| शब्द का अर्थ | 
					
				| आलोच					 : | पुं० [सं० आ-लुञ्चन] वे दाने जो खेत काटने के समय जमीन पर गिर जाते हैं। शीला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| आलोचक					 : | पुं० [सं० आ√लोच् (देखना)+णिच्+ण्वुल्-अक] [स्त्री० आलोचिका] १. देखनेवाला। २. गुण-दोष आदि की आलोचना या विवेचना करनेवाला। ३. समीक्षक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| आलोचण					 : | पुं० =आलोच। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| आलोचन					 : | पुं० [सं० आ√लोच्+णिच्+ल्युट्-अन] [वि० आलोच्य, भू० कृ० आलोचित] १. दर्शन करना। देखना। २. किसी चीज के गुण, दोष आदि की जाँच, परख या विवेचन। ३. जैनों के अनुसार अपने किये हुए पापों का विवेचन और प्रकाशन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| आलोचना					 : | स्त्री० [सं० आ√लोच्+णिच्+युच्-अन-टाप्] [वि० आलोचित] १. किसी कृति या रचना के गुण-दोषों का निरूपण या विवेचन करना। २. इस प्रकार किया हुआ विवेचन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| आलोचनीय					 : | वि० [सं० आ√लोच्+अनीयर] =आलोच्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| आलोचित					 : | भू० कृ० [सं० आ√लोच्+क्त] जिसकी आलोचना हुई हो या की गई हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| आलोच्य					 : | वि० [सं० आ√लोच्+ण्यत्] जिसकी आलोचना की जा सकती हो या की जाने को हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |