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बीकाम सेमेस्टर-5 भारत में मौद्रिक सिद्धान्त एवं बैंकिंग

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2809
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-5 भारत में मौद्रिक सिद्धान्त एवं बैंकिंग - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- "जमा द्रव्य ऋणों का सृजन करते हैं तथा ऋण जमा का सृजन करते हैं।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

अथवा
क्या बैंक वास्तव में साख का निर्माण करते हैं। समझाइये।
अथवा
बैंक किस प्रकार साख का निर्माण करते हैं?
अथवा
'बैंक केवल मुद्रा जुटाने वाली संस्थाएँ ही नहीं हैं वरन् वे मुद्रा के सृजनकर्ता भी हैं। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
'जमा राशियाँ साख को जन्म देती हैं और साख जमा राशियों को। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
साख निर्माण क्या है? व्यापारिक बैंक किस प्रकार साख का सृजन करते हैं? बताइए।

उत्तर

साख निर्माण का आशय
(Meaning of Credit Creation)

किसी देश में कुल मुद्रा से भी अधिक बैंक में जमाएँ होने का मुख्य कारण साख निर्माण ही होता है। बैंकों में जितनी नकद पूँजी जमा होती है, बैंक उसे कई गुना कर देते हैं जिससे उनकी जमाएँ तथा ऋण बहुत बढ़ जाते हैं। सेयर्स (Sayers) के अनुसार, 'बैंक केवल मुद्रा जुटाने वाली संस्थाएँ ही नहीं हैं, वरन् एक महत्वपूर्ण अर्थ में वे मुद्रा की निर्माता भी हैं।

बैंकों का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य साख का सृजन करना होता है। अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से बैंक अपनी अंशपूँजी तथा जमा धन की कुल राशि से कहीं अधिक ऋण देते हैं जो इसलिए सम्भव होता है क्योंकि बैंक साख का निर्माण करते हैं।

विभिन्न अर्थशास्त्रियों जैसे हर्टले विदर्स, होम आदि का विचार है कि बैंकों द्वारा साख का सृजन किया जाता है। प्रो. सेयर्स के अनुसार, "बैंक केवल द्रव्य के व्यवसायी ही नहीं होते वरन् एक महत्वपूर्ण विचार में द्रव्य के निर्माता भी होते हैं। बैंकों में जितनी नकदी होती है बैंक उसे बढ़ाकर कई गुना कर देते हैं। जिससे निक्षेप तथा ऋण अत्यन्त बढ़ जाते हैं। प्रो. हॉम ने यह भी कहा है कि "व्युत्पन्न निक्षेपों का निर्माण ही साख का सृजन होता है। बैंक जितना अधिक ऋण देता है उतनी ही ज्यादा साख जमाएं उत्पन्न होने से और ज्यादा ऋणों का सृजन होता है। इस प्रकार ऋण जमाओं को सृजित करते हैं तथा निक्षेप ऋणों को सृजित करते हैं।

कुछ अर्थशास्त्रियों जैसे प्रो. कैनन, प्रो. वाल्टर लीफ आदि का विचार है कि बैंकों द्वारा साख का सृजन नहीं किया जा सकता है।

यद्यपि उपरोक्त दोनों विचारधाराएं एक-दूसरे के विपरीत हैं फिर भी यह सही है कि वाणिज्यिक बैंकों द्वारा साख का सृजन किया जाता है।

साख सृजन की विधियाँ (Methods of Credit Creation) - बैंक मुद्रा या साख मुद्रा वह द्रव्य है जो वाणिज्यिक बैंकों के पास जमा होता है तथा जिसे चैक से निकाला जाता है। बैंक नकद जमा द्रव्य की अपेक्षा कई गुना अधिक धन उधार देकर साख मुद्रा अर्थात् साख का सृजन करता है।

साख निर्माण की प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित होती हैं-

1. कागजी मुद्रा (बैंक नोट) के निर्गमन द्वारा (By Issuing Paper Money Bank Note) - विश्व के लगभग सभी देशों में केन्द्रीय बैंक द्वारा पत्र - मुद्रा को जारी किया जाता है। जिससे साख का सृजन होता है। बैंक द्वारा जितनी पत्र मुद्रा को जारी किया जाता है उसके लिए कीमती धातु एवं प्रतिभूतियों को कोष के रूप में रखा जाता है। पत्रमुद्रा का वह भाग जो धातु कोष के बिना निर्गमित किया जाता है, वह साख के आधार पर होता है। इस प्रकार केन्द्रीय बैंक पत्र - मुद्रा निर्गमन द्वारा साख का सृजन करते हैं।

2. प्रारम्भिक जमाओं तथा व्युत्पन्न जमाओं के द्वारा साख का सृजन (Credit Creation through Initial and Derived Deposits) - प्रो. हॉम ने बैंक जमाओं को निम्नलिखित दो प्रकार का बताया है-

(a) प्रारम्भिक जमाएं ( Initial Deposits)  - प्रारम्भिक जमाएं वे जमाएं हैं जिन्हें वास्तविक द्रव्य (मुद्रा) के रूप में जमाकर्ताओं द्वारा जमा किया जाता है। ये निष्क्रिय या नकद जमाएं भी कहलाती हैं।

उदाहरण - माना कि आदर्श का भारतीय स्टेट बैंक में खाता है। उसमें वे रु. 10,000 वास्तविक मुद्रा में जमा करवाते हैं तो ऐसी जमा नकद अथवा प्रारम्भिक जमा होगी।

(b) व्युत्पन्न जमाएं (Derived Deposits) - यदि बैंक द्वारा किसी को ऋण देने के उद्देश्य से उसके खाते में कुछ राशि जमा कर दें तो ऐसी उत्पन्न होने वाली जमा व्युत्पन्न जमा होगी। हॉम का कहना है कि " व्युत्पन्न जमाओं का सृजन ही साख का निर्माण होता है।" इस प्रकार हॉम का यह कथन है कि "उत्पादित निक्षेपों का निर्माण ही साख का सृजन है। ठीक ही है क्योंकि बैंक जितना अधिक ऋण प्रदान करता है उतनी ही अधिक साख जमा उत्पन्न होती है तथा ऋण का निर्माण होता है।

जॉर्ज हॉम के अनुसार, "दी हुई दशाओं के अन्तर्गत विशेष रूप से सुरक्षित कोषों के अनुपात के बारे में, बैंकिंग पद्धति के नवीन नकद कोषों की एक मौलिक रकम से बहुगुणी साख प्रसारित की जा सकती है जबकि केवल एक बैंक द्वारा प्रसारित की जाने वाली साख उसके मौलिक नकद कोषों से कुछ ही अधिक हो सकती है।"

3. अधिविकर्ष की सुविधाएं (Overdraft Facilities) - बैंक द्वारा अपने विश्वासपात्र एवं प्रतिष्ठित ग्राहकों को अधिविकर्ष की सुविधा प्रदान की जाती है जिससे साख का निर्माण होता है। यह सुविधा जितनी अधिक मात्रा में दी जायेगी साख का उतना ही अधिक निर्माण होगा।

4. प्रतिभूतियों का क्रय (Purchase of Securities) - बैंक द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों, कम्पनी के अंशों व अन्य विभिन्न प्रकार की सम्पत्तियों को क्रय करके साख का निर्माण किया जाता है।
इनका भुगतान नकद नहीं किया जाता है। इसका भुगतान खाते में अन्तरित करके किया जाता है। इस प्रकार बैंक कम नकद कोष के आधार पर अधिक साख का निर्माण कर सकता है।

क्या बैंक वास्तव में साख का सृजन करते हैं? (Do Banks Really Create edit?) - इस सम्बन्ध में दो मत हैं-

प्रथम विचार हार्टले विदर्स के अनुसार, "ऋण जमा राशियों को उत्पन्न करते हैं और उनके निर्माण का श्रेय बैंकों को ही जाता है।

सैलिगमैन के अनुसार, "पहले बैंक नकद जमा में व्यवसाय करते थे, वर्तमान में वे प्रमुख रूप से साख जमा में व्यवसाय करते हैं।

द्वितीय मत डॉ. वाल्टर लीफ तथा कैनन के अनुसार, "प्रत्येक व्यावहारिक बैंकर यह जानता है कि वह साख-मुद्रा या किसी वस्तु का विनिर्माता नहीं है वरन् वह केवल ऐसा व्यक्ति है जो साधन सम्पन्न वाले व्यक्तियों के द्वारा साधनों का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों को ऋण दिये जाने की सुविधा प्रदान करता है।"

अर्थशास्त्रियों में इस बात पर मतभेद है कि क्या बैंकों द्वारा वास्तव में साख का निर्माण किया जाता है। प्रोए वाल्टर लीफ तथा प्रो. एडविन केनन आदि का विचार है कि बैंक स्वयं साख का सृजन नहीं करते वरन यह कार्य तो बैंक के निक्षेपकर्ता करते हैं क्योंकि इन्हीं के द्वारा बैंक को मौद्रिक साधन उपलब्ध कराये जाते हैं तथा बैंक इनका एक भाग व्यापारियों को ऋण के रूप में दे देते हैं। अतः साख सृजन का श्रेय बैंकों को न देकर जमाकर्ताओं को दिया जाना चाहिए।

लीफ एवं केनन का विचार भ्रमात्मक लगता है क्योंकि बैंक प्रारम्भिक निक्षेपों के रूप में प्राप्त धनराशि की अपेक्षा कहीं अधिक ऋण देने में समर्थ होते हैं। सभी बैंक मिलकर साख का निर्माण करते हैं। अधिविकर्ष देकर, प्रतिभूतियाँ क्रय कर तथा इनका चैकों से भुगतान करके व केन्द्रीय बैंक से बिलों को भुनाकर बैंक साख निर्माण की शक्ति बढ़ाते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि बैंक साख का निर्माण कर सकते हैं तथा करते भी हैं।

अतः निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि बैंक केवल मुद्रा जुटाने वाली संस्थाएँ ही नहीं हैं वरन् वे मुद्रा के सृजनकर्ता भी हैं।

बैंकों का मुद्रा जुटाने वाली संस्थाएँ होना
(Banks are Purveyors of Money)

व्यापारिक बैंकों द्वारा मुद्रा जुटाने वाली संस्थाओं के रूप में निम्नलिखित कार्य किये जाते हैं-

1. जमाएँ एवं निक्षेप प्राप्त करना (Receiving Deposits) - वाणिज्यिक बैंक जनता से रकम जमा कराते हैं। बैंकों द्वारा विभिन्न वर्गों को ध्यान में रखकर योजनाएँ बनायी जाती हैं तथा उन्हें धन जमा करने हेतु प्रेरणा दी जाती है। बैंकों द्वारा चालू खाता, बचत खाता, स्थायी जमा खाता, घरेलू बचत खाता आदि के माध्यम से जमाओं को स्वीकार किया जाता है।

2. ऋण देना (Advancing Loans) - बैंक को जमा के रूप में जो धन प्राप्त होता है उसे वह ऋण के रूप में दे देता है ताकि इसे आय हो सके। ऋण देते समय बैंक द्वारा तरलता तथा आय को ध्यान में रखना होता है। बैंकों द्वारा नकद साख, अधिविकर्ष, अग्रिम आदि के रूप में ऋण दिये जाते हैं।

इन कार्यों के अलावा बैंकों द्वारा चैक, विनिमय विपत्र आदि का भुगतान एवं संग्रहण, अन्य भुगतान, प्रेषण, आदि कार्यों को मुद्रा जुटाने वाली संस्था के रूप में किया जाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- "मुद्रा वह धुरी है जिसके चारों ओर सम्पूर्ण अर्थतंत्र चक्कर लगाता है।" कथन को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- समाजवादी एवं नियोजित अर्थव्यवस्था में मुद्रा का क्या महत्व है?
  3. प्रश्न- मुद्रा का आशय एवं परिभाषा बताइये तथा उसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- मुद्रा के मुख्य कार्य कौन-कौन से हैं? मुद्रा के द्वितीयक कार्य क्या होते हैं?
  5. प्रश्न- मुद्रा के आकस्मिक कार्यों का वर्णन कीजिए। पॉल इन्जिंग ने मुद्रा के कार्यों को कितने भागों में बांटा है?
  6. प्रश्न- मुद्रा की परिभाषा से सम्बन्धित विभिन्न दृष्टिकोण क्या हैं? मुद्रा के प्रमुख लक्षण बताइये।
  7. प्रश्न- "मुद्रा कई बुराइयों की जड़ है।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  8. प्रश्न- मुद्रा की पूर्ति से आप क्या समझते हैं? इन्हें प्रभावित करने वाले कारकों तथा पूर्ति के मापन की विधियां बताइये।
  9. प्रश्न- मुद्रा पूर्ति के मापक व संघटक बताइये।
  10. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा से क्या तात्पर्य है? उच्च शक्ति मुद्रा के संघटकों की विवेचना कीजिए।
  11. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा के संघटकों की विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- मुद्रा के मूल्य से आप क्या समझते हैं? यह कैसे तय होता है?
  13. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा सामान्य मुद्रा (संकुचित मुद्रा) से किस प्रकार भिन्न होती है?
  14. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा एवं सामान्य मुद्रा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- मुद्रा की माँग से आप क्या समझते हैं? मुद्रा की माँग किन-किन बातों से प्रभावित होती है?
  16. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा के उपयोग व महत्व को बताइये।
  17. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा के स्रोत क्या हैं?
  18. प्रश्न- भारत में वित्तीय प्रणाली को सविस्तार समझाइये।
  19. प्रश्न- वित्तीय प्रणाली की विशेषताएं बताइये।
  20. प्रश्न- वित्तीय प्रणाली के संघटक क्या हैं?
  21. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि वित्तीय प्रणाली आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।.
  22. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थ से आप क्या समझते हैं? वित्तीय मध्यस्थों के कार्यों का वर्णन कीजिए। "वित्तीय मध्यस्थ प्रतिभूतियों के व्यापारी होते हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  23. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थों की कार्य एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थ एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थ में अन्तर बताइये। गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं से आप क्या समझते हैं?
  25. प्रश्न- गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थों के प्रकार बताइये।
  27. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थ क्या हैं?
  28. प्रश्न- वाणिज्य बैंकों के कार्यों की विवेचना कीजिए। वे किस प्रकार देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण हैं?
  29. प्रश्न- वाणिज्यिक बैंक के प्रमुख एवं अभिकर्ता सम्बन्धी कार्य कौन-कौन से हैं? तथा उनके अन्य कार्य भी बताइए।
  30. प्रश्न- वाणिज्यिक बैंकों का देश के आर्थिक विकास में क्या महत्व है?
  31. प्रश्न- आधुनिक व्यापार एवं वित्त के संदर्भ में बैंकों की कमियाँ बताइये।
  32. प्रश्न- भारतीय बैंकिंग व्यवस्था की प्रमुख कमियाँ बताइये।
  33. प्रश्न- शाखा बैंकिंग तथा इकाई बैंकिंग प्रणालियों से आप क्या समझते हैं? इनके गुण-दोषों की तुलना कीजिए तथा बताइये कि इन दोनों प्रणालियों में से कौन-सी प्रणाली भारत के लिए उपयुक्त है?
  34. प्रश्न- शाखा बैंकिंग के गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- इकाई बैंकिंग प्रणाली के गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- इकाई बैंकिंग प्रणाली व शाखा बैंकिंग प्रणाली में कौन श्रेष्ठ है? स्पष्ट कीजिए। एक श्रेष्ठ बैंकिंग प्रणाली के लक्षण बताइये।
  37. प्रश्न- भारत में जनसमुदाय की भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कितने प्रकार के बैंकों का गठन किया गया है?
