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बीकाम सेमेस्टर-5 माल एवं सेवा कर

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2807
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-5 माल एवं सेवा कर - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- भारत में पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की उन कमियों को बताइये जिन्होंने माल एवं सेवा कर व्यवस्था को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उत्तर -

भारत में पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की कमियाँ
(Deficiencies of the Earlier Indirect
Tax Regine Existing in India)
अथवा
माल एवं सेवा कर व्यवस्था को
अपनाए जाने की आवश्यकता
(Need for Ushering into
Goods and Services Tax Regine)

अप्रत्यक्ष कराधान की पूर्ववर्ती प्रणाली के अन्तर्गत केन्द्र तथा राज्य द्वारा कई प्रकार के कर लगाए जाते थे। इसलिए विभिन्न प्रकार की जटिलताएँ एवं विवादास्पद सिद्धान्त उत्पन्न होने के कारण अनुपालन व प्रशासनिक व्यय बढ़ते थे। राज्यों के बीच कर की दरें अलग-अलग होती थीं। 'कर के ऊपर कर प्रणाली के कारण सोपानी प्रभाव रहता था। पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में उत्पाद शुल्क योग्य माल का विनिर्माता माल का अन्तर्राराज्यीय बिक्री पर उत्पाद शुल्क तथा मूल्य संवद्धित कर (वैट) लगाता था। परन्तु अपने माल के आगामी अन्तर्राराज्यीय विक्रय पर वैट डीलर वैट (सम्बन्धित राज्य में यथा लागू वैट दर के अनुसार) लगाता था। जोकि वैट (आधारभूत मूल्य + विनिर्माता द्वारा लगाए गये उत्पाद शुल्क + डीलर का लाभ) पर लगता था। इसके अतिरिक्त, सेवाओं पर कर के सम्बन्ध में, सेवा कर सेवाओं की नकारात्मक सूची या अन्यथा मुफ्त को छोड़कर सभी सेवाओं पर देय होता था।

पूर्व की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में बहुत-सी कमियाँ विद्यमान थी। इसमें विभिन्न अप्रत्यक्ष कर ....... जिनकी उगाही की जा रही थी, उनके सम्बन्ध में यह आवश्यक नहीं था कि वे परस्पर अपवर्जी हो। उदाहरण के तौर पर, जब माल का विनिर्माण एवं बिक्री की जाती थी, तो केन्द्रीय उत्पाद शुल्क (सेनवैट) तथा राज्य स्तरीय वैट दोनों की उगाही की जाती थी। यद्यपि सेनवैट तथा राज्य स्तरीय वैट मूल्य संवर्द्धित कर थे, परन्तु अन्य की क्रेडिट के सापेक्ष एक का समायोजन करना इसलिए संभव नहीं था क्योंकि सेनवैट की केन्द्रीय उगाही होती थी तथा राज्य स्तरीय वैट की राज्यीय उगाही की जाती थी। इसके अलावा सेनवेट केवल विनिर्माण स्तर पर लागू होता था न कि वितरण पर पूर्व में विक्रय कर व्यवस्था उद्भव आधारित (केन्द्रीय बिक्री कर) तथा कराधान की गन्तव्य आधारित हु-बिन्दु प्रणाली (राज्यस्तरीय वैट) का संयोजन थी।

सेवा कर भी मूल्य संवर्द्धित कर होता था तथा सेवा कर एवं केन्द्रीय उत्पाद शुल्क की क्रेडिट को केन्द्रीय स्तर पर एकीकृत किया जाता था। भारत में केन्द्रीय स्तर पर सेनवेट के रूप में तथा राज्य स्तर पर राज्य वैट के रूप में मूल्य संवर्द्धित कराधान का सिद्धान्त अपनाए जाने के बावजूद भी इसका प्रयोग खण्डशः तथा विखण्डित रूप में किया जा सका। ऐसा होने के निम्नलिखित कारण थे-

राज्य वैट में कई स्थानीय करों जैसे - विलासिता कर, मनोरंजन कर आदि को शामिल न किया जाना।

निम्नलिखित के सम्बन्ध में करों का सोपानी प्रभाव-

1. गैर-वैट योग्य केन्द्रीय बिक्री कर की उगाही,
2. वैट के अधिरोपण हेतु मूल्य में सेनवेट को शामिल किया जाना।
3. विनिर्माण अवस्था के बाद कोई सेनवेट न होना।
4. वैट एवं सेवा कर का एकीकरण न होना।

