घर के बाहर के दायरे में होता है और शारीरिक एवं मानसिक रूप से आत्मनिर्भर बनता है।"

(6) एनसाइक्लोपीडिया ऑफ साइकोलौजी के अनुसार - "किशोरावस्था को सभी सामाजिक वर्गों के नवयुवकों को प्रमुख प्रक्रिया के रूप में उल्लेखित किया गया है जो आधुनिक सभ्यता एवं संस्कृति की एक पुंज हैं। "

(7) ऐरिकसन (Erikson ) - "किशोरावस्था तीव्र गति से होने वाले परिवर्तनों का काल है - शारीरिक, शरीर क्रियात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक । यह वह समय है जब सभी समानताओं तथा निरन्तरताओं जिन पर पहले पूर्ण विश्वास किया जाता था अब उन विश्वासों पर पुनः प्रश्नचिन्ह लग जाता है। "

हॉल (Hall) के अनुसार - “किशोरावस्था तूफान और तनाव की अवस्था है। "(Adolescence is a period of storm and stress)

किशोरावस्था की विभिन्न अवस्थाओं में निम्नलिखित विशेषताएँ देखी जाती हैं-

(1) पूर्व किशोरावस्था (Pre Adolescence ) - यह समय 10 या 11 वर्ष से लेकर 12 या 13 वर्ष तक माना जाता है। इस समय बालक दुबला-पतला और लम्बा दिखाई देता है। वह बहुत अधिक चंचल और क्रियाशील हो जाता है। वह थकान का अनुभव जल्दी ही करने लगता है और उदासीन हो जाता है। इस अवस्था में लड़के और लड़कियाँ अपने से बड़ों के प्रति अविश्वास, संदेह और चिड़चिड़ापन दिखाते हैं। वे बहुत जल्दी अप्रसन्न हो जाते हैं और अक्सर यह शिकायत करते देखे जाते हैं कि बड़े लोग उन्हें ठीक से समझते नहीं हैं या उनके साथ उचित व्यवहार नहीं दिखाते वे अत्यधिक संवेदनशील और आत्म संचेत हो जाते हैं। कभी-कभी वे क्रोध, भय या प्रेम का संवेग तीव्र रूप में दिखाते हैं। माता-पिता और साथियों के बीच संघर्ष होने पर उनमें निराशा देखी जाती है। इस आयु में वे स्वतन्त्रता चाहते हैं और वे दूसरों की इच्छाओं व माँगों का विरोध करते हैं। वे अधिकांश समय अपने मित्रों या साथियों के साथ व्यतीत करते हैं। इस आयु में वे कपड़े पहनने, भाषा का प्रयोग करने, व्यवहार और मूल्यों की दृष्टि से अपने समवयस्कों की पूर्ण अनुरूपता प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। उन्हें अपने साथियों के नियमों और प्रतिमानों को स्वीकार करना और उनके अनुरूप कार्य सीखते देखा जाता है। साथियों का समूह भी अपने सदस्यों में से अनुरुपता की माँग करता है। इस काल के सामाजिक विकास की यह विशेषता होती है कि लड़कियाँ, लड़कियों के साथ रहना पसन्द करती हैं और लड़के लड़कों के साथ। इस आयु में आदर्शवाद की भावना बहुत तीव्र होती है तथा वे न्याय और औचित्य का बहुत अधिक पक्ष लेते हैं। वे उचित व्यवहार का उल्लंघन करने वाले लोगों या अपने साथियों को चुनौती देने से घबराते नहीं हैं। उनमें गहरे अर्न्तविवेक का विकास होता है और स्वयं को अपराधी या दोषपूर्ण अनुभव करते हैं। व्यवहार के दोहरे आदर्श वे सहन नहीं करते हैं। इस आयु के बालकों में विश्वस्तरीय घटनाओं, सामाजिक, राजनैतिक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाले विकासों को समझने की तीव्र इच्छा देखी जाती है। उनकी रुचि पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ने में देखी जाती है। सामूहिक जन-साधनों विशेष रूप से फिल्म, रेडियो और टेलीविजन कार्यक्रमों में उनकी रुचि देखी जाती है।

