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			| शब्द का अर्थ |  
				| अष्ट-कमल					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] हठयोग में, शरीर के अन्दर मूलाधार से ललाट तक माने जानेवाले आठ चक्र या कमल, जिन्हें हृच्चक्र भी कहते हैं। यथा—मूलाधार, विशुद्ध, मणिपूरक, स्वाधिष्ठान, अनाहत (अनहद), आज्ञा चक्र, सहस्रार चक्र और सुरतिकमल। (दे० ‘चक्र’) |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |