| शब्द का अर्थ | 
					
				| आहि					 : | अ० [सं० अस्] पूर्वी हिंदी में असना या आसना (होना) क्रिया का वर्त्तमानकालिक रूप। है।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| आहित					 : | भू० कृ० [सं० आ√धा+क्त] १. रखा या स्थापित किया हुआ। २. धरोहर, गिरों या रेहन के रूप में रखा हुआ। ३. किया हुआ। पुं० प्राचीन भारत में, वह दास जो पहले अपने स्वामी से इकट्ठा धन लेकर और तब उसकी सेवा में रहकर वह धन चुकाता था। | 
			
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				| आहिताग्नि					 : | पुं० [सं० आहित-अग्निकर्म० स०] १. धार्मिक दृष्टि से स्थापित की हुई अग्नि। २. अग्निहोत्री। | 
			
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				| आहिति					 : | स्त्री० [सं० आ√धा+क्तिन्] आहित करने या होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| आहिस्ता					 : | अव्य० [फा० आहिस्तः] [भाव० आहिस्तगी] धीमे से। धीरे से। पद—आहिस्ता आहिस्ता=(क) धीरे-धीरे। शनैःशनैः। (ख) क्रम-क्रम से। | 
			
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