(2) आरम्भिक किशोरावस्था (Early Adolescence ) - यह लगभग 12 वर्ष से 15 वर्ष तक का काल है। इस आयु में किशोर को नये विचारों एवं नयी शरीर आकृति को स्वीकार करना पड़ता है। इस आयु में किशोर को नये विचारों एवं नयी शरीर आकृति को स्वीकार करना पड़ता है। बालक अपने शरीर, आकार-प्रकार और लम्बाई-चौड़ाई में बहुत अधिक रुचि लेते हैं। लड़कों में अपने शरीर को हष्ट-पुष्ट बनाने, पेशियाँ उभारने और व्यायाम में रुचि देखी जाती है। लड़कियाँ अपने शरीर की सुन्दरता, चेहरे की बनावट, रंग आदि में रुचि प्रदर्शित करती हैं। लड़के पुरुषत्व के प्रति तथा लड़कियाँ अपने स्त्रीत्व के प्रति सजग होती हैं। इस आयु में समलैंगिक सदस्यों के साथ मित्रता के सम्बन्ध घनिष्ठ होते देखे जाते हैं। साथ ही साथ विपरीत लिंग के सदस्यों में भी रुचि बढ़ जाती है।

(3) उत्तर - किशोरावस्था - यह अवस्था लगभग 16 से 19 वर्ष की आयु तक होती है। लड़कियों में यह एक वर्ष पूर्व प्रारम्भ होती है। पूर्व किशोरावस्था में प्रारम्भ हुई परिपक्वता इस अवस्था के अंत तक सामान्यत: पूर्णता प्राप्त कर लेती है। इस अवस्था में किशोरों के व्यवहार में काफी स्थिरता आ जाती है। अपनी कुछ समस्याओं को समझ कर सुलझाने लगता है। अब किशोर अपने संवेगों पर भी अपेक्षाकृत नियंत्रण कर सकता है। इस अवस्था में बड़ों का हस्तक्षेप कम होने लगता है । मित्रता में भी स्थिरता आने लगती है। अब किशोर स्वयं पर ध्यान देने लगते हैं तथा समाज के मूल्यों, नियमों तथा अनुभवों के आधार पर वास्तविकता की ओर ध्यान देने लगते हैं, चूंकि किशोर युवावस्था की ओर अग्रसर होने लगता है अतः वह व्यवहार, पहनावा, आदतों, बातचीत के ढंग सभी में बड़ों का अनुकरण करने लगता है। इस अवस्था में किशोर की जो जीवन शैली बन जाती है वहीं जीवन शैली थोड़े बहुत परिवर्तनों के साथ जीवन पर्यन्त चलती रहती है।

