शब्द का अर्थ
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					छिन					 :
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					पु०=क्षण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					छिनक					 :
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					पुं० [हिं० छिन+एक] एक क्षण। क्रि० वि० क्षण भर। थोड़ी देर।				 | 
			
			
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					छिनकना					 :
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					स० [हिं० छिड़कना] नाक में से इस प्रकार जोर से हवा निकालना कि उसमें रुका हुआ मल बाहर निकल पड़े। सिनकना।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					छिनकु					 :
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					पुं० क्रि० वि०=छिनक।				 | 
			
			
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					छिनकुरना					 :
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					अ० [हिं० छिनकु+करना] १. एक-क्षण रूकना। २. रूकना। ३. विलंब करना।				 | 
			
			
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					छिनछबि					 :
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					वि० [हिं० छिन+छबि] जिसकी छबि क्षणिक या अस्थायी हो। स्त्री० बिजली। विद्युत।				 | 
			
			
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					छिनदा					 :
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					स्त्री० [सं० क्षणदा] रात।				 | 
			
			
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					छिनना					 :
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					अ० [हिं० छीनना] (किसी अधिकार,वस्तु आदि का किसी से) छीना जाना। जैसे–धन छिनना।				 | 
			
			
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					छिनभंग					 :
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					वि० [सं० क्षणभंगुर] १. जो क्षण में नष्ट हो जाने को हो। क्षणिक। २. नश्वर।				 | 
			
			
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					छिनरा					 :
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					वि=छिनाल।				 | 
			
			
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					छिनवाना					 :
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					स० [हिं० छीनना का प्रे.रूप] किसी को किसी दूसरे से कोई चीज छीनने में प्रवृत्त करना। छीनने का काम दूसरे से कराना।				 | 
			
			
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					छिनाना					 :
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					अ० [हिं० छिनना] छीन लिया जाना। स० छीनना।				 | 
			
			
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					छिनाल					 :
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					वि० [सं० छिन्ना] (स्त्री) जिसका संबंध बहुत से पर-पुरुषों से हो। स्त्री० पुंश्चली। व्यभिचारिणी स्त्री।				 | 
			
			
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					छिनाला					 :
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					पुं० [हिं०छिनाल] पर-पुरुष या पर-स्त्री से होनेवाला अनुचित संबंध या सहवास। व्यभिचार।				 | 
			
			
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					छिनौछबि					 :
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					स्त्री० [हिं० छिनछबि] बिजली।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					छिन्न					 :
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					वि० [सं०√ छिद् (छेदना)+क्त] १. (किसी वस्तु का वह अंश) जो मूल वस्तु से कटकर अलग हुआ हो। २. (वस्तु) जिसमें का कोई अंश या भाग काट लिया गया हो अथवा कट कर अलग हो गया हो। खंडित। ३. जो किसी के साथ लगा हुआ न हो। किसी से अलग। ४. नष्ट किया हुआ। ५. क्षीण। ६. थका हुआ। क्लांत।				 | 
			
			
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					छिन्नक					 :
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					वि० [सं० छिन्न+कन्] जिसका कुछ भाग कटकर अलग हो गया हो। पुं० ज्यामिति में, किसी कोण या कोणाकार गड़े हुए धन पदार्थ का वह बचा हुआ भाग जो उसका ऊपरी अंश तल के समानान्तर धरातल पर से काट लेने के बाद बचे। (फ्रस्टम)।				 | 
			
			
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					छिन्न-धान्य					 :
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					वि० [ब० स०] (शत्रुओं द्वारा घिरी हुई वह सेना) जिसके पास धान्य न पहुँच सकता हो।				 | 
			
			
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					छिन्न-नास					 :
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					वि० [ब० स०] जिसकी नाक कटी हुई हो। नकटा।				 | 
			
			
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					छिन्न-नासिक					 :
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					वि० [ब० स०] कटी हुई नाकवाला। नकटा।				 | 
			
			
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					छिन्न-पत्री					 :
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					स्त्री० [ब० स०] पाठा।				 | 
			
			
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					छिन्न-पुष्प					 :
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					पुं० [ब० स०] पुन्नाग की जाति का वृक्ष। तिलक।				 | 
			
			
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					छिन्न-बंधन					 :
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					वि० [ब० स०] जिसके बंधन खोल या काट दिये गये हों। मुक्त।				 | 
			
			
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					छिन्न-भिन्न					 :
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					वि० [द्व० स०] १. (वस्तु) जिसके अंग अथवा अंश कट-फट या टूट-फूट कर इधर-उधर बिखर गये हों। २. तितिर-बितर। बिखरा या छितराया हुआ।				 | 
			
			
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					छिन्न-मस्त(क)					 :
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					वि० [ब० स०] जिसका सिर कट गया हो।				 | 
			
			
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					छिन्न-मस्तका					 :
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					स्त्री० [ब० स० टाप्] दस महाविद्याओं में से एक देवी जिसके संबंध में कहा जाता है कि वह अपना सिर हथेली पर रखती है और गले में से निकलती हुई रक्त धारा पीती है।				 | 
			
			
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					छिन्न-मस्ता					 :
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					स्त्री० [ब० स० टाप्]=छिन्न-मस्तका।				 | 
			
			
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					छिन्न-मूल					 :
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					वि० [ब० स०] जो जड़ से उखाड़ या काट दिया गया हो।				 | 
			
			
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					छिन्न-रुह					 :
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					पुं० [छिन्न√ रुह (उगना)+क] तिलक नाक वृक्ष।				 | 
			
			
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					छिन्न-रुहा					 :
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					स्त्री० [छिन्नरुह+टाप्] गुडुची।				 | 
			
			
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					छिन्न-वेशिका					 :
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					स्त्री० [छिन्न-वेश, ब० स० कन्-टाप्, इत्व] पाठा।				 | 
			
			
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					छिन्न-व्रण					 :
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					पुं० [कर्म० स०] चोट, हथियार आदि से शरीर में होनेवाला घाव।				 | 
			
			
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					छिन्न-श्वास					 :
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					पुं० [कर्म० स०] एक प्रकार का स्वास रोग।				 | 
			
			
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					छिन्नांत्र					 :
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					पुं० [सं० छिन्न-अंत्र० ब० स०] एक प्रकार का उदर रोग।				 | 
			
			
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					छिन्ना					 :
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					स्त्री० [सं० छिन्न+टाप्] १. गुर्च। २. व्यभिचारिणी स्त्री। छिनाल।				 | 
			
			
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					छिन्नाधार					 :
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					वि० [छिन्न+आधार, ब० स०] १. जिसका आधार कट या टूट चुका हो। उदाहरण–पात हत लतिका वह सुकुमार पड़ी है छिन्नाधार।-पंत। २. निस्सहाय।				 | 
			
			
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