  38. प्रश्न- भारतीय बैंकिंग प्रणाली की संरचना पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक क्या हैं? इनके क्या कार्य हैं? ग्रामीण भारत में इनकी भूमिका तथा प्रगति का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैकों की प्रगति व उपलब्धियाँ बताइये।
  41. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की कमियों को दूर करने हेतु सुझाव दीजिए।
  42. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना के क्या उद्देश्य थे? क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की कार्यप्रणाली के सम्बन्ध में केलकर समिति के सुझाव समझाइए।
  43. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की कार्यप्रणाली के सम्बन्ध में केलकर समिति के सुझाव बताइए।
  44. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कार्य विवरण पर टिप्पणी लिखिए।
  45. प्रश्न- वाणिज्य बैंक एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में अन्तर बताइए।
  46. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की कमियाँ व समस्याएँ बताइये।
  47. प्रश्न- सहकारी साख संस्थाओं की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं? इन्हें दूर करने के लिए सुझाव दीजिए। सहकारी साख ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए क्या सरकारी प्रयास किये गये हैं?
  48. प्रश्न- प्राथमिक कृषि साख समितियों के उन्नयन हेतु आप क्या सुझाव देंगे?
  49. प्रश्न- केन्द्रीय सहकारी बैंकों की क्या समस्याएं हैं?
  50. प्रश्न- केन्द्रीय सहकारी बैंकों के सुधार हेतु सुझाव दीजिए।
  51. प्रश्न- भारत देश में राज्य सहकारी बैंकों की क्या समस्याएं हैं?
  52. प्रश्न- राज्य सहकारी बैंकों के विकास हेतु सुझाव दीजिए।
  53. प्रश्न- सहकारी साख ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए क्या सरकारी प्रयास किये गये हैं?
  54. प्रश्न- प्राथमिक सहकारी समितियों की विशेषताओं को लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में सहकारी बैंक की कार्यप्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- सहकारी बैंक तथा वाणिज्यिक या व्यापारिक बैंक में अन्तर बताइए।
  57. प्रश्न- प्राथमिक सहकारी बैंक क्या है? उनकी ग्रामीण भारत में क्या भूमिका है?
  58. प्रश्न- भारत में राज्य सहकारी बैंकों का संगठन तथा कार्य समझाइये। राज्य सहकारी बैंकों को आप क्या सुझाव देंगे?
  59. प्रश्न- सहकारी साख संस्थाओं की प्रमुख समस्यायें क्या हैं? सहकारी साख ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए क्या सरकारी प्रयास किये गये हैं?
  60. प्रश्न- भूमि विकास बैंकों की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  61. प्रश्न- साख का आशय, परिभाषायें तथा आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिए। साख के महत्व का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- साख का क्या महत्व होता है?
  63. प्रश्न- साख का वर्गीकरण किन आधारों पर किया जाता है? इसके वर्गीकरण को समझाइये।
  64. प्रश्न- समयावधि, उपभोग एवं सुरक्षा के आधार पर साख का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- स्वरूप के आधार पर ऋण का वर्गीकरण कीजिए। ऋण के आधार पर साख का वर्गीकरण कीजिए।
  66. प्रश्न- ब्याज के तरलता पसन्दगी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  67. प्रश्न- संस्थागत साख के आवंटन को निर्धारित करने वाले वित्तीय एवं गैर- वित्तीय घटकों को स्पष्ट कीजिए।
  68. प्रश्न- संस्थागत साख के आबंटन को निर्धारित करने वाले गैर-वित्तीय घटकों को स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- साख निर्माण की सीमाएँ बताइये।
  70. प्रश्न- तरलता प्रीमियम सिद्धान्त क्या है?
  71. प्रश्न- नवपरम्परावादी सिद्धान्त और पूर्ति क्या है? बॉण्ड की कीमत व बॉण्ड दर में क्या सम्बन्ध है?
  72. प्रश्न- "जमा द्रव्य ऋणों का सृजन करते हैं तथा ऋण जमा का सृजन करते हैं।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  73. प्रश्न- बैंक द्वारा साख सृजन पर प्रभाव डालने वाले घटकों की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- ब्याज दरों पर मुद्रा प्रसार के प्रभावों को बताइये।
  75. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक क्या है? इसके कार्यों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक के कार्यो का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
  78. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक वित्त निगम का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- भारत में विकास बैंकों के कार्यकरण का आलोचनात्मक मूल्याँकन कीजिए।
  80. प्रश्न- भारत में गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों पर एक निबन्ध लिखिए।
  81. प्रश्न- भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों की प्रगति के क्या कारण हैं? इनकी क्या कमियाँ हैं? इन्हें दूर करने हेतु सुझाव भी दीजिए।
