बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन
प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
उत्तर -
राजनीति विज्ञान के अनेक विचारकों का यह मानना है कि लोक प्रशासन को विज्ञान विषयों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। समाज विज्ञान कोश में मोरिस कोहन ने भी कहा है कि "लोक प्रशासन कला है, न कि विज्ञान।' एल. डी. ह्वाइट ने तो यहाँ तक कह दिया कि “लोक प्रशासन असल में विज्ञान है या नहीं? यह बात भविष्य में निर्णय लेने के लिए छोड़ देनी चाहिए ... परन्तु वर्तमान में यह कला अवश्य है।" लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के कुछ प्रमुख कारण निम्नांकित हैं -
(1) पूर्णताः अथवा निश्चितता का अभाव - लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने का एक प्रमुख कारण यह है कि इसमें अन्य विज्ञान विषयों की तरह पूर्णताः अथवा निश्चितता का अभाव पाया जाता है। इसके परिणामों को निश्चितता के पैमाने पर नहीं मापा जा सकता है। जिस प्रकार भौतिक विज्ञान, गणित तथा रसायन विज्ञान जैसे विषयों से प्राप्त निष्कर्ष सदैव एक समान ही रहते हैं जोकि प्रत्येक काल तथा प्रत्येक स्थान पर लागू किए जा सकते हैं। परन्तु इस प्रकार के निश्चित नियम न तो लोक प्रशासन में पाए जाते हैं और न ही प्राप्त निष्कर्षो को प्रत्येक काल तथा प्रत्येक स्थान पर लागू किया जा सकता है, क्योंकि लोक प्रशासन से प्राप्त निष्कर्ष परिस्थितिजन्य होते हैं जो बदली हुई परिस्थिति में लागू नहीं किए जा सकते। इसका कारण यह है कि सामाजिक विज्ञानों का सम्बन्ध मानवीय व्यवहार तथा सामाजिक परिस्थिति से होता है जोकि सदैव परिवर्तनशील होते हैं। यही कारण है कि लोक प्रशासन को विशुद्ध विज्ञान विषय की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
(2) सर्वमान्य सिद्धान्तों का अभाव - लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने का एक अन्य कारण यह है कि इसमें सर्वमान्य, सर्वग्राह्य तथा सार्वभौमिक नियमों एवं सिद्धान्तों का सर्वथा अभाव है। हेनरी फेयाफल, उर्विक, टफलर, विलोबी, स्टेने तथा अन्य लेखकों ने समय-समय पर सर्वमान्य सिद्धान्तों की रचना करने का प्रयास किया किन्तु उनमें से कोई भी ऐसा करने में सफल न हो सका। अमेरिका में हुए राजनीति विज्ञान के विद्वानों के एक महत्वपूर्ण सम्मेलन में प्रत्येक सदस्य को प्रशासन के एक सिद्धान्त का वर्णन करने के लिए आमन्त्रित किया गया, किन्तु उनमें से कोई भी ऐसे किसी सिद्धान्त का वर्णन न कर सका जिसे अन्य सदस्य स्वीकार कर लेते। एल.डी. व्हाइट का कहना है कि लोक प्रशासन के प्रत्येक सिद्धान्त के विपक्ष में उतना ही मान्य दूसरा सिद्धान्त प्रस्तुत किया जा सकता है, उदाहरण के रूप में व्हाइट के 'सकल निदेशन' (Unity of Command) के सिद्धान्त को ले लीजिए जिसके अनुसार प्रशासन के अन्तर्गत कोई भी कर्मचारी एक से अधिक अधिकारी के नियन्त्रण में नहीं होना चाहिए। परन्तु व्यवहार में हमें यह देखने को मिलता है कि अनेक कर्मचारी ऐसे हैं जो एक साथ ही अनेक प्रशासकीय एवं प्राविधिक अधिकारियों से आदेशित एवं निर्देशित होते रहते हैं।
(3) तथ्यों का परीक्षण एवं पर्यवेक्षण असम्भव - विशुद्ध विज्ञान विषयों में तथ्यों के परीक्षण, निरीक्षण तथा पर्यवेक्षण की सुविधा पायी जाती है लेकिन लोक प्रशासन में यह सम्भव नहीं है, क्योंकि विज्ञान की भाँति लोक प्रशासन के पास कोई ऐसी प्रयोगशाला नहीं है जिसमें लोक प्रशासन के तथ्यों का परीक्षण किया जा सके तथा तथ्यों की सत्यता एवं निष्कर्षो की निश्चितता को जाँचा जा सके। लोक प्रशासन का सम्बन्ध मनुष्यों के संवेगों, उसकी चेतना अवस्था, मानवीय व्यवहारों तथा सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों से है और इन सभी में स्थायित्व की कमी पायी जाती है। ये सदैव एक जैसे नहीं रहते इसलिए इनके द्वारा एकत्र सूचनाओं का परीक्षण न तो किया जा सकता है और न इनमें कोई निश्चितता की सम्भावना पायी जाती है। यही कारण है कि लोक प्रशासन के अन्तर्गत एकत्र सूचनाओं, आंकड़ों, तथ्यों का परीक्षण तथा पर्यवेक्षण करना असम्भव है और इसलिए लोक प्रशासन को विज्ञान विषय का दर्जा देना उचित नहीं है।
(4) आदर्शमूलक विषय - लोक प्रशासन विशुद्ध आदर्शमूलक विषय की श्रेणी में आता है जबकि विशुद्ध विज्ञान विषयों में नैतिक मूल्यों तथा आदर्शों का कोई स्थान नहीं होता। लोक प्रशासन के सिद्धान्त में निरन्तर प्रशासकीय क्रिया की तथ्यपरक एवं आदर्शमूलक धारणाएँ क्या हैं? क्यों हैं? क्या होना चाहिए? के बीच द्वन्द्वात्मक स्थिति रहती है। प्राकृतिक विज्ञान निश्चित रूप से तथ्यपरक होते हैं तथा उनमें व्यक्तिगत दृष्टिकोण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता अर्थात् दृष्टिकोण की निरपेक्षता सम्भव होती है। प्रशासन जैसे विषय आदर्शमूलक होते हैं। प्रशासन का कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होता है जिसमें नैतिकता का समावेश रहता है तथा लोक प्रशासन में आदर्शात्मकता तथा भावनात्मकता के साथ ही संवेदना भी पाई जाती है जो इसे अन्य विज्ञानों से अलग करती है।
(5) भविष्यवाणी करना असम्भव - लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने का एक कारण यह भी है कि इसमें अन्य वैज्ञानिक विषयों की भाँति भविष्यवाणी करना असम्भव होता है जिस प्रकार से भौतिक विज्ञान, गणित तथा रसायन विज्ञान जैसे विषयों की किसी घटना के सम्बन्ध में भविष्यवाणी की जा सकती है किन्तु लोक प्रशासन में इस प्रकार की भविष्यवाणी करना असम्भव है। इसका कारण है यह कि लोक प्रशासन मनुष्य की प्रशासकीय समस्याओं का अध्ययन करता है। मानव स्वभाव मूलतः स्वच्छन्दता प्रिय है उसमें मुक्त इच्छाओं, पसन्दों, प्रयोजनों तथा मूल्यों आदि के अनेक तत्वों का समावेश रहता है। अतः यह सम्भव नहीं कि प्रशासन अलग-अलग वर्गीकृत करके इसे निश्चिततापूर्वक माप सके और कोई भविष्यवाणी कर सके जबकि अन्य वैज्ञानिक विषयों में ऐसा ही किया जाता है।
उपरोक्त के अतिरिक्त और भी अन्य कई ऐसे कारण हैं जो लोक प्रशासन को विशुद्ध विज्ञान विषयों की श्रेणी में रखने का विरोध करते हैं।
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- प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
- प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
- प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
- प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
- प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
- प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
- प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
- प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
- प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
- प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
- प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
- प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
- प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
- प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
- प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
- प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
- प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
- प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
- प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
- प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।