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बीकाम सेमेस्टर-5 माल एवं सेवा कर

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2807
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-5 माल एवं सेवा कर - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- आपूर्ति के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

आपूर्ति का क्षेत्र
(Scope of Supply)

आपूर्ति के क्षेत्र को विस्तारपूर्वक निम्नवत् समझाया गया है-

(a) प्रतिफल सहित माल एवं सेवाओं की आपूर्ति के रूप (Forms of Supply of Goods and Services with Consideration) [धारा 7 (1) (a)] - आपूर्ति के अन्तर्गत ऐसी सभी आपूर्तियाँ शामिल की गई हैं जो व्यवसाय के दौरान अथवा उसे आगे बढ़ाने हेतु प्रतिफल के बदले किसी व्यक्ति द्वारा की जाये अथवा किए जाने का समझौता किया जाय। इसमें निम्नलिखित शामिल है- .

1. विक्रय,
2. हस्तान्तरण, 
3. वस्तु-विनिमय,
4. विनिमय, 
5. लाइसेंस,
6. किराए पर देना
7. पट्टा,
8. निस्तारण या निपटान।

उपरोक्त विभिन्न शब्दों का आशय निम्नलिखित है-

1. विक्रय (Sale) - यदि एक व्यक्ति अपने माल का स्वामित्व किसी अन्य व्यक्ति को प्रतिफल के बदले दे, तो इसे विक्रय कहते हैं।

2.  हस्तान्तरण (Transfer) - यदि वस्तु का मालिक अपना अधिकार, जो उसका उस वस्तु पर है, किसी और को दे दे जिससे कि वह उस वस्तु पर वही अधिकार प्राप्त कर सके, जो उसके पास है तो इसे हस्तान्तरण कहते हैं।

3. वस्तु-विनिमय (Barter) - धनराशि के लेनदेन के बिना वस्तुओं का आदान-प्रदान करना वस्तु-विनिमय कहा जाता है।

उदाहरण - अगर कोई व्यक्ति प्रिन्टर के बदले में कम्प्यूटर लेता है तो यह वस्तु-विनिमय कहलाएगा।

4. विनिमय (Exchange) - धनराशि के लेनदेन के साथ वस्तुओं का आदान-प्रदान करना विनिमय है।

उदाहरण - X ने नई कार 5,00,000 ₹ में खरीदी जिसके बदले में उसने 4,50,000 ₹ तथा एक पुरानी कार दी। यह विनिमय है।

5. लाइसेन्स (Licence) - कुछ विशेषाधिकारों का उपयोग करने के लिए अधिकारवान अधिकारी से लाइसेंस लिया जाता है। बिना लाइसेंस के विशेषाधिकारों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।

6. किराये पर देना (Rental) - किसी अन्य संपत्ति के उपयोग के लिए समयानुसार भुगतान करना किराया देना कहलाता है।

उदाहरण - यदि X, Y की कार उपयोग करता है तब वह उसको किराया देता है।

7. पट्टा (Lease) - यदि संविदात्मक समझौता के अधीन एक व्यक्ति कुछ शर्तों के अधीन किसी अन्य पार्टी को अपनी संपत्ति मूल्य के बदले में एक सीमित अवधि के लिए दे, तो इसे पट्टा कहा जाता है। पट्टे में स्वामित्व का अन्तरण नहीं होता है।

8. निस्तारण अथवा निपटान (Disposal) - इसे छुटकारा पाने या दे देने के रूप में समझा जाता है। उदाहरण के लिए, व्यवसाय की सम्पत्ति का निपटान।

(b) सेवा का आयात (Import of Service) [ धारा 7 (1) (b)] - यदि सेवाओं का आयात प्रतिफल के बदले किया जाय, तो इसे आपूर्ति कहा जायेगा, भले ही इसे व्यवसाय के दौरान या उसे आगे बढ़ाने हेतु किया जाय अथवा नहीं।

ऐसी सेवाओं पर माल एवं सेवा कर प्रतिलोमी प्रभार के अन्तर्गत अधिरोपित होगा, अर्थात प्राप्तकर्ता माल एवं सेवा कर के लिए दायी होगा।

