| शब्द का अर्थ | 
					
				| आथ					 : | पुं० [सं० अर्थ] १. अर्थ। मतलब। माने। २. अभिप्राय। आशय। ३. गूढ़ अर्थवाली बात। उदाहरण—गीता वेद भागवत में प्रभु यों बोले है आथ।—सूर। अव्य० लिए। वास्ते।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| आथन					 : | पुं० [सं० अस्तमन] अस्त होने की क्रिया या भाव। | 
			
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				| आथना					 : | अ० [सं० अस्-होना,सं० अस्ति,प्रा०अत्थि] अस्तित्व से युक्त या वर्त्तमान होना। उदाहरण—यह जग कहा जो अथहि न आथी।—जायसी। अ० [सं० अस्तमन] अस्त होना। डूबना। उदाहरण—गहथा आथा गहथो ऊगै।—भड्डरी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| आथर्वण					 : | पुं० [सं० अर्थवन्+अण्] १. अथर्व वेद का ज्ञाता ब्राह्मण। २. अथर्व वेद में बतलाये हुए कर्म या कृत्य। ३. अथर्वा ऋषि का वंशज या उनके गोत्र का व्यक्ति। ४. पुरोहित। | 
			
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				| आथि					 : | स्त्री० [सं० अस्ति, प्रा० अत्थि, आथि] अस्तित्व। उदाहरण—एहिं जग काह जो आथि बिआयी।—जायसी। | 
			
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				| आथी					 : | स्त्री० [सं० स्थात्, हिं० थाती] १. पूँजी। थाती। उदाहरण—साथी आथि निजाथि जो सकै साथ निरबाहि।-जायसी। २. धन संपत्ति। ३. धन-संपन्नता। स्त्री० [सं० अस्ति] स्थिरता। अ०=है।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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