बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन
अध्याय - 11
नव लोक सेवा उपागम
(New Public Service Approach)
प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
उत्तर -
लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागम निम्नलिखित हैं-
(i) व्यवहारवादी उपागम (Behavioural Approach)
(ii) व्यवस्था उपागम (System Approach)
(iii) संरचनात्मक-कार्यात्मक उपागम (Structural Functional Approach)
(iv) पारिस्थितिकी उपागम (Ecological Approach)
(Behavioural Approach)
लोक प्रशासन के अध्ययन का यह एक आधुनिक उपागम है। आधुनिक व्यवहारवाद की शुरूआत सन् 1930 तथा 1940 के बीच हुई किन्तु द्वितीय विश्व युद्ध के उपरान्त इसका तेजी के साथ विकार। हुआ। परम्परावादी दृष्टिकोण सामाजिक विद्वानों के लिए अपूर्ण तथा अपर्याप्त पाए गए। राजनीतिशास्त्र व्यवहारवाद परम्परागत, ऐतिहासिक और वर्णनात्मक पद्धतियों के विरुद्ध प्रतिक्रिया के रूप में उठ ख हुआ और धीरे-धीरे एक क्रान्ति का रूप धारण कर लिया। प्रशासन के क्षेत्र में यह मानवीय सम्ब आन्दोलन (Human Relations Movement) के साथ प्रारम्भ हुआ जिसे 1930 के दशक में चे र वर्वाड तथा हर्बर्ट साइमन ने एक आन्दोलन का रूप दिया। धीरे-धीरे अन्य कई लेखक एवं विद्वान स आन्दोलन से जुड़े। उन सभी का यह दावा था कि विभिन्न प्रकार के संगठनों का अध्ययन मानव आरए के अध्ययन के बिना अधूरा है। प्रत्येक संगठन में मानवीय व्यवहार और आचरण का निष्पक्ष निरीक्षण तथ अध्ययन सम्भव है और प्रशासनिक संगठनों की व्यावहारिक गतिविधियों का वैज्ञानिक पद्धतियों से अध्ययन कर प्रशासन तथा संगठन के बारे में कुछ निष्कर्ष तथा परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
व्यवहारवादी उपागम की मूल मान्यताएँ - लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवहारवादी उपागम के सम्बन्ध में विद्वानों द्वारा अपनायी गई मूल मान्यताएँ निम्नलिखित हैं
1. व्यवहारवादी साहित्य वर्णनात्मक और विश्लेषणात्मक है - व्यवहारवादी उपागम के अन्तर्गत अध्ययन का साहित्य वर्णनात्मक और विश्लेषणात्मक है न कि आदेशात्मक। इसमें प्रशासनिक इकाइयों का वैज्ञानिक पद्धतियों से विश्लेषण कर एक निश्चित परिणाम तक पहुँचा जाता है। चूँकि इसके अध्ययन की इकाई मनुष्य का व्यवहार है, इसलिए उससे सम्बन्धित मनोवैज्ञानिक कारकों का भी महत्वपूर्ण परिवर्तन (Variable) के रूप में अध्ययन किया गया है।
2. व्यवहारवादी सूक्ष्म अध्ययन में विश्वास करते हैं - व्यावहारवादियों का यह विचार है कि अध्ययन की इकाई जब तक बहुत बड़ी है तब तक गहन एवं सूक्ष्म अध्ययन सम्भव नहीं है। संगठन की विशाल इकाइयों को सूक्ष्म इकाइयों में परिवर्तित कर ही अधिक सार्थक और उपयोगी अध्ययन किया सकता है। अतः व्यवहारवादी सूक्ष्म एवं गहन अध्ययन को वरीयता देते हैं।
3. व्यवहारवादियों के अनुसार अध्ययन का आधार वैज्ञानिकता है - व्यवहारवादी लोक प्रशा के अध्ययन का आधार वैज्ञानिकता को मानते हैं। वे लोक प्रशासन को वैज्ञानिक बौद्धिक उद्यम मानते हैं उनके विचार में विज्ञान की ही तरह लोक प्रशासन की अवधारणाओं एवं निष्कर्षो को स्थायी निश्चित सार्वदेशिक होना चाहिए। लोक प्रशासन के सिद्धान्तों के परीक्षण के लिए प्रयोग, वर्गीकरण सत्यापन अ की वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाना चाहिए।
4. व्यवहारवादी अन्तर्निभरता पर विश्वास करते हैं - व्यवहारवादी उपागम की एक मान्यता यह भी है कि वे अन्तर्निभरता की दृष्टि से ज्ञान की समग्रता को स्वीकारते हैं अर्थात् किसी भी विषय के ज्ञान की समग्रता और सत्यता इस बात पर निर्भर करेगी कि वह ज्ञान के अन्य पहलुओं से कितना सम्बन्धित है। 5. व्यवहारवादी लोक प्रशासन को एक स्वतन्त्र एवं स्वशासित विज्ञान मानते हैं - व्यवहारवादी अध्ययन की यह मान्यता है कि वह लोक प्रशासन स्वतन्त्र विज्ञान के रूप में है तथा यह एक ऐसा विज्ञान है जो स्वशासित भी है। यद्यपि लोक प्रशासन समग्र ज्ञान का एक अंग है फिर भी वह स्वतन्त्र अध्ययन विज्ञान के रूप में अपना स्वतन्त्र सिद्धान्त एवं विचारधारा निर्धारित कर सकता है।
व्यवहारवादी उपागम ने लोक प्रशासन के अध्ययनकर्त्ताओं को अधिक मात्रा में वैज्ञानिक शोध और क्रमबद्ध सिद्धान्त निर्माण के लिए प्रेरित किया है। लोक प्रशासन के अध्ययन को इसने स्थूल से सूक्ष्म, वैचारिक से व्यावहारिक, एकाग्रता से समग्रता तथा वर्णनात्मकता से विश्लेषणात्मकता की ओर अग्रसर किया है। विश्व के विभिन्न देशों की प्रशासकीय व्यवस्थाओं का तुलनात्मक अध्ययन, अन्य सामाजिक विज्ञानों की अवधारणाओं और तकनीकों को अपनाना, विज्ञान जैसे विषय की भाँति उपयोगी बनाना एवं अन्तर्विषयक उपागमों को अपनाना व्यवहारवादी लोक प्रशासन की विशेषताएँ बन गई हैं।
व्यवहारवादी उपागम की सीमाएँ अथवा त्रुटियाँ - व्यवहारवादी उपागम की अनेकों विशेषताओं के बावजूद इसकी अपनी कुछ सीमाएँ भी हैं-
(1) यह मूल्य-निरपेक्ष नहीं है अतः भौतिक विज्ञान विषयों जैसी वैज्ञानिक कभी नहीं हो सकती।
(2) इसके प्रयोग तथा परीक्षाओं में इसकी अपनी कुछ बाध्यताएँ अथवा सीमाएँ हैं।
(3) इस अध्ययन विधि के द्वारा प्राप्त ज्ञान एवं उसके निष्कर्ष सदैव एक जैसे तथा सर्वमान्य नहीं हो सकते।
(4) व्यवहारवादियों का आचरण त्रुटियों एवं आलोचनाओं से रहित नहीं हो सकता।
(5) व्यवहारवादी अध्ययन की तकनीक का चाहे जितना विकास क्यों न हो गया हो किन्तु सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में उनकी गति, प्रभावशीलता एवं उपयोगिता सीमित एवं अपूर्ण ही है।
(6) व्यवहारवादी अध्ययन के साथ एक समस्या यह भी है कि मानव व्यवहार अत्यन्त जटिल एवं परवर्तनशील होने के कारण तथा अनेक कारकों से प्रभावित होने के कारण इसका अध्ययन त्रुटिरहित एवं पूगतः वैज्ञानिक नहीं हो सकता।
उपरोक्त कमियों के बावजूद भी व्यवहारवादी उपागम लोक प्रशासन के क्षेत्र में अत्यन्त लोकप्रिय हुआ है। पाश्चात्य देशों विशेषकर अमेरिका में इसका प्रभाव एवं प्रचार सर्वाधिक है। यह काफी उपयोगी भी सिद्ध हुआ है और इसने लोक प्रशासन के अध्ययन एवं ज्ञान के विकास में आशातीत सफलता दिलाई है।
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- प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
- प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
- प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
- प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
- प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
- प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
- प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
- प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
- प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
- प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
- प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
- प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
- प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
- प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
- प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
- प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
- प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
- प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
- प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
- प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।