| शब्द का अर्थ | 
					
				| अवसर्प					 : | पुं० [सं० अव√सृप् (गति)+घञ्] भेदिया। जासूस। | 
			
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				| अवसर्पण					 : | पुं० [सं० अव√सृप्+ल्युट्-अन] १. ऊपर से नीचे आना या उतरना। २. अघःपतन। | 
			
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				| अवसर्पिणी					 : | स्त्री० [सं० अव√सृप्+णिनि-ङीष्] जैन शास्त्रानुसार पतन का वह काल विभाग जिसमें रूप आदि का क्रमशः ह्रास होता है। अवरोह। विरोह। विवर्त्त। | 
			
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				| अवसर्पी (र्पिन्)					 : | वि० [सं० अव√सृप्+णिनि] नीचे आने या उतरनेवाला। | 
			
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