बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन
प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
संगठन के आधार
किसी भी संगठन की आवश्यकता कार्य को सम्पादित करने के समय उत्पन्न होती है। अर्थात् संगठन किसी न किसी कार्य को पूरा करने हेतु बनाये जाते हैं। बहुत से विद्वानों की मान्यता है कि संगठन का निर्माण दर्जी के कार्य के समान है, जो कपड़े से कोट बनाते समय काटो और सिलाई कर दो की रीति अपनाता है। इसी प्रकार संगठन बनते हैं। संगठन निर्माण तथा संचालन के क्रम में कार्य का विभाजन किया जाना आवश्यक है। संगठन की व्यवस्था कार्य अथवा श्रम विभाजन के सिद्धान्त पर आधारित होती है। संगठन में निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिये विभिन्न स्तरों पर कार्य विभाजन करते हुए उनके मध्य समन्वय स्थापित किया जाता है। यह कार्य विभाजन किस आधार पर किया जाये? यह एक अत्यन्त विचारणीय प्रश्न रहा है।
लूथर गुलिक - ने अपनी पुस्तक Papers on the Science of Administration में कार्य - विभाजन अथवा संगठन के चार आधार बताए हैं। जिन्हे चार पी (4P) के नाम से जाना जाता है। ये चार आधार निम्नांकित हैं-
1. कार्य अथवा उद्देश्य (Purpose)
2. प्रक्रिया (Process)
3. व्यक्ति (Person)
4. स्थान (Place)
1. कार्य अथवा उददेश्य (Purpose) - कार्य अथवा उद्देश्य से तात्पर्य उन लक्ष्यों व सेवाओं से है जिन्हें संगठन प्राप्त करने का प्रयास करता है। उदाहरणार्थ शान्ति एवं सुरक्षा, यातायात, संचार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विभिन्न उद्देश्य सरकार द्वारा निर्धारित किए जाते हैं तथा इनकी प्राप्ति हेतु विभिन्न विभागों के बीच कार्य विभाजन किया जाता है। इन विभागों को भी उप इकाईयों में विभक्त करके कार्य- विभाजन किया जाता है। केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर कार्य अथवा उद्देश्यों के आधार पर ही विभिन्न विभागों की स्थापना की जाती है। भारत में कतिपय अत्यन्त महत्वपूर्ण विषय केन्द्र सरकार को सौंपे गए हैं। जैसे - प्रतिरक्षा वैदेशिक सम्बन्ध, डाक-तार, रेलवे आदि। राज्य सरकारों को शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, कृषि आदि का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। तदुपरान्त केन्द्र व राज्यों के अन्तर्गत विभागों को कार्यों अथवा द्देश्यों के आधार पर ही पुनर्विभाजित किया गया है। संगठन का आधार कार्य अथवा उद्देश्य होने पर क्ष्यों में समानता बनी रहती है। अतः समन्वय स्थापित करने के साथ-साथ कार्यकुशलता में वृद्धि होती है। योगात्मक दृष्टिकोण रहने से कार्य शीघ्र सम्पन्न होता है। जनता को सुविधा रहती है कि किस कार्य के तिये, किस विभाग के पास जाना है? इस प्रकार के संगठन के कुछ दोष भी हैं। जैसे दो: रापन होना एवं कार्य-विशेषीकरण का अभाव होना आदि।
2. प्रक्रिया (Process) - कई बार प्रक्रिया को भी संगठन का आधार बनाया जाता है। इसमें एक ही प्रक्रिया को कार्य में लाने वाले लोगों को एक ही विभाग में संगठित किया जाता है। उस निश्चित प्रक्रिया का उपयोग किसी भी उद्देश्य के लिये किया जा सकता है। यह उल्लेखनीय तथ्य है कि केवल अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रक्रिया को ही संगठन का आधार बनाया जाता है, कम महत्वपूर्ण प्रक्रिया को नहीं। प्रक्रिया के आधार पर संगठित संगठनों में दोहरेपन की सम्भावना कम होती है तथा कार्य-विशेषीकरण के परिणामस्वरूप कार्य-कुशलता में वृद्धि हो जाती है। मितव्ययिता समन्वय एवं एकरूपता बनी रहती है। उन्नति के अवसर भी अधिक होते हैं, परन्तु फिर भी इस प्रकार के संगठनों की संख्या कम पाई जाती है। क्योंकि इस प्रकार के संगठनों में कार्य करना असुविधाजनक एवं विलम्बपूर्ण होता है। अनेक बार एक ही प्रक्रिया वाले विभाग अन्य विभागों को सहयोग नहीं करते हैं। उदाहरणार्थ- यदि रक्षा विभाग के साथ सूचना विभाग अथवा स्वास्थ्य विभाग आदि सहयोग न करें तो परिणाम प्रतिकूल ही होंगे। प्रक्रिया-आधारित संगठनों का दृष्टिकोण संकुचित होता है। इसके अतिरिक्त केन्द्र एवं राज्य सरकारों का समस्त कार्य प्रक्रिया के आधार पर संगठित नहीं किया जा सकता है।
3. व्यक्ति (Person) - कतिपय परिस्थितियों में संगठन का आधार वे व्यक्ति होते हैं, जिनकी रावा की जाती है। इस प्रकार के संगठनों का मुख्य लक्ष्य किसी वर्ग-विशेष के हितों का संरक्षण करना हंता है। उदाहरणार्थ विभाग इसमें जिस व्यक्ति-समूह की सेवा का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है, उनकी सभी प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति का हर सम्भव प्रयास किया जाता है। इस प्रकार के संगठनों में समन्वय की स्थिति बनी रहती है। वर्ग विशेष की समस्याओं के समाधान हेतु विभिन्न विभागों में अनावश्यक भाग-दौड़ नहीं करनी पड़ती है। व्यक्ति, समूह विभागों की उन्नति में गहरी दिलचस्पी लेते हैं। किन्न इस प्रकार के विभाग सर्वत्र स्थापित नहीं किये जा सकते हैं। कर्मचारियों में योग्यता और दक्षती का अभाव बना रहता है तथा विशेषज्ञता की भी कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है। कार्य क्षेत्र निर्धारण में भी कठिनाई आती है।
4. स्थान (Place) - स्थान के आधार पर निर्मित संगठनों में उन सभी व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है जोकि एक ही क्षेत्र में कार्यरत होते हैं। यद्यपि उनके उददेश्यों, प्रक्रियाओं एवं सेवाओं समुदाय में भिन्नता हो सकती है। अन्य शब्दों में, कहा जा सकता है कि इन संगठनों का निमार्ण क्षेत्रीय अथवा स्थानीय आधार पर होता है। उदाहरणार्थ- सेना की पूर्वी, पश्चिमी व दक्षिणी कमान। भारतीय विदेश विभाग भी इसका सर्वोत्तम उदाहरण है। जिसमें अनेक से विभाग भौगोलिक आधार पर निर्मित हैं। किसी क्षेत्र विशेष का विकास करने के लिये यह संगठन उपयोगी होता है। इसमें कार्यक्रम व योजनाओं को स्थान की आवश्यकतानुसार परिवर्तित किया जा सकता है। इसमें क्षेत्रीयता व संकीर्णता की भावना को प्रोत्साहन मिलता है। इसमें राजनीतिक दबाव अन्य संगठनों की अपेक्षा कही अधिक होता है। विशेषीकरण का भी अभाव रहता है।
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- प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
- प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
- प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
- प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
- प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
- प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
- प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
- प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
- प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
- प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
- प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
- प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
- प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
- प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
- प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
- प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
- प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
- प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
- प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
- प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।