राज्य में चुकता करों की वसूली केन्द्र को देय करों से नहीं हो सकती थी। इसी तरह एक राज्य में भुगतान किए गए करों की वसूली दूसरे राज्य को देय करों के विरूद्ध भी स्वीकार्य नहीं थी।

पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में विद्यमान रही कमियों को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा रहा है।

1. 'कर के ऊपर कर प्रणाली' अथवा 'सोपानी प्रभाव' (Cascading Effect) - पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था अथवा मूल्य संवर्द्धित प्रणाली में केन्द्रीय तथा राज्य कराधान के अन्तर्गत कर के ऊपर कर प्रणाली के कारण सोपानी-प्रभाव व्याप्त था। इसका प्रमुख कारण केन्द्रीय एवं राज्य करों के बीच आंशिक समायोजन की स्वीकृति होना था। बहुत-सी सेवाएँ तथा कृषि, खनन, थोक व फुटकर बिक्री सेनवैट में शामिल नहीं थी तथा उन पर केन्द्र सेवा कर का उदग्रहण करता था। कर मुक्त क्षेत्रों को सेनवैट पर भुगतान किए गये सेवा कर का क्रेडिट नहीं मिलता था। राज्य वैट के अधीन कर मुक्त क्षेत्रों का इनपुट का क्रेडिट मान्य न था। केन्द्रीय बिक्री कर, जो अन्तर्राज्यीय बिक्री पर लगता था, के सापेक्ष कोई क्रेडिट नहीं दी जाती थी।

2. दरों एवं प्रावधानों में मिन्नताएँ (Discrepancies in Rates and Provisions) - पहले के वैट ढाँचे में राज्यों के बीच कर की दरों, प्रक्रियाओं, परिभाषाओं, गणनाओं, मुक्तियों आदि के सम्बन्ध में भिन्नताएँ थी। कई राज्यों में मान्य मूल दरों के ऊपर अतिरिक्त कर या अधिभार को और लगा दिया गया था।

3. संव्यवहार को समझने में कठिनता (Difficulty in Understanding the Transaction) - कोई संव्यवहार 'माल की बिक्री' है या 'सेवाओं की आपूर्ति, यह समझना जटिल था। सॉफ्टवेयर, पेटेन्ट, प्रतिलिप्याधिकार आदि की दशा में माल या सेवा को समझना कठिन था।

4. राज्य बिक्री बनाम केन्द्रीय बिक्री (State Sales Vs Central Sales) - विक्रय संव्यवहार की स्थिति को सुनिश्चित करना कठिन था। कोई विक्रय एक ही राज्य के अन्तर्गत है या अन्य राज्यों के मध्य यह तय करने में समस्या आती थी। यद्यपि केन्द्रीय बिक्री कर की उगाही केन्द्र द्वारा की जाती थी, लेकिन इसकी वसूली राज्य करता था। ऐसी दशा में कई वाद उत्पन्न हो जाते थे।

5. प्रशासकीय समस्याएँ (Administrative Problems) - कराधान की ढाँचागत कमियों को कमजोर प्रशासकीय क्षमता ने काफी गम्भीर बना दिया था। कई प्रक्रियाएँ मानव द्वारा संचालित होने के कारण स्वचालन में बाधाएँ थीं। इससे अनुपालन व्यय बढ़ते थे तथा राजस्व कम प्राप्त हो पाता था।

6. विनिर्माण के उद्देश्य से उत्पाद शुल्क की उगाही (Levy of Excise Duty for the Purpose of Manufacturing) - देश में उत्पादित अथवा निर्मित वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क उगाही योग्य था। कराधान के विनिर्माण बिन्दु पर सीमित होने से कर प्रणाली तटस्थ एवं उपयुक्त संचालन करना कठिन था।

7. असक्षम कर अनुपालन (Inefficient Tax Performance) - पूर्ववर्ती मूल्य संवर्द्धित कर व्यवस्था में गुप्त रखने योग्य सूचनाओं का प्रकटीकरण निर्बाध रूप से होता रहता था। इसके कारण बीजक मूल्य की कम रिपोर्टिंग, कर जमा में विलम्ब, कर अपर्याप्तता के कारण इनपुट क्रेडिट की उपलब्धता में अवरोध आदि होते थे।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- कर का आशय तथा प्रकार बताइये। अप्रत्यक्ष कर क्या होता है? क्या माल एवं सेवा कर भारत में पहले लागू अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था का उपचार है?
  2. प्रश्न- भारत में पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की उन कमियों को बताइये जिन्होंने माल एवं सेवा कर व्यवस्था को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
  3. प्रश्न- स्पष्ट कीजिए कि माल एवं सेवा कर पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के दोषों का उपचार है।
  4. प्रश्न- माल एवं सेवा कर की अवधारणा समझाइये। इसकी आवश्यकता तथा उद्देश्य क्या हैं?
  5. प्रश्न- माल एवं सेवा कर की आवश्यकता तथा उद्देश्य बताइए।
  6. प्रश्न- माल एवं सेवा कर की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  7. प्रश्न- भारत में माल एवं सेवा कर इतिहास / पृष्ठभूमि समझाइये।
  8. प्रश्न- केन्द्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अन्तर्गत निम्नलिखित पदों को परिभाषित कीजिए -
  9. प्रश्न- माल एवं सेवा कर नेटवर्क का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- माल एवं सेवा कर नेटवर्क के उद्देश्य क्या हैं?
  11. प्रश्न- माल एवं सेवा कर नेटवर्क के लक्षण बताइये।
  12. प्रश्न- जी.एस.टी. नेटवर्क के क्या कार्य है?
  13. प्रश्न- माल एवं सेवा कर परिषद की संरचना तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- माल एवं सेवा कर परिषद के प्रमुख लक्षण क्या हैं?
  15. प्रश्न- माल एवं सेवा कर परिषद के कार्यों को बताइए।
  16. प्रश्न- माल एवं सेवा कर परिषद की सभाओं के बारे में लिखिए।
  17. प्रश्न- माल एवं सेवा कर के व्यापार, विनिर्माण, सेवा आदि क्षेत्रों पर प्रभाव बताइये।
  18. प्रश्न- माल एवं सेवा कर के निम्नांकित पर प्रभाव बताइये। (a) सेवाप्रदाताओं पर (b) उपभोक्ताओं पर (c) केन्द्रीय सरकार पर (d) राज्य सरकारों पर
  19. प्रश्न- माल एवं सेवा कर के देश पर तथा विशिष्ट क्षेत्रों पर प्रभाव बताइये।
  20. प्रश्न- माल एवं सेवा कर के समग्र प्रभाव बताइये।
  21. प्रश्न- माल एवं सेवा कर के उद्ग्रहण को समझाइये।
  22. प्रश्न- जी.एस.टी. नेटवर्क की सेवाएँ बताइए। इस नेटवर्क के द्वारा करदाता कौन-सी सूचनाएं देते हैं?
  23. प्रश्न- माल एवं सेवा कर के अधीन कर के भुगतान के लिए कौन दायी होता है?
  24. प्रश्न- जी एस टी के लाभ-हानियों का उल्लेख करें-
  25. प्रश्न- केन्द्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अन्तर्गत आपूर्ति से आपका क्या आशय है? इसके क्षेत्र को विस्तारपूर्वक समझाइये।
  26. प्रश्न- आपूर्ति के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- 'संयुक्त आपूर्ति' व प्रमुख आपूर्ति तथा 'मिश्रित आपूर्ति का आशय बताइये। इनमें अन्तर तथा कर दायित्व का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- संयुक्त आपूर्ति पर करदेयता को बताइए।
  29. प्रश्न- मिश्रित आपूर्ति का आशय बताइए।
  30. प्रश्न- मिश्रित आपूर्ति की दशा में करदेयता बताइए।
  31. प्रश्न- संयुक्त आपूर्ति तथा मिश्रित आपूर्ति में अन्तर बताइये।
  32. प्रश्न- आपूर्ति का समय क्या होता है? आपूर्ति के समय पर माल एवं सेवा कर की दरों में परिवर्तन का प्रभाव बताइये।
  33. प्रश्न- माल की आपूर्ति का समय बताइए।
  34. प्रश्न- सेवाओं की आपूर्ति का समय बताइये।
  35. प्रश्न- आपूर्ति के समय पर माल एवं सेवा कर की दरों में परिवर्तन का प्रभाव बताइए।
  36. प्रश्न- आपूर्ति का मूल्य क्या है? इसकी गणना के सम्बन्ध में सामान्य नियम बताइए।
  37. प्रश्न- आपूर्ति के मूल्य के लक्षण बताइए।
  38. प्रश्न- आपूर्ति के मूल्य की गणना के सम्बन्ध में सामान्य नियम बताइये।
  39. प्रश्न- कम्पोजीशन योजना की विशेषताएँ तथा लाभ व हानियाँ बताइए।
  40. प्रश्न- कम्पोजीशन योजना की हानियाँ बताइए।
  41. प्रश्न- आपूर्तिकर्ता तथा प्राप्तकर्ता का स्थान भारत में होने की दशा में सेवाओं की आपूर्ति का स्थान समझाइये।
  42. प्रश्न- सेवाओं की आपूर्ति का स्थान बताइये यदि आपूर्तिकर्ता का स्थान अथवा प्रापक का स्थान भारत के बाहर हो।
  43. प्रश्न- सम्बन्धित व्यक्ति, भिन्न व्यक्ति तथा परिवार में कौन शामिल है?
  44. प्रश्न- वे गतिविधियाँ या लेनदेन बताइये जिन्हें न तो माल की आपूर्ति और न ही सेवा की आपूर्ति के रूप में माना जायेगा।
  45. प्रश्न- अन्तर्गमन तथा बहिर्गमन आपूर्तियाँ क्या होती हैं?
  46. प्रश्न- माल अथवा सेवाओं अथवा दोनों की आपूर्ति का स्थान समझाइये।
  47. प्रश्न- भिन्न अथवा सम्बन्धित व्यक्तियों के मध्य आपूर्ति के मूल्य निर्धारण के नियम बताइये।
  48. प्रश्न- आपूर्ति के मूल्य निर्धारण हेतु निम्नलिखित के बारे में नियम बताइये - एजेण्ट के माध्यम से आपूर्ति
  49. प्रश्न- प्रमुख करमुक्त सेवाओं को बताइये।
  50. प्रश्न- प्रमुख करमुक्त माल की सूची बनाइए।
  51. प्रश्न- निम्नांकित सेवाओं के बारे में माल एवं सेवा कर विधान के अन्तर्गत प्रदत्त करमुक्ति के प्रावधान बताइये- (a) पुण्यार्थ संस्थान द्वारा सेवा, (b) सरकार द्वारा सेवा, (c) धार्मिक सेवा।
  52. प्रश्न- लघु आपूर्तियों पर टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- इनपुट टैक्स क्रेडिट का आशय क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
  54. प्रश्न- इनपुट टैक्स क्रेडिट की विशेषताएँ बताइये।
  55. प्रश्न- इनपुट टैक्स क्रेडिट की उपलब्धता के लिए क्या शर्तें निर्धारित की गयी हैं? उनका वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- इनपुट टैक्स क्रेडिट को प्राप्त करने हेतु शर्तें बताइए।
  57. प्रश्न- केन्द्रीय माल तथा सेवाकर अधिनियम, 2017 की धारा 17 के अन्तर्गत जिन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध नहीं होती है, उनके बारे में बताइये। क्रेडिट विभाजन के बारे में समझाइये।
  58. प्रश्न- क्रेडिट विभाजन सम्बन्धी प्रावधान बताइये।
  59. प्रश्न- सेवा वितरक से आप क्या समझते हैं? इसके द्वारा क्रेडिट का वितरण समझाइये।
  60. प्रश्न- इनपुट सेवा वितरक द्वारा क्रेडिट का वितरण समझाइये।
  61. प्रश्न- माल तथा सेवाकर के अन्तर्गत कर के भुगतान की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। माल तथा सेवाकर भुगतान प्रक्रिया के प्रमुख लक्षण लिखिए।
  62. प्रश्न- कर भुगतान के प्रमुख लक्षण बताइये।
  63. प्रश्न- माल तथा सेवाकर के अन्तर्गत करों के भुगतान हेतु रखे जाने वाले विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों को समझाइए।
  64. प्रश्न- इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर को समझाइए।
  65. प्रश्न- इलेक्ट्रॉनिक दायित्व रजिस्टर के बारे में बताइए।
  66. प्रश्न- करदाता को कितने प्रकार के रिफण्ड (धन वापसी) उपलब्ध होते हैं? रिफण्ड के दावे की प्रक्रिया समझाइये।
  67. प्रश्न- रिफण्ड के दावे की प्रक्रिया समझाइए।
  68. प्रश्न- अन्यायपूर्ण संवर्धन का सिद्धान्त क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइए।
  69. प्रश्न- उपभोक्ता कल्याण कोष को समझाइए।
  70. प्रश्न- माल तथा सेवाकर के अन्तर्गत स्रोत पर कर की कटौती के बारे में क्या व्यवस्था की गई है?
  71. प्रश्न- स्रोत पर कर संग्रह के बारे में लिखिए।
  72. प्रश्न- विवरणी से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य बताइए। माल एवं सेवा कर विधान के अधीन विवरणियों को फाइल करने के लिए कौन उत्तरदायी है तथा किसे मुक्ति दी गयी है?
  73. प्रश्न- विवरणियों के उद्देश्य बताइए।
  74. प्रश्न- विवरणियों के लिए उत्तरदायी व्यक्तियों को बताइए।
  75. प्रश्न- "विवरणी फाइल करने के माध्यम तथा विवरणियों के प्रकार बताइए। बहिर्गमन आपूर्ति तथा अन्तर्गमन आपूर्ति के विवरण प्रस्तुतीकरण को समझाइए।
  76. प्रश्न- बहिर्गमन आपूर्तियों के विवरण प्रस्तुतीकरण को स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- अन्तर्गमन आपूर्तियों के विवरण प्रस्तुतीकरण को बताइए।
  78. प्रश्न- माल एवं सेवा कर प्रैक्टिशनर अथवा जी एस टी व्यवसायी कौन होता है? इसके पात्रता मानदण्ड बताइए। इसके सम्बन्ध में अनुमोदन की रीति, गतिविधियाँ, शर्ते तथा विवरण के ठीक होने के उत्तरदायित्व के बारे में लिखिए।
  79. प्रश्न- माल एवं सेवा कर प्रैक्टिशनर हेतु अनुमोदन प्रक्रिया क्या है? माल एवं सेवा कर प्रैक्टिशनर की गतिविधियाँ बताइये।
  80. प्रश्न- माल एवं सेवा कर प्रैक्टिशनर हेतु शर्तें क्या है? विवरण के ठीक होने के सम्बन्ध में इसका उत्तरदायित्व बताइए।
  81. प्रश्न- जी एस टी आर-3 में मासिक विवरणी का प्रस्तुतीकरण बताइये।
  82. प्रश्न- वार्षिक विवरणी क्या होती है? बताइए।
  83. प्रश्न- अन्तिम विवरणी के बारे में बताइए। विवरणी फाइल करने में चूक करने वालों को सूचना देने तथा विलम्ब शुल्क की उगाही के बारे में क्या व्यवस्था की गयी है?
  84. प्रश्न- केन्द्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अधीन किस प्रकार के व्यक्ति पंजीकरण कराने के लिए दायी होते हैं? समझाइये।
  85. प्रश्न- केन्द्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 24 के अधीन कौन से व्यक्तियों को पंजीयन कराना आवश्यक है?
  86. प्रश्न- अन्य मामलों में पंजीयन हेतु कौन दायी है?
  87. प्रश्न- केन्द्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 25 के अधीन पंजीकरण प्रक्रिया समझाइये।
  88. प्रश्न- पंजीयन के विशिष्ट मामलों का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- अनिवासी कराधेय व्यक्ति को परिभाषित कीजिए तथा इसकी पंजीयन प्रक्रिया बताइए।
  90. प्रश्न- जॉब वर्कर तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित इकाई के पंजीयन को बताइए।
  91. प्रश्न- कौन-कौन से व्यक्ति कम्पोजीशन लेवी का विकल्प चुन सकते हैं? इस स्कीम को अपनाने के अपात्र व्यक्ति कौन हैं?
  92. प्रश्न- कम्पोजीशन लेवी का विकल्प कौन चुन सकता है?
