शब्द का अर्थ
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					ऊब					 :
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					स्त्री० [हिं० ऊबना] १. ऊबने की क्रिया या भाव २. बेचैनी। विकलता। स्त्री०=ऊभ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ऊबट					 :
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					पुं० [सं० उद्बुरा+वर्त्त्म, प्रा० बह-मार्ग] कठिन मार्ग। बीहड़ रास्ता। वि० ऊबड़-खाबड़। टेढ़ा-मेढ़ा।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ऊबड-खाबड़					 :
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					वि० [अनु] (मार्ग या स्थल) जो कहीं पर ऊँचा और कहीं पर नीचा हो। अटपट या असमतल।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ऊबना					 :
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					अ० [सं० उडेजन, पा० उब्बिजन] किसी वस्तु के यथेष्ठ भोग से तृप्ति हो जाने के उपरांत उसके प्रति मन में विरक्ति उत्पन्न होना। जी भर जाने के उपरांत किसी वस्तु-विशेष में रुचि न रह जाना।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ऊबर					 :
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					वि० [हिं० उबरनाबचना] १. अधिक। ज्यादा। २. अतिरिक्त।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ऊब					 :
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					स्त्री० [हिं० ऊबना] १. ऊबने की क्रिया या भाव २. बेचैनी। विकलता। स्त्री०=ऊभ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ऊबट					 :
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					पुं० [सं० उद्बुरा+वर्त्त्म, प्रा० बह-मार्ग] कठिन मार्ग। बीहड़ रास्ता। वि० ऊबड़-खाबड़। टेढ़ा-मेढ़ा।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ऊबड-खाबड़					 :
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					वि० [अनु] (मार्ग या स्थल) जो कहीं पर ऊँचा और कहीं पर नीचा हो। अटपट या असमतल।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					ऊबना					 :
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					अ० [सं० उडेजन, पा० उब्बिजन] किसी वस्तु के यथेष्ठ भोग से तृप्ति हो जाने के उपरांत उसके प्रति मन में विरक्ति उत्पन्न होना। जी भर जाने के उपरांत किसी वस्तु-विशेष में रुचि न रह जाना।				 | 
			
			
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					ऊबर					 :
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					वि० [हिं० उबरनाबचना] १. अधिक। ज्यादा। २. अतिरिक्त।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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