बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-IIसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. पाल शैली को किसका संरक्षण प्राप्त था ?
2. पाल शैली के चित्र किसकी याद दिलाते हैं?
उत्तर-
मालदा जिले के खंडहर में बाद में गौड़ (गांडा) नाम से जाना गया। यहीं पर पाल साम्राज्य का उदय हुआ था। बंगाल के एक शासक की विधवा ने उन सभी वीरों को जहर देकर मार डाला जो राजा बनना चाहते थे। लेकिन गोपाल नाम के एक वीर को वह जहर नहीं दे सकी यही वीर पाल साम्राज्य का संस्थापक कहा गया था। उसी के वंशज धर्मपाल (770 ई०- 810 ई०) हुए।
8वीं 9वीं शताब्दी में यहां पर राजा का शासन था। साथ ही उन्होंने राष्ट्रकूट राजकुमारी से विवाह किया और कैनन को भी जीत लिया। धर्मपाल एक कुशल शासक दयावान के साथ भी थे वह बुद्धमत के मठ थे यह प्रसिद्ध मठ विक्रमशिला की नींव भी थी। उनके विशिष्ट उद्देश्यों के कारण उन्हें उस समय का कल्पतरू (हिन्दू विद्या का कामनावृक्ष) माना जाता था।
धर्मपाल के मूल देवपाल (815 ई०-855 ई०) ने शासन किया वह भी धर्मपाल सदृश बलशाली और यशस्वी थे। साथ ही उनके संग्रह साहित्य और वास्तु निर्माण में भी थे।
महाबोधि मंदिर के निर्माण भवन इसी बात का प्रमाण दिया गया है। देवपाल और धर्मपाल के शासन काल में उत्तरी बंगाल में धीमेन नाम का एक कुशल कलाकार कार्य करता था। उनके पुत्र का नाम विटपाल था। दोनों ही इस समय के पाल शैली के विशिष्ट कलाकार थे।
उन्होंने चित्रांकन के अतिरिक्त मेटल से मूर्ति निर्माण कार्य भी खोजा। इन कलाकारों ने बहुत से शिष्यों को भी कला रचना में पारंगत किया।
धीमेन के कलाकार को ईस्टर्न (विदेशी) स्कूल और विटपालों के कलाकार को मध्य देश के स्कूल के नाम से जाना गया।
इसके बाद 9वीं शताब्दी के अंत में प्रतिहार साम्राज्य के महेंद्रपाल ने इस क्षेत्र में काफी सहयोग दिया। इसी दौरान महिपाल (922 ई०-1040 ई०) का शासक राजनीतिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से अपना अमिट प्रभाव छोड़ जाता है।
महिपाल के प्रतिनिधि सैमपाल (1084 ई०-1126 ई०) ने आसाम और उड़ीसा को जीत दिलाई लेकिन दुर्भाग्यवश नदी में डूबकर उनकी मृत्यु हो गई। पिछले कुछ समय में भी कुछ कलागत सहकारी संस्थाएं हैं। शिव कार्तिकेय और गणेश की माला तथा रूद्र के मंदिरों का भी विवरण है।
रामचरित्र के लेखक सांध्यकार ने पर्यटन के राज्य नियंत्रण से जुड़ी कविताओं को भी प्रस्तुत किया। पाल साम्राज्य के अंतिम पाल शासक उनके तृतीय पुत्र मदन माने गये थे। 12वीं शताब्दी में पाल साम्राज्य को सेना का संरक्षण मिला लेकिन उन का व्यवहार बौद्ध भिक्षुओं के लिए उपयुक्त नहीं था। अतः कुछ कलाकार बंगाल को छोड़कर नेपाल और तिब्बत की ओर चले गये। कुछ कलाकारों ने मैग्लेलैंड के जंगलों में भी संरक्षण प्राप्त किया।
चैतन्य प्रभु के शुभागमन ने इस समय जनता में भक्ति एवं लय की भावना उत्पन्न की जो कि 16वीं शताब्दी में अकबर के राजपूत मंत्री राजा मानसिंह के कई वर्षों तक बंगाल तक के राज्यपाल रहे।
आशुतोष संग्रहालय में सुरक्षित चित्र इस प्रकार के कई उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। मिदनापुर से एक लकड़ी के तख्ते पर शिव के घर का एक दृश्य है जिसमें पार्वती अपने मंडप में प्रतीक्षा कर रही है। ऐसा माना जाता है कि मालवा के अमरू शतक की रचना से इसकी प्रेरणा ली गई थी।
इस समय के रचनाकारों की विशेषताएं रूढ़ियों से पूर्णतः मुक्त हो गई थीं और चित्रगत गतिविधियों के प्रस्तुतिकरण में कलाकारों का कार्य क्षेत्रीय लक्ष्य निर्धारण किया गया था। यह सर्वविदित है। कि इस समय तक विषयों में विविधता दिखाई देती है जिसका साक्षात प्रमाण नेशनल कैथेड्रल नई दिल्ली में सुरक्षित 1800 ई के चित्र कृष्ण एवं गोपियों से मिलते हैं। विषय राजपूत तथा पर्वतीय शैली सदृश है अन्य शैली से यह चित्रपाल शैली है। विशिष्ट वस्तुओं को प्रत्यक्ष दर्शाया गया है।
इसमें अतिरिक्त पंचकोणीय मुकुट धारण किया गया है। अर्धनिर्मित उत्सव और भाव मुद्रा अजंता की याद दिलाते हैं। अजंता के हो प्रभाव को दर्शाती हुए 10वीं 11वीं शताब्दी की एक लकड़ी की फोटो नेशनल ग्लासगो, नई दिल्ली में सुरक्षित है। आकारों में साम्यवादी स्थिरता है। इसके अतिरिक्त अष्टसहस्त्रिका और पंचरक्षा पाण्डुलिपियाँ भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं।
बंगाल के साथ-साथ नेपाल में भी पाल शैली की रचनाओं की रचना हुई मुख्य रूप से यहां भी भारतीय संस्कृति का ही बोलबाला है। यहां की जनता में जो विश्वास विकसित हुआ उसमें भारतीय और बौद्ध तंत्र मुख्य थे।
12वीं सदी के नेपाल दरबार पुस्तकालय में एक पाण्डुलिपि है। पिघला माता जो तंत्र से ही संबंधित है, उसमें ब्रह्मा विष्णु महेश गणेश और कार्तिकेय के भावमय चित्र पाल शैली के विशिष्ट तत्वों, से युक्त हैं। यहाँ 14वीं शताब्दी की एक और रचना है- नित्यानिकातिलकम (Nityahnikatilakum)। वुडन कवर पर गरुड़ की सवारी करते हुए विष्णु, कमल पर लक्ष्मी और वीणा के साथ सरस्वती के चित्र भी है।
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- प्रश्न- पाल शैली पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
- प्रश्न- पाल शैली के मूर्तिकला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला के बारे में आप क्या जानते है?
- प्रश्न- पाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पाल शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- अपभ्रंश चित्रकला के नामकरण तथा शैली की पूर्ण विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पाल चित्र-शैली को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- बीकानेर स्कूल के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बीकानेर चित्रकला शैली किससे संबंधित है?
- प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताओं की सचित्र व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूत चित्र - शैली पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- बूँदी कोटा स्कूल ऑफ मिनिएचर पेंटिंग क्या है?
- प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिये।
- प्रश्न- बूँदी कला पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बूँदी कला का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- राजस्थानी शैली के विकास क्रम की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- राजस्थानी शैली की विषयवस्तु क्या थी?
- प्रश्न- राजस्थानी शैली के चित्रों की विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- राजस्थानी शैली के प्रमुख बिंदु एवं केन्द्र कौन-से हैं ?
- प्रश्न- राजस्थानी उपशैलियाँ कौन-सी हैं ?
- प्रश्न- किशनगढ़ शैली पर निबन्धात्मक लेख लिखिए।
- प्रश्न- किशनगढ़ शैली के विकास एवं पृष्ठ भूमि के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- 16वीं से 17वीं सदी के चित्रों में किस शैली का प्रभाव था ?
- प्रश्न- जयपुर शैली की विषय-वस्तु बतलाइए।
- प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- किशनगढ़ चित्रकला का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- किशनगढ़ शैली की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- मेवाड़ स्कूल ऑफ पेंटिंग पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- मेवाड़ शैली के प्रसिद्ध चित्र कौन से हैं?
- प्रश्न- मेवाड़ी चित्रों का मुख्य विषय क्या था?
- प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
- प्रश्न- मेवाड़ एवं मारवाड़ शैली के मुख्य चित्र कौन-से है?
- प्रश्न- अकबर के शासनकाल में चित्रकारी तथा कला की क्या दशा थी?
- प्रश्न- जहाँगीर प्रकृति प्रेमी था' इस कथन को सिद्ध करते हुए उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- शाहजहाँकालीन कला के चित्र मुख्यतः किस प्रकार के थे?
- प्रश्न- शाहजहाँ के चित्रों को पाश्चात्य प्रभाव ने किस प्रकार प्रभावित किया?
- प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अकबरकालीन वास्तुकला के विषय में आप क्या जानते है?
- प्रश्न- जहाँगीर के चित्रों पर पड़ने वाले पाश्चात्य प्रभाव की चर्चा कीजिए ।
- प्रश्न- मुगल शैली के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अकबर और उसकी चित्रकला के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- मुगल चित्रकला शैली के सम्बन्ध में संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- जहाँगीर कालीन चित्रों को विशेषताएं बतलाइए।
- प्रश्न- अकबरकालीन मुगल शैली की विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- बहसोली चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु क्या थी?
- प्रश्न- बसोहली शैली का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- काँगड़ा की चित्र शैली के बारे में क्या जानते हो? इसकी विषय-वस्तु पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- काँगड़ा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बहसोली शैली के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बहसोली शैली के लघु चित्रों के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बसोहली चित्रकला पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- बहसोली शैली की चित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- कांगड़ा शैली की विषय-वस्तु किस प्रकार कीं थीं?
- प्रश्न- गढ़वाल चित्रकला पर निबंधात्मक लेख लिखते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- गढ़वाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की व्याख्या कीजिए ।
- प्रश्न- गढ़वाली चित्रकला शैली का विषय विन्यास क्या था ? तथा इसके प्रमुख चित्रकार कौन थे?
- प्रश्न- गढ़वाल शैली का उदय किस प्रकार हुआ ?
- प्रश्न- गढ़वाल शैली की विशेषताएँ लिखिये।
- प्रश्न- तंजावुर के मन्दिरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तंजापुर पेंटिंग का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग की शैली किस प्रकार की थी?
- प्रश्न- तंजावुर कलाकारों का परिचय दीजिए तथा इस शैली पर किसका प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग कहाँ से संबंधित है?
- प्रश्न- आधुनिक समय में तंजावुर पेंटिंग का क्या स्वरूप है?
- प्रश्न- लघु चित्रकला की तंजावुर शैली पर एक लेख लिखिए।