किशोरावस्था ही वह अवस्था है जो बालकों को सम्पूर्ण दृष्टि (शारीरिक, मानसिक आदि) से प्रौढ़ एवं सुदृढ़ बनाती है। वैयक्तिक भिन्नताओं के कारण कुछ बालक-बालिकाओं में किशोरावस्था से सम्बन्धित लक्षण शीघ्र एवं अधिक स्पष्ट रूप में दिखाई देने लगते हैं तथा कुछ में देर से।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- विकास सम्प्रत्यय की व्याख्या कीजिए तथा इसके मुख्य नियमों को समझाइए।
  3. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में अनुदैर्ध्य उपागम का वर्णन कीजिए तथा इसकी उपयोगिता व सीमायें बताइये।
  4. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में प्रतिनिध्यात्मक उपागम का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में निरीक्षण विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- व्यक्तित्व इतिहास विधि के गुण व सीमाओं को लिखिए।
  7. प्रश्न- मानव विकास में मनोविज्ञान की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- मानव विकास क्या है?
  9. प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाएँ बताइये।
  10. प्रश्न- मानव विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन की व्यक्ति इतिहास विधि का वर्णन कीजिए
  12. प्रश्न- विकासात्मक अध्ययनों में वैयक्तिक अध्ययन विधि के महत्व पर प्रकाश डालिए?
  13. प्रश्न- चरित्र-लेखन विधि (Biographic method) पर प्रकाश डालिए ।
  14. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में सीक्वेंशियल उपागम की व्याख्या कीजिए ।
  15. प्रश्न- प्रारम्भिक बाल्यावस्था के विकासात्मक संकृत्य पर टिप्पणी लिखिये।
  16. प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी है ? समझाइए ।
  17. प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन-से है। विस्तार में समझाइए।
  18. प्रश्न- नवजात शिशु अथवा 'नियोनेट' की संवेदनशीलता का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है ? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये ।
  20. प्रश्न- क्रियात्मक विकास की विशेषताओं पर टिप्पणी कीजिए।
  21. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का अर्थ एवं बालक के जीवन में इसका महत्व बताइये ।
  22. प्रश्न- संक्षेप में बताइये क्रियात्मक विकास का जीवन में क्या महत्व है ?
  23. प्रश्न- क्रियात्मक विकास को प्रभावित करने वाले तत्व कौन-कौन से है ?
  24. प्रश्न- क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए।
  25. प्रश्न- प्रसवपूर्व देखभाल के क्या उद्देश्य हैं ?
  26. प्रश्न- प्रसवपूर्व विकास क्यों महत्वपूर्ण है ?
  27. प्रश्न- प्रसवपूर्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं ?
  28. प्रश्न- प्रसवपूर्व देखभाल की कमी का क्या कारण हो सकता है ?
  29. प्रश्न- प्रसवपूर्ण देखभाल बच्चे के पूर्ण अवधि तक पहुँचने के परिणाम को कैसे प्रभावित करती है ?
  30. प्रश्न- प्रसवपूर्ण जाँच के क्या लाभ हैं ?
  31. प्रश्न- विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन हैं ?
  32. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
  33. प्रश्न- शैशवावस्था में (0 से 2 वर्ष तक) शारीरिक विकास एवं क्रियात्मक विकास के मध्य अन्तर्सम्बन्धों की चर्चा कीजिए।
  34. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- शैशवावस्था में बालक में सामाजिक विकास किस प्रकार होता है?
  36. प्रश्न- शिशु के भाषा विकास की विभिन्न अवस्थाओं की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  37. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
  38. प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
  39. प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएँ क्या हैं?
  40. प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है?
  41. प्रश्न- शैशवावस्था में सामाजिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
  42. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते है ?
  43. प्रश्न- सामाजिक विकास की अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं ?
  44. प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये ।
  45. प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं? समझाइये |
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को समझाइए ।
  48. प्रश्न- बाल्यावस्था के कुछ प्रमुख संवेगों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- बालकों के जीवन में नैतिक विकास का महत्व क्या है? समझाइये |
  50. प्रश्न- नैतिक विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन-से हैं? विस्तार पूर्वक समझाइये?
  51. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास क्या है? बाल्यावस्था में संज्ञानात्मक विकास किस प्रकार होता है?
  53. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
  54. प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें ।
  55. प्रश्न- बाल्यकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है?
  56. प्रश्न- सामाजिक विकास की विशेषताएँ बताइये।
  57. प्रश्न- संवेगात्मक विकास क्या है?
  58. प्रश्न- संवेग की क्या विशेषताएँ होती है?
  59. प्रश्न- बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ क्या है?
  60. प्रश्न- कोहलबर्ग के नैतिक सिद्धान्त की आलोचना कीजिये।
  61. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?