चाहे सेवाओं का आयात निजी उद्देश्य हेतु किया गया हो, फिर भी इसे आपूर्ति में सम्मिलित माना जायेगा।

(c) अनुसूची I में उल्लिखित प्रतिफल रहित क्रियाएँ (Activities Specified in Schedule I without Consideration) - अनुसूची I में निर्दिष्ट निम्नलिखित क्रियाएँ बिना किसी प्रतिफल के करयोग्य होती हैं-

1. व्यावसायिक सम्पत्तियों का स्थाई अन्तरण अथवा निस्तारण (Permanent Transfer or Disposal of Business Assets) - यह प्रावधान तब क्रियाशील होगा जब ऐसी सम्पत्तियों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ किया गया हो।

2. सम्बन्धित अथवा भिन्न व्यक्ति के मध्य माल अथवा सेवा की आपूर्ति (Supply of Goods or Services between Related or Distinct Person) - ऐसा लेनदेन तब करयोग्य होगा जब व्यवसाय के दौरान अथवा उसको आगे बढाने के लिए संबंधित व्यक्तियों या भिन्न व्यक्तियों के बीच माल या सेवा या दोनों की आपूर्ति की जाय। यदि किसी कर्मचारी को नियोक्ता द्वारा दिया गया उपहार वित्तीय वर्ष में 50,000 ₹ से अधिक न हो, तो इसे वस्तु या सेवा या दोनों की आपूर्ति के रूप में नहीं माना जाएगा। उल्लेखनीय है कि कर्मचारी संबंधित व्यक्ति की परिभाषा में शामिल होता है।

उल्लेखनीय है कि अन्तर्राज्यीय स्व-आपूर्ति जैसे स्कन्ध हस्तान्तरण, शाखा हस्तान्तरण या माल प्रेषण करयोग्य होगा, भले ही इसमें प्रतिफल शामिल न हो।

3. एजेण्ट को प्रधान द्वारा माल की आपूर्ति एवं विलोमतः (Supply of Goods by principal to Agent and vice Versa) - एजेण्ट के पास प्रधान द्वारा माल की आपूर्ति (जहाँ एजेण्ट प्रधान की ओर से इस माल की आपूर्ति करता हो) अथवा एजेण्ट द्वारा प्रधान के पास माल की आपूर्ति यदि एजेण्ट प्रधान की से माल को प्राप्त करता हो, के बिना किसी प्रतिफल होने के बावजूद भी इसे आपूर्ति माना जायेगा।

4. सम्बन्धित व्यक्ति से सेवा का आयात (Import of Service from Related Person) - एक करयोग्य व्यक्ति द्वारा किसी सम्बन्धित व्यक्ति से अथवा भारत के बहा स्थित अपने किसी स्थान से व्यवसाय या व्यवसाय को आगे बढ़ाने में सेवाओं के आयात को आपूर्ति माना जायेगा तथा ऐसी दशा में सेवा का आयातक (अर्थात् प्राप्तकर्ता) प्रतिलोमी प्रभार के अन्तर्गत लागू दर के अनुसार माल एवं सेवा कर के लिए दायी होंगे।

(d) धारा 7 (1) (a), (b) अथवा (c) के प्रावधानों के अनुरूप आपूर्ति का गठन [Supply in accordance with the Provisions of Section 7 (1) (a), (b) or (c)] - अनुसूची II में उल्लिखित गतिविधियों अथवा संव्यवहारों को माल की आपूर्ति के रूप में माना जाये या सेवाओं की आपूर्ति के रूप में, यदि वे धारा 7 (1) (a), (b) अथवा (c) के प्रावधानों के अनुसार आपूर्ति का गठन करते हों, इस सम्बन्ध में अनुसूची II में उन क्रियाओं को स्पष्टतया माल एवं सेवा कर के अधीन माल की आपूर्ति अथवा सेवाओं की आपूर्ति के रूप में विभाजित किया गया है जिससे कि कोई गतिविधि विक्रय है या सेवा के भ्रम से बचा जा सके। माल एवं सेवा कर विधान में माल की आपूर्ति एवं सेवाओं की आपूर्ति हेतु कुछ प्रावधान अलग-अलग दिए हुए हैं। उदाहरण के तौर पर माल की आपूर्ति का समय तथा सेवाओं की आपूर्ति का समय सम्बन्धी प्रावधान अलग-अलग हैं। इसी प्रकार माल की आपूर्ति तथा सेवाओं की आपूर्ति के सम्बन्ध में लागू की दरें भिन्न-भिन्न हो सकती हैं।

1. स्वामित्व एवं बिना स्वामित्व के सम्पत्तियों का हस्तान्तरण (Transfer of Goods with or without Title) - इसके अन्तर्गत गतिविधि के प्रकार तथा आपूर्ति की प्रकृति को निम्नलिखित समझा जा सकता है-

(i) माल में स्वामित्व के हस्तान्तरण की गतिविधि इस गतिविधि को सेवा की आपूर्ति के रूप में माना जायेगा।

(ii) वस्तुओं के स्वामित्व के अन्तरण के बिना वस्तुओं के अधिकार में अथवा माल के अविभाजित भाग का अन्तरण किए जाने की गतिविधि को माल की आपूर्ति के रूप में माना जायेगा।

(iii) माल के स्वामित्व का भविष्य में पूर्ण प्रतिफल के भुगतान के पश्चात् अन्तरण करने की प्रसंविदा की गतिविध को माल की आपूर्ति की भाँति माना जायेगा।

2. भूमि व भवन को किराए या पट्टे आदि पर देना (Renting, Leasing etc. of Land and Building) - इसके अन्तर्गत गतिविधि के प्रकार एवं आपूर्ति की प्रकृति को निम्नवत् समझा जा सकता हैं-

(i) भूमि पर अधिकार करने हेतु पट्टा, किराएदारी, सुखाधिकार एवं लाइसेंस गतिविधि को माल की आपूर्ति की भाँति माना जायेगा।

(ii) व्यवसाय या वाणिज्य हेतु या तो पूर्णतया अथवा आंशिक रूप से कोई भवन वाणिज्यिक, औद्योगिक अथवा आवासीय कॉम्प्लैक्स के रूप में पट्टे पर अथवा किराए पर देने की गतिविधि को आपूर्ति माना जायेगा।

3. प्रशोधन अथवा प्रक्रिया (Treatment or Process) - कोई भी प्रशोधन अथवा प्रक्रिया जो किसी अन्य व्यक्ति के माल पर की जाय (अर्थात् जॉब वर्क) गतिविध को सेवा की आपूर्ति माना जायेगा।

4. व्यवसाय की सम्पत्तियों का अन्तरण (Transfer of Business Assets) - इस सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान हैं-

(a) यदि किसी व्यवसाय का कोई भी माल जो उसकी संपत्ति का हिस्सा है, व्यवसाय चलाने वाले व्यक्ति के द्वारा या उसके निर्देशों के तहत, अंतरण या निपटान कर दिया जाता है जिससे अब वह उन संपत्तियों का भांग नहीं रहता है चाहे प्रतिफल हो या न हो तब उसे माल की आपूर्ति माना जायेगा।

(b) यदि व्यवसाय करने वाले व्यक्ति के द्वारा या उसके निर्देशों के अधीन व्यवसाय के लिए उपयोग किए जाने वाले समान प्रतिफल या बिना प्रतिफल के निजी उपयोग में लाये जाते हैं या व्यापारिक उद्देश्य के अलावा किसी भी और उद्देश्य के लिए प्रयोग किये जाते हैं।

इस क्रियाकलाप को सेवा की आपूर्ति माना जायेगा।

(c) जहाँ एक व्यक्ति करदाता नहीं रहता, तो जितना भी माल उसके करदाता व्यक्ति नहीं रहने से पहले व्यवसाय का था तो उसे यह मान लिया जायेगा कि उसने यह माल व्यवसाय के दौरान अथवा उसको आगे बढ़ाने के लिए बेच दिया है। परन्तु, निम्नलिखित दो मामलों में ऐसे हस्तांतरण को माल की आपूर्ति के रूप में नहीं माना जाएग -

(i) यदि व्यवसाय को किसी अन्य व्यक्ति को एक चालू अवस्था के रूप मं  स्थानांतरित किया जाता है. या

(ii) यदि व्यवसाय एक व्यक्तिगत प्रतिनिधि के द्वारा किया जाता है जो कि उस व्यवसाय के लिए एक करयोग्य व्यक्ति कहा जायेगा।

5. विभिन्न प्रकार की सेवाओं की आपूर्ति (Supply of Different Types of Services)-

(i) स्थायी सम्पत्ति के किराये की क्रिया को सेवा की आपूर्ति की भाँति माना जायेगा।

(ii) भवन, कॉम्प्लेक्स, सिविल संरचना का निर्माण सेवाएँ आपूर्ति के रूप में मानी जायेंगी। परन्तु यदि पूरा प्रतिफल पूर्णता प्रमाणपत्र मिलने अथवा अधिपत्र देने के पश्चात्, दोनों में जो पूर्ण में हो, मिला हो तो उसे आपूर्ति नहीं माना जायेगा।

(iii) बौद्धिक सम्पदा के उपयोग या उपभोग की अनुमति देना या अस्थाई अन्तरण की क्रिया को सेवा की आपूर्ति की भाँति माना जायेगा।

(iv) सूचना तकनीक सॉफ्टवेयर का विकास, प्रोग्रामिंग, डिजायन अपग्रेडेशन वृद्धि क्रियान्वयन आदि क्रियाएँ सेवा की आपूर्ति मानी जायेंगी।

(v) एक व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति हेतु जब निम्नांकित क्रिया की जाती है, तो उसे सेवाओं की आपूर्ति माना जाता हैं-

• किसी कार्य से विरत रहने/बचने से राजी होना, अथवा
• किसी कार्य को सहने से राजी होना, अथवा
• कोई कार्य करने हेतु राजी होना।

(vi) रोकड़, आस्थगित भुगतान अथवा अन्य मूल्यवान प्रतिफल हेतु किसी उद्देश्य से किसी सामान को उपयोग करने के अधिकार के अन्तरण किये जाने की क्रिया को सेवा की आपूर्ति माना जायेगा !

6. निर्दिष्ट संयुक्त आपूर्ति (Specified Composite Supply) - निम्नांकित संयुक्त आपूर्ति को सेवा की आपूर्ति की भाँति माना जायेगा-

• संकर्म ठेका, एवं

• मानव के उपभोग हेतु खाद्य या पेय पदार्थों आदि की माल एवं सेवाओं की संयुक्त आपूर्ति (मानव उपभोग हेतु मदिरा को छोड़कर)

