| शब्द का अर्थ | 
					
				| खरक					 : | पुं० [सं० खड़क=स्थाणु] १. चौपायों आदि को बंद करके रखने का घेरा। बाड़ा। २. पशुओं के चरने का स्थान। चारागाह। स्त्री० १. =खटक। २. =खड़क।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरकत्ता					 : | पुं० [देश०] लटोरे की तरह का एक पंक्षी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरकना					 : | अ० १. =खटकना। २. =खड़खड़ाना। ३. =खड़कना। (चुपचाप खिसक जाना)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरकर					 : | पुं० [ब० स०] सूर्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरकवट					 : | स्त्री० [देश०] वह पटरी जो करघे में दो खूँटियों पर आड़ी रखी जाती है और जिस पर ताना फैलाकर बुनाई होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरका					 : | पुं० [हिं० खर=तिनका] बाँस आदि के टुकड़े काट और छीलकर बनाया हुआ कड़ा पतला तिनका जो पान आदि में खोसने के काम आता हैं। मुहावरा– खरका करना–भोजन के उपरान्त दाँतों में फँसे हुए अन्न आदि के कण तिनके से खोदकर बाहर निकालना। पुं० =खरक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरकोण					 : | पुं० [सं० खर√कुण् (शब्द)+अण्] तीतर नामक पक्षी। (डि०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |