| शब्द का अर्थ | 
					
				| खोभ					 : | स्त्री० [हिं० खोभना] खोभने की क्रिया या भाव। पुं०=क्षोभ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खोभना					 : | स० [सं० क्षुभ्] किसी नरम या मुलायम वस्तु में कोई कड़ी तथा नुकीली चीज धँसाना, गड़ाना या चुभाना। | 
			
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				| खोभरना					 : | अ० [?] बीच में आकर आड़ा या तिरछा पड़ना। स०-खोभना। | 
			
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				| खोभरा					 : | पुं० [हिं० खुभना] १. रास्ते में पड़नेवाली वह उभरी हुई चीज जो चुभती हो या जिससे ठोकर लगती हो। उदाहरण–जैसे कोई पाँवनि पै जार कूँ चढ़ाई लेत ताकूँ तौ न कोऊ काँटे खोभरे को दुःख है।–सुन्दर। २. कूड़ा-करकट।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खोभराना					 : | अ० =खुभराना। | 
			
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				| खोभार					 : | पुं० [?] जमीन में खोदा हुआ गड्ढा जिसमें कूड़ा-करकट फेंका जाता है। | 
			
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