7. अनिगमित संघ अथवा व्यक्तियों के निकाय द्वारा माल की आपूर्ति (Supply of Goods by Unincorporated Association or Body of Persons) - नकद, आस्थगित भुगतान अथवा अन्य मूल्यवान प्रतिफल हेतु किसी सदस्य को किसी भी अनिगमित संघ या व्यक्तियों के निकाय द्वारा माल की आपूर्ति किये जाने की गतिविधि को माल की आपूर्ति की भाँति माना जायेगा।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- कर का आशय तथा प्रकार बताइये। अप्रत्यक्ष कर क्या होता है? क्या माल एवं सेवा कर भारत में पहले लागू अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था का उपचार है?
  2. प्रश्न- भारत में पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की उन कमियों को बताइये जिन्होंने माल एवं सेवा कर व्यवस्था को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
  3. प्रश्न- स्पष्ट कीजिए कि माल एवं सेवा कर पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के दोषों का उपचार है।
  4. प्रश्न- माल एवं सेवा कर की अवधारणा समझाइये। इसकी आवश्यकता तथा उद्देश्य क्या हैं?
  5. प्रश्न- माल एवं सेवा कर की आवश्यकता तथा उद्देश्य बताइए।
  6. प्रश्न- माल एवं सेवा कर की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  7. प्रश्न- भारत में माल एवं सेवा कर इतिहास / पृष्ठभूमि समझाइये।
  8. प्रश्न- केन्द्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अन्तर्गत निम्नलिखित पदों को परिभाषित कीजिए -
  9. प्रश्न- माल एवं सेवा कर नेटवर्क का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- माल एवं सेवा कर नेटवर्क के उद्देश्य क्या हैं?
  11. प्रश्न- माल एवं सेवा कर नेटवर्क के लक्षण बताइये।
  12. प्रश्न- जी.एस.टी. नेटवर्क के क्या कार्य है?
  13. प्रश्न- माल एवं सेवा कर परिषद की संरचना तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- माल एवं सेवा कर परिषद के प्रमुख लक्षण क्या हैं?
  15. प्रश्न- माल एवं सेवा कर परिषद के कार्यों को बताइए।
  16. प्रश्न- माल एवं सेवा कर परिषद की सभाओं के बारे में लिखिए।
  17. प्रश्न- माल एवं सेवा कर के व्यापार, विनिर्माण, सेवा आदि क्षेत्रों पर प्रभाव बताइये।
  18. प्रश्न- माल एवं सेवा कर के निम्नांकित पर प्रभाव बताइये। (a) सेवाप्रदाताओं पर (b) उपभोक्ताओं पर (c) केन्द्रीय सरकार पर (d) राज्य सरकारों पर
  19. प्रश्न- माल एवं सेवा कर के देश पर तथा विशिष्ट क्षेत्रों पर प्रभाव बताइये।
  20. प्रश्न- माल एवं सेवा कर के समग्र प्रभाव बताइये।
  21. प्रश्न- माल एवं सेवा कर के उद्ग्रहण को समझाइये।
  22. प्रश्न- जी.एस.टी. नेटवर्क की सेवाएँ बताइए। इस नेटवर्क के द्वारा करदाता कौन-सी सूचनाएं देते हैं?
  23. प्रश्न- माल एवं सेवा कर के अधीन कर के भुगतान के लिए कौन दायी होता है?
  24. प्रश्न- जी एस टी के लाभ-हानियों का उल्लेख करें-
  25. प्रश्न- केन्द्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अन्तर्गत आपूर्ति से आपका क्या आशय है? इसके क्षेत्र को विस्तारपूर्वक समझाइये।
  26. प्रश्न- आपूर्ति के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- 'संयुक्त आपूर्ति' व प्रमुख आपूर्ति तथा 'मिश्रित आपूर्ति का आशय बताइये। इनमें अन्तर तथा कर दायित्व का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- संयुक्त आपूर्ति पर करदेयता को बताइए।
  29. प्रश्न- मिश्रित आपूर्ति का आशय बताइए।
  30. प्रश्न- मिश्रित आपूर्ति की दशा में करदेयता बताइए।
  31. प्रश्न- संयुक्त आपूर्ति तथा मिश्रित आपूर्ति में अन्तर बताइये।
  32. प्रश्न- आपूर्ति का समय क्या होता है? आपूर्ति के समय पर माल एवं सेवा कर की दरों में परिवर्तन का प्रभाव बताइये।
  33. प्रश्न- माल की आपूर्ति का समय बताइए।
  34. प्रश्न- सेवाओं की आपूर्ति का समय बताइये।
  35. प्रश्न- आपूर्ति के समय पर माल एवं सेवा कर की दरों में परिवर्तन का प्रभाव बताइए।
  36. प्रश्न- आपूर्ति का मूल्य क्या है? इसकी गणना के सम्बन्ध में सामान्य नियम बताइए।
  37. प्रश्न- आपूर्ति के मूल्य के लक्षण बताइए।
  38. प्रश्न- आपूर्ति के मूल्य की गणना के सम्बन्ध में सामान्य नियम बताइये।
  39. प्रश्न- कम्पोजीशन योजना की विशेषताएँ तथा लाभ व हानियाँ बताइए।
  40. प्रश्न- कम्पोजीशन योजना की हानियाँ बताइए।
  41. प्रश्न- आपूर्तिकर्ता तथा प्राप्तकर्ता का स्थान भारत में होने की दशा में सेवाओं की आपूर्ति का स्थान समझाइये।
  42. प्रश्न- सेवाओं की आपूर्ति का स्थान बताइये यदि आपूर्तिकर्ता का स्थान अथवा प्रापक का स्थान भारत के बाहर हो।
  43. प्रश्न- सम्बन्धित व्यक्ति, भिन्न व्यक्ति तथा परिवार में कौन शामिल है?
  44. प्रश्न- वे गतिविधियाँ या लेनदेन बताइये जिन्हें न तो माल की आपूर्ति और न ही सेवा की आपूर्ति के रूप में माना जायेगा।
  45. प्रश्न- अन्तर्गमन तथा बहिर्गमन आपूर्तियाँ क्या होती हैं?
  46. प्रश्न- माल अथवा सेवाओं अथवा दोनों की आपूर्ति का स्थान समझाइये।
  47. प्रश्न- भिन्न अथवा सम्बन्धित व्यक्तियों के मध्य आपूर्ति के मूल्य निर्धारण के नियम बताइये।
  48. प्रश्न- आपूर्ति के मूल्य निर्धारण हेतु निम्नलिखित के बारे में नियम बताइये - एजेण्ट के माध्यम से आपूर्ति
  49. प्रश्न- प्रमुख करमुक्त सेवाओं को बताइये।
  50. प्रश्न- प्रमुख करमुक्त माल की सूची बनाइए।
  51. प्रश्न- निम्नांकित सेवाओं के बारे में माल एवं सेवा कर विधान के अन्तर्गत प्रदत्त करमुक्ति के प्रावधान बताइये- (a) पुण्यार्थ संस्थान द्वारा सेवा, (b) सरकार द्वारा सेवा, (c) धार्मिक सेवा।
  52. प्रश्न- लघु आपूर्तियों पर टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- इनपुट टैक्स क्रेडिट का आशय क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
  54. प्रश्न- इनपुट टैक्स क्रेडिट की विशेषताएँ बताइये।
  55. प्रश्न- इनपुट टैक्स क्रेडिट की उपलब्धता के लिए क्या शर्तें निर्धारित की गयी हैं? उनका वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- इनपुट टैक्स क्रेडिट को प्राप्त करने हेतु शर्तें बताइए।
  57. प्रश्न- केन्द्रीय माल तथा सेवाकर अधिनियम, 2017 की धारा 17 के अन्तर्गत जिन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध नहीं होती है, उनके बारे में बताइये। क्रेडिट विभाजन के बारे में समझाइये।
  58. प्रश्न- क्रेडिट विभाजन सम्बन्धी प्रावधान बताइये।
  59. प्रश्न- सेवा वितरक से आप क्या समझते हैं? इसके द्वारा क्रेडिट का वितरण समझाइये।
  60. प्रश्न- इनपुट सेवा वितरक द्वारा क्रेडिट का वितरण समझाइये।
  61. प्रश्न- माल तथा सेवाकर के अन्तर्गत कर के भुगतान की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। माल तथा सेवाकर भुगतान प्रक्रिया के प्रमुख लक्षण लिखिए।
  62. प्रश्न- कर भुगतान के प्रमुख लक्षण बताइये।
  63. प्रश्न- माल तथा सेवाकर के अन्तर्गत करों के भुगतान हेतु रखे जाने वाले विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों को समझाइए।
  64. प्रश्न- इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर को समझाइए।
  65. प्रश्न- इलेक्ट्रॉनिक दायित्व रजिस्टर के बारे में बताइए।
  66. प्रश्न- करदाता को कितने प्रकार के रिफण्ड (धन वापसी) उपलब्ध होते हैं? रिफण्ड के दावे की प्रक्रिया समझाइये।
  67. प्रश्न- रिफण्ड के दावे की प्रक्रिया समझाइए।
  68. प्रश्न- अन्यायपूर्ण संवर्धन का सिद्धान्त क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइए।
  69. प्रश्न- उपभोक्ता कल्याण कोष को समझाइए।
  70. प्रश्न- माल तथा सेवाकर के अन्तर्गत स्रोत पर कर की कटौती के बारे में क्या व्यवस्था की गई है?
  71. प्रश्न- स्रोत पर कर संग्रह के बारे में लिखिए।
  72. प्रश्न- विवरणी से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य बताइए। माल एवं सेवा कर विधान के अधीन विवरणियों को फाइल करने के लिए कौन उत्तरदायी है तथा किसे मुक्ति दी गयी है?
  73. प्रश्न- विवरणियों के उद्देश्य बताइए।
  74. प्रश्न- विवरणियों के लिए उत्तरदायी व्यक्तियों को बताइए।
  75. प्रश्न- "विवरणी फाइल करने के माध्यम तथा विवरणियों के प्रकार बताइए। बहिर्गमन आपूर्ति तथा अन्तर्गमन आपूर्ति के विवरण प्रस्तुतीकरण को समझाइए।
  76. प्रश्न- बहिर्गमन आपूर्तियों के विवरण प्रस्तुतीकरण को स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- अन्तर्गमन आपूर्तियों के विवरण प्रस्तुतीकरण को बताइए।
  78. प्रश्न- माल एवं सेवा कर प्रैक्टिशनर अथवा जी एस टी व्यवसायी कौन होता है? इसके पात्रता मानदण्ड बताइए। इसके सम्बन्ध में अनुमोदन की रीति, गतिविधियाँ, शर्ते तथा विवरण के ठीक होने के उत्तरदायित्व के बारे में लिखिए।
  79. प्रश्न- माल एवं सेवा कर प्रैक्टिशनर हेतु अनुमोदन प्रक्रिया क्या है? माल एवं सेवा कर प्रैक्टिशनर की गतिविधियाँ बताइये।
  80. प्रश्न- माल एवं सेवा कर प्रैक्टिशनर हेतु शर्तें क्या है? विवरण के ठीक होने के सम्बन्ध में इसका उत्तरदायित्व बताइए।
  81. प्रश्न- जी एस टी आर-3 में मासिक विवरणी का प्रस्तुतीकरण बताइये।
  82. प्रश्न- वार्षिक विवरणी क्या होती है? बताइए।
  83. प्रश्न- अन्तिम विवरणी के बारे में बताइए। विवरणी फाइल करने में चूक करने वालों को सूचना देने तथा विलम्ब शुल्क की उगाही के बारे में क्या व्यवस्था की गयी है?
  84. प्रश्न- केन्द्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अधीन किस प्रकार के व्यक्ति पंजीकरण कराने के लिए दायी होते हैं? समझाइये।
  85. प्रश्न- केन्द्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 24 के अधीन कौन से व्यक्तियों को पंजीयन कराना आवश्यक है?
  86. प्रश्न- अन्य मामलों में पंजीयन हेतु कौन दायी है?
  87. प्रश्न- केन्द्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 25 के अधीन पंजीकरण प्रक्रिया समझाइये।
  88. प्रश्न- पंजीयन के विशिष्ट मामलों का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- अनिवासी कराधेय व्यक्ति को परिभाषित कीजिए तथा इसकी पंजीयन प्रक्रिया बताइए।
  90. प्रश्न- जॉब वर्कर तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित इकाई के पंजीयन को बताइए।
  91. प्रश्न- कौन-कौन से व्यक्ति कम्पोजीशन लेवी का विकल्प चुन सकते हैं? इस स्कीम को अपनाने के अपात्र व्यक्ति कौन हैं?
  92. प्रश्न- कम्पोजीशन लेवी का विकल्प कौन चुन सकता है?
  93. प्रश्न- कम्पोजीशन स्कीम के अपात्र व्यक्ति बताइये।
  94. प्रश्न- कम्पोजीशन स्कीम हेतु शर्तें तथा प्रतिबन्ध बताइये। शर्तों के अतिलंघन के सम्बन्ध में दण्ड के क्या प्रावधान हैं?
  95. प्रश्न- कम्पोजीशन स्कीम की शर्तों के उल्लंघन की दशा में दण्ड का प्रावधान बताइए।
  96. प्रश्न- वे कौन से व्यक्ति हैं जो पंजीयन हेतु दायी नहीं होते हैं?
  97. प्रश्न- आकस्मिक कराधेय व्यक्ति तथा अनिवासी कराधेय व्यक्ति में अन्तर बताइये।
  98. प्रश्न- टिप्पणी लिखिये- (a) पंजीयन प्रमाणपत्र की वैधानिकता, (b) पंजीयन हेतु वाँछनीय सूचनाएँ, (c) पंजीयन आवेदनपत्र पर हस्ताक्षरी, (d) अग्रिम कर जमा करना।
  99. प्रश्न- पंजीयन प्रमाणपत्र का निरस्तीकरण समझाइए।
  100. प्रश्न- 'पंजीकरण के निरस्तीकरण का खण्डन' बताइये।
  101. प्रश्न- समझाइये कि 'कम्पोजीशन लेवी एक विकल्प मात्र है।
  102. प्रश्न- कम्पोजीशन लेवी के तहत कर की दरें बताइये।
  103. प्रश्न- कर बीजक से आप क्या समझते हैं? इसकी विषय सामग्री, समय तथा जारी करने की पद्धति को स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- कर बीजक को जारी करने के समय के बारे में बताइए।
  105. प्रश्न- कर बीजक को जारी करने की रीति समझाइये।
  106. प्रश्न- कर बीजक की विषय-सामग्री क्या होती है?
  107. प्रश्न- निम्नलिखित को समझाइए- (a) संशोधित कर बीजक (b) समेकित कर बीजक, (c) प्राप्ति प्रमाणक का निर्गमन, (d) रिफण्ड या वापसी बाउचर का निर्गमन, (e) प्रतिलोभी प्रभार के तहत बीजक, तथा भुगतान वाउचर।
  108. प्रश्न- समेकित कर बीजक क्या होता है? आपूर्ति का बिल कब निर्गमित किया जाता है? इसमें दी जाने वाली सूचनाएँ बताइए।
  109. प्रश्न- प्राप्ति प्रमाणक क्या होता है? इसकी विषय-वस्तु बताइए।
  110. प्रश्न- रिफण्ड वाउचर के निर्गमन को समझाइए।
  111. प्रश्न- प्रतिलोमी प्रभार के तहत बीजक के बारे में क्या प्रावधान हैं? भुगतान प्रमाणक के बारे में भी समझाइए।
  112. प्रश्न- विशेष मामलों में कर बीजक को समझाइये।
  113. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
  114. प्रश्न- क्रेडिट तथा डेबिट नोट को समझाइए।
  115. प्रश्न- ई-वे बिल क्या है? इसकी विशेषताएँ तथा आवश्यकता को समझाइए।
  116. प्रश्न- माल एवं सेवा कर विधान के अन्तर्गत अंकेक्षण के बारे में बताइए तथा निम्नलिखित को समझाइए- (a) चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट अथवा कॉस्ट एकाउण्टेन्ट द्वारा अंकेक्षण, (b) कर प्राधिकारियों द्वारा अंकेक्षण, तथा (c) विशेष अंकेक्षण।
  117. प्रश्न- माल एवं सेवा कर विधान के अन्तर्गत अंकेक्षण के प्रकार बताइए। चार्टर्ड एकाउण्टेन्ट
  118. प्रश्न- कर प्रधिकारियों द्वारा अंकेक्षण को समझाइए।
  119. प्रश्न- विशेष अंकेक्षण को समझाइए।
  120. प्रश्न- कर निर्धारण से आप क्या समझते है? इसमें क्या-क्या शामिल रहता है? वर्णन कीजिए।
  121. प्रश्न- अस्थायी कर निर्धारण को समझाइए।
  122. प्रश्न- सारांश निर्धारण क्या है?
  123. प्रश्न- सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण को समझाइए।
  124. प्रश्न- HSN कोड का वर्णन कीजिए।
  125. प्रश्न- इनपुट सेवा वितरक से आप क्या समझते हैं?
  126. प्रश्न- इनपुट सेवा वितरक की भूमिका बताइए।
  127. प्रश्न- माल तथा सेवा कर पहचान संख्या की संरचना बताइए।
  128. प्रश्न- माल तथा सेवा कर में सेवा लेखांकन कोड (SAC) को बताइये।

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