  82. प्रश्न- संस्थागत साख आवंटन की समस्या और नीतियों की व्याख्या कीजिए।
  83. प्रश्न- राज्य वित्तीय निगमों का संक्षिप्त परिचय देते हुए इनके कार्यों को बताइये।
  84. प्रश्न- भारतीय यूनिट ट्रस्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  85. प्रश्न- विकास बैंक क्या है? विकास बैंक के प्रमुख कार्य लिखिए।
  86. प्रश्न- उद्योगों को वित्त प्रदान करने वाली वित्तीय संस्थाओं के नाम बताइये। भारत में विकास बैंकों की संरचना बताइये।
  87. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक किस प्रकार से औद्योगिक वित्त प्रदान करता है?
  88. प्रश्न- भारतीय निर्यात-आयात बैंक की स्थापना, कार्यों तथा संचालित किये जाने वाले कार्यक्रमोंको समझाइये।
  89. प्रश्न- भारतीय निर्यात-आयात बैंक द्वारा विदेशी व्यापार के संवर्धन हेतु कौन-कौन से कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं?
  90. प्रश्न- राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक से आप क्या समझते हैं? नाबार्ड द्वारा कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में क्या कार्य किये जाते हैं? इस बैंक की सफलताओं का वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- भारत में विकास बैंक की मुख्य कमियाँ क्या हैं?
  92. प्रश्न- गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- विकास बैंकों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  94. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक के संगठन एवं कार्यो को समझाइये।
  95. प्रश्न- रिजर्व बैंक के केन्द्रीय बैंकिंग सम्बन्धी प्रमुख कार्यों को बताइए।
  96. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की सफलताओं एवं असफलताओं का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की असफलताओं पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- साख नियंत्रण से आप क्या समझते हैं? साख नियंत्रण की कौन-कौन सी विधियाँ हैं? साख नियंत्रण की परिमाणात्मक विधियों को समझाइये।
  99. प्रश्न- साख नियंत्रण की विधियाँ बताइये।
  100. प्रश्न- परिमाणात्मक या संख्यात्मक साख नियंत्रण से आप क्या समझते हैं? बैंक दर विधि को स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- खुले बाजार की क्रियाओं से क्या आशय है? इनके उद्देश्य एवं परिसीमाएँ बताइए।
  102. प्रश्न- नकद संचय अनुपात से आप क्या समझते हैं? तरल कोषानुपात विधि क्या है?
  103. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की वर्तमान साख नियंत्रण व्यवस्था का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  104. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की साख नियन्त्रण व्यास्था की क्या आलोचनायें हैं?
  105. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के मुख्य प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की विद्यमान साख नियंत्रण यान्त्रिकी का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  107. प्रश्न- भारत में प्रशासित ब्याज दर का इतिहास लिखिए। भारत में ब्याज दरों के नियमन के क्या कारण हैं?
  108. प्रश्न- भारत में ब्याज दरों के विनियमन के क्या कारण हैं?
  109. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक के विकासात्मक कार्य बताइए।
  110. प्रश्न- ब्याज दर किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की ब्याज दरों को स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- भारतीय अर्थव्यवस्था पर मुद्रा-स्फीति और मुद्रा-स्फीति के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक के वर्जित कार्य कौन-कौन से हैं? आर. बी. आई. किस प्रकार एन. बी. एफ. सी. का नियंत्रण करती है?
  113. प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए - (a) मौद्रिक नीति (b) बैंक दर (c) नकद कोषानुपात
  114. प्रश्न- भारतीय मौद्रिक नीति के उद्देश्य लिखिए।
  115. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक का उद्भव बताइए। रिजर्व बैंक साख सूचना कार्यालय क्या है?
  116. प्रश्न- साख नियंत्रण के विभिन्न उद्देश्यों को बताइये।
  117. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना कब हुई? इसके प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  118. प्रश्न- भारत जैसे विकासशील देश के लिए उपयुक्त मौद्रिक नीति की रूपरेखा का सुझाव दीजिए।
  119. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की शक्तियों पर एक लेख लिखिए।
  120. प्रश्न- भारतवर्ष में भावी ब्याज दरों की प्रत्याशाएँ लिखिए। भारत वर्ष में ब्याज दरों के विनियमन की सीमाएँ लिखिए।

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