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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2796
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन

अध्याय - 10

प्रशासनिक कानून, प्रत्यायोजित विधान
एवं प्रशासनिक न्यायाधिकरण

(Administrative Law, Delegated Legislation
and Administrative Tribunals)

प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।

उत्तर -

लोक प्रशासकों को अपनी शक्तियों के क्रियान्वयन में हमेशा से विवेकाधीन सत्ता प्राप्त होती रही है। प्रशासकीय विवेक से तात्पर्य है कि लोक सेवक उपलब्ध अनेक विकल्पों में से किसी एक का चयन अपने विवेक से करें। उनसे यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे प्रशासकीय विवेक का उपयोग मनमाने ढंग से न करें। इसके लिए प्रशासकीय कानून के इस प्रशासकीय विवेक की सीमाएँ निर्धारित की जाती हैं।

प्रशासकीय कानून का अर्थ - अपने व्यापक अर्थ में प्रशासकीय कानून का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है। इस अर्थ में शासन के सभी अंगों के प्रशासन से सम्बन्ध रखने वाला कानून है। यह कानूनों का वह समूह है जिसका सम्बन्ध सार्वजनिक प्रशासन से है। संकुचित अर्थ में प्रशासकीय कानून का सम्बन्ध प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा प्रयुक्त विवेक के कानूनी पहलुओं से होता है जिसके सम्बन्ध में उन्हें अपने विवेक से काम लेना पडता है।

प्रशासकीय अधिकारियों को कानून द्वारा प्राप्त विवेकाधीन शक्ति के अधिकार का प्रयोग मनमाने ढंग से करने से रोकने के लिए प्रशासकीय कानून का प्रयोग किया जाता है। यह प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कर्त्तव्यों और उत्तरदायित्वों के निर्वहन में विवेक के प्रयोग की सीमाएँ निर्धारित करता है तथा उसके लिए निर्देश भी देता है। प्रशासकीय कानून प्रशासनिक अधिकारियों तथा अभिकरणों द्वारा उपयोग किए जाने वाले विवेक का निर्धारण करता है। जेनिंग्स के अनुसार प्रशासकीय कानून केवल शासन से सम्बन्धित नियम है। इनके द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों के अधिकारों और कर्त्तव्यों का ज्ञान तथा निर्णय होता है।'

रेने डेविड के अनुसार, "प्रशासकीय कानून का अर्थ उन नियमों से है जो लोक प्रशासन के संगठन तथा कर्त्तव्यों का ज्ञान कराते हैं और प्रशासनिक अधिकारियों तथा नागरिकों के पारस्परिक सम्बन्धों को नियमित करते हैं।' सी. एफ. स्ट्रांग के अनुसार, "प्रशासकीय कानून उन नियमों का संग्रह है जो नागरिकों के प्रति प्रशासनिक अधिकारियों के सम्बन्धों का नियमन करते हैं तथा राज्य अधिकारियों के पद एवं दायित्वों तथा इन अधिकारों एवं दायित्वों को लागू करने की प्रक्रिया भी निर्धारित करते हैं।'

प्रशासकीय कानून के विकास के कारण प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

(1) औद्योगिक क्रान्ति - औद्योगीकरण के कारण आधुनिककाल में सरकारों के कार्यों में अप्रत्याशिक वृद्धि हुई है। जब तक समाज के भिन्न-भिन्न सदस्यों के पास उत्पादन के साधन थे तब तक वे अलग-अलग उत्पादन करने में लगे रहे तथा वे सरकार से स्वतन्त्र थे। सरकार उनके कार्यों एवं उद्योगों में हस्तक्षेप नहीं करती थी। छोटे-छोटे उद्योगों का प्रचलन था एवं अधिकांश कार्य हाथ से होते थे। सामूहिक रूप से समाज के ऊपर आर्थिक दबाव नहीं पड़ता था। सार्वजनिक कल्याण को प्रत्येक व्यक्ति अपने प्रयत्नों से सार्थक करने का प्रयास करता था। सरकार तथा न्यायालयों का काम हल्का रहता था।

जब औद्योगिक क्रान्ति हुई तो इसके परिणामस्वरूप औद्योगीकरण को बढ़ावा मिला। उत्पादन के साधन तथा कार्य कुछ व्यक्तियों में केन्द्रित होने लगे, जिन्हें पूँजीपति कहा गया। यद्यपि पूँजीपति कम थे किन्तु उनके उद्योगों में कार्य करने वाले असंख्य कामगारों को उन पर आश्रित होना पड़ा। पूँजीपति अपनी शर्तों पर कामगारों से कार्य कराने लगे व उनका आर्थिक एवं शारीरिक शोषण करने लगे। किन्तु समाज के आर्थिक जीवन में अमूल परिवर्तन आया। जिससे श्रमिक वर्ग अपनी माँग को पूरा कराने के लिए संगठित होकर पूँजीपतियों पर दबाव बनाने लगे, ऐसी स्थिति में सरकार को समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा के लिए नियम और कानून बनाने पड़े। लोक कल्याण सरकार की चिन्ता का मुख्य उद्देश्य बन गया। सामूहिक हित के लिए व्यक्तिगत स्वतन्त्रता को दबाना पड़ा।

(2) प्रशासकीय कानून की लोचशीलता - प्रशासकीय कानून का मुख्य उद्देश्य सामाजिक कल्याण नीति की स्थापना करना होता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य, आवास, शिक्षा आदि ऐसे विषय हैं जिन पर प्रशासकीय कानून बल देता है और उनका स्तर ऊँचा करना चाहता है।

किसी विशेष स्थिति में क्या उचित है, क्या अनुचित क्या लाभप्रद है और क्या हानिप्रद यह निर्णय तो प्रशासनिक अधिकारी पर छोड़ दिया जाता है। चूँकि लोक प्रशासक और अधिकारी स्थानीय परिस्थितियों और तथ्यों से भली-भाँति परिचित होते हैं। वे समय तथा परिस्थिति से कदम मिलाकर चलते हैं। अतः सामाजिक विवेक का प्रशासकीय कानून में ऊँचा स्थान है। इसीलिए इसमें लोचशीलता पायी जाती है।

(3) कानून और तकनीकी विशेषज्ञों का सहयोग सम्भव - प्रशासकीय कानून द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य, शिक्षा या सफाई आदि के स्तरों के लिए विशेष जानकारी की आवश्यकता होती है। ऐसे लोग सामान्य न्यायालयों में नहीं होते। अतः विशिष्ट विषयों के लिए विशेष अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है। सामान्य न्यायालयों के अधिकारी कानून के ज्ञाता होते हैं जबकि प्रशासनिक कार्यों में सिर्फ न्यायिक गतिविधियाँ ही नहीं होतीं उसमें तो सार्वजनिक व्यवस्था एवं गतिविधियों से जुड़ी अनेक बातों का सम्मिश्रण होता है। यही कारण है कि तकनीकी मामलों को समझने वाले अधिकारियों को प्रशासकीय कानून के विभिन्न रूपों को निर्मित करने तथा प्रशासकीय अधिनिर्णय देने के अधिकार दिए गए हैं। सामान्य विधि तकनीकी मामलों में निर्णय देने में असफल रही है। यही कारण है कि प्रशासकीय कानून का विकास दिनों- दिन होता गया।

(4) प्रयोगात्मक एवं व्यावहारिक विधि - प्रशासनिक कानून नियम और अधिनियम का सहारा लेता है। वह व्यावहारिकता का विशेष ध्यान रखता है। प्रशासकीय कानून का उद्देश्य यह रहता है कि नई बदली हुई परिस्थिति में ऐसा क्या किया जाये कि कार्य चलता रहे। इसी कारण इसे प्रयोगात्मक विधि कहा जाता है। प्रगति के लिए प्रयोग करते जाना इसकी विधि है। फ्रैंक फर्टर तथा डेविसन का कहना है "प्रशासकीय कानून अभी बन रहे हैं मार्ग का शोध चल रहा है। अतः इसका प्राकृतिक तथा व्यावहारिक होना स्वाभाविक है। इसके सामने नई-नई समस्याएँ हैं उनके लिए नए-नए साधनों का आविष्कार करना पड़ता है और पुराने अनुभवों को नया रूप देना पड़ता है। इसका क्षेत्र इतना विशाल है कि उस पर अधिकार प्राप्त करना कठिन है। सिद्धान्त अभी स्थिर नहीं किए जा सके हैं। अभी हम इसको प्रौढ़ विधि का रूप नहीं दे सके हैं।

(5) प्रशासकों का विवेक - प्रशासनिक अधिकारियों को अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन हेतु स्व-विवेक से काम लेने की छूट होती है। जहाँ पर नियम एवं विधान मूकदर्शक की तरह होते हैं वहाँ पर प्रशासनिक अधिकारी अपने निजी विवेक और सद्बुद्धि का सहारा लेकर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हैं तथा जनता को विभिन्न सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं। इस विवेक प्रयोग के सन्दर्भ में प्रशासनिक अधिकारी निर्णय निर्धारण करते रहते हैं तथा विभिन्न आदेश निर्देश जारी करते हैं। इस तरह प्रशासकीय कानून में वृद्धि होती है तथा इसका विकास होता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
  6. प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
  7. प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
  8. प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
  10. प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
  12. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
  13. प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
  15. प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
  16. प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
  18. प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
  22. प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  23. प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
  24. प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
  25. प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
  26. प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
  28. प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
  29. प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
  41. प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
  44. प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  48. प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
  50. प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
  51. प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
  53. प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
  54. प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
  55. प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
  56. प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
  67. प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
  68. प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
  69. प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
  72. प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
  74. प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
  75. प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
  76. प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
  77. प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
  81. प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
  83. प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  84. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
  85. प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
  87. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
  89. प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
  90. प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
  92. प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
  94. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
  97. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
  101. प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
  105. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
  108. प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
  110. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  111. प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
  112. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
  113. प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  114. प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
  118. प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

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