| शब्द का अर्थ | 
					
				| आतिश					 : | स्त्री० [फा०] १. अग्नि। आग। २. बहुत अधिक गरमी या सहज में और चतुरता से कर लेता हो। ३. कोप। क्रोध। गुस्सा। वि० १. बहुत गरम। २. बहुत उग्र या तीव्र। | 
			
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				| आतिशखाना					 : | पुं० [फा०] १. कमरे में वह स्थान जहाँ उसे गरम करने के लिए आग रखी जाती है। २. पारसियों का अग्नि-मंदिर। | 
			
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				| आतिशदान					 : | पुं० [फा०] १. आग रखने का पात्र। अँगीठी। २. दे० ‘अतिशखाना’। | 
			
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				| आतिशपरस्त					 : | पुं० [फा०] १. अग्नि की पूजा करनेवाला व्यक्ति। २. पारसी। | 
			
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				| आतिशबाज					 : | पुं० [फा०] आतशदबाजी बनाने तथा छोड़नेवाला। | 
			
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				| आतिशबाजी					 : | स्त्री० [फा०] बारूद, गंधक, शीरे आदि के योग से बनी हुई चीजें जिनके जलने पर रंग बिरंगी चिनगारियाँ निकलती है। अग्निकीड़ा। | 
			
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				| आतिशयिक					 : | वि० [सं० अतिशय+ठक्-इक] १. अतिशय-संबंधी। २. बहुत अधिक। अतिशय। | 
			
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				| आतिशय्य					 : | पुं० [सं० अतिशय+ष्यञ्] अतिशय होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| आतिशी					 : | वि० [फा० आतशी] १. आतश या आग से संबंध रखनेवाला। अग्नि संबंधी। २. आग की लपट जैसा लाल। जैसे—आतिशी रंग। ३. अग्नि उत्पन्न करनेवाला। जैसे—आतिशी शीशा। ४. जो आग में रखने पर भी न टूटे या न जले। पुं० कुछ बादामी रंगत लिए हुए एक प्रकार का लाल रंग। (फायररेड) | 
			
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				| आतिशी शीशा					 : | पुं० [फा०] एक प्रकार का शीशा जिसमें से सूर्य की किरणें किसी एक बिंदु से होकर निकलती तथा अग्नि उत्पन्न करती है। | 
			
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