  93. प्रश्न- कम्पोजीशन स्कीम के अपात्र व्यक्ति बताइये।
  94. प्रश्न- कम्पोजीशन स्कीम हेतु शर्तें तथा प्रतिबन्ध बताइये। शर्तों के अतिलंघन के सम्बन्ध में दण्ड के क्या प्रावधान हैं?
  95. प्रश्न- कम्पोजीशन स्कीम की शर्तों के उल्लंघन की दशा में दण्ड का प्रावधान बताइए।
  96. प्रश्न- वे कौन से व्यक्ति हैं जो पंजीयन हेतु दायी नहीं होते हैं?
  97. प्रश्न- आकस्मिक कराधेय व्यक्ति तथा अनिवासी कराधेय व्यक्ति में अन्तर बताइये।
  98. प्रश्न- टिप्पणी लिखिये- (a) पंजीयन प्रमाणपत्र की वैधानिकता, (b) पंजीयन हेतु वाँछनीय सूचनाएँ, (c) पंजीयन आवेदनपत्र पर हस्ताक्षरी, (d) अग्रिम कर जमा करना।
  99. प्रश्न- पंजीयन प्रमाणपत्र का निरस्तीकरण समझाइए।
  100. प्रश्न- 'पंजीकरण के निरस्तीकरण का खण्डन' बताइये।
  101. प्रश्न- समझाइये कि 'कम्पोजीशन लेवी एक विकल्प मात्र है।
  102. प्रश्न- कम्पोजीशन लेवी के तहत कर की दरें बताइये।
  103. प्रश्न- कर बीजक से आप क्या समझते हैं? इसकी विषय सामग्री, समय तथा जारी करने की पद्धति को स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- कर बीजक को जारी करने के समय के बारे में बताइए।
  105. प्रश्न- कर बीजक को जारी करने की रीति समझाइये।
  106. प्रश्न- कर बीजक की विषय-सामग्री क्या होती है?
  107. प्रश्न- निम्नलिखित को समझाइए- (a) संशोधित कर बीजक (b) समेकित कर बीजक, (c) प्राप्ति प्रमाणक का निर्गमन, (d) रिफण्ड या वापसी बाउचर का निर्गमन, (e) प्रतिलोभी प्रभार के तहत बीजक, तथा भुगतान वाउचर।
  108. प्रश्न- समेकित कर बीजक क्या होता है? आपूर्ति का बिल कब निर्गमित किया जाता है? इसमें दी जाने वाली सूचनाएँ बताइए।
  109. प्रश्न- प्राप्ति प्रमाणक क्या होता है? इसकी विषय-वस्तु बताइए।
  110. प्रश्न- रिफण्ड वाउचर के निर्गमन को समझाइए।
  111. प्रश्न- प्रतिलोमी प्रभार के तहत बीजक के बारे में क्या प्रावधान हैं? भुगतान प्रमाणक के बारे में भी समझाइए।
  112. प्रश्न- विशेष मामलों में कर बीजक को समझाइये।
  113. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
  114. प्रश्न- क्रेडिट तथा डेबिट नोट को समझाइए।
  115. प्रश्न- ई-वे बिल क्या है? इसकी विशेषताएँ तथा आवश्यकता को समझाइए।
  116. प्रश्न- माल एवं सेवा कर विधान के अन्तर्गत अंकेक्षण के बारे में बताइए तथा निम्नलिखित को समझाइए- (a) चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट अथवा कॉस्ट एकाउण्टेन्ट द्वारा अंकेक्षण, (b) कर प्राधिकारियों द्वारा अंकेक्षण, तथा (c) विशेष अंकेक्षण।
  117. प्रश्न- माल एवं सेवा कर विधान के अन्तर्गत अंकेक्षण के प्रकार बताइए। चार्टर्ड एकाउण्टेन्ट
  118. प्रश्न- कर प्रधिकारियों द्वारा अंकेक्षण को समझाइए।
  119. प्रश्न- विशेष अंकेक्षण को समझाइए।
  120. प्रश्न- कर निर्धारण से आप क्या समझते है? इसमें क्या-क्या शामिल रहता है? वर्णन कीजिए।
  121. प्रश्न- अस्थायी कर निर्धारण को समझाइए।
  122. प्रश्न- सारांश निर्धारण क्या है?
  123. प्रश्न- सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण को समझाइए।
  124. प्रश्न- HSN कोड का वर्णन कीजिए।
  125. प्रश्न- इनपुट सेवा वितरक से आप क्या समझते हैं?
  126. प्रश्न- इनपुट सेवा वितरक की भूमिका बताइए।
  127. प्रश्न- माल तथा सेवा कर पहचान संख्या की संरचना बताइए।
  128. प्रश्न- माल तथा सेवा कर में सेवा लेखांकन कोड (SAC) को बताइये।

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