  62. प्रश्न- बालक के संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
  63. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की विशेषताएँ क्या हैं?
  64. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  65. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  66. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  67. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास किस प्रकार होता है एवं किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का उल्लेख कीजिए?
  68. प्रश्न- किशोरावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- नैतिक विकास से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के दौरान नैतिक विकास की विवेचना कीजिए।
  70. प्रश्न- किशोरवस्था में पहचान विकास से आप क्या समझते हैं?
  71. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  72. प्रश्न- अनुशासन युवाओं के लिए क्यों आवश्यक होता है?
  73. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  74. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन-से हैं?
  75. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  76. प्रश्न- आत्म विकास में भूमिका अर्जन की क्या भूमिका है?
  77. प्रश्न- स्व-विकास की कोई दो विधियाँ लिखिए।
  78. प्रश्न- किशोरावस्था में पहचान विकास क्या हैं?
  79. प्रश्न- किशोरावस्था पहचान विकास के लिए एक महत्वपूर्ण समय क्यों है ?
  80. प्रश्न- पहचान विकास इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
  81. प्रश्न- एक किशोर के लिए संज्ञानात्मक विकास का क्या महत्व है?
  82. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है ? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं ?
  84. प्रश्न- एक वयस्क के कैरियर उपलब्धि की प्रक्रिया और इसमें शामिल विभिन्न समायोजन को किस प्रकार व्याख्यायित किया जा सकता है?
  85. प्रश्न- जीवन शैली क्या है? एक वयस्क की जीवन शैली की विविधताओं का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- 'अभिभावकत्व' से क्या आशय है?
  87. प्रश्न- अन्तरपीढ़ी सम्बन्ध क्या है?
  88. प्रश्न- विविधता क्या है ?
  89. प्रश्न- स्वास्थ्य मनोविज्ञान में जीवन शैली क्या है?
  90. प्रश्न- लाइफस्टाइल साइकोलॉजी क्या है ?
  91. प्रश्न- कैरियर नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  92. प्रश्न- युवावस्था का मतलब क्या है?
  93. प्रश्न- कैरियर विकास से क्या ताप्पर्य है ?
  94. प्रश्न- मध्यावस्था से आपका क्या अभिप्राय है ? इसकी विभिन्न विशेषताएँ बताइए।
  95. प्रश्न- रजोनिवृत्ति क्या है ? इसका स्वास्थ्य पर प्रभाव एवं बीमारियों के संबंध में व्याख्या कीजिए।
  96. प्रश्न- मध्य वयस्कता के दौरान होने बाले संज्ञानात्मक विकास को किस प्रकार परिभाषित करेंगे?
  97. प्रश्न- मध्यावस्था से क्या तात्पर्य है ? मध्यावस्था में व्यवसायिक समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- मिडलाइफ क्राइसिस क्या है ? इसके विभिन्न लक्षणों की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- स्वास्थ्य के सामान्य नियम बताइये ।
  101. प्रश्न- मध्य वयस्कता के कारक क्या हैं ?
  102. प्रश्न- मध्य वयस्कता के दौरान कौन-सा संज्ञानात्मक विकास होता है ?
  103. प्रश्न- मध्य वयस्कता में किस भाव का सबसे अधिक ह्रास होता है ?
  104. प्रश्न- मध्यवयस्कता में व्यक्ति की बुद्धि का क्या होता है?
  105. प्रश्न- मध्य प्रौढ़ावस्था को आप किस प्रकार से परिभाषित करेंगे?
  106. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष के आधार पर दी गई अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- मध्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- क्या मध्य वयस्कता के दौरान मानसिक क्षमता कम हो जाती है ?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60) वर्ष में मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक समायोजन पर संक्षेप में प्रकाश डालिये।
  110. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  111. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये ।
  112. प्रश्न- वृद्धावस्था में नाड़ी सम्बन्धी योग्यता, मानसिक योग्यता एवं रुचियों के विभिन्न परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- सेवा निवृत्ति के लिए योजना बनाना क्यों आवश्यक है ? इसके परिणामों की चर्चा कीजिए।
  114. प्रश्न- वृद्धावस्था की विशेषताएँ लिखिए।
  115. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है ? संक्षेप में लिखिए।
  116. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  117. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए ।
  118. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।
  119. प्रश्न- स्वास्थ्य के सामान्य नियम बताइये ।
  120. प्रश्न- रक्तचाप' पर टिप्पणी लिखिए।
  121. प्रश्न- आत्म अवधारणा की विशेषताएँ क्या हैं ?
  122. प्रश्न- उत्तर प्रौढ़ावस्था के कुशल-क्षेम पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  123. प्रश्न- संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  124. प्रश्न- जीवन प्रत्याशा से आप क्या समझते हैं ?
  125. प्रश्न- अन्तरपीढ़ी सम्बन्ध क्या है?
  126. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए।
  127. प्रश्न- अन्तर पीढी सम्बन्धों में तनाव के कारण बताओ।

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