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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2803
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला में किन-किन धातुओं का प्रयोग किया गया था?

उत्तर -

गुप्तकाल मूर्तिकला के विकास में तथा परिपक्वता की दृष्टि से भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इस काल की मूर्ति निर्माण कला अपनी स्वाभाविकता, जीवन्तता तथा विविधता के लिए प्रसिद्ध रहा है। गुप्तकाल मूर्तिकला की दृष्टि से भारतीय मूर्तिकला के इतिहास में अपना अनुपम व विशिष्ट स्थान रखता है। गुप्तकालीन मूर्तिकला के विषय में डॉ० आर०सी० मजूमदार का मत है कि,

"In general a sublime idealism combined with a highly developed sense of rhythm and beauty characteristics the Gupta Sculpture."

इस काल की मूर्तिकला में शालीनता, सुन्दरता व स्वच्छता का अनुपम समन्वय दिखायी पड़ता है। इस समय की मूर्तिकला शिल्पशास्त्र एवं लोक-परम्पराओं को मुख्य रूप से आधार बनाकर विकसित हुई जो एकदम शुद्ध भारतीय आदर्शों एवं परम्पराओं पर आधारित थी। यह वह समय था जब मूर्तियों को विदेशी प्रभावों से पूर्णतः मुक्त करके शुद्ध भारतीय आदर्शों के अनुरूप बनाने की पूरी कोशिश की गयी थी। इस काल की मूर्तिकला में शैली की सरलता के साथ-साथ, अभिव्यक्ति की सहजता भी इन पाषाण कृतियों में दिखायी पड़ती है। जहाँ कुषाण काल की प्रतिमाओं में शरीर के मोहक सौन्दर्य के प्रदर्शन के लिए झीने तथा महीन वस्त्रों का सहारा लिया गया है, वहीं गुप्तयुगीन शिल्पकारों ने शरीर के आकर्षण को शालीनता के साथ मोटे वस्त्र से ढकने की कोशिश की है तथा शिल्पकारों ने नग्नता के स्थान पर संयमित सौन्दर्य को ही प्रधानता दी है। इस विषय पर विद्वान डॉ० वी०एस० अग्रवाल का कथन है कि, "गुप्तकाल को जो सम्मान प्राप्त हुआ है उसका कारण इस काल की सौन्दर्यमयी प्रतिमाएँ ही हैं। इस काल के श्रेष्ठ शिल्पकारों ने अपनी छेनी से पाषाण खण्ड को बहुत अच्छे ढंग से काटा तथा तराशा जिससे उस पाषाण खण्ड से शिल्पकारों ने स्थायी लालित्य तथा सौन्दर्य प्रधान प्रतिमाएँ बनायीं। गुप्तकाल की महानता इस बात में पायी जाती है कि इसने कुषाण काल की पूरी शक्ति के साथ ध्यानाकर्षण करने वाले रंग रास एवं कामुकता और मध्यकाल की आकर्षक कला के बीच में सन्तुलन स्थापित कर दिया।"

इस काल में दैहिक सौन्दर्य के स्थान पर आध्यात्मिक सौन्दर्य को प्रधानता दी गयी और 'नग्नता को शिल्पकारों ने तिलांजलि दे दी। यहाँ तक कि वस्त्रों, आभूषणों एवं सौन्दर्य सम्बन्धी विभिन्न वस्तुओं के प्रयोग में भी सन्तुलन और यथार्थता के दर्शन होते हैं। शिल्पकारों ने अलंकरणों का उतना ही प्रयोग किया है जो प्रतिमा के सौन्दर्य के प्रत्यक्षीकरण में विशेष रूप से सहायक हो सके। उन्होंने अलंकरणों को अधिक महत्त्व न देकर प्रतिमा के यथार्थ सौन्दर्य का ही अंकन किया है। अन्य कलाओं की तरह मूर्तिकला ने भी यथेष्ट उन्नति प्राप्त कर ली 'थी। अब शिल्पकार सौन्दर्य के रहस्य को भली-भाँति समझने लगे थे और उसकी अभिव्यक्ति भी उन्होंने अपनी उत्तम कृतियों में की है। इनकी मूर्तिकला में भावुकता एवं आध्यात्मिकता का अपूर्व सामंजस्य दिखायी पड़ता है। इस काल की मूर्तियों में अण्डाकार स्निग्ध, मुखाकृति, उन्नत नासिका तथा भौंहें अर्द्धचन्द्राकार, वक्षस्थल पूर्ण विकसित एवं जीवन्त और प्रभा मण्डल से युक्त चेहरा दिखायी पड़ता है। इन प्रतिमाओं का निर्माण अधिकतर श्वेत बलुआ प्रस्तर से हुआ है। यही कारण है कि यह समय कला इतिहास में अपना अद्वितीय स्थान रखता है और भारत के इतिहास में 'स्वर्ण युग' कहलाता है। इस विषय पर विद्वान डॉ० आर०आर० सेठी का कहना है कि, "गुप्तकाल उत्तरी भारत के इतिहास में इसलिए भी स्वर्णयुग माना जाता है क्योंकि इस समय कला विशेषकर मूर्तिकला की उन्नति चरम सीमा पर पहुँच गयी थी। भारतीय कला में ओज एवं सौन्दर्य भाव और यथार्थता का जैसा पूर्ण मिलन गुप्त युग में होता है वैसा और कभी नहीं हुआ। इसी युग में मूर्तिकला के कई प्रसिद्ध केन्द्र भी बन गये थे।"

गुप्तकाल में प्रस्तर तथा धातु प्रतिमाओं के अतिरिक्त मृण्मूर्तियाँ भी निर्मित की गयी हैं जो अत्यन्त सौन्दर्ययुक्त हैं और कलाकार की मृण्मूर्तिकला में निपुणता की परिचायक हैं। मृण्मूर्तियों के साथ-साथ उस समय की प्राप्त नक्काशीदार ईंटें अत्यन्त सौन्दर्ययुक्त एवं आकर्षक हैं। इस समय मिट्टी से निर्मित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के साथ-साथ अनेक प्रकार के खिलौने बनाने की कला भी विकसित एवं उन्नत दशा में थी। मानसार में अनेक शिल्पों में मिट्टी के मूर्ति शिल्प का भी उल्लेख किया गया है। गुप्तयुग में मिट्टी की ईंटों से भी मूर्तियाँ बनाने की जानकारी प्राप्त होती है।

इस प्रकार गुप्तयुग को चिर - स्थायित्व प्रदान करने में इस युग की विभिन्न कलाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'सिन्धु घाटी स्थापत्य' शीर्षक पर एक निबन्ध लिखिए।
  2. प्रश्न- मोहनजोदड़ो व हड़प्पा के कला नमूने विकसित कला के हैं। कैसे?
  3. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज किसने की तथा वहाँ का स्वरूप कैसा था?
  4. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की मूर्ति शिल्प कला किस प्रकार की थी?
  5. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष कहाँ-कहाँ प्राप्त हुए हैं?
  6. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का पतन किस प्रकार हुआ?
  7. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के चरण कितने हैं?
  8. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का नगर विन्यास तथा कृषि कार्य कैसा था?
  9. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था तथा शिल्पकला कैसी थी?
  10. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की संस्थाओं और धार्मिक विचारों पर लेख लिखिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय वास्तुकला का परिचय दीजिए।
  12. प्रश्न- भारत की प्रागैतिहासिक कला पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- प्रागैतिहासिक कला की प्रविधि एवं विशेषताएँ बताइए।
  14. प्रश्न- बाघ की गुफाओं के चित्रों का वर्णन एवं उनकी सराहना कीजिए।
  15. प्रश्न- 'बादामी गुफा के चित्रों' के सम्बन्ध में पूर्ण विवरण दीजिए।
  16. प्रश्न- प्रारम्भिक भारतीय रॉक कट गुफाएँ कहाँ मिली हैं?
  17. प्रश्न- दूसरी शताब्दी के बाद गुफाओं का निर्माण कार्य किस ओर अग्रसर हुआ?
  18. प्रश्न- बौद्ध काल की चित्रकला का परिचय दीजिए।
  19. प्रश्न- गुप्तकाल को कला का स्वर्ण काल क्यों कहा जाता है?
  20. प्रश्न- गुप्तकाल की मूर्तिकला पर एक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- गुप्तकालीन मन्दिरों में की गई कारीगरी का वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- गुप्तकालीन बौद्ध मूर्तियाँ कैसी थीं?
  24. प्रश्न- गुप्तकाल का पारिवारिक जीवन कैसा था?
  25. प्रश्न- गुप्तकाल में स्त्रियों की स्थिति कैसी थी?
  26. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला में किन-किन धातुओं का प्रयोग किया गया था?
  27. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के विकास पर प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के केन्द्र कहाँ-कहाँ स्थित हैं?
  29. प्रश्न- भारतीय प्रमुख प्राचीन मन्दिर वास्तुकला पर एक निबन्ध लिखिए।
  30. प्रश्न- भारत की प्राचीन स्थापत्य कला में मन्दिरों का क्या स्थान है?
  31. प्रश्न- प्रारम्भिक हिन्दू मन्दिर कौन-से हैं?
  32. प्रश्न- भारतीय मन्दिर वास्तुकला की प्रमुख शैलियाँ कौन-सी हैं? तथा इसके सिद्धान्त कौन-से हैं?
  33. प्रश्न- हिन्दू मन्दिर की वास्तुकला कितने प्रकार की होती है?
  34. प्रश्न- जैन धर्म से सम्बन्धित मन्दिर कहाँ-कहाँ प्राप्त हुए हैं?
  35. प्रश्न- खजुराहो के मूर्ति शिल्प के विषय में आप क्या जानते हैं?
  36. प्रश्न- भारत में जैन मन्दिर कहाँ-कहाँ मिले हैं?
  37. प्रश्न- इंडो-इस्लामिक वास्तुकला कहाँ की देन हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- भारत में इस्लामी वास्तुकला के लोकप्रिय उदाहरण कौन से हैं?
  39. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला की इमारतों का परिचय दीजिए।
  40. प्रश्न- इण्डो इस्लामिक वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने के रूप में ताजमहल की कारीगरी का वर्णन दीजिए।
  41. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत द्वारा कौन सी शैली की विशेषताएँ पसंद की जाती थीं?
  42. प्रश्न- इंडो इस्लामिक वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
  43. प्रश्न- भारत में इस्लामी वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
  44. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला में हमें किस-किसके उदाहरण देखने को मिलते हैं?
  45. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला को परम्परा की दृष्टि से कितनी श्रेणियों में बाँटा जाता है?
  46. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक आर्किटेक्ट्स के पीछे का इतिहास क्या है?
  47. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक आर्किटेक्ट्स की विभिन्न विशेषताएँ क्या हैं?
  48. प्रश्न- भारत इस्लामी वास्तुकला के उदाहरण क्या हैं?
  49. प्रश्न- भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना कैसे हुई? तथा अपने काल में इन्होंने कला के क्षेत्र में क्या कार्य किए?
  50. प्रश्न- मुख्य मुगल स्मारक कौन से हैं?
  51. प्रश्न- मुगल वास्तुकला के अभिलक्षणिक अवयव कौन से हैं?
  52. प्रश्न- भारत में मुगल वास्तुकला को आकार देने वाली 10 इमारतें कौन सी हैं?
  53. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  54. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- मुगल वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
  56. प्रश्न- अकबर कालीन मुगल शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  57. प्रश्न- मुगल वास्तुकला किसका मिश्रण है?
  58. प्रश्न- मुगल कौन थे?
  59. प्रश्न- मुगल वास्तुकला की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
  60. प्रश्न- भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना कैसे हुई? तथा अपने काल में इन्होंने कला के क्षेत्र में क्या कार्य किए?
  61. प्रश्न- राजस्थान की वास्तुकला का परिचय दीजिए।
  62. प्रश्न- राजस्थानी वास्तुकला पर निबन्ध लिखिए तथा उदाहरण भी दीजिए।
  63. प्रश्न- राजस्थान के पाँच शीर्ष वास्तुशिल्प कार्यों का परिचय दीजिए।
  64. प्रश्न- हवेली से क्या तात्पर्य है?
  65. प्रश्न- राजस्थानी शैली के कुछ उदाहरण दीजिए।

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