बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
३. गम् (जाना) परस्मैपद
गच्छति
गम् - 'वर्तमाने लट्' से 'गम्' धातु से लट् प्रत्यय
गम् + लट् - लट् के अनुबन्धों को हटाने पर
गम् + ल् - कर्ता के प्रथम पुरुष एकवचन की विवक्षा में तिप् प्रत्यय
गम् + तिप् - 'कर्तरि शिप से शप का विकरण
गम् + शप् + तिप् - शप्' तथा 'तिप्' के अनुबन्धों को हटाने पर
गम् + अ + ति - रषुगमियमां छः' सूत्र से मकार को छकार
गछ् + अ + ति - 'छ च' से तुक् (त्) का आगम
ग त् छ् + ति - स्तोः श्चुना श्चुः' से प्रथम लकार को चकार होकर
गच्छति - यह रूप सिद्ध हुआ है।
गच्छन्ति
गम्ल - गम्लृगतो से गम्नृ आगम
गम् + झि - तिप् तस् झि से झि
गम् + शय् + झि - कर्तरिशप से शप
गछ् + अ + झि - इषुगमिययां छः से गम् को छः आदेश
अलोऽन्त्यस्य से अन्यत्वर्ण को छः आदेश
ग + तुक् + छ् + अ + झि - छेच से तुक् आगम
ग च् छ + अ + ङि - स्तो श्चुनाश्चुः से त् को च् आदेश
- झोऽन्तः से झि को अन्ति। अतोगुणे से पररूप एकादेश होकर
गच्छन्ति - यह रूप सिद्ध होता है।
गच्छसि
गम् - भूवादयोः धातुवः से धातु संज्ञा
- लः कर्मणि च भावे चाकर्मकेभ्यः...० से लकारों की प्राप्ति
गम् + लट् - 'वर्तमाने लट् से लट् का आगम
'गम् + ल्' - लट् का लृ शेष
गम् + सिप् - तिप् तस् ...० से सिप आया।
गम् + सि सिप् के अनुबन्धों का लोप होकर सि बचा गम् + अ + सि कर्तरिशप् से शप् (अ) का आगम
गछ् + अ + सि - इषु गमि यमां छः से गम के म् को छ
- छे च से तुक् का आगम।
गच्छ् + अ + सि - तुक् के अनुबन्धों का लोप होकर गच्छ हुआ।
गच्छ् + अ + सि - स्तोः शचुनाश्चुः से त् को च्।
गच्छसि - यह रूप सिद्ध हुआ है।
जग्मतुः
गम् - 'परोक्षे लिट्' से लिट् प्रत्यय
गम् + लिट् - लिट् के अनुबन्धों को हटाने पर
गम् + ल् - कर्ता के प्रथम पुरुष द्विवचन की विवक्षा में तस् प्रत्यय
गम् + तस् - 'परस्पैपदानां' से तस् को अतुस् आदेश
गम् + अतुस् - लिटि धातोरनभ्यासस्य से गम को द्वित्व
गम् गम् + अतुस् - 'हलादिः शेषः' से प्रथम अभ्यास संज्ञक गम का 'ग' शेष
ग गम् + अतुस् - 'अभ्यासे चर्च' से ग को ज
ज गम् + अ तुस् - 'असंयोगाल्लिट् कित्' से अतुस् की कित संज्ञा होने पर 'गमहन-जनखनघसां
लोपः' से गम् की उपधा अकार का लोप होकर
जग्मतुस् - 'ससजुषो रुः' से सकार को रु (र)
जग्मतुर् - 'खरवसानपोर्विसर्जनीयः' से 'र' को विसर्ग होकर
जन्मतुः - यह रूप सिद्ध हुआ।
गन्ता
गम् - भूवादयो धातुवः से गम की धातु संज्ञा (गम्लूगतौ)।
गम् + लुट् - 'अनद्यतने लुट्
गम् + ल् - अनुबन्धों का लोप।
गम् + तिप् - तिप् तस् झि० सूत्र से तिप् प्रत्यय की प्राप्ति
गम् + तिप्
गम् + तास् + लिप् - 'स्यतासी लृलुटोः' सूत्र से तास् प्रत्यय का आगम
गम् + तास् + तिप् - 'आर्धधातुकशेषः' सूत्र से तास की आर्धधातुक संज्ञा।
गम् + तास् + तिप्
गम् + वास् + डा - लुट् प्रथमस्य डारौरसः सूत्र से तिप् को डा
गम् + तास् + आ - आदेश तथा डकार का 'चुटू:' सूत्र से इत्संज्ञा होकर आकार मात्र शेष रहता है।
गम् + त् + आ - "अचोऽन्यादिटि' सूत्र से (आस टि) तास के आस का लोप होने पर यहाँ धातु के अनुदात्त होने पर 'एका च'
- 'उपदेशेऽनुदात्तत्' सूत्र से इट् का निषेध हो जाता है।
गन् + त् + आ - गम् के मकार को अनुस्वार तथा पर सवर्ण होकर गन्ता रूप सिद्ध हुआ।
गमिष्यति
गम् - 'लृट् शेषे च' सूत्र से लृट् प्रत्यय
गम् + लृट् - लृट् के अनुबन्धों को हटाने पर
गम् + ल् - कर्ता के प्रथम पुरुष एकवचन की विवक्षा में तिप् प्रत्यय
गम् + तिप् - 'स्यतासी लृलुटोः' से रूप का विकरण
गम् + स्यं + तिप् - 'आर्धधातुकस्पेड़ वलादेः' सूत्र से इट् का आगम
गम् + इट् + स्य + तिप् - इट् एवं तिप् के अनुबन्धों को हटाने पर
गम् + इस्य + ति - आदेश प्रत्ययोः से स का ष होकर
गमिष्यति - यह रूप सिद्ध हुआ है।
गमिष्यन्ति
गम् - 'लृट् शेषे च' सूत्र से लृट् (ल) लकार आय।
गम् + ल
गम् + झि - तिप् तस् झि० सूत्र से झि प्रत्यय। तिङ्गित्सार्व से झि की सार्वधातुक संज्ञा।
गम् + शप् + झि - 'कर्तरिशिप्' सूत्र से शप् (अ) प्रत्यय परन्तु उसे बाधित कर
गम् + स्प + झि - 'स्यतासी लृलुटोः' से स्य प्रत्यय आया।
- 'आर्धधातुक शेषेः सूत्र से स्य की आर्धधातुक संज्ञा
- एकाच उपदेशेऽनुदात्तात्' से अनिट् होने पर इट् का निषेध। किन्तु
गम् + इ + स्य + झि - 'गमोरिट् परस्मैपदेषु' से सूत्र से 'इट्' का आगम। 'इ' शेष
गम् + इ + ष्य + झि - 'आदेश प्रत्यययोः' सूत्र से दन्ती 'स्' को मूर्धन्य 'ष' आदेश।
गमिष्य + अन्ति - झोऽन्तः' सूत्र से 'झि को 'अन्ति' आदेश।
गमिष्य + अन्ति - 'अतोगुणो' सूत्र से 'स्प' के आकार को पर रूप आदेश।
गमिष्यन्ति - यह रूप सिद्ध हुआ है।
अगमत्
गम् - 'लुङ्' सूत्र से लुङ् प्रत्यय
गम् + लुङ्' - 'लुङ् लङ् लृङक्ष्वडुदात्तः' से गम को अट् का आगम
अट् + गम् + लुङ् - अट् एवं लुङ् के अनुबन्धों को हटाने पर
अगम् + ल् - कर्ता के प्रथम पुरुष एकवचन की विवक्षा में तिप् प्रत्यय
अगम् + तिप् - 'कर्तरि शप से शप् प्राप्त होने पर यहाँ 'च्लि लुङि' से उसका बोध होकर 'च्लि' विकरण हो जाता है।
अगम् + चिल + तिप् - 'च्लेः सिच्' से 'च्लि' के स्थान पर सिच् - किन्तु 'गम्' धातु के लृदित होने के कारण पुषादिद्युतादिलृदितः परस्यैपदेषु से उसका बाँध होकर 'चित्र' के स्थान में अड् आदेश।
अगम् + अ + तिप् - तिप् के प् का 'हलन्त्यम्' से एवं इ का 'इतश्च' से लोप होकर
अगमत् - यह रूप सिद्ध होता है।
गच्छन्तु
गम् + लोट् - 'लोट् च' सूत्र से लोट् लकार
गम् + ल् - प्रत्ययं की प्राप्ति
गम् + झि - तिप्तस्झि ... सूत्र से झि प्रत्यय का आगम सार्वधातुक संज्ञा शप् का आगम
गम् + अ + झि - कर्तरिशप सूत्र से शप् (अ) का आगम
ग + छ + अ + झि - 'इषु गमियमा छः' सूत्र से गम् के मकार को छकार होने पर
ग + तुक् + छ् + अ + झ - 'हे च' सूत्र से तुक्
ग + त् + छ + अ + झि - (त्) का आगम होने पर
ग + च् + छ् + अ + झि - 'स्तोश्चुनाश्चुः' सूत्र से
गच्छ + झि - तकार को श्चुत्व चकार होकर
गच्छ + झि
गच्छ् + अ + अन्ति - झोऽन्तः सूत्र से 'झ'
गच्छ + अ + अन्ति - को अन्त आदेश
गच्छ् + अ + अन्तु - एरुः सूत्र से इकार
गच्छ + अ + अन्तु - को उकार होकर
गच्छन्तु - अतोगुण सूत्र से शप् के अकार तथा अन्तु के अकारा को पररूप एकादेश होकर गच्छन्तु यह रूप सिद्ध हुआ है।
अगच्छत्
गम् + लङ् - 'अनद्यतने लड़
गम् + ल्
गम + तिप् - लिप्तस्झि ... सूत्र से तिप् प्रत्यय तिप् में इकार उपदेशऽजनुनासिक इत् सूत्र।
गम् + त् - से पकार की हलन्त्यम् सूत्र से इत्संज्ञा तथा लोप होकर
अट् + गम् + त् - 'लुङ् लङ् लृङ वडजुदात्तः' सूत्र से
अ + गम् + त - 'अट्' का आगम अट् में टकार की हलन्त्यम् से इत्संज्ञा तथा लोप होकर शप् प्रत्यय शित होने से।
अ + गछ + अ + त् - 'इषुगमियमाछ' सूत्र
अ + गछ् + अ + त् - से गम के मकार का छकार आदेश
अ + ग + तुक् + छ् + अ + त् - तुक् का आगम तथा तुक में डक् की इत्संज्ञा तथा लोप होकर
अ + ग + च् +छ् + अ + त् - 'स्तोः श्चुनाश्चु' सूत्र से 'त्' को च हो 'अगच्छत्' रूप बना।
'जगाम
गम् - "परोक्षे लिट्' से लिट् प्रत्यय
गम्+ लिट् - लिट् के अनुबन्धों को हटाने पर
गम् + ल् - कर्त्ता के प्रथम पुरुष द्विवचन की विवक्षा होने पर
गम् - णल् - के आगम पर द्वित्व होने पर
गम् गम् अ - इस दशा में हलादिशेष होने पर चुत्व और उपधावृद्धि होकर
जगाम - यह रूप सिद्ध होता है।
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- प्रश्न- निम्नलिखित क्रियापदों की सूत्र निर्देशपूर्वक सिद्धिकीजिये।
- १. भू धातु
- २. पा धातु - (पीना) परस्मैपद
- ३. गम् (जाना) परस्मैपद
- ४. कृ
- (ख) सूत्रों की उदाहरण सहित व्याख्या (भ्वादिगणः)
- प्रश्न- निम्नलिखित की रूपसिद्धि प्रक्रिया कीजिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित प्रयोगों की सूत्रानुसार प्रत्यय सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित नियम निर्देश पूर्वक तद्धित प्रत्यय लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित का सूत्र निर्देश पूर्वक प्रत्यय लिखिए।
- प्रश्न- भिवदेलिमाः सूत्रनिर्देशपूर्वक सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- स्तुत्यः सूत्र निर्देशकपूर्वक सिद्ध कीजिये।
- प्रश्न- साहदेवः सूत्र निर्देशकपूर्वक सिद्ध कीजिये।
- कर्त्ता कारक : प्रथमा विभक्ति - सूत्र व्याख्या एवं सिद्धि
- कर्म कारक : द्वितीया विभक्ति
- करणः कारकः तृतीया विभक्ति
- सम्प्रदान कारकः चतुर्थी विभक्तिः
- अपादानकारकः पञ्चमी विभक्ति
- सम्बन्धकारकः षष्ठी विभक्ति
- अधिकरणकारक : सप्तमी विभक्ति
- प्रश्न- समास शब्द का अर्थ एवं इनके भेद बताइए।
- प्रश्न- अथ समास और अव्ययीभाव समास की सिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- द्वितीया विभक्ति (कर्म कारक) पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- द्वन्द्व समास की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- अधिकरण कारक कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- बहुव्रीहि समास की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- "अनेक मन्य पदार्थे" सूत्र की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए।
- प्रश्न- तत्पुरुष समास की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- केवल समास किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अव्ययीभाव समास का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- तत्पुरुष समास की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कर्मधारय समास लक्षण-उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- द्विगु समास किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं?
- प्रश्न- द्वन्द्व समास किसे कहते हैं?
- प्रश्न- समास में समस्त पद किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्रथमा निर्दिष्टं समास उपर्सजनम् सूत्र की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- तत्पुरुष समास के कितने भेद हैं?
- प्रश्न- अव्ययी भाव समास कितने अर्थों में होता है?
- प्रश्न- समुच्चय द्वन्द्व' किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'अन्वाचय द्वन्द्व' किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइये।
- प्रश्न- इतरेतर द्वन्द्व किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाहार द्वन्द्व किसे कहते हैं? उदाहरणपूर्वक समझाइये |
- प्रश्न- निम्नलिखित की नियम निर्देश पूर्वक स्त्री प्रत्यय लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित की नियम निर्देश पूर्वक स्त्री प्रत्यय लिखिए।
- प्रश्न- भाषा की उत्पत्ति के प्रत्यक्ष मार्ग से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा की परिभाषा देते हुए उसके व्यापक एवं संकुचित रूपों पर विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विज्ञान की उपयोगिता एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विज्ञान के क्षेत्र का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भाषाओं के आकृतिमूलक वर्गीकरण का आधार क्या है? इस सिद्धान्त के अनुसार भाषाएँ जिन वर्गों में विभक्त की आती हैं उनकी समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ कौन-कौन सी हैं? उनकी प्रमुख विशेषताओं का संक्षेप मेंउल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय आर्य भाषाओं पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- भाषा-विज्ञान की परिभाषा देते हुए उसके स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भाषा के आकृतिमूलक वर्गीकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अयोगात्मक भाषाओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- भाषा और बोली में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- मानव जीवन में भाषा के स्थान का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विज्ञान की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भाषा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संस्कृत भाषा के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संस्कृत साहित्य के इतिहास के उद्देश्य व इसकी समकालीन प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन की मुख्य दिशाओं और प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन के प्रमुख कारणों का उल्लेख करते हुए किसी एक का ध्वनि नियम को सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भाषा परिवर्तन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक भाषा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृत पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संस्कृत भाषा के स्वरूप के लोक व्यवहार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन के कारणों का वर्